मैं कैसे जानूँ कि यह सच्चा प्रेम है?
अध्याय ३१
मैं कैसे जानूँ कि यह सच्चा प्रेम है?
प्रेम—हवा में उड़ते आशिकों के लिए यह एक जादुई एहसास है जो आपको मुग्ध कर लेता है, जीवन में सिर्फ़ एक बार मिलनेवाली ऐसी ख़ुशी जो आपको भाव-विभोर कर देती है। उनका मानना है कि प्रेम पूरी तरह से दिल का मामला है, ऐसी बात जो समझी नहीं जा सकती, सिर्फ़ महसूस की जा सकती है। हमेशा प्रेम की ही जीत होती है और प्रेम कभी मरता नहीं . . .
ऐसी होती है आशिकाना शायरी। और इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रेम होना एक अनोखा, सुन्दर अनुभव हो सकता है। लेकिन सच्चा प्रेम है क्या?
पहली नज़र में प्यार?
डेविड एक पार्टी में पहली बार जैनॆट से मिला। वह तुरन्त उसकी सुडौल काया से और जिस तरह हँसते समय उसके बाल उसकी आँख पर गिरते थे उससे आकर्षित हो गया। जैनॆट उसकी गहरी भूरी आँखों और उसकी मज़ाकिया बातचीत पर लट्टू हो गयी। ऐसा लगा कि यह पहली नज़र में आपसी प्रेम का मामला है!
अगले तीन सप्ताहों के दौरान, डेविड और जैनॆट को कोई अलग नहीं कर सकता था। फिर एक रात जैनॆट को पिछले बॉयफ्रॆन्ड का फ़ोन आया जिससे वह बहुत परेशान हो उठी। उसने सांत्वना के लिए डेविड को बुलाया। लेकिन डेविड ने ख़तरा और उलझन महसूस करते हुए, भावशून्यता से प्रतिक्रिया दिखायी। जिस प्रेम को उन्होंने अमर समझा था वह उसी रात मर गया।
फ़िल्में, पुस्तकें, और टॆलिविज़न कार्यक्रम तो आपको विश्वास दिला दें कि पहली नज़र में हुआ प्यार कभी नहीं मरता। माना, अकसर शारीरिक आकर्षण के कारण ही दो लोग पहली बार एक दूसरे पर ध्यान देते हैं। १ पतरस ३:४) ऐसा प्रेम कितना गहरा हो सकता है?
जैसा एक युवक ने कहा: “एक व्यक्ति का व्यक्तित्व ‘देखना’ मुश्किल है।” लेकिन जब एक सम्बन्ध मात्र कुछ घंटे या दिन पुराना होता है तब व्यक्ति किस बात से “प्रेम” करता है? क्या उस व्यक्ति के बाहरी रूप से नहीं? सचमुच, आप उस व्यक्ति के विचारों, आशाओं, आशंकाओं, योजनाओं, आदतों, कुशलताओं या क्षमताओं के बारे में ज़्यादा नहीं जानते। आप सिर्फ़ बाहरी रूप से मिले हैं, “गुप्त मनुष्यत्व” से नहीं। (रूप भ्रामक होता है
इसके अलावा, बाहरी दिखावा भ्रामक हो सकता है। बाइबल कहती है: “शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है।” उपहार पर बन्धे चमचमाते काग़ज़ से आप नहीं बता सकते कि अन्दर क्या है। असल में, बहुत सुन्दर काग़ज़ में शायद एक बेकार-सा उपहार बन्धा हो।—नीतिवचन ३१:३०.
