पाठ 47
कैसे कहा जा सकता है कि हर-मगिदोन पास आ गया है
क्या आप जानते हो कि निशानी किसे कहते हैं?— पाठ 46 में हमने पढ़ा था कि परमेश्वर ने एक निशानी दी है जो इस बात का सबूत है कि वह फिर कभी इस दुनिया को जलप्रलय से नाश नहीं करेगा। वैसे ही प्रेषितों ने यीशु से एक निशानी के बारे में पूछा जिससे उन्हें पता चलता कि उसने राज करना शुरू कर दिया है और इस इस व्यवस्था यानी दुनिया का नाश होनेवाला है।—मत्ती 24:3.
यीशु तो जी उठने के बाद स्वर्ग चला गया। अब इंसान उसे नहीं देख सकते। इसलिए लोगों को एक निशानी की ज़रूरत थी जिससे उन्हें पता चलता कि यीशु ने राज करना शुरू कर दिया है। यीशु ने अपने चेलों को बताया कि उन्हें धरती पर होनेवाली कुछ घटनाओं के लिए सचेत रहने की ज़रूरत है। उसने कहा कि जब ये घटनाएँ घटेंगी तो उसका मतलब होगा कि उसने स्वर्ग में राजा के तौर पर शासन करना शुरू कर दिया है।
यीशु अपने चेलों को बताना चाहता था कि सचेत रहना कितना ज़रूरी है। उसने उनसे कहा: “अंजीर के पेड़ और दूसरे सभी पेड़ों पर गौर करो: जब उनमें नयी पत्तियाँ निकल आती हैं, तो यह देखकर तुम जान जाते हो कि गर्मियों का मौसम पास है।” अब पता चला कि हम यह कैसे जानते हैं कि गरमी का मौसम आनेवाला है। उसी तरह जब आप उन घटनाओं को पूरा होते देखते हो जिनके बारे में यीशु ने बताया था, तो आप कह सकते हो कि हर-मगिदोन पास है।—इस पन्ने और अगले पन्ने पर कुछ तसवीरें दी गयी हैं। इनमें पाठ 46 में पढ़ा था, जब ये सारी घटनाएँ घटेंगी तो परमेश्वर का राज जिसका राजा यीशु मसीह है, दुनिया की सारी सरकारों को कुचल देगा।
वे घटनाएँ दिखायी गयी हैं जिनके बारे में यीशु ने बताया था। ये घटनाएँ उस निशानी का हिस्सा हैं, जिससे पता चलता कि परमेश्वर का राज पास आ गया है। और जैसा कि हमनेपेज 245 और 246 पर दी गयी तसवीरों को ध्यान से देखो, हम इनके बारे में बात करेंगे। इन तसवीरों में जो दिखाया गया है, उसके बारे में आप मत्ती 24:6-14 और लूका 21:9-11 में पढ़ सकते हो। गौर कीजिए कि हर तसवीर पर एक नंबर दिया गया है। वही नंबर उस पैराग्राफ की शुरूआत में दिया गया है, जिसमें उस तसवीर के बारे में समझाया गया है। चलो अब देखते हैं कि यीशु ने जो निशानी दी थी उसके अलग-अलग हिस्से आज पूरे हो रहे हैं या नहीं।
(1) यीशु ने कहा: “तुम युद्धों का शोरगुल और युद्धों की खबरें सुनोगे; . . . एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर और एक राज्य दूसरे राज्य पर हमला करेगा।” क्या आपने कभी लोगों को युद्धों के बारे में बात करते सुना है?— प्रथम विश्वयुद्ध सन् 1914-1918 के बीच लड़ा गया और उसके बाद द्वितीय विश्वयुद्ध 1939 से 1945 के बीच लड़ा गया। इससे पहले कभी भी इतिहास में विश्वयुद्ध नहीं लड़े गए थे! आजकल तो पूरी दुनिया में कहीं-न-कहीं युद्ध होते रहते हैं। हम हर रोज़ टी.वी. पर, रेडियो और अखबारों में युद्धों के बारे में सुनते और पढ़ते हैं।
(2) यीशु ने यह भी कहा: “एक-के-बाद-एक कई जगहों पर अकाल पड़ेंगे।” जैसा कि आपको मालूम होगा कि आज बहुत-से लोग दो वक्त की रोटी तक नहीं जुटा पाते। हर दिन हज़ारों लोग भूखों मर जाते हैं।
(3) यीशु ने कहा: “एक-के-बाद-एक कई जगहों पर महामारियाँ फैलेंगी।” क्या आपको मालूम है महामारी किसे कहते हैं?— जब कोई बीमारी बड़ी तेज़ी से फैलती है और उससे बहुत-से लोगों की मौत हो जाती है, तो उसे महामारी कहा जाता है। ऐसी ही एक बड़ी महामारी थी स्पैनिश फ्लू। इसकी वजह से एक साल के अंदर करीब 2 करोड़ लोगों की जान चली गयी। आज एड्स की वजह से उससे भी ज़्यादा लोगों के मरने का डर है। इसके अलावा कैंसर, दिल की बीमारी और दूसरी बीमारियों की वजह से हर साल हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है।
