अध्ययन लेख 34
बाइबल की भविष्यवाणियों से सीखिए
“अंदरूनी समझ रखनेवाले समझ जाएँगे।”—दानि. 12:10.
गीत 98 परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा शास्त्र
एक झलक a
1. क्या जानने से आपको बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करना शायद अच्छा लगने लगे?
“मुझे बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करने में बड़ा मज़ा आता है।” यह बात एक नौजवान भाई, बेन ने कही। क्या आपको भी बेन की तरह भविष्यवाणियों का अध्ययन करना अच्छा लगता है? या क्या आपको ये बहुत मुश्किल लगती हैं? कुछ लोगों को तो भविष्यवाणियों का अध्ययन करना बहुत बोरिंग लगता है। लेकिन जब आप जानेंगे कि यहोवा ने अपने वचन में भविष्यवाणियाँ क्यों लिखवायी हैं, तो शायद आपका मन बदल जाए।
2. इस लेख में हम क्या जानेंगे?
2 इस लेख में हम जानेंगे कि हमें बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन क्यों करना चाहिए और हम यह कैसे कर सकते हैं। फिर हम दानियेल की किताब में लिखी दो भविष्यवाणियों पर ध्यान देंगे और जानेंगे कि उन्हें समझने से आज हमें क्या फायदा हो सकता है।
बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन क्यों करें?
3. बाइबल की भविष्यवाणियों को समझने के लिए हमें क्या करना होगा?
3 अगर हम बाइबल की भविष्यवाणियों को समझना चाहते हैं, तो हमें किसी की मदद लेनी पड़ेगी। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। मान लीजिए, आप एक ऐसी जगह घूमने गए हैं जिसके बारे में आप ज़्यादा कुछ नहीं जानते। पर आपका एक दोस्त आपके साथ आया है। वह उस इलाके के बारे में अच्छी तरह जानता है। उसे पता है कि आप ठीक किस जगह पर हैं और कौन-सा रास्ता कहाँ जा रहा है। आप कितने खुश होंगे कि आपका दोस्त आपके साथ आया। यहोवा भी उस दोस्त की तरह है। वह जानता है कि हम किस दौर में जी रहे हैं और हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं, वह कहाँ जा रहा है या यूँ कहें कि हमारा भविष्य कैसा होगा। इसलिए बाइबल की भविष्यवाणियों को समझने के लिए हमें नम्र होकर यहोवा की मदद लेनी होगी।—दानि. 2:28; 2 पत. 1:19, 20.
4. यहोवा ने अपने वचन में भविष्यवाणियाँ क्यों लिखवायीं? (यिर्मयाह 29:11) (तसवीर भी देखें।)
4 सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे खुश रहें और उनका भविष्य अच्छा हो। यहोवा भी अपने सभी बच्चों के लिए यही चाहता है। (यिर्मयाह 29:11 पढ़िए।) माता-पिता तो यह नहीं जानते कि आगे चलकर उनके बच्चों की ज़िंदगी कैसी होगी, पर यहोवा जानता है। वह ठीक-ठीक बता सकता है कि भविष्य में क्या होगा। इसलिए उसने अपने वचन में भविष्यवाणियाँ लिखवायी हैं, जिन्हें पढ़कर हम पहले से जान सकते हैं कि आगे चलकर कौन-सी अहम घटनाएँ होनेवाली हैं। (यशा. 46:10) ये भविष्यवाणियाँ किसी तोहफे से कम नहीं हैं! पर हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि बाइबल में जो लिखा है, वह सच में पूरा होगा?
5. नौजवान भाई-बहन मैक्स के अनुभव से क्या सीख सकते हैं?
