क्या आप लोगों में फर्क देख पा रहे हैं?
“तुम . . . यह फर्क देख पाओगे कि कौन नेक है और कौन दुष्ट।”—मला. 3:18.
गीत: 29, 53
1, 2. परमेश्वर के लोगों को किन मुश्किल हालात का सामना करना होता है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीरें देखिए।)
आज कई डॉक्टर और नर्स ऐसे लोगों की देखभाल करते हैं जिन्हें छूत की बीमारी होती है। वे उन मरीज़ों की मदद करना चाहते हैं इसलिए दिन-रात उनकी सेवा में लगे रहते हैं। लेकिन साथ ही, उन्हें इस बात का ध्यान रखना होता है कि कहीं वह बीमारी उन्हें न लग जाए। यहोवा के सेवकों के बारे में भी यह सच है। हम भी उन लोगों के साथ रहते हैं या काम करते हैं जिनमें ऐसे गुण और रवैए होते हैं जो परमेश्वर के गुणों से मेल नहीं खाते। इन हालात का सामना करना आसान नहीं होता।
2 इन आखिरी दिनों में, ऐसे कई लोग हैं जिन्हें परमेश्वर से कोई प्यार नहीं और वे उसके नेक स्तरों को ठुकरा देते हैं। ऐसे लोगों में कौन-से बुरे गुण होते हैं, इस बारे में प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस को लिखी अपनी चिट्ठी में बताया था। उसने कहा था कि जैसे-जैसे अंत और करीब आएगा लोगों में ये गुण और भी साफ दिखायी देंगे। (2 तीमुथियुस 3:1-5, 13 पढ़िए।) शायद हमें यहाँ बताए लोगों के बुरे गुणों से घिन आए, लेकिन अगर हम सावधान न रहें तो इन गुणों का हमारी सोच, बातों और कामों पर बुरा असर हो सकता है। (नीति. 13:20) इस लेख में हम देखेंगे कि ये बुरे गुण उन गुणों से कितने अलग हैं जो परमेश्वर के लोगों में होते हैं। हम यह भी देखेंगे कि दूसरों को यहोवा के बारे में सिखाते वक्त हम क्या कर सकते हैं ताकि उनका बुरा असर हम पर न हो।
3. दूसरा तीमुथियुस 3:2-5 में किस तरह के लोगों के बारे में बताया गया है?
3 पौलुस ने लिखा था कि “आखिरी दिनों में संकटों से भरा ऐसा वक्त आएगा रोमियों 1:29-31 में दी सूची से मिलती-जुलती है, लेकिन तीमुथियुस को लिखी अपनी चिट्ठी में पौलुस ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जो मसीही यूनानी शास्त्र में और कहीं नहीं मिलते। पौलुस ने इस सूची की शुरूआत में कहा कि “लोग” ऐसे-ऐसे होंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सभी लोगों में बुरे गुण होंगे। मसीही, दुनिया के लोगों जैसे नहीं, वे इन गुणों से कोसों दूर रहते हैं।—मलाकी 3:18 पढ़िए।
जिसका सामना करना मुश्किल होगा।” उसने ऐसे 19 बुरे गुणों के बारे में बताया जो ज़्यादातर लोगों में दिखायी देंगे। इन अवगुणों की सूचीहम खुद को किस नज़र से देखते हैं?
4. घमंड से फूलने का क्या मतलब है?
4 यह बताने के बाद कि कई लोग खुद से प्यार करनेवाले और पैसे से प्यार करनेवाले होंगे, पौलुस ने यह भी कहा कि वे डींगें मारनेवाले, मगरूर और घमंड से फूले हुए होंगे। ऐसे लोगों को अपनी खूबसूरती, दौलत, काबिलीयत या ओहदे पर घमंड होता है और इस वजह से वे खुद को दूसरों से बेहतर समझते हैं। वे हमेशा दूसरों से तारीफ पाने के भूखे होते हैं। एक विद्वान ने घमंडी इंसान के बारे में लिखा, “वह मन-ही-मन अपने लिए एक छोटा-सा मंदिर खड़ा करता है और उसमें अपनी ही मूरत रखकर उसकी पूजा करता है।” कुछ लोगों का कहना है कि घमंड ऐसा बुरा गुण है कि घमंडी लोग भी जब दूसरों में यह अवगुण देखते हैं, तो उनसे यह बरदाश्त नहीं होता।
5. घमंड का यहोवा के वफादार सेवकों पर भी क्या असर हुआ है?
