क्या आपको याद है?
क्या आपने इस साल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप आगे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:
याकूब 5:11 में लिखा है, “यहोवा गहरा लगाव रखनेवाला और दयालु परमेश्वर है।” इसका क्या मतलब है?
यहोवा दयालु है, इसलिए वह हमारी गलतियाँ माफ करता है। यही नहीं, याकूब 5:11 में हमें यह भी यकीन दिलाया गया है कि जब यहोवा हमें तकलीफ में देखता है, तो वह हमारी मदद करता है। हमें उसकी तरह बनना चाहिए।—प्र21.01, पेज 21.
यहोवा ने मुखियापन का इंतज़ाम क्यों किया?
उसने यह इसलिए किया क्योंकