पाठ 34
मरने पर हमारा क्या होता है?
आप अच्छी तरह जानते होंगे कि आज लोग बूढ़े होते, बीमार होते और आखिर में मर जाते हैं। यहाँ तक कि कुछ बच्चों की भी मौत हो जाती है। क्या आपको मौत से डरना चाहिए या उन लोगों से डरना चाहिए जो मर चुके हैं?— क्या आप जानते हो मरने पर हमारा क्या होता है?—
आज ऐसा कोई भी नहीं जो मरकर दोबारा ज़िंदा हुआ हो और जो हमें बता सके कि मरने के बाद क्या होता है। लेकिन जब महान शिक्षक यीशु धरती पर था तब ऐसा एक आदमी था। उसके बारे में पढ़ने से हम सीखेंगे कि जब लोग मर जाते हैं तब उनका क्या होता है। वह आदमी था यीशु का दोस्त लाज़र। वह बैतनिय्याह में रहता था। बैतनिय्याह यरूशलेम से कुछ दूरी पर एक छोटा-सा नगर था। लाज़र की दो बहने थीं। उनके नाम थे मारथा और मरियम। चलो देखते हैं कि क्या हुआ।
बाइबल बताती है कि एक दिन लाज़र बहुत बीमार हो गया। उस वक्त यीशु कहीं दूर गया हुआ था। इसलिए मारथा और मरियम ने उसके पास संदेश भेजा कि उनका भाई लाज़र बहुत बीमार है। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे जानती थीं कि यीशु उनके भाई को ठीक कर सकता है। यीशु कोई डॉक्टर नहीं था, मगर उसे परमेश्वर से शक्ति मिली थी जिससे वह हर तरह की बीमारी ठीक कर सकता था।—मत्ती 15:30, 31.
इससे पहले कि यीशु वहाँ पहुँचता, लाज़र की तबियत और बिगड़ गयी और वह मर गया। लेकिन यीशु ने अपने चेलों से कहा कि लाज़र सो रहा है और वह जाकर उसे जगाएगा। चेलों को यीशु की बात समझ में नहीं आयी। इसलिए यीशु ने साफ-साफ कहा: “लाज़र मर गया है।” इससे हमें मौत के बारे में क्या पता चलता है?— यही कि मौत गहरी नींद की तरह है, इतनी गहरी कि इसमें एक इंसान को सपने तक नहीं आते।
यीशु मारथा और मरियम से मिलने आया। मारथा और मरियम के नाते-रिश्तेदार पहले ही वहाँ पहुँच चुके थे। वे उन्हें उनके भाई की मौत पर दिलासा देने आए थे। जब मारथा को पता चला कि यीशु आ रहा है तो वह दौड़कर उससे मिलने गयी। जल्द ही मरियम भी यीशु से मिलने आयी। वह बहुत दुखी थी, वह यीशु के पैरों पर गिरकर रोने लगी। मरियम के पीछे उसके नाते-रिश्तेदार भी वहाँ पहुँच गए, वे भी रो रहे थे।
महान शिक्षक ने पूछा कि उन्होंने लाज़र के शरीर को कहाँ रखा है। तब लोग यीशु को उस गुफा के पास ले गए जहाँ लाज़र को दफनाया गया था। जब यीशु ने सबको रोते देखा तो वह भी खुद को रोक न सका और रोने लगा। वह जानता था कि जब किसी अपने की मौत हो जाती है तो कितना दुख होता है।
गुफा के मुँह पर एक पत्थर रखा था, इसलिए यीशु ने कहा: “पत्थर को हटाओ।” क्या उन्हें ऐसा करना चाहिए था?— मारथा को लगा कि ऐसा करना सही नहीं होगा। उसने कहा: ‘प्रभु, अब तो उसमें से बदबू आती होगी, उसे मरे चार दिन हो गए हैं।’
लेकिन यीशु ने उससे कहा: “क्या मैंने तुझसे यह न कहा था कि अगर तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा देखेगी?” यीशु के कहने का क्या मतलब था? उसका मतलब था कि मारथा कुछ ऐसा देखेगी जिससे परमेश्वर की महिमा होगी। यीशु क्या करनेवाला था? जब पत्थर हटाया गया तो यीशु ने ज़ोर से यहोवा से प्रार्थना की। फिर यीशु ने ज़ोरदार आवाज़ में कहा: “लाज़र, बाहर आ जा!” क्या वह बाहर आएगा? क्या वह बाहर आ सकता था?—
क्या आप किसी को नींद से जगा सकते हो?— बिलकुल जगा सकते हो। अगर आप ज़ोर से उसे बुलाओ तो वह ज़रूर जाग जाएगा। लेकिन अगर कोई मौत की नींद सो गया हो तो क्या आप उसे जगा सकते हो?— नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। आप चाहे कितनी भी ज़ोर से चिल्लाकर उसे उठाने की कोशिश करो वह आपकी नहीं सुनेगा। मैं, आप या कोई भी इंसान कुछ भी करके मरे हुए को जगा नहीं सकता।
लेकिन यीशु की बात अलग है। उसे परमेश्वर से खास शक्ति मिली है। इसलिए यूहन्ना 11:1-44.