नीतिवचन कहता है: “जो सुन्दर स्त्री विवेक नहीं रखती, वह थूथुन में सोने की नत्थ पहिने हुए सूअर के समान है।” (नीतिवचन ११:२२) बाइबल समय में नथनियाँ एक आम आभूषण थीं। वे सुन्दर, और अकसर चोखे सोने की बनी होती थीं। स्वाभाविक है कि आपका ध्यान एक स्त्री के गहनों में से सबसे पहले उसकी नथनी पर ही जाता।
उपयुक्त रीति से, नीतिवचन “विवेक” न रखनेवाली, बाहर से सुन्दर स्त्री की तुलना “थूथुन में सोने की नत्थ पहिने हुए सूअर” से करता है। विवेकहीन स्त्री पर सुन्दरता जँचती ही नहीं; यह उस पर व्यर्थ का ज़ेवर है। आगे चलकर, यह उसको उतना ही आकर्षक बना सकती है जितना
कि एक शानदार नथ एक सूअर को सुन्दर बनाती! तो फिर, किसी की सूरत से ‘प्रेम’ कर बैठना—और इस बात को नज़रअंदाज़ करना कि वह व्यक्ति अन्दर से क्या है—क्या ही भूल है!“सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला”
लेकिन, कुछ लोग मानते हैं कि मानवी हृदय में अचूक रोमांटिक परख है। ‘बस अपने दिल की सुनिए,’ उनकी दलील है। ‘आप जान जाएँगे कि कब सच्चा प्रेम है!’ दुःख की बात है कि सच्चाई इस विचार का खण्डन करती है। एक सर्वेक्षण लिया गया जिसमें (१८ से २४ की उम्र के) १,०७९ युवाओं ने बताया कि उस समय तक वे औसतन सात रोमांटिक प्रसंगों का अनुभव कर चुके हैं। अधिकतर ने स्वीकार किया कि उनके पिछले रोमांस सिर्फ़ दीवानगी थे—एक मुरझाती, फीकी पड़ती उमंग। फिर भी, इन युवाओं में से “हरेक ने अपने वर्तमान प्रसंग को प्रेम कहा”! लेकिन, संभव है कि अधिकतर एक दिन अपने वर्तमान प्रसंगों को अपने पिछले प्रसंगों की तरह ही समझेंगे—सिर्फ़ दीवानगी।
त्रासदी यह है कि हर साल हज़ारों युगल ‘प्रेम’ होने के भ्रम में विवाह करते हैं, और उसके कुछ ही समय बाद पाते हैं कि उन्होंने बहुत बड़ी ग़लती की है। दीवानगी “बेख़बर पुरुषों और स्त्रियों को ऐसे बेकार के विवाहों में बहकाकर ले जाती है जैसे भेड़ें हलाल होने को जाती हैं,” रे शॉर्ट अपनी पुस्तक सॆक्स, प्रेम, या दीवानगी (अंग्रेज़ी) में कहता है।
“जो अपने ऊपर भरोसा रखता है, वह मूर्ख है।” (नीतिवचन २८:२६) अधिकतर, हमारे हृदय का चुनाव विपथ या विभ्रान्त होता है। असल में, बाइबल कहती है: “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है।” (यिर्मयाह १७:९) फिर भी, ऊपर उल्लिखित नीतिवचन आगे कहता है: “लेकिन जो बुद्धिमानी से चलता है वह बच निकलेगा।” आप भी उन ख़तरों और कुंठाओं से बच सकते हैं जो अन्य युवाओं ने सही हैं यदि आप दीवानगी और बाइबल में वर्णित प्रेम के बीच भेद करना सीख लेते हैं—वह प्रेम जो कभी टलता नहीं।
प्रेम बनाम दीवानगी
“इश्क अन्धा होता है और उसी तरह रहना चाहता है। वह वास्तविकता को नहीं देखना चाहता,” २४-वर्षीय कैल्विन स्वीकार करता है।
एक १६-वर्षीय लड़की, कॆन्या ने आगे कहा, “जब आप किसी के दीवाने हो जाते हैं, तब आप सोचते हैं कि वह जो कुछ करता है एकदम सही है।”दीवानगी झूठा प्रेम है। यह व्यावहारिक नहीं और आत्म-केंद्रित है। दीवाने अकसर यह कहते हैं: ‘जब मैं उसके साथ होती हूँ तब सचमुच मैं अच्छा महसूस करती हूँ। मैं सो नहीं सकती। मुझे विश्वास नहीं होता कि यह कितना रोमांचक है’ या, ‘वह सचमुच मुझे अच्छा महसूस कराती है।’ ध्यान दिया कितनी बार या तो “मैं” या “मुझे” प्रयोग किया गया है? स्वार्थ पर बने सम्बन्ध का टूटना अवश्य है! लेकिन, सच्चे प्रेम के बारे में बाइबल के वर्णन पर ध्यान दीजिए: “प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं। वह अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता, झुंझलाता नहीं, बुरा नहीं मानता।”—१ कुरिन्थियों १३:४, ५.