5 स्कूल में अकसर हमारे बच्चों को ऐसे लोगों का सामना करना पड़ता है जो बाइबल को नहीं मानते या जिन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इसमें क्या लिखा है। वे जो बातें करते हैं या जो काम करते हैं, उससे शायद हमारे किसी बच्चे के मन में शक पैदा हो जाए। ज़रा मैक्स नाम के एक भाई के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वह कहता है, “जब मैं स्कूल में था, तो मुझे शक होने लगा कि मम्मी-पापा मुझे जिस धर्म के बारे में सिखा रहे हैं, वह सच्चा है भी या नहीं और क्या बाइबल सच में परमेश्वर की तरफ से है।” तब उसके मम्मी-पापा ने क्या किया? वह बताता है, “उन्हें यह सुनकर थोड़ी चिंता तो हुई, फिर भी वे मुझ पर गुस्सा नहीं हुए।” मैक्स के मम्मी-पापा ने बाइबल से उसके सवालों के जवाब दिए और मैक्स ने खुद भी कुछ किया। वह कहता है, “मैंने बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन किया। और मैंने जो सीखा उस बारे में मंडली के दूसरे नौजवानों से भी बात की।” इससे क्या फायदा हुआ? मैक्स बताता है, “इसके बाद मुझे पूरा यकीन हो गया कि बाइबल परमेश्वर की तरफ से ही है।”
6. अगर आपके मन में शक आए, तो आपको क्या करना चाहिए और क्यों?
6 मैक्स की तरह अगर आपको भी यह शक होने लगे कि बाइबल में लिखी बातें सच हैं या नहीं, तो बुरा महसूस मत कीजिए। लेकिन इसे हलके में भी मत लीजिए। शक ज़ंग की तरह है। अगर ज़ंग को निकाला ना जाए, तो धीरे-धीरे आपकी कोई कीमती चीज़ बरबाद हो सकती है। उसी तरह, अगर आप अपने मन से शक ना निकालें, तो आपका विश्वास तबाह हो सकता है। इसलिए खुद से पूछिए, ‘बाइबल में आनेवाले कल के बारे में जो लिखा है, क्या मुझे उस पर पूरा यकीन है?’ अगर आपको ज़रा भी शक हो, तो बाइबल में लिखी उन भविष्यवाणियों का अध्ययन कीजिए जो पूरी हो चुकी हैं। आप यह अध्ययन कैसे कर सकते हैं?
बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन कैसे करें?
7. भविष्यवाणियों का अध्ययन करने के मामले में दानियेल क्यों एक अच्छी मिसाल है? (दानियेल 12:10) (तसवीर भी देखें।)
7 दानियेल ने भविष्यवाणियों का अध्ययन करने के मामले में एक बहुत अच्छी मिसाल रखी। उसने सही इरादे से यानी सच्चाई जानने के लिए भविष्यवाणियों का अध्ययन किया। दानियेल नम्र भी था। वह जानता था कि अगर वह यहोवा के करीब रहेगा और उसके ऊँचे स्तरों को मानेगा, तो यहोवा भविष्यवाणियाँ समझने में उसकी मदद करेगा। (दानि. 2:27, 28; दानियेल 12:10 पढ़िए।) इसलिए दानियेल हमेशा यहोवा से मदद माँगता था और उस पर निर्भर रहता था। (दानि. 2:18) इसके अलावा दानियेल ने अच्छी तरह अध्ययन किया। उसके पास शास्त्र के जो हिस्से मौजूद थे, उसने उन्हें पढ़ा और उनमें खोजबीन की। (यिर्म. 25:11, 12; दानि. 9:2) आप दानियेल से क्या सीख सकते हैं?
8. (क) कुछ लोग बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन क्यों करते हैं? (ख) लेकिन हमें किस इरादे से उनका अध्ययन करना चाहिए?