(4) यीशु ने निशानी का एक और हिस्सा बताया: “एक-के-बाद-एक कई जगहों पर . . . भूकंप होंगे।” क्या आप जानते हो भूकंप क्या होता है?— भूकंप में ज़मीन हिलने लगती है। घर गिर जाते हैं और अकसर लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। सन् 1914 से हर साल कई भूकंप आए हैं। क्या आपने भूकंप के बारे में सुना है?—
(5) यीशु ने कहा कि निशानी का एक और हिस्सा यह होगा कि ‘बुराई बहुत बढ़ जाएगी।’ यही वजह है कि आज इतनी चोरियाँ होती हैं और हर जगह मार-काट मची हुई है। लोग चाहे जहाँ भी रहते हों, उन्हें डर लगा रहता है कि कोई उनके घर में घुसकर कहीं लूट-पाट न कर ले। इससे पहले कभी पूरी दुनिया में इस तरह अपराध और हिंसा नहीं फैली थी।
(6) यीशु ने निशानी का सबसे ज़रूरी हिस्सा बताते हुए कहा: “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो; और इसके बाद अंत आ जाएगा।” (मत्ती 24:14) अगर आप “इस खुशखबरी” पर विश्वास करते हो, तो आपको इसके बारे में दूसरों को बताना चाहिए। इस तरह आप निशानी के इस हिस्से को पूरा करने में हाथ बँटा सकते हो।
कुछ लोग शायद कहें कि यीशु ने जो बातें बतायी थीं, वे तो हमेशा से होती आयी हैं। लेकिन ध्यान दीजिए, इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि ये सारी बातें एक ही समय पर पूरी दुनिया में हुई हों। तो क्या अब आपको समझ में आया कि निशानी का क्या मतलब है?— इसका मतलब है कि जब हम इन सारी बातों को पूरा होते हुए देखते हैं, तो हमें समझ जाना चाहिए कि यह दुष्ट दुनिया जल्द ही खत्म हो जाएगी और इसकी जगह परमेश्वर की नयी दुनिया आएगी।
जब यीशु ने यह निशानी दी, तो उसने साल के एक खास मौसम के बारे में भी बताया। उसने कहा: ‘प्रार्थना करते रहो कि तुम्हारा भागना सर्दियों के मौसम में न हो।’ (मत्ती 24:20) आपको क्या लगता है, यीशु के कहने का क्या मतलब था?—
आप खुद ही सोचो, अगर एक इंसान को किसी बड़ी मुसीबत से बचने के लिए सर्दी में भागना पड़े, तो क्या होगा?— उसे बहुत मुश्किल होगी, क्योंकि जब कड़ाके की
ठंड पड़ती है तो बाहर निकलना या कहीं जाना खतरनाक हो सकता है। उसे अपनी जान बचाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। अगर कोई तूफान में फँस जाता है और उसकी जान चली जाती है, वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वह दूसरे कामों में उलझा हुआ था और उसने निकलने में देर कर दी, तो यह कितने दुख की बात होगी?—क्या अब आप समझे कि यीशु यह क्यों कह रहा था कि बचने के लिए सर्दी तक इंतज़ार नहीं करना चाहिए?— हम जानते हैं कि हर-मगिदोन पास है, तो हमें परमेश्वर की सेवा करने और उसके लिए अपना प्यार दिखाने में देर नहीं करनी चाहिए। अगर हमने देर की, तो शायद हमें बचने का मौका न मिले। तब हम जलप्रलय के समय के उन लोगों की तरह होंगे जिन्होंने नूह की चेतावनी सुनी तो सही मगर जहाज़ के अंदर नहीं गए।
आओ हम अगले पाठ में यह देखें कि हर-मगिदोन के बड़े युद्ध के बाद क्या होगा। हम सीखेंगे कि हम सब जो आज परमेश्वर से प्यार करते हैं और उसकी सेवा कर रहे हैं, उन्हें वह क्या-क्या आशीषें देगा।
ये आयतें भी दिखाती हैं कि हर-मगिदोन पास है: 2 तीमुथियुस 3:1-5 और 2 पतरस 3:3, 4.