क्योंकि प्रेम “अपनी भलाई नहीं चाहता,” बाइबल सिद्धान्तों पर आधारित प्रेम न तो आत्म-केंद्रित है न ही स्वार्थी। सच है, एक युगल को तीव्र रोमांटिक भावनाएँ और आपसी आकर्षण हो सकता है। लेकिन इन भावनाओं को सूझ-बूझ और दूसरे व्यक्ति के लिए गहरे आदर द्वारा संतुलित किया जाता है। जब आपको सचमुच प्रेम होता है, तब आप दूसरे व्यक्ति के हित और सुख की उतनी ही चिन्ता करते हैं जितनी कि अपनी। आप उमड़ती भावनाओं को अपनी सुबुद्धि नष्ट नहीं करने देते।
सच्चे प्रेम का एक उदाहरण
याकूब और राहेल का बाइबल वृत्तान्त इसे स्पष्ट रूप से चित्रित करता है। यह युगल एक कूएँ पर मिला जहाँ राहेल अपने पिता की भेड़ों को पानी पिलाने आयी थी। याकूब तुरन्त उससे आकर्षित हुआ, सिर्फ़ इसलिए नहीं कि वह “रूपवती और सुन्दर” थी बल्कि इसलिए कि वह यहोवा की उपासक थी।—उत्पत्ति २९:१-१२, १७.
राहेल के परिवार में पूरा एक महीना बिताने के बाद, याकूब ने बताया कि उसे राहेल से प्रेम हो गया है और उससे विवाह करना चाहता है। सिर्फ़ रोमांटिक दीवानगी? बिलकुल नहीं! उस महीने के दौरान, उसने राहेल को सामान्य परिस्थितियों में देखा था—अपने माता-पिता और दूसरों के साथ वह कैसा व्यवहार करती थी, एक चरवाहिन के रूप में वह अपना काम कैसे करती थी, यहोवा की उपासना को वह कितनी गंभीरता से लेती थी। इसमें संदेह नहीं कि उसने राहेल को उसके “सबसे अच्छे” और उसके “सबसे बुरे” रूप में देखा। इसलिए उसके लिए याकूब का प्रेम कोई बेलगाम भावना नहीं थी बल्कि एक निःस्वार्थ प्रेम था जो सूझ-बूझ और गहरे आदर पर आधारित था।
इस कारण, याकूब कह सका कि वह उसके पिता के लिए सात साल काम करने को तैयार है कि उसे पत्नी के रूप में पा सके। निश्चित ही कोई दीवानगी इतने लम्बे अरसे तक नहीं टिकती! केवल सच्चे प्रेम, दूसरे में निःस्वार्थ रुचि के कारण ही वे साल “थोड़े ही दिनों के बराबर” जान पड़े होंगे। उस सच्चे प्रेम के कारण, वे उस अवधि के दौरान अपनी निष्कलंकता बनाए रख सके।—उत्पत्ति २९:२०, २१.
समय लगता है!
इसलिए सच्चे प्रेम को समय से चोट नहीं पहुँचती। सचमुच, अकसर किसी के लिए अपनी भावनाओं को जाँचने का सबसे अच्छा तरीक़ा होता है कुछ समय गुज़रने देना। इसके अलावा, जैसे अस्मिता नाम की एक
युवती ने कहा: “एक व्यक्ति बस यह कह देने के द्वारा अपना व्यक्तित्व आपको नहीं बता देता: ‘मैं जो हूँ यही हूँ। अब आप मेरे बारे में सब कुछ जानते हैं।’” जी नहीं, जिस व्यक्ति में आपको दिलचस्पी है उसे जानने में समय भी लगता है।समय लगाने से आप बाइबल के प्रकाश में अपनी रोमांटिक दिलचस्पी को भी जाँच पाते हैं। याद रखिए, प्रेम “अनरीति नहीं चलता, वह अपनी भलाई नहीं चाहता।” क्या आपका साथी आपकी योजनाओं की सफलता के लिए उत्सुक है—या सिर्फ़ अपनी? क्या वह आपके दृष्टिकोण, आपकी भावनाओं के लिए आदर दिखाता है? क्या उसने स्वार्थी कामनाओं को संतुष्ट करने के लिए आपके ऊपर ऐसे काम करने का दबाव डाला है जो वास्तव में “अनरीति” के हैं? क्या यह व्यक्ति दूसरों के सामने अकसर आपको नीचा दिखाता है या वह आपकी तारीफ़ करता है? इस क़िस्म के प्रश्न पूछना आपको अपनी भावनाओं को ज़्यादा व्यावहारिक रूप से आँकने में मदद दे सकता है।