8 सोचिए कि आप किस इरादे से अध्ययन कर रहे हैं। क्या आप इसलिए बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन कर रहे हैं क्योंकि आपमें बाइबल की सच्चाइयाँ जानने की ज़बरदस्त इच्छा है? अगर ऐसी बात है, तो यहोवा आपकी मदद करेगा। (यूह. 4:23, 24; 14:16, 17) लेकिन कुछ लोग भविष्यवाणियों का अध्ययन दूसरे कारणों से करते हैं। वे बाइबल में दिए स्तरों के हिसाब से नहीं, बल्कि अपने हिसाब से जीना चाहते हैं। इसलिए शायद वे कुछ ऐसा ढूँढ़ने के इरादे से अध्ययन करें जिससे यह साबित कर सकें कि बाइबल परमेश्वर की तरफ से नहीं है। लेकिन हमें उन लोगों की तरह नहीं होना चाहिए, बल्कि सही इरादे से बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करना चाहिए। इसके अलावा भविष्यवाणियों को समझने के लिए एक और बात का होना बहुत ज़रूरी है।
9. बाइबल की भविष्यवाणियाँ समझने के लिए कौन-सा गुण होना ज़रूरी है? समझाइए।
9 नम्र बनिए। यहोवा ने वादा किया है कि वह नम्र लोगों की मदद करेगा। (याकू. 4:6) इसलिए यह ज़रूरी है कि हम बाइबल की भविष्यवाणियाँ समझने के लिए यहोवा से प्रार्थना करें। इसके अलावा यह भी ज़रूरी है कि हम यह मानें कि हम भविष्यवाणियों का मतलब अपने-आप नहीं समझ सकते, हमें विश्वासयोग्य दास की मदद लेनी होगी। आज यहोवा इसी के ज़रिए हमें सही वक्त पर भोजन दे रहा है। (लूका 12:42) यहोवा गड़बड़ी का परमेश्वर नहीं है, इसलिए इस बात में तुक बनता है कि वह एक ही ज़रिए से अपने वचन में लिखी सच्चाइयाँ समझाएगा, ना कि अलग-अलग ज़रिए से।—1 कुरिं. 14:33; इफि. 4:4-6.
10. आपने एस्टर से क्या सीखा?
10 अच्छी तरह अध्ययन कीजिए। सोचिए कि आपको कौन-सी भविष्यवाणी मज़ेदार लगती है। फिर सबसे पहले उस बारे में खोजबीन कीजिए। एस्टर नाम की एक बहन ने ऐसा ही किया। उसे मसीहा के आने के बारे में की गयी भविष्यवाणियों में रुचि थी। वह कहती है, “जब मैं 15 साल की थी, तो मैं इस बात के सबूत ढूँढ़ने लगी कि ये भविष्यवाणियाँ यीशु के धरती पर आने से बहुत पहले लिखी गयी थीं।” फिर उसने मृत सागर के पास मिले खर्रों के बारे में पढ़ा जिससे उसका शक दूर हो गया। वह बताती है, “उनमें से कुछ खर्रे यीशु के धरती पर आने से बहुत पहले लिखे गए थे। तो ज़ाहिर-सी बात है कि उनमें दी भविष्यवाणियाँ परमेश्वर ने ही लिखवायीं होंगी।” एस्टर ने यह भी कहा, “मुझे कुछ बातों को समझने के लिए उन्हें कई बार पढ़ना पड़ा।” लेकिन उसे खुशी है कि उसने इतनी मेहनत की। बाइबल की कई भविष्यवाणियों का अच्छी तरह अध्ययन करने के बाद उसने कहा, “अब मुझे साफ-साफ समझ में आ गया है कि बाइबल में लिखी बातें एकदम सच हैं!”
11. अगर हम खुद को यह यकीन दिलाएँ कि बाइबल में लिखी बातें सच हैं, तो इससे हमें क्या फायदा होगा?
