भाग 4 में क्या है
इस भाग में यूसुफ, अय्यूब, मूसा और इसराएलियों के बारे में बताया जाएगा। उन सब लोगों ने शैतान के हाथों बहुत तकलीफें झेली थीं। उनमें से कुछ को अन्याय सहना पड़ा, जेल में डाल दिया गया, गुलाम बना लिया गया और उनके कुछ अपनों की मौत भी हो गयी। फिर भी यहोवा ने कई तरीकों से उनकी मदद की। अगर आपके बच्चे हैं तो उन्हें यह समझने में मदद दीजिए कि यहोवा के उन सेवकों ने कैसे तकलीफें झेलते हुए भी अपना विश्वास नहीं खोया।
यहोवा ने मिस्र पर दस कहर लाकर दिखाया कि वह वहाँ के सभी देवताओं से कहीं ज़्यादा ताकतवर है। बताइए कि यहोवा ने पुराने ज़माने में अपने लोगों को कैसे बचाया था और आज भी वह कैसे बचाता है।
इस भाग में
पाठ 14
एक गुलाम ने परमेश्वर की बात मानी
यूसुफ सही काम करता था, फिर भी उसे बहुत दुख सहना पड़ा। क्यों?
पाठ 15
यहोवा यूसुफ को नहीं भूला
हालाँकि यूसुफ अपने परिवार से बहुत दूर था, मगर परमेश्वर उसके साथ था।
पाठ 17
मूसा ने यहोवा की उपासना करने का फैसला किया
नन्हे मूसा को उसकी माँ ने एक बढ़िया तरकीब निकालकर बचाया।
पाठ 19
शुरू के तीन कहर
फिरौन इतना घमंडी था कि उसने एक आसान-सा काम करने से इनकार कर दिया। इसलिए उसके लोगों पर मुसीबत आयी।
पाठ 22
लाल सागर के पास चमत्कार
फिरौन दस कहर से बच गया, मगर क्या वह परमेश्वर के इस चमत्कार से बच पाता?