कहानी 35
यहोवा के दिए नियम
मिस्र छोड़ने के करीब दो महीने बाद, इस्राएली सीनै पहाड़ के पास पहुँचे। इस जगह को होरेब कहा जाता है। यहीं मूसा ने जलती हुई झाड़ी देखी थी और यहोवा से उसकी बातचीत हुई थी। इस्राएली यहाँ डेरा डालकर कुछ समय के लिए रहने लगे।
इसके बाद मूसा पहाड़ पर चढ़ गया और लोग नीचे उसका इंतज़ार करने लगे। जब मूसा पहाड़ की चोटी पर पहुँचा, तब यहोवा ने उससे कहा: ‘मैं चाहता हूँ कि इस्राएली मेरी आज्ञा मानें और मेरे खास लोग कहलाएँ।’ जब मूसा नीचे आया, तो उसने इस्राएलियों को यह बात बतायी। तब लोगों ने कहा कि वे यहोवा की आज्ञा मानेंगे, क्योंकि वे उसके लोग बनना चाहते हैं।
पता है तब क्या हुआ? पहाड़ की चोटी से धुआँ निकलने लगा और ज़ोर-ज़ोर से बादल गरजने लगे। यह सब यहोवा ने किया। उसने लोगों से कहा: ‘मैं ही तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ, जो तुम्हें मिस्र की गुलामी से छुड़ा लाया हूँ।’ फिर उसने उन्हें यह आज्ञा दी: ‘तुम मुझे छोड़ किसी दूसरे ईश्वर की उपासना मत करना।’
परमेश्वर ने इस्राएलियों को और भी नौ आज्ञाएँ दीं। परमेश्वर की आवाज़ सुनकर लोग बहुत डर गए। उन्होंने मूसा से कहा: ‘आगे से तुम ही हमसे बात करना। क्योंकि हमें डर है कि अगर परमेश्वर हमसे बात करेगा तो हम मर जाएँगे।’
एक बार फिर यहोवा ने मूसा से कहा: ‘तू पहाड़ पर चढ़कर मेरे पास आ। मैं तुझे पत्थर की दो तख्तियाँ दूँगा, जिन पर मैंने दस आज्ञाएँ लिखी हैं। मैं चाहता हूँ कि लोग इन आज्ञाओं को मानें।’ इसलिए मूसा फिर से पहाड़ पर चढ़ गया। और 40 दिन और 40 रात वहीं रहा।
उस दौरान, परमेश्वर ने अपने कहे मुताबिक मूसा को पत्थर की दो तख्तियाँ दीं, जिन पर उसने खुद 10 आज्ञाएँ लिखी थीं। इसके अलावा, उसने मूसा को अपने लोगों के लिए और भी बहुत-से नियम दिए। इन नियमों को मूसा ने अलग से लिखा।
परमेश्वर की दी दस आज्ञाओं को मानना बहुत ज़रूरी था। साथ ही, दूसरे नियमों को मानना भी ज़रूरी था। उनमें से एक नियम था: ‘तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी समझ, अपनी पूरी जान और अपनी पूरी शक्ति से प्यार कर।’ और दूसरा नियम था: ‘तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्यार कर।’ आगे चलकर परमेश्वर के बेटे, यीशु मसीह ने भी कहा कि ये दो सबसे बड़े नियम हैं, जो यहोवा ने इस्राएलियों को दिए थे। बाद में हम परमेश्वर के बेटे और उसकी शिक्षाओं के बारे में बहुत कुछ सीखेंगे।