11 जब हम समझ जाते हैं कि परमेश्वर के वचन में लिखी कुछ भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुई हैं, तो यहोवा पर हमारा भरोसा और भी पक्का हो जाता है और हमें यकीन हो जाता है कि वह हमें सही राह दिखा रहा है। इसके अलावा बाइबल की भविष्यवाणियों से हमें एक अच्छे भविष्य की आशा मिलती है। इसलिए जब हम उनका अध्ययन करते हैं, तो हम मुसीबतों के दौरान भी खुश रह पाते हैं। अब आइए दानियेल के ज़रिए लिखी गयी ऐसी दो भविष्यवाणियों पर एक नज़र डालें जो आज पूरी हो रही हैं। उन्हें अच्छी तरह समझने से हम सही फैसले ले पाएँगे।
लोहे और मिट्टी के पैरों के बारे में जानना क्यों ज़रूरी है?
12. लोहे और कच्ची मिट्टी से बने पैर किसे दर्शाते हैं? (दानियेल 2:41-43)
12 दानियेल 2:41-43 पढ़िए। एक बार दानियेल ने राजा नबूकदनेस्सर के एक सपने का मतलब बताया था, जिसमें राजा ने एक बड़ी मूरत देखी थी। उस मूरत के पैर ‘कच्ची मिट्टी और लोहे से मिलकर’ बने थे। जब हम इस भविष्यवाणी की तुलना दानियेल और प्रकाशितवाक्य की किताब में लिखी दूसरी भविष्यवाणियों से करते हैं, तो हम समझ पाते हैं कि मूरत के पैर ब्रिटेन-अमरीकी विश्व शक्ति को दर्शाते हैं जो आज दुनिया की सबसे ताकतवर सरकारें हैं। इस विश्व शक्ति के बारे में दानियेल ने कहा था, “यह राज एक मामले में मज़बूत होगा तो दूसरे में कमज़ोर।” यह कमज़ोर क्यों होगा? क्योंकि आम लोग जिन्हें मिट्टी से दर्शाया गया है, इसकी लोहे जैसी ताकत को कमज़ोर कर देते हैं। इसलिए यह विश्व शक्ति जो करना चाहती है, वह नहीं कर पाती। b
13. इस भविष्यवाणी से हम कौन-सी अहम सच्चाइयाँ सीख सकते हैं?
13 दानियेल ने मूरत के बारे में जो बताया, खासकर उसके पैरों के बारे में, उससे हम कुछ अहम सच्चाइयाँ सीखते हैं। पहली, ब्रिटेन-अमरीकी विश्व शक्ति ने कई तरह से यह दिखाया है कि वह मज़बूत या ताकतवर है। जैसे, ब्रिटेन और अमरीका ने पहले और दूसरे विश्व-युद्ध में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दोनों ही बार उनके पक्ष की जीत हुई। लेकिन यह विश्व शक्ति कमज़ोर भी हो गयी है और आगे और भी कमज़ोर होती जाएगी, क्योंकि इसके नागरिक आपस में लड़ते रहते हैं और सरकार के खिलाफ भी आवाज़ उठाते हैं। दूसरी बात, यह विश्व शक्ति आखिरी विश्व शक्ति होगी। इसके बाद परमेश्वर का राज इंसानों की सभी सरकारों को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर देगा। भले ही कई बार दूसरे राष्ट्र ब्रिटेन-अमरीकी विश्व शक्ति से मुकाबला करें, पर वे इसकी जगह नहीं लेंगे। हम ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि “एक पत्थर” जो परमेश्वर के राज को दर्शाता है, मूरत के पैरों को चूर-चूर कर डालेगा, यानी ब्रिटेन-अमरीकी विश्व शक्ति को खत्म कर देगा।—दानि. 2:34, 35, 44, 45.
14. लोहे और मिट्टी के पैरों के बारे में की गयी भविष्यवाणी का मतलब समझने से हम किस तरह सही फैसले कर पाएँगे?
