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कोलंबिया

पिछले साल की खास घटनाएँ

दुनिया-भर में प्रचार काम पर ज़ोर दिया गया

दुनिया-भर में प्रचार काम पर ज़ोर दिया गया

बुधवार, 23 सितंबर, 2015 को शासी निकाय ने दुनिया-भर के बेथेल परिवार को बताया कि संगठन में कई सारे बदलाव किए जा रहे हैं ताकि दान के पैसे का सबसे अच्छा इस्तेमाल किया जा सके। फिर शनिवार, 3 अक्टूबर, 2015 को शासी निकाय ने यह घोषणा की: “फिलिप्पियों 1:10 में यह बढ़िया सलाह दी गयी है कि ‘हम पहचानें कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’ इसलिए हम [यानी शासी निकाय] चाहते हैं कि उन कामों को ज़्यादा अहमियत दी जाए जिनसे परमेश्वर के लोग सच्चाई में मज़बूत बने रहें और दुनिया-भर में प्रचार काम आगे बढ़े।”

शासी निकाय के सदस्य भाई स्टीवन लैट ने JW ब्रॉडकास्टिंग में इस बारे में ज़्यादा जानकारी दी। उन्होंने कहा, “शासी निकाय राज के प्रचार काम को बढ़ाने की बात को बहुत गंभीरता से लेता है। इसलिए हमने इस बारे में दोबारा गौर किया है कि सभी शाखा दफ्तरों में खर्च कैसे कम किया जाए ताकि दान का और भी पैसा प्रचार काम में लगाया जाए। मिसाल के लिए, बेथेल में कई सालों से होनेवाले कुछ काम और दी जानेवाली कुछ सेवाएँ या तो कम की जा रही हैं या बंद की जा रही हैं। इस वजह से बेथेल में अब बहुत कम लोगों की ज़रूरत पड़ेगी।”

इसलिए सितंबर 2015 से दुनिया-भर में बेथेल से करीब 5,500 लोगों को दूसरी जगह भेजा गया। हालाँकि इससे सबको बड़े-बड़े बदलाव करने पड़े हैं, मगर यहोवा परमेश्वर की आशीष साफ दिखायी दे रही है और प्रचार और सिखाने का काम और भी जोश के साथ किया जा रहा है।

जब श्रीलंका के बेथेल से एक भाई और उसकी पत्नी को पायनियरों के तौर पर भेजा गया, तो उन्होंने समझा कि यह यहोवा पर अपना विश्वास दिखाने और उसके संगठन पर भरोसा दिखाने का मौका है। उन्होंने लिखा, “हमें ठीक-ठीक पता नहीं था कि हमारी आगे की ज़िंदगी कैसी होगी। मगर हमें यकीन था कि यहोवा हमें बेसहारा नहीं छोड़ेगा। इसलिए हमने प्रार्थना की, ‘यहोवा, हमें चाहे कैसे भी हालात का सामना करना पड़े, हमें फेरबदल करने में मदद दे ताकि हम दोनों पायनियर सेवा कर सकें।’ पहले महीने हमारे पास ज़्यादा पैसे नहीं थे। फिर भी हमने महसूस किया कि यहोवा हमसे प्यार करता है और हमारा खयाल रखता है। आज हमें बराबर आमदनी मिलती है जिससे हम अपना खर्च पूरा कर पाते हैं। हम घर का काम और नौकरी करने के साथ-साथ पायनियर सेवा भी कर पाते हैं, क्योंकि हमने बेथेल में समय का अच्छा इस्तेमाल करना सीखा था। लोगों को सच्चाई सिखाने से जो खुशी मिलती है वह किसी और काम से नहीं मिल सकती, इसलिए हम बहुत खुश हैं कि हम पायनियर के तौर पर ऐसा कर पा रहे हैं।”

कोलंबिया के बेथेल से भेजे गए कुछ भाई-बहनों ने एक नयी भाषा सीखी है और वे दूर-दूर के इलाकों में जाकर बस गए हैं ताकि वहाँ के लोगों को राज का संदेश सुना सकें। वे अपनी नयी मंडलियों के लिए भी एक आशीष ठहरे हैं। एक सर्किट निगरान ने उसके सर्किट की एक मंडली में भेजे गए एक जोड़े के बारे में लिखा, “वे उस मंडली को जो मदद दे रहे हैं उसके लिए वहाँ के भाई-बहन बहुत एहसानमंद हैं। मंडली के प्रचारक प्रचार काम में और भी अच्छी तरह हिस्सा ले रहे हैं और भाइयों को मंडली की ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए अच्छा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।” कई भाई-बहन, जो पहले बेथेल में सेवा करते थे, हफ्ते में एक या उससे ज़्यादा दिन बेथेल में सेवा करने के लिए भी आगे आए हैं।

