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पाठ 19

क्या लड़ाई करना अच्छी बात है?

क्या लड़ाई करना अच्छी बात है?

क्या आप किसी ऐसे बच्चे को जानते हो, जो हमेशा दादा-गिरी करता है और दूसरों पर धौंस जमाता है?— क्या आपको उसके साथ रहना अच्छा लगता है? या आपको ऐसे बच्चे के साथ रहना अच्छा लगता है जो दूसरों के साथ प्यार से पेश आता है और सबके साथ शांति से रहता है?— महान शिक्षक ने कहा: “सुखी हैं वे जो शांति कायम करते हैं, क्योंकि वे ‘परमेश्वर के बेटे’ कहलाएँगे।”—मत्ती 5:9.

लेकिन कई बार लोग ऐसे काम करते हैं कि हमें उन पर बहुत गुस्सा आता है। सच है ना?— उस वक्‍त शायद उनसे बदला लेने का मन करे। एक बार यीशु के चेलों के साथ ऐसा ही हुआ। यह तब की बात है जब वे यीशु के साथ यरूशलेम जा रहे थे। चलो मैं तुम्हें इस बारे में बताता हूँ।

थोड़ी दूर चलने पर यीशु ने कुछ चेलों को सामरिया देश के एक गाँव में यह पता लगाने भेजा कि उन्हें वहाँ आराम करने के लिए जगह मिल सकती है या नहीं। सामरिया के लोग दूसरे धर्म को मानते थे, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि यीशु और उसके चेले उनके गाँव में रुकें। वे उन लोगों को भी पसंद नहीं करते थे जो उपासना के लिए यरूशलेम जाते थे।

सामरी लोगों से बदला लेने के लिए याकूब और यूहन्ना क्या करना चाहते थे?

अगर आपके साथ ऐसा होता, तो आप क्या करते? क्या आपको गुस्सा आता? क्या आपको उनसे बदला लेने का मन करता?— यीशु के चेले याकूब और यूहन्ना उन गाँववालों से बदला लेने की सोचने लगे। उन्होंने यीशु से कहा: “क्या तू चाहता है कि हम यह कहें कि आकाश से आग बरसे और इन्हें भस्म कर दे?” वे जल्द-ही भड़क उठते थे, इसीलिए यीशु उन्हें गर्जन के बेटे कहता था। वे तो बदला लेना चाहते थे, लेकिन यीशु ने उनसे कहा कि दूसरों के साथ इस तरह का व्यवहार करना सही नहीं है।—लूका 9:51-56; मरकुस 3:17.

यह सच है कि कभी-कभी लोग हमसे बुरा व्यवहार करते हैं। हो सकता है दूसरे बच्चे आपको अपने खेल में शामिल न करें। वे शायद यह भी कहें: “हमें तुम्हारे साथ खेलना पसंद नहीं। यहाँ से चले जाओ।” जब ऐसा होता है तो हमें बुरा लगता है ना? हमें उनसे बदला लेने का मन करता है। लेकिन क्या हमें बदला लेना चाहिए?—

यह जानने के लिए क्यों न हम अपनी बाइबल से नीतिवचन अध्याय 24 की आयत 29 पढ़ें? यहाँ लिखा है: “मत कह, कि जैसा उस ने मेरे साथ किया वैसा ही मैं भी उसके साथ करूंगा; और उसको उसके काम के अनुसार पलटा दूंगा।”

आपको क्या लगता है इस आयत का क्या मतलब है?— यह आयत कहती है कि हमें किसी से बदला लेने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हमें किसी के साथ इसलिए बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए क्योंकि उसने हमारे साथ ऐसा किया है। लेकिन मान लीजिए कि कोई आपको लड़ाई करने के लिए उकसाए, तब आप क्या करोगे? वह शायद आपको गुस्सा दिलाने के लिए आपको गाली दे। वह शायद आपकी हँसी उड़ाए और कहे कि तुम डरपोक हो। मान लीजिए कि वह आपसे कहता है, तुम तो भीगी बिल्ली हो। ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? क्या आपको उससे झगड़ा करना चाहिए?—

चलो फिर से देखते हैं कि इस बारे में बाइबल क्या कहती है। इस बार मत्ती का अध्याय 5 खोलो और उसकी आयत 39 देखो। यहाँ यीशु ने कहा है: “जो दुष्ट है उसका मुकाबला मत करो; इसके बजाय, जो कोई तेरे दाएँ गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दे।” यहाँ यीशु के कहने का क्या मतलब था? क्या उसके कहने का मतलब था कि अगर कोई आपके एक गाल पर घूँसा मारे तो आपको दूसरा गाल भी उसकी तरफ कर देना चाहिए?—

नहीं, यीशु के कहने का यह मतलब नहीं था। थप्पड़ मारने और घूँसा मारने में फर्क है। थप्पड़ मारने का मतलब धक्का देना हो सकता है। एक इंसान शायद झगड़ा शुरू करने के लिए हमें धक्का दे। वह शायद हमें गुस्सा दिलाना चाहे। अगर हम गुस्सा हो जाएँ और हम भी धक्का दें, तो क्या हो सकता है?— हम दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो सकता है।