उतावला रोमांस विपत्ति को न्योता देता है। “मैं बस एकाएक गहरे प्रेम में डूब गयी,” २०-वर्षीय जिल ने बताया। दो महीने के तूफ़ानी रोमांस के बाद, उसने विवाह किया। लेकिन पहले छिपाए दोष सामने आने लगे। जिल ने अपनी असुरक्षा और आत्म-केंद्रित होने की भावना कुछ-कुछ दिखानी शुरू की। उसके पति रिक ने अपनी रोमांटिक मनोहरता खो दी और स्वार्थी बन गया। लगभग दो साल तक विवाहित रहने के बाद, एक दिन जिल चिल्लायी कि उसका पति “घटिया,” “आलसी,” और एक पति के रूप में “असफल” है। रिक ने उसके मुँह पर मुक्का मारकर जवाब दिया। आँसू बहाती हुई, जिल अपने घर से—और अपने विवाह से—बाहर भाग गयी।
बाइबल की सलाह पर चलने से निश्चित ही उनको अपना विवाह सुरक्षित रखने में मदद मिली होती। (इफिसियों ५:२२-३३) लेकिन स्थिति कितनी भिन्न रही होती यदि वे विवाह से पहले एक दूसरे से ज़्यादा अच्छी तरह परिचित हुए होते! उन्हें “रूप” से नहीं बल्कि असली व्यक्तित्व से प्रेम हुआ होता—जिसमें कमियाँ और ख़ूबियाँ दोनों होतीं। उनकी अपेक्षाएँ अधिक व्यावहारिक होतीं।
सच्चा प्रेम रातों-रात नहीं होता। न ही यह ज़रूरी है कि जिस व्यक्ति को आप अत्यधिक आकर्षक पाते हैं वह आपका एक अच्छा विवाह-साथी बनेगा। उदाहरण के लिए, बार्बरा की मुलाक़ात एक युवक से हुई और वह स्वीकार करती है कि वह उससे बहुत आकर्षित नहीं हुई—शुरू में। “लेकिन जैसे-जैसे मैं उसके साथ और परिचित हुई,” बार्बरा याद करती है, “स्थिति बदल गयी। मैंने दूसरे लोगों के लिए स्टीफ़न की चिन्ता देखी और देखा कि कैसे वह दूसरों के हितों को हमेशा अपने से आगे रखता था। मैं जानती थी कि ये गुण उसे एक अच्छा पति बनाएँगे। मैं उसकी ओर खिंची और उससे प्रेम करने लगी।” परिणाम था एक पक्का विवाह।
सो आप सच्चा प्रेम कैसे जान सकते हैं? आपका हृदय बोल सकता है, लेकिन अपने बाइबल-प्रशिक्षित मन पर भरोसा रखिए। व्यक्ति का बाहरी “रूप” ही नहीं, और अधिक जानिए। सम्बन्ध को खिलने का समय दीजिए। याद रखिए, थोड़े ही समय में दीवानगी का पारा एकदम ऊँचा चढ़ता है और फिर गिर जाता है। सच्चा प्रेम समय के साथ-साथ मज़बूत होता है और “एकता का सिद्ध बन्ध” बन जाता है।—कुलुस्सियों ३:१४.
चर्चा के लिए प्रश्न
◻ किसी के रूप पर मर मिटने में क्या ख़तरा है?
◻ सच्चा प्रेम पहचानने के लिए क्या अपने हृदय पर भरोसा किया जा सकता है?
◻ प्रेम और दीवानगी के बीच कुछ भेद क्या हैं?
◻ डेटिंग करते युगल अकसर अलग क्यों हो जाते हैं? क्या यह हमेशा ग़लत है?
◻ यदि एक रोमांस टूट गया है तो आप ठुकराए जाने की भावनाओं से कैसे निपट सकते हैं?
◻ एक दूसरे को जानने के लिए कुछ समय लगाना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
[पेज 242 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
क्या आप व्यक्ति से या बस एक “रूप” से प्रेम करते हैं?
[पेज 247 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“इश्क अन्धा होता है और उसी तरह रहना चाहता है। वह वास्तविकता को नहीं देखना चाहता।”—एक २४-वर्षीय पुरुष
[पेज 250 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“मैं अब सिर्फ़ ‘हैलो, आप कैसे हैं?’ व्यक्ति बन गयी हूँ। मैं किसी को अपने क़रीब नहीं होने दे रही”
[पेज 248, 249 पर बक्स/तसवीर]
मैं टूटा हुआ दिल कैसे जोड़ूँ?