14 क्या आपको यकीन है कि दानियेल ने लोहे और मिट्टी के पैरों के बारे में जो भविष्यवाणी की, वह सच है? अगर हाँ, तो यह आपके जीने के तरीके से पता चलेगा। आप इस दुनिया में पैसा और चीज़ें इकट्ठा करने की कोशिश नहीं करेंगे, क्योंकि आप जानते हैं कि यह दुनिया बहुत जल्द हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी। (लूका 12:16-21; 1 यूह. 2:15-17) इस भविष्यवाणी को समझने से आप यह भी समझ पाएँगे कि आज प्रचार और सिखाने का काम करना कितना ज़रूरी है। (मत्ती 6:33; 28:18-20) तो इस भविष्यवाणी का अध्ययन करने के बाद, क्यों ना आप खुद से पूछें, ‘मेरे फैसलों से क्या पता चलता है? क्या मुझे यकीन है कि परमेश्वर का राज बहुत जल्द इंसानों की सभी सरकारों को खत्म कर देगा?’
‘उत्तर के राजा’ और ‘दक्षिण के राजा’ के बारे में जानना क्यों ज़रूरी है?
15. आज “उत्तर का राजा” और “दक्षिण का राजा” कौन हैं? (दानियेल 11:40)
15 दानियेल 11:40 पढ़िए। दानियेल अध्याय 11 में दो राजाओं यानी सरकारों के बारे में बताया गया है जो पूरी दुनिया पर राज करने के लिए एक-दूसरे से होड़ लगाती हैं। इस भविष्यवाणी की तुलना बाइबल में लिखी दूसरी भविष्यवाणियों से करने पर हम समझ पाते हैं कि “उत्तर का राजा” रूस और उसके मित्र राष्ट्र हैं और “दक्षिण का राजा” ब्रिटेन-अमरीकी विश्व शक्ति है। c
16. परमेश्वर के जो सेवक ‘उत्तर के राजा’ के इलाके में रहते हैं, उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है?
16 परमेश्वर के जो सेवक ‘उत्तर के राजा’ के इलाके में रहते हैं, उन पर यह राजा सीधे-सीधे ज़ुल्म कर रहा है। यहोवा के वफादार रहने की वजह से वहाँ कुछ साक्षियों को मारा-पीटा गया है और कुछ को जेल में डाल दिया गया है। लेकिन ‘उत्तर के राजा’ की इन करतूतों की वजह से हमारे भाई-बहन डर नहीं गए हैं, बल्कि उनका विश्वास और भी बढ़ गया है। ऐसा क्यों? क्योंकि वे जानते हैं कि परमेश्वर के लोगों पर जो ज़ुल्म हो रहे हैं, उससे दानियेल की भविष्यवाणी पूरी हो रही है। d (दानि. 11:41) इस बारे में जानने से हमारी आशा पक्की हो सकती है और वफादार रहने का हमारा इरादा मज़बूत हो सकता है।
17. ‘दक्षिण के राजा’ के इलाके में रहनेवाले परमेश्वर के लोगों ने किन मुश्किलों का सामना किया है?
17 बीते समय में ‘दक्षिण के राजा’ ने भी यहोवा के लोगों पर सीधे-सीधे ज़ुल्म किए हैं। जैसे, पहले और दूसरे विश्व-युद्ध के दौरान निष्पक्ष रहने की वजह से कई मसीहियों को जेल में डाल दिया गया। और इसी वजह से साक्षियों के कुछ बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया। लेकिन हाल के सालों में ‘दक्षिण के राजा’ के इलाके में रहनेवाले साक्षियों की वफादारी की एक अलग तरह से परख हुई है। उदाहरण के लिए, चुनाव के समय जब राजनीतिक पार्टियाँ अपना प्रचार-प्रसार करती हैं, तब कोई मसीही शायद किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार को दूसरे से बेहतर समझने लगे। वह शायद किसी को वोट ना दे, पर मन-ही-मन सोचने लगे कि वह वाली पार्टी जीत जाए तो अच्छा होगा। इसलिए पूरी तरह निष्पक्ष रहने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि हम अपने मन में भी किसी का पक्ष ना लें!—यूह. 15:18, 19; 18:36.
