ईश्वर को आपकी परवाह है, यह जानने से आपकी ज़िंदगी कैसे सँवर सकती है?
ईश्वर ने हमारे शरीर की रचना इस तरह की है कि इसमें खुद को ठीक करने की लाजवाब काबिलीयत है। अगर कभी हमारे शरीर में कहीं कट जाता है, छिल जाता है या छिद जाता है, तो “पूरे शरीर में ऐसी जटिल प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे घाव अपने-आप ठीक हो जाता है फिर चाहे वह छोटा हो या बड़ा।” (जॉन हौपकिन्स चिकित्सा) शरीर में तुरंत ऐसी कार्रवाई शुरू हो जाती है जिससे खून बहना बंद हो जाता है, खून की नलियाँ चौड़ी होने लगती हैं, घाव ठीक होने लगता है और ऊतकें मज़बूत हो जाती हैं।
ज़रा सोचिए: जब ईश्वर ने हमारे शरीर को इस तरह रचा है कि घाव खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है, तो क्या हम भरोसा नहीं रख सकते कि वह हमारे मन के घाव भी भर सकता है? बिलकुल। उसने वादा किया है कि वह न सिर्फ आज बल्कि भविष्य में भी हमारे घावों को भरने में हमारी मदद करेगा। शास्त्र में लिखा है, “वह टूटे मनवालों को चंगा करता है, उनके घावों पर पट्टी बाँधता है।” (भजन 147:3) अगर आप किसी सदमे से गुज़र रहे हैं या किसी वजह से मायूस हैं, तो आप क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा गम से उबरने में आपकी मदद करेगा?
ईश्वर के प्यार के बारे में शास्त्र क्या बताता है?
ईश्वर कहता है, “डर मत क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ, घबरा मत क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ। मैं तेरी हिम्मत बँधाऊँगा, तेरी मदद करूँगा।” (यशायाह 41:10) जब हमें एहसास होगा कि यहोवा हमारी परवाह करता है, तो हमें मन की शांति और समस्याओं से लड़ने की ताकत मिलेगी। इस तरह की शांति को ‘परमेश्वर की शांति’ कहा गया है, ‘जो हमारी समझ से परे है।’ ईश्वर के एक सेवक पौलुस ने कहा, “जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्ति मिलती है।”—फिलिप्पियों 4:4-7, 9, 13.
शास्त्र पढ़ने से हमें विश्वास होता है कि यहोवा ने इंसानों से जो भी वादे किए हैं, वह उन्हें ज़रूर पूरा करेगा। जैसे प्रकाशितवाक्य 21:4, 5 में लिखा है कि वह भविष्य में क्या करेगा और हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि वह ऐसा ज़रूर करेगा।
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यहोवा हमारी “आँखों से हर आँसू पोंछ देगा।” वह हमारे सभी दुखों और चिंताओं को मिटा देगा। वह हमारे उन दुखों को भी दूर कर देगा, जिन्हें दूसरे समझ नहीं पाते।
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यहोवा, जो सारी सृष्टि पर राज करनेवाला सर्वशक्तिमान परमेश्वर है, स्वर्ग में अपनी “राजगद्दी पर बैठा” है। वह अपनी शक्ति और अधिकार का इस्तेमाल करके हमारी सभी दुख-तकलीफें दूर करेगा और हमारी मदद करेगा।
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यहोवा अपने नाम का वास्ता देकर हमें गारंटी देता है कि उसके वादे ‘भरोसे के लायक और सच्चे हैं।’ वह हर हाल में अपना वचन निभाएगा।
‘परमेश्वर उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं। और परमेश्वर ने, जो राजगद्दी पर बैठा था, कहा, “देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ।” उसने यह भी कहा, “ये बातें लिख ले क्योंकि ये भरोसे के लायक और सच्ची हैं।”’—प्रकाशितवाक्य 21:4, 5.
सृष्टि पर गौर करने और बाइबल पढ़ने से हम परमेश्वर के गुणों के बारे में जान सकते हैं। सृष्टि बेज़बान होते हुए भी हमें यहोवा को जानने और उससे दोस्ती करने का बढ़ावा देती है। बाइबल भी यही कहती है, “परमेश्वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकूब 4:8) बाइबल में लिखा है कि परमेश्वर “हममें से किसी से भी दूर नहीं है।”—प्रेषितों 17:27.
अगर आप यहोवा को जानें, तो आपको भरोसा होगा कि वह ‘आपकी परवाह करता है।’ (1 पतरस 5:7) पर सवाल है कि यहोवा पर भरोसा करने से आपकी ज़िंदगी कैसे सँवर सकती है?
जापान के रहनेवाले टोरू पर गौर कीजिए। टोरू की माँ ने उसे बचपन से बाइबल के हिसाब से जीना सिखाया था। फिर भी वह जापान के माफिया से जुड़ गया, जिन्हें याकूज़ा कहा जाता है। वह कहता है, “मुझे लगता था कि ईश्वर मुझसे नफरत करता है। जब मेरे कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों की मौत हो गयी, खासकर जो मेरे करीबी थे, तो मुझे लगा ईश्वर मुझे सज़ा दे रहा है।” उसने बताया कि हिंसा से भरे माहौल में रहने के कारण वह खुद भी “बेरहम और कठोर” हो गया था। वह कहता है, “मेरा बस एक ही अरमान था, मरने से पहले किसी मशहूर गुंडे को मारकर नाम कमाऊँ और जवानी में ही मर जाऊँ।”
बाइबल पढ़ने लगे। टोरू ने अपनी सोच और तौर-तरीके पूरी तरह बदल दिए। हैन्ना कहती है, “मैंने अपनी आँखों से अपने पति को बदलते हुए देखा है।” आज टोरू पूरे यकीन से कहता है “एक ईश्वर है जो हम सबकी परवाह करता है और नहीं चाहता कि हममें से कोई भी मर जाए। अगर हम अपनी गलती मान लें और पश्चाताप करें, तो वह हमें खुशी से माफ कर देता है। जो बातें हम किसी से नहीं कह सकते, उससे कह सकते हैं और हमारी जो भावनाएँ कोई नहीं समझ सकता, वह समझ सकता है। जल्द ही वह समय आनेवाला है जब यहोवा सारी समस्याएँ, दुख-तकलीफें और दर्द मिटा देगा। आज भी वह हमारी बहुत मदद करता है, कई बार तो हमारी उम्मीदों से बढ़कर। वह हमारी परवाह करता है और जब हम अंदर से बिलकुल टूट जाते हैं, तो हमें सँभालता है।”—भजन 136:23.
फिर टोरू और उसकी पत्नी हैन्नाटोरू की कहानी से हम क्या सीखते हैं? यही कि जब एक इंसान जान लेता है कि ईश्वर के पास सारे दुख दूर करने की ताकत है और वह जल्द ही ऐसा करेगा, तो उसकी ज़िंदगी सँवर सकती है। उसे आशा मिलती है कि भविष्य में उसे एक खुशहाल ज़िंदगी मिलेगी और वह आज भी एक अच्छी ज़िंदगी जी पाता है। जी हाँ, जब आपको एहसास होगा कि ईश्वर आपकी बहुत परवाह करता है, तो संकटों से भरी इस दुनिया में भी आप खुश रह सकेंगे।