आप जानते हैं कि आप उसी से विवाह करेंगे। आप एक दूसरे की संगति का आनन्द लेते हैं, आपके शौक़ एक जैसे हैं, और आप एक आपसी आकर्षण महसूस करते हैं। फिर, अचानक सम्बन्ध मिट जाता है, गुस्से में फूट पड़ता है—या आँसुओं में बह जाता है।
अपनी पुस्तक प्रेम का रसायन (अंग्रेज़ी) में, डॉ. माइकल लीबोवित्ज़ प्रेम होने की समानता एक दमदार ड्रग के नशे से करता है। लेकिन ड्रग की तरह, ऐसा प्रेम प्रचण्ड ‘विनिवर्तन लक्षण’ उत्पन्न कर सकता है यदि वह मर जाता है। और इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि प्रेम सिर्फ़ दीवानगी है या ‘असली बात’ है। दोनों ही ऊपर आकाश में उठा सकते हैं—और नीचे पाताल में गिरा सकते हैं यदि सम्बन्ध टूट जाए।
ठोकर, चोट, और संभवतः क्रोध की भावनाएँ जो सम्बन्ध टूटने पर आती हैं इस प्रकार भविष्य के बारे में आपका मन खट्टा कर सकती हैं। एक युवती अपने आपको ‘घायल’ कहती है क्योंकि उसे धोखा मिला है। “मैं अब [विपरीत लिंग के साथ] सिर्फ़ ‘हैलो, आप कैसे हैं?’ व्यक्ति बन गयी हूँ,” वह कहती है। “मैं किसी को अपने क़रीब नहीं होने दे रही।” एक सम्बन्ध में आप जितनी गहरी वचनबद्धता महसूस करते हैं, उतनी ही गहरी चोट उसके टूटने से पहुँच सकती है।
जी हाँ, सचमुच, जिसे चाहें उसके साथ कोर्टशिप करने की छूट पर ऊँची क़ीमत लिखी होती है: ठुकराए जाने की असली संभावना। इसकी कोई गारंटी नहीं कि सच्चा प्रेम पनपेगा। सो यदि किसी ने आपके साथ नेक इरादों से कोर्टशिप शुरू की लेकिन बाद में यह निष्कर्ष निकाला कि विवाह बुद्धिमानी की बात नहीं होगी, तो यह ज़रूरी नहीं कि आपके साथ अन्याय हुआ है।
समस्या यह है कि जब एक सम्बन्ध-विच्छेद को अति कुशल और कृपालु रीति से निपटाया जाता है तब भी आपको चोट और ठोकर तो निश्चित ही लगेगी। लेकिन, यह अपना आत्म-गौरव खोने का कोई कारण नहीं। यह सच्चाई कि आप इस व्यक्ति की आँखों में “सही” नहीं थे यह अर्थ नहीं रखती कि आप किसी और की आँखों में सही नहीं होंगे!
टूटे रोमांस पर शान्ति से विचार करने की कोशिश कीजिए। सम्बन्ध-विच्छेद ने उस व्यक्ति के बारे में जिसके साथ आपका प्रसंग था, शायद परेशान करनेवाली बातें उजागर की हों—भावात्मक अपरिपक्वता, अनिश्चितता, अनम्यता, असहनशीलता, आपकी भावनाओं के लिए विचारशीलता की कमी। ये एक
विवाह-साथी में शायद ही चाहने योग्य गुण हैं।तब क्या यदि सम्बन्ध-विच्छेद पूरी तरह से एकतरफ़ा है और आप विश्वस्त हैं कि विवाह ठीक चला होता? निश्चित ही आपके पास दूसरे व्यक्ति को यह बताने का अधिकार है कि आपको कैसा लगता है। संभवतः बस कुछ ग़लतफ़हमियाँ हो गयी हैं। भावात्मक रूप से चीखने-चिल्लाने का कोई लाभ नहीं। और यदि वह अलग होने का हठ करता/ती है, तो आपको अपना मान घटाने की कोई ज़रूरत नहीं, रो-रोकर उसके स्नेह की भीख क्यों माँगें जिसे स्पष्टतः आपके लिए कोई भावना नहीं है। सुलैमान ने कहा कि “खोजने का समय, तथा खोया हुआ मान कर छोड़ देने का समय” होता है।—सभोपदेशक ३:६, NHT.
