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भाग 4

इसराएल के पहले राजा से लेकर इसराएलियों का बाबेल की गुलामी में जाने तक

इसराएल के पहले राजा से लेकर इसराएलियों का बाबेल की गुलामी में जाने तक

इस्राएल के पहले राजा का नाम शाऊल था। पर आगे चलकर यहोवा ने उसे ठुकरा दिया और उसकी जगह दाऊद को राजा चुना। हम दाऊद के बारे में कई बातें सीखेंगे। उसने अपनी नौजवानी में गोलियत नाम के एक बहुत ही लंबे-चौड़े आदमी को मार गिराया था। बाद में राजा शाऊल उससे जलने लगा। इसलिए उसे राजा शाऊल के पास से भाग जाना पड़ा। इसके बाद एक समझदार स्त्री अबीगैल ने दाऊद को बेवकूफी का काम करने से रोका।

दाऊद के बाद उसका बेटा सुलैमान इस्राएल का राजा बना। हम उसके बारे में भी काफी कुछ जानेंगे। इस्राएल के पहले तीन राजाओं में से हरेक ने 40-40 साल तक राज किया। सुलैमान की मौत के बाद, इस्राएल दो राज्यों में बँट गया, एक उत्तरी राज्य और दूसरा दक्षिणी राज्य।

उत्तरी राज्य इस्राएल के 10 गोत्रों से मिलकर बना था। यह राज्य 257 साल तक बना रहा। बाद में अश्‍शूर देश की सेना ने इस राज्य को खत्म कर दिया। उसके 133 साल बाद, दो गोत्रवाले दक्षिणी राज्य को भी खत्म कर दिया गया। तब इस्राएलियों को गुलाम बनाकर बाबुल ले जाया गया। भाग 4 में 510 साल का इतिहास दर्ज़ है। इस दौरान एक-से-बढ़कर-एक घटनाएँ घटीं।

 

इस भाग में

कहानी 56

शाऊल​— इसराएल का पहला राजा

परमेश्‍वर ने ही शाऊल को चुना था। लेकिन बाद में उसे ठुकरा दिया, इससे हम क्या सीख सकते हैं?

कहानी 57

परमेश्‍वर ने दाविद को चुना

परमेश्‍वर ने दाविद में ऐसा क्या देखा जो भविष्यवक्‍ता शमूएल ने उसमें नहीं देखा?

कहानी 58

दाविद और गोलियत का मुकाबला

दाविद ने अपने गोफन के दम पर नहीं बल्कि एक ताकतवर हथियार की मदद से लड़ा।

कहानी 59

दाविद जान बचाकर भागा

शाऊल पहले दाविद से बहुत खुश था। लेकिन बाद में वह क्यों उससे इतना जलने लगा कि उसे जान से मार डालना चाहता था?

कहानी 60

अबीगैल और दाविद

अबीगैल अपने पति को बेवकूफ कहती है, इस वजह से कुछ वक्‍त तक नाबाल जान बच जाती है

कहानी 61

दाविद को राजा बनाया गया

दाविद ने अपनी बातों और कामों से दिखाया की वह इसराएल का राजा बनने के लायक है

कहानी 62

दाविद के परिवार पर आयी मुसीबतें

एक बड़ी गलती की वजह से दाविद और उसके परिवार के पर कई सालों तक मुसीबतें आयीं

कहानी 63

बुद्धिमान राजा सुलैमान

क्या सच में वह बच्चे के दो टुकड़े करने वाला था?

कहानी 64

सुलैमान ने बनाया यहोवा का मंदिर

हलाकी सुलैमान बहुत बुद्धिमान था, लेकिन वह बहक गया और उसने बेवकूफी भरा काम किया।

कहानी 65

राज्य का बँटवारा

जैसे ही यारोबाम ने राज करना शुरू किया तो उसने लोगों को परमेश्‍वर का कानून तोड़ने के लिए उकसाया।

कहानी 66

ईज़ेबेल​—एक दुष्ट रानी

अगर उसे कोई चीज़ चाहिए, तो उसे पाने के लिए वह कुछ भी कर सकती है।

कहानी 67

यहोशापात ने यहोवा पर भरोसा रखा

क्यों कोई सेना लड़ाई में गाने वालों को ले जाएगी, वो भी बिना हथियार के?

कहानी 68

दो लड़के जिन्हें दोबारा ज़िंदा किया गया

क्या किसी मरे हुए इंसान को फिर से ज़िंदा किया सकता है? हाँ, ऐसा हुआ है!

कहानी 69

छोटी लड़की ने की एक सेनापति की मदद

उसमें हिम्मत थी इसलिए वह बोल पायी। इस वजह से एक चमत्कार हुआ

कहानी 70

योना मछली के पेट में

योना ने एक अहम सबक सीखा कि यहोवा जो कहता है उसे मानने में ही भलाई है

कहानी 71

परमेश्‍वर का वादा—धरती पर फिरदौस

धरती का पहला फिरदौस छोटा था। पर अब जो आने वाला है वो पूरी धरती पर होगा।

कहानी 72

परमेश्‍वर ने की राजा हिजकियाह की मदद

एक ही रात में एक स्वर्गदूत ने 1,85,000 अश्‍शूरी सैनिकों का मार डाला

कहानी 73

इसराएल का आखिरी अच्छा राजा

कम उम्र का होने के बाद भी योशियाह ने बहुत हिम्मत दिखायी।

कहानी 74

वह इंसानों से नहीं डरा

यिर्मयाह को लगा कि वह अभी बहुत छोटा है वह नबी का काम कैसे कर पाएगा, लेकिन परमेश्‍वर जानता था, कि वह यह काम अच्छे से कर पाएगा।

कहानी 75

चार बुद्धिमान लड़के

अपने परिवार से दूर रहने के बाद भी कामयाब हुए।

कहानी 76

यरूशलेम का विनाश

परमेश्‍वर ने क्यों यरूशलेम का नाश होने दिया वह भी इसराएलियों के दुश्‍मन बाबेल के हाथों?