लेकिन यीशु नहीं चाहता था कि उसके चेले किसी से झगड़ा करें। इसलिए उसने कहा कि अगर कोई हमें थप्पड़ मारता है तो बदले में हमें भी उसे थप्पड़ नहीं मारना चाहिए। हमें गुस्सा नहीं करना चाहिए और झगड़ा नहीं बढ़ाना चाहिए। क्योंकि अगर हम ऐसा करेंगे तो हममें और उसमें कोई फर्क नहीं रह जाएगा।

अगर बात बढ़ने लगती है, तो आपके हिसाब से क्या करना सबसे अच्छा होगा?— आपको वहाँ से चले जाना चाहिए। अगला व्यक्‍ति शायद आपको एक-दो बार और धक्का दे। लेकिन इसके बाद वह खुद ही शांत हो जाएगा। वहाँ से निकल जाने का मतलब यह नहीं है कि आप कमज़ोर हो या उससे डर गए। इसका मतलब है कि जो सही है उसके लिए कदम उठाकर आपने बहादुरी का काम किया है।

अगर कोई ज़बरदस्ती हमसे झगड़ा करना चाहता है, तो हमें क्या करना चाहिए?

लेकिन अगर आप भी उससे लड़ने-झगड़ने लगो और जीत भी जाओ तब क्या हो सकता है?— जिसकी आपने पिटाई की है वह शायद अपने दोस्तों को लेकर आए। वे शायद आपको डंडे या चाकू से मारें। तो अब आप समझे कि क्यों यीशु हमें लड़ाई-झगड़े से दूर रहने के लिए कह रहा था?—

जब हम दूसरे लोगों को झगड़ा करते देखते हैं तब हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें किसी एक का साथ देना चाहिए?— आओ देखें इस बारे में बाइबल हमें क्या सलाह देती है। चलो बाइबल में नीतिवचन किताब का अध्याय 26 खोलो और उसकी आयत 17 पढ़ो। यह कहती है: “जो मार्ग पर चलते हुए पराये झगड़े में विघ्न डालता है, सो वह उसके समान है, जो कुत्ते को कानों से पकड़ता है।”

दूसरे लोगों के झगड़े में पड़ना किस तरह कुत्ते के कान मरोड़ने के बराबर है? आपको चोट लग सकती है, इसलिए ऐसा मत कीजिए!

अगर आप एक कुत्ते के कान पकड़कर मरोड़ें तो क्या होगा? उसे बहुत दर्द होगा और वह आप पर गुर्राएगा और काटने की कोशिश करेगा, है ना? कुत्ता जितना ज़्यादा अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करेगा, आपको उतनी ही ज़ोर से उसके कान पकड़ने पड़ेंगे। इससे कुत्ता और भी भड़क उठेगा। ऐसे में अगर आप उसे छोड़ देंगे तो क्या होगा? वह आपको ज़ोर से काट खाएगा। इससे बचने के लिए क्या आप हमेशा तक उसके कान पकड़े रहेंगे?—

अगर हम दूसरों के लड़ाई-झगड़े में पड़ें तो हमारे साथ कुछ ऐसा ही हो सकता है। हमें शायद यह न पता हो कि झगड़ा किसने शुरू किया है और इसकी वजह क्या है। जिस आदमी की पिटाई हो रही हो उसने शायद किसी के यहाँ चोरी की हो। अगर हम उसकी मदद करेंगे तो हम एक तरह से चोर का साथ दे रहे होंगे। और ऐसा करना सही नहीं होगा, है ना?

तो अब बताइए, जब आप झगड़ा होते हुए देखते हो तो आपको क्या करना चाहिए?— अगर झगड़ा स्कूल में हो रहा है तो आप अपनी टीचर को जाकर बता सकते हो। और अगर झगड़ा कहीं और हो रहा है तो आप अपने मम्मी-पापा या किसी पुलिसवाले को बुला सकते हो। जब दूसरे लोग झगड़ा करना चाहते हैं तब भी हमें शांत रहना चाहिए।

अगर आप झगड़ा होते हुए देखते हो, तो आपको क्या करना चाहिए?

यीशु के सच्चे चेले झगड़े से दूर रहने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं। ऐसा करके हम दिखाते हैं कि हम हमेशा सही का साथ देंगे। बाइबल कहती है कि यीशु के चेले को “लड़ने की ज़रूरत नहीं बल्कि ज़रूरी है कि वह सब लोगों के साथ नर्मी से पेश आए।”—2 तीमुथियुस 2:24.

लड़ाई-झगड़े से दूर रहने के बारे में और अच्छी सलाहों के लिए आओ हम रोमियों 12:17-21 और 1 पतरस 3:10, 11 पढ़ें।