तब क्या यदि आपके पास यह संदेह करने का ठोस कारण है कि आपको बस एक ऐसे व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था जिसे विवाह में सच्ची दिलचस्पी कभी थी ही नहीं? आपको बदला लेने की ज़रूरत नहीं है। आश्वस्त रहिए कि उसकी कुटिलता परमेश्वर ने अनदेखी नहीं की है। उसका वचन कहता है: “जो क्रूर है, वह अपनी ही देह को दुःख देता है।”—नीतिवचन ११:१७. नीतिवचन ६:१२-१५ से तुलना कीजिए।
समय-समय पर अभी भी शायद आपको अकेलापन या रोमांटिक यादें सताएँ। यदि ऐसा है तो अच्छी तरह रो लेना सही है। व्यस्त होने से भी मदद मिलती है, संभवतः किसी शारीरिक काम-काज में या मसीही सेवकाई में। (नीतिवचन १८:१) अपना मन हर्षमय और प्रोत्साहक बातों पर रखिए। (फिलिप्पियों ४:८) एक घनिष्ठ मित्र को मन की बात बताइए। (नीतिवचन १८:२४) आपके माता-पिता भी बड़ी सांत्वना दे सकते हैं, तब भी यदि आपको लगता है कि आप इतने बड़े हैं कि स्वतंत्र रहें। (नीतिवचन २३:२२) और सबसे बढ़कर, यहोवा से अपने मन की बात कहिए।
अब आप शायद अपने व्यक्तित्व के कुछ पहलुओं पर काम करने की ज़रूरत देखें। एक विवाह-साथी में आप क्या चाहते हैं उसके बारे में आपका दृष्टिकोण शायद पहले से कहीं ज़्यादा स्पष्ट हो। और प्रेम करके खो देने के बाद, आप शायद कोर्टशिप को थोड़ी ज़्यादा समझदारी के साथ संभालने का फ़ैसला करें यदि फिर से कोई पसन्द का व्यक्ति सामने आता है—जिसकी संभावना जितना आप सोचते हैं उससे शायद अधिक हो।
[पेज 245 पर चार्ट]
क्या यह प्रेम है या दीवानगी?
प्रेम दीवानगी
१. दूसरे के हितों १. स्वार्थी, प्रतिबंधी होती है।
के बारे में व्यक्ति सोचता है,
निःस्वार्थ चिन्ता ‘इसमें मेरे लिए क्या है?’
२. रोमांस अकसर धीरे-धीरे २. रोमांस जल्दी शुरू
शुरू होता है, संभवतः होता है, संभवतः घंटों
महीने या सालों लेता है या दिनों में
३. आप दूसरे व्यक्ति ३. आप दूसरे के शारीरिक
के संपूर्ण व्यक्तित्व और रूप से बहुत प्रभावित होते या
आध्यात्मिक गुणों से दिलचस्पी रखते हैं।
आकर्षित होते हैं (‘उसकी इतनी नशीली आँखें हैं।’
‘वह बड़ी सुडौल है’)
४. आपके ऊपर प्रभाव यह ४. विनाशक, अस्त-व्यस्त
होता है कि यह आपको एक करनेवाला प्रभाव
बेहतर व्यक्ति बनाता है
५. आप दूसरे को ५. व्यावहारिक नहीं। दूसरा
व्यावहारिक रीति से देखते व्यक्ति परिपूर्ण दिखता है।
हैं, उसकी कमियों को व्यक्तित्व की बड़ी कमियों के बारे
देखते हैं, फिर भी उससे में परेशान करनेवाले संदेहों को
प्रेम तो करते ही हैं आप नज़रअंदाज़ करते हैं
६. आपके मतभेद होते हैं, ६. अकसर बहस होती है।
लेकिन आप पाते हैं कि आप असल में किसी बात का हल
उन पर बात करके उन्हें नहीं निकलता। कई बातों का “हल”
दूर कर सकते हैं चुम्बन से किया जाता है
७. आप दूसरे व्यक्ति को ७. महत्त्व लेने या पाने पर
देना और उसके साथ दिया जाता है, ख़ासकर
बाँटना चाहते हैं काम-वासना संतुष्ट करने में
[पेज 244 पर तसवीर]
शारीरिक रूप से आकर्षक, परन्तु विवेकहीन पुरुष या स्त्री “थूथुन में सोने की नत्थ पहिने हुए सूअर के समान है”
[पेज 246 पर तसवीर]
एक व्यक्ति जो दूसरों के सामने आपको हमेशा नीचा दिखाता है शायद आपसे सच्चा प्रेम न करता हो