18. ‘उत्तर के राजा’ और ‘दक्षिण के राजा’ के बीच दुश्मनी देखकर हम पर क्या असर होता है? (तसवीर भी देखें।)
18 कई लोग यह नहीं मानते कि बाइबल में दी भविष्यवाणियाँ परमेश्वर की तरफ से हैं। इसलिए जब वे देखते हैं कि “दक्षिण का राजा” किस तरह ‘उत्तर के राजा’ से ‘भिड़’ रहा है, तो उन्हें शायद बहुत चिंता होने लगे कि पता नहीं क्या होनेवाला है। (दानि. 11:40) दोनों ही राजाओं के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि अगर वे इन्हें इस्तेमाल करें, तो इस धरती पर एक परिंदा भी नहीं बचेगा। लेकिन हम जानते हैं कि यहोवा ऐसा नहीं होने देगा। (यशा. 45:18) इसलिए ‘उत्तर के राजा’ और ‘दक्षिण के राजा’ के बीच दुश्मनी देखकर हम घबरा नहीं जाते, बल्कि हमारा विश्वास और बढ़ जाता है। इससे हमें और भी यकीन हो जाता है कि इस दुष्ट दुनिया का अंत बहुत करीब है।
भविष्यवाणियों का अध्ययन करते रहिए
19. बाइबल की भविष्यवाणियों के बारे में हमें क्या बात ध्यान में रखनी चाहिए?
19 हम यह नहीं जानते कि बाइबल की कुछ भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी होंगी। भविष्यवक्ता दानियेल भी उन सब बातों का मतलब नहीं जानता था, जो उसने लिखी थीं। (दानि. 12:8, 9) लेकिन अगर हम किसी भविष्यवाणी का मतलब पूरी तरह नहीं समझते, तो इसका यह मतलब नहीं कि वह भविष्यवाणी पूरी नहीं होगी। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि हमारे लिए जो जानना ज़रूरी है, वह यहोवा हमें एकदम सही समय पर बताएगा, ठीक जैसे उसने बीते समय में किया था।—आमो. 3:7.
20. (क) बहुत जल्द हम बाइबल की कौन-सी रोमांचक भविष्यवाणियाँ पूरी होते हुए देखेंगे? (ख) हमें क्या करते रहना चाहिए?
20 दुनिया के राष्ट्र “शांति और सुरक्षा” का ऐलान करेंगे। (1 थिस्स. 5:3) इसके बाद सरकारें झूठे धर्मों पर हमला करेंगी और उनका नामो-निशान मिटा देंगी। (प्रका. 17:16, 17) फिर वे सरकारें परमेश्वर के लोगों पर हमला करेंगी। (यहे. 38:18, 19) इससे हर-मगिदोन का युद्ध शुरू हो जाएगा। (प्रका. 16:14, 16) हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि ये घटनाएँ बहुत जल्द होनेवाली हैं। इन घटनाओं के बारे में परमेश्वर यहोवा ने अपने वचन में जो बातें लिखवायी हैं, क्या उनके लिए हम एहसानमंद नहीं हैं? तो आइए जब तक ये भविष्यवाणियाँ पूरी नहीं होतीं, हम लगातार इनका अध्ययन करते रहें और ऐसा करने में दूसरों की भी मदद करें।
गीत 95 बढ़ती है रौशनी सच्चाई की
a दुनिया के हालात चाहे बद-से-बदतर हो जाएँ, हम यकीन रख सकते हैं कि हमारा भविष्य अच्छा होगा। जब हम बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करते हैं, तो हमारा यह यकीन और बढ़ जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि हमें क्यों बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करना चाहिए। फिर हम दानियेल के ज़रिए लिखी दो भविष्यवाणियों पर एक नज़र डालेंगे और देखेंगे कि उनका मतलब समझने से हमें क्या फायदा हो सकता है।