जब यीशु ने लाज़र को आवाज़ दी तो एक चौंकानेवाली बात हुई। जिस इंसान को मरे चार दिन हो गए थे वह गुफा से बाहर निकल आया! वह ज़िंदा हो गया! वह दोबारा साँस ले सकता था, चल सकता था और बोल सकता था! जी हाँ, यीशु ने लाज़र को मरे हुओं में से ज़िंदा किया।—ज़रा सोचिए: मरने पर लाज़र का क्या हुआ? क्या उसके शरीर का कोई भाग यानी आत्मा बाहर निकलकर कहीं और चली गयी थी? क्या लाज़र की आत्मा स्वर्ग चली गयी? क्या चार दिन तक वह परमेश्वर और पवित्र स्वर्गदूतों के साथ स्वर्ग में था?—
नहीं, वह कहीं नहीं था। याद करो यीशु ने कहा था कि लाज़र सो रहा है। जब आप सो जाते हो तो क्या होता है? जब आप गहरी नींद में होते हो तो क्या आपको पता चलता है कि आपके आस-पास क्या हो रहा है?— जागने पर जब तक आप घड़ी नहीं देखते, आपको पता नहीं चलता कि आप कितनी देर सोए।
मरे हुओं के साथ भी यही होता है। वे कुछ नहीं जानते। वे कुछ महसूस नहीं कर सकते। वे कुछ कर भी नहीं सकते। जब लाज़र मरा तो उसकी हालत भी बिलकुल ऐसी ही थी। मौत, गहरी नींद की तरह है जब इंसान को कुछ याद नहीं रहता। बाइबल कहती है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।”—अब ज़रा इस बारे में भी सोचो: अगर लाज़र चार दिन तक स्वर्ग में रहा होता तो क्या वह इस बारे में लोगों को कुछ नहीं बताता?— अगर वह सचमुच स्वर्ग में होता तो क्या यीशु उसे इतनी अच्छी जगह से ज़बरदस्ती यहाँ धरती पर वापस लाता?— कभी नहीं!
फिर भी कई लोग कहते हैं कि हमारे अंदर आत्मा है। वे यह भी कहते हैं कि मरने के बाद आत्मा शरीर से निकलकर ज़िंदा रहती है। वे कहते हैं कि लाज़र के मरने के बाद उसकी आत्मा कहीं और ज़िंदा थी। लेकिन बाइबल ऐसा कुछ नहीं कहती। बाइबल कहती है कि परमेश्वर ने जब सबसे पहले इंसान आदम को बनाया तो वह एक “जीवता प्राणी” बना। आदम एक प्राणी था। बाइबल यह भी बताती है कि जब आदम ने पाप किया, वह मर गया। वह मृत प्राणी बन गया और मिट्टी में मिल गया जिससे उसे बनाया गया था। बाइबल यह भी कहती है कि आदम से ही उसके सभी बच्चों में पाप और मौत आ गयी।—उत्पत्ति 2:7; 3:17-19; गिनती 6:6; रोमियों 5:12.
इससे साफ पता चलता है कि हमारे अंदर कोई आत्मा नहीं है जो मरने पर हमारे यहेजकेल 18:4.
शरीर से अलग हो जाती है। और सभी लोगों को पाप सबसे पहले इंसान आदम से मिला, इसलिए बाइबल कहती है: “जो प्राणी पाप करे वही मर जाएगा।”—कुछ लोग मरे हुओं से डरते हैं। वे कब्रिस्तान या शमशान घाट के पास तक नहीं जाते, क्योंकि उन्हें लगता है कि मरे हुओं की आत्मा ज़िंदा लोगों को नुकसान पहुँचा सकती है। लेकिन क्या आपको लगता है कि जो इंसान मर चुका है वह ज़िंदा लोगों को नुकसान पहुँचा सकता है?— नहीं, वह ऐसा बिलकुल नहीं कर सकता।
कुछ लोग सोचते हैं कि मरे हुए, भूत बनकर लोगों से मिलने आते हैं। इसलिए वे उनके लिए खाना रखते हैं। लेकिन परमेश्वर मरे हुओं के बारे में ऐसा नहीं कहता। इसलिए जो लोग मानते हैं कि मरने के बाद भी इंसान का कोई हिस्सा ज़िंदा रहता है, वे परमेश्वर की बात पर विश्वास नहीं करते। अगर हम परमेश्वर की बात पर विश्वास करें तो हम मरे हुओं से कभी नहीं डरेंगे। और अगर हम सचमुच इस बात के लिए यहोवा के एहसानमंद हैं कि उसने हमें जीवन दिया है, तो हम वही काम करेंगे जिनसे उसे खुशी होती है।
लेकिन शायद आप सोचते हों: ‘जो बच्चे मर गए हैं क्या परमेश्वर उन्हें ज़िंदा करेगा? क्या वह सचमुच ऐसा करना चाहता है?’ यह हम अगले पाठ में सीखेंगे।
मरे हुए किस हालत में हैं, इस बारे में और जानने के लिए आओ बाइबल की ये आयतें पढ़ें: भजन 115:17; 146:3, 4 और यहोशू 11:11.