एक भाई को, जिसने 31 साल जापान के बेथेल में सेवा की थी, कुमामोटो इलाके की मंडली में भेजा गया जिसमें सिर्फ दो प्राचीन थे। उस मंडली के राज-घर को नया रूप देने की योजना बनायी गयी थी। इसलिए बेथेल से जाने के बाद उस भाई ने सोचा कि वह दो हफ्ते तक नौकरी नहीं करेगा। मगर राज-घर में काम शुरू होने से पहले कुमामोटो में 7.0 तीव्रता का भूकंप आया। भाई ने नौकरी नहीं शुरू की थी, इसलिए वह भूकंप के बाद राहत काम में और भाई-बहनों से मिलकर उनकी हिम्मत बँधाने में अगुवाई कर सका। वह कहता है, “उन दिनों को याद करके मैं कह सकता हूँ कि यहोवा ने मुझे ऐसी जगह भेजा जहाँ सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती।”

फिल और उसकी पत्नी शुगर, जिन्होंने ऑस्ट्रलेशिया शाखा में सेवा की, कहते हैं: “जब हमें बेथेल से दूसरी जगह भेजा गया तो हमने ठान लिया था कि हम अपना जीवन सादा रखेंगे। हमने यहोवा से प्रार्थना की कि वह हमें सही फैसले करने में मदद दे और हमारे फैसलों पर आशीष दे। हम बस इतना चाहते थे कि विदेश की किसी मंडली में सेवा करें। यहोवा ने वाकई हमारे फैसलों पर आशीष दी है और हमारे रास्ते में आयी रुकावटें दूर की हैं ताकि हम तन-मन से उसकी सेवा करें!” आज वे फिलीपींस में डवाओ प्रांत के सामल द्वीप में अँग्रेज़ी समूह में सेवा कर रहे हैं, जहाँ 34 प्रचारक और 9 पायनियर हैं। फिल और शुगर के पास दिलचस्पी रखनेवालों के 120 पते हैं जिनसे मिलने के लिए उन्हें जाना है। वे कहते हैं, “यहाँ बहुत सारा काम है और हमें बहुत मज़ा आ रहा है। हम खुश हैं कि हमने यहोवा पर पूरा भरोसा रखा। इससे उस पर हमारा विश्वास मज़बूत हुआ है और उसके लिए हमारा प्यार भी बढ़ा है!”

रूस की एक अविवाहित बहन, जिसे बेथेल से खास पायनियर बनाकर भेजा गया था, कहती है: “पायनियर सेवा की वजह से मैं परमेश्वर के राज के बारे में ज़्यादा प्रचार कर पाती हूँ, जो दुनिया का सबसे ज़रूरी काम है और जो फिर कभी नहीं दोहराया जाएगा। मैं बहुत खुश हूँ कि यहोवा मुझे अपने काम के लिए इस्तेमाल कर रहा है।” आज वह छ: बाइबल अध्ययन चला रही है। उसके विद्यार्थी इराक, ज़ाम्बिया, नाइजीरिया, श्रीलंका और सीरिया से हैं।

ज़ाम्बिया: जो पहले बेथेल में सेवा करते थे उनकी नयी मंडली के भाई-बहन प्यार से उनका स्वागत कर रहे हैं

ज़ाम्बिया के बेथेल से कई भाई-बहनों को पायनियर बनाकर भेजा गया। वे प्रचार काम में ज़्यादा हिस्सा लेकर तरो-ताज़ा महसूस कर रहे हैं। एन्ड्रू, जो अपनी पत्नी के साथ पायनियर सेवा कर रहा है, कहता है: “बेथेल छोड़ने के कुछ ही समय के अंदर हमने दो अनपढ़ लोगों को पढ़ना-लिखना सिखाया। हमारा एक विद्यार्थी 10 साल का लड़का है जो बहुत जल्द हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में पहली बार भाग पेश करेगा। हमने एक शादीशुदा जोड़े को गवाही दी थी, वे स्मारक में आए थे और उसके बाद से उन्होंने एक भी सभा नहीं छोड़ी। वे बाइबल का अध्ययन करने में अच्छी तरक्की कर रहे हैं। हमें यकीन है कि यह सब इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि हमने यहोवा का निर्देश माना, इस बात को समझा कि वह हमारी मदद कर रहा है और उसकी आशीषें पाने का इंतज़ार किया।”

ऐडसन और उसकी पत्नी आर्टनस को भी ज़ाम्बिया के बेथेल से दूसरी जगह भेजा गया। उनकी शादी को कुछ ही महीने हुए थे। आर्टनस कहती है, “बेथेल में हमें अच्छा प्रशिक्षण मिला था, इसलिए हम कुछ ही पैसों और चीज़ों से गुज़ारा कर पा रहे हैं। हम पर कर्ज़ का बोझ नहीं है और हम खुश हैं। हमें कोई पछतावा नहीं कि हमने बेथेल सेवा का लक्ष्य रखा था। हमने अपने लक्ष्य बदलना और यहोवा की मदद से उन्हें हासिल करना सीख लिया है। यहोवा पर हमारा विश्वास मज़बूत हुआ है और हम आगे भी उसके वफादार रहना चाहते हैं।”