5 बाइबल बताती है कि यहोवा ‘घमंड से चढ़ी आँखों’ से घिन करता है। उसे घमंड से सख्त नफरत है। (नीति. 6:16, 17) दरअसल घमंड एक इंसान को परमेश्वर से दूर ले जाता है। (भज. 10:4) घमंड करना शैतान की फितरत है। (1 तीमु. 3:6) दुख की बात है कि यहोवा के कुछ वफादार सेवक भी इसके शिकार हुए हैं। मिसाल के लिए, यहूदा का राजा उज्जियाह सालों से यहोवा का वफादार था। लेकिन बाइबल बताती है, “जैसे ही वह ताकतवर हो गया, उसका मन घमंड से फूल उठा और यह उसकी बरबादी का कारण बन गया। वह धूप की वेदी पर धूप जलाने के लिए यहोवा के मंदिर में घुस गया और ऐसा करके उसने अपने परमेश्वर यहोवा के साथ विश्वासघात किया।” वफादार राजा हिजकियाह भी कुछ समय के लिए घमंडी बन गया था।—2 इति. 26:16; 32:25, 26.
6. किन वजहों से दाविद घमंडी बन सकता था? मगर वह क्यों नम्र बना रहा?
6 कुछ लोग खूबसूरत होते हैं, उनके पास संगीत का हुनर, ताकत और ओहदा होता है, यही नहीं सब उन्हें बहुत पसंद करते हैं। इन वजहों से उनमें घमंड आ जाता है। दाविद के पास यह सबकुछ था फिर भी वह नम्र बना रहा। जब उसने गोलियात को मार गिराया तो राजा शाऊल ने अपनी बेटी की शादी उससे करानी चाही। मगर गौर कीजिए कि दाविद ने क्या कहा। उसने कहा, “मैं क्या हूँ, इसराएल में मेरे पिता के घराने और रिश्तेदारों की हैसियत ही क्या है जो मैं राजा का दामाद बनूँ?” (1 शमू. 18:18) किस वजह से दाविद नम्र बना रहा? वह अच्छी तरह जानता था कि उसके पास जो गुण, काबिलीयतें और सम्मान हैं वे यहोवा की वजह से ही उसे मिले हैं। यहोवा ने नम्र होकर उस पर ध्यान दिया और उसकी मदद की। (भज. 113:5-8) दाविद को एहसास था कि उसके पास जो भी अच्छी चीज़ें हैं, वे सब उसने यहोवा से पायी हैं।—1 कुरिंथियों 4:7 से तुलना कीजिए।
7. किन बातों को ध्यान में रखने से हम नम्र रह सकते हैं?
7 दाविद की तरह आज यहोवा के लोग भी नम्र रहने की कोशिश करते हैं। लेकिन सवाल है, किन बातों को ध्यान में रखने से हम नम्र रह सकते हैं? ज़रा सोचिए, यहोवा पूरे जहान में सबसे महान है फिर भी वह खुद को नम्र करता है। यह बात हमें नम्र रहने का बढ़ावा देती है। (भज. 18:35) इसके अलावा, हम इस सलाह पर चलने की कोशिश करते हैं, “करुणा से भरपूर गहरे लगाव, कृपा, नम्रता, कोमलता और सब्र का पहनावा पहन लो।” (कुलु. 3:12) हम यह भी जानते हैं कि प्यार “डींगें नहीं मारता, घमंड से नहीं फूलता।” (1 कुरिं. 13:4) हो सकता है, हमारी नम्रता देखकर दूसरे यहोवा के बारे में जानना चाहें। जी हाँ, जिस तरह एक अविश्वासी पति अपनी मसीही पत्नी का अच्छा चालचलन देखकर यहोवा के बारे में जानना चाहे, उसी तरह लोग यहोवा के सेवकों की नम्रता देखकर उसकी ओर खिंचे चले आएँ।—1 पत. 3:1, 2.
हम दूसरों के साथ किस तरह पेश आते हैं?
8. (क) आज कुछ लोग माता-पिता की आज्ञा न मानने को किस नज़र से देखते हैं? (ख) बाइबल बच्चों को क्या करने की आज्ञा देती है?
8 पौलुस ने बताया कि आखिरी दिनों में लोग किस तरह एक-दूसरे के साथ पेश आएँगे। उसने लिखा कि बच्चे माता-पिता की न माननेवाले होंगे। आजकल किताबों, फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में यही दिखाया जाता है कि बच्चे माँ-बाप का कहना नहीं मानते और इस बात को ऐसे पेश किया जाता है मानो इसमें कोई बुराई नहीं। लेकिन सच तो यह है कि जब बच्चे आज्ञा नहीं मानते, तो इससे परिवार की नींव कमज़ोर पड़ जाती है और इसका समाज पर बुरा असर होता है। इस सच्चाई को लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी मानते आए हैं। मिसाल के लिए, प्राचीन यूनान में अगर कोई आदमी अपने माता-पिता पर हाथ उठाता था, तो वह समाज में अपने सारे अधिकार खो देता था। वहीं रोम में अगर कोई अपने पिता पर हाथ उठाता था, तो वहाँ के कानून के मुताबिक उसे वह सज़ा मिलती थी जो एक खूनी को मिलती थी। इब्रानी और यूनानी शास्त्र में बच्चों को आज्ञा दी गयी है कि वे अपने माता-पिता का आदर करें।—निर्ग. 20:12; इफि. 6:1-3.
9. क्या बात बच्चों की मदद कर सकती है कि वे अपने माता-पिता का कहना मानें?
9 बच्चो, क्या बात आपकी मदद कर सकती है कि आप अपने माँ-बाप का कहना मानें, तब भी जब दूसरे बच्चे ऐसा नहीं करते? सोचिए कि आपके माता-पिता ने आपके लिए क्या-कुछ नहीं किया है, इससे आपके दिल में उनके लिए कदर बढ़ेगी और आप उनका कहना मानना सीखेंगे। यह भी समझने की कोशिश कीजिए कि हम सबका पिता, यहोवा चाहता है कि आप अपने माता-पिता की आज्ञा मानें। अगर आप अपने माता-पिता के बारे में अच्छी बातें कहेंगे, तो यह देखकर आपके दोस्त भी अपने माता-पिता का आदर करेंगे। यह सच है कि अगर माँ-बाप बच्चों से लगाव नहीं रखते, तो बच्चों के लिए उनकी बात मानना और भी मुश्किल हो सकता है। लेकिन जब एक बच्चा देखता है कि उसके माता-पिता उससे कितना प्यार करते हैं, तो वह भी उनकी बात मानेगा फिर चाहे उसका मन न करे। औस्टिन नाम का एक जवान भाई कहता है, “अकसर मैं अपने मन की करना चाहता था। लेकिन मम्मी-पापा ऐसा करने नहीं देते थे। जब वे कोई नियम बनाते थे तो मुझे समझाते थे कि इसके पीछे वजह क्या है और खुलकर बात करते थे। इससे मेरे लिए उनकी बात मानना आसान हो गया। मैं समझ पाया कि उन्हें मेरी कितनी परवाह है, इसलिए मैं उनको खुश करना चाहता था।”
10, 11. (क) एक-दूसरे से प्यार न करनेवालों में कौन-से बुरे गुण होंगे? (ख) सच्चे मसीही किस हद तक दूसरों से प्यार करते हैं?
10 पौलुस ने कुछ और बुरे गुणों के बारे में बताया जो इस बात के सबूत देते हैं कि लोगों में एक-दूसरे के लिए प्यार नहीं रहेगा। उसने कहा कि वे एहसान न माननेवाले होंगे। यह बात एकदम सच है! एहसान-फरामोश इंसान उन अच्छे कामों को भूल जाते हैं, जो दूसरे उनके लिए करते हैं। पौलुस ने यह भी कहा कि लोग विश्वासघाती होंगे। वे किसी भी बात पर राज़ी नहीं होंगे यानी वे दूसरों के साथ शांति कायम करना ही नहीं चाहेंगे। वे निंदा करनेवाले और धोखेबाज़ होंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो वे परमेश्वर और लोगों के बारे में गलत और घिनौनी बातें कहेंगे। फिर पौलुस ने कहा कि वे बदनाम करनेवाले होंगे यानी दूसरों का नाम खराब करने के लिए उनके बारे में झूठी और बुरी बातें फैलाएँगे। *
11 वहीं दूसरी तरफ, यहोवा के सेवक दुनिया के मत्ती 22:38, 39) यीशु ने यह भी कहा था कि यही प्यार सच्चे मसीहियों की पहचान होगी। (यूहन्ना 13:34, 35 पढ़िए।) सच्चे मसीही सिर्फ अपने भाई-बहनों से नहीं बल्कि अपने दुश्मनों से भी प्यार करेंगे।—मत्ती 5:43, 44.
लोगों से बिलकुल अलग हैं। वे दूसरों से सच्चा प्यार करते हैं। यह बात यहोवा के सेवकों के बारे में हमेशा से सच रही है। यीशु ने कहा था कि मूसा के कानून में परमेश्वर से प्यार करने की आज्ञा के बाद दूसरी सबसे बड़ी आज्ञा है कि हम लोगों से प्यार करें, जिस प्यार को यूनानी भाषा में अघापि कहा गया है। (12. यीशु ने कैसे दिखाया कि उसे लोगों से प्यार है?
12 यीशु ने दिखाया कि उसे लोगों से सच्चा प्यार है। वह कैसे? वह परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाने के लिए शहर-शहर गया। उसने अंधों, लँगड़ों, कोढ़ियों और बहरों को ठीक किया यहाँ तक कि मरे हुओं को भी ज़िंदा किया। (लूका 7:22) इतना ही नहीं, यीशु ने लोगों की खातिर अपनी जान तक दे दी, उन लोगों के लिए भी जो उससे नफरत करते थे। यीशु ने हू-ब-हू अपने पिता के जैसा प्यार ज़ाहिर किया। दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी यीशु की मिसाल पर चलते हैं और लोगों से प्यार करते हैं।
13. बताइए कि कैसे हमारा प्यार देखकर लोग यहोवा के करीब आ सकते हैं।
13 जब हम लोगों से प्यार करते हैं तो यह देखकर वे हमारे पिता यहोवा के पास खिंचे चले आते हैं और उसके बारे में जानना चाहते हैं। थाईलैंड के रहनेवाले एक आदमी का उदाहरण लीजिए। वह एक क्षेत्रीय अधिवेशन में गया और जब उसने देखा कि भाई-बहनों में कितना प्यार है, तो यह बात उसके दिल को छू गयी। अधिवेशन के बाद उसने साक्षियों से कहा कि वे हफ्ते में दो बार उसके साथ अध्ययन करें। फिर वह अपने सारे रिश्तेदारों को प्रचार करने लगा। छ: महीने बाद, उसने राज-घर में अपना पहला विद्यार्थी भाग पेश किया। हमारे बारे में क्या? क्या हम दूसरों के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करते हैं? खुद से पूछिए, ‘क्या मैं अपने परिवारवालों, मंडली के भाई-बहनों और प्रचार में मिलनेवाले लोगों की मदद करने में मेहनत करता हूँ? क्या मैं दूसरों को यहोवा की नज़र से देखने की कोशिश करता हूँ?’
भेड़िए और मेम्ने
14, 15. कई लोगों में कौन-से बुरे गुण नज़र आते हैं? कुछ लोगों ने किस वजह से अपनी शख्सियत में बदलाव किया है?
14 आखिरी दिनों में लोगों में कुछ और बुरे गुण
दिखायी देंगे। कई लोग भलाई से प्यार न करनेवाले होंगे। इसका मतलब है, वे अच्छाई से नफरत करेंगे और इसका विरोध भी करेंगे। ऐसे लोग संयम न रखनेवाले और खूँखार होंगे। कुछ तो ढीठ होंगे यानी वे बिना सोचे-समझे काम करेंगे और उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं होगी कि उनकी करतूतों का दूसरों पर क्या असर होगा।15 कई लोगों का व्यवहार एक वक्त पर खूँखार जानवरों जैसा था, लेकिन उन्होंने अपनी शख्सियत में बदलाव किया है। इस कायापलट के बारे में बाइबल में पहले से भविष्यवाणी की गयी थी। (यशायाह 11:6, 7 पढ़िए।) इन आयतों में हम पढ़ते हैं कि भेड़िए और शेर जैसे जंगली जानवर और मेम्ने और बछड़े जैसे पालतू जानवर मिल-जुलकर रहेंगे। यह कैसे मुमकिन होगा? भविष्यवाणी समझाती है, ‘क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से भर जाएगी।’ (यशा. 11:9) जानवर यहोवा के बारे में नहीं सीख सकते, तो फिर यहाँ सचमुच के जानवरों की बात नहीं की गयी है। यहाँ उन बदलावों की बात की गयी है जो लोग अपनी शख्सियत में करते हैं।
16. बाइबल कैसे लोगों की मदद करती है कि वे अपनी शख्सियत को बदले?
16 हमारे कई मसीही भाई-बहनों की शख्सियत एक वक्त पर खूँखार भेड़िए जैसी थी। लेकिन जब उन्होंने यहोवा को जाना और उसकी सेवा करने लगे तो उन्होंने शांति कायम करना सीखा। हम उनके अनुभव jw.org पर दी शृंखला, “पवित्र शास्त्र सँवारे ज़िंदगी” में पढ़ सकते हैं। यहोवा के ये सेवक उन लोगों की तरह नहीं जो परमेश्वर की भक्ति का दिखावा तो करते हैं मगर उसके मुताबिक जीते नहीं। इसके बजाय, उन्होंने “नयी शख्सियत को पहन [लिया है], जो परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक रची गयी है और नेक स्तरों और सच्ची वफादारी की माँगों के मुताबिक है।” (इफि. 4:23, 24) जब एक इंसान परमेश्वर के बारे में सीखने लगता है, तो उसे एहसास होता है कि उसे परमेश्वर के स्तरों पर चलना चाहिए। फिर वह अपनी सोच, विश्वास और चालचलन बदलता है। ऐसा करना आसान नहीं लेकिन परमेश्वर की पवित्र शक्ति उसकी मदद करती है बशर्ते वह यहोवा को खुश करना चाहता हो।
“ऐसों से दूर हो जाना”
17. जिन लोगों में बुरे गुण हैं, उनसे हम कैसे दूर रह सकते हैं?
17 दिन-ब-दिन यह फर्क साफ नज़र आ रहा है कि कौन परमेश्वर के सेवक हैं और कौन नहीं। हमें सतर्क रहना चाहिए कि कहीं हमारे अंदर वे बुरे गुण न आ जाएँ जो दुनिया के लोगों में हैं। हम यहोवा की सलाह मानते हुए 2 तीमुथियुस 3:2-5 में बताए बुरे लोगों से दूर रहते हैं। बेशक हम ऐसे हर इंसान से पूरी तरह दूर नहीं रह सकते जिसमें बुरे गुण हैं। हमें शायद उनके साथ काम करना पड़े, स्कूल जाना पड़े या एक ही छत के नीचे रहना पड़े। लेकिन हम उनके जैसी सोच पैदा करने या उनके जैसे काम करने से दूर रह सकते हैं। यह हम कैसे कर सकते हैं? बाइबल का अध्ययन करने से हम यहोवा के साथ अपनी दोस्ती मज़बूत कर सकते हैं। यही नहीं, हम उन लोगों को अपना करीबी दोस्त बना सकते हैं जो परमेश्वर से प्यार करते हैं।
18. हमारी बातों और चालचलन से लोग यहोवा के बारे में जानने के लिए कैसे उभारे जा सकते हैं?
18 हम दूसरों की भी मदद करना चाहते हैं कि वे यहोवा को जानें। इसलिए हम गवाही देने के मौके ढूँढ़ेंगे और यहोवा से प्रार्थना करेंगे कि वह सही समय पर सही बात कहने में हमारी मदद करे। हम दूसरों को खुलकर बताएँगे कि हम यहोवा के साक्षी हैं। फिर हमारा अच्छा चालचलन देखकर वे हमारी नहीं बल्कि यहोवा की महिमा करेंगे। यहोवा ने हमें सिखाया है कि “हम भक्तिहीन कामों और दुनियावी इच्छाओं को ठुकराएँ और इस दुनिया में सही सोच रखते हुए और नेकी और परमेश्वर की भक्ति के साथ जीवन बिताएँ।” (तीतु. 2:11-14) अगर हम यहोवा की मिसाल पर चलेंगे और वही करेंगे जो वह हमसे चाहता है, तो यह बात दूसरों को साफ नज़र आएगी। नतीजा, कुछ लोग शायद यह भी कहें, “हम तुम्हारे साथ चलना चाहते हैं क्योंकि हमने सुना है, परमेश्वर तुम्हारे साथ है।”—जक. 8:23.
^ पैरा. 10 जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “बदनाम करनेवाला” या “दोष लगानेवाला” किया गया है, वह है दियाबोलोस। बाइबल में यह शब्द शैतान के लिए इस्तेमाल हुआ है जो परमेश्वर को बदनाम करनेवाला दुष्ट है।