“खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखो”
यह किताब आपको सच्चाई पर अमल करते रहने में मदद देगी। इस तरह आप खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखेंगे।
शासी निकाय की तरफ से एक खत
यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय यहोवा से प्यार करनेवाले सभी लोगों को बढ़ावा देता है कि वे यीशु के नक्शे-कदम पर चलें, जो अपने पिता के प्यार के लायक बना रहा।
अध्याय 1
“परमेश्वर से प्यार करने का मतलब यही है”
बाइबल एक सरल वाक्य में समझाती है कि कैसे आप परमेश्वर के लिए प्यार ज़ाहिर कर सकते हैं।
अध्याय 2
अपना ज़मीर साफ बनाए रखें—कैसे?
क्या ऐसा हो सकता है कि हमारी नज़र में हमारा ज़मीर तो साफ है मगर परमेश्वर की नज़र में यह अशुद्ध है?
अध्याय 3
परमेश्वर के दोस्तों को अपने दोस्त बनाइए
जहाँ दोस्त चुनने की बात आती है, यहोवा की अपनी खास पसंद है। हमें भी उसकी तरह सोच-समझकर दोस्त चुनने चाहिए।
अध्याय 4
अधिकार रखनेवालों का आदर क्यों करें?
शास्त्र बताता है कि ज़िंदगी के तीन खास पहलू क्या हैं जिनमें परमेश्वर चाहता है कि हम अधिकार रखनेवालों का आदर करें।
अध्याय 7
परमेश्वर की तरह क्या आप भी जीवन को अनमोल समझते हैं?
क्या जीवन की कदर करने का मतलब सिर्फ किसी दूसरे की जान न लेना है या इसमें और भी कुछ शामिल है?
अध्याय 8
परमेश्वर साफ और शुद्ध लोगों से प्यार करता है
बाइबल की मदद से आप उन कामों से दूर रह सकते हैं जो आपको यहोवा की नज़रों में अशुद्ध बना सकते हैं।
अध्याय 9
“नाजायज़ यौन-संबंधों से दूर भागो!”
हर साल हज़ारों की तादाद में मसीही नाजायज़ यौन-संबंध का पाप कर बैठते हैं। आप इस फंदे में फँसने से कैसे बच सकते हैं?
अध्याय 10
शादी—हमारे प्यारे परमेश्वर का तोहफा
आप एक खुशहाल शादीशुदा ज़िंदगी के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? और अगर आप शादीशुदा हैं, तो इस रिश्ते को कायम रखने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
अध्याय 11
शादी आदर की बात समझी जाए
छ: सवाल पूछकर खुद की जाँच कीजिए और और अपने रिश्ते में सुधार लाइए।
अध्याय 12
ऐसी बोली बोलिए जो “हिम्मत बँधाएँ”
अपनी बोली से हम या तो दूसरों की हिम्मत तोड़ सकते हैं या उनकी हिम्मत बँधा सकते हैं। आइए सीखें कि परमेश्वर का दिया यह तोहफा बोली का हम वैसा इस्तेमाल कैसे करें जैसा यहोवा ने चाहा था।
अध्याय 13
ऐसे जश्न जो परमेश्वर को नाराज़ करते हैं
ऐसा लग सकता है कि कुछ जश्न और त्योहार परमेश्वर का आदर करते हैं मगर असल में वे उसे नाराज़ करते हैं।
अध्याय 14
सब बातों में ईमानदार रहिए
दूसरों के साथ ईमानदार होने से पहले हमें खुद के साथ ईमानदार होना होगा।
अध्याय 15
अपनी मेहनत के कामों से खुशी पाइए
पाँच सवालों के जवाब आपको यह जानने में मदद करेंगे कि आपको फलाँ नौकरी करनी चाहिए या नहीं।
अध्याय 16
शैतान और उसकी धूर्त चालों का विरोध कीजिए
हम मानते हैं कि शैतान के पास ताकत है, मगर हम उसकी ताकत के बारे में ज़्यादा नहीं जानना चाहते। क्यों?
अध्याय 17
“अपने पवित्र विश्वास की बुनियाद पर खुद को मज़बूत करो”
तीन कदम उठाकर आप अपना विश्वास मज़बूत कर सकते हैं ताकि आप परमेश्वर के प्यार के लायक बने रहें।
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कुछ आसान-से कदम उठाकर आप इलाज में आनेवाली मुश्किलों का सामना कर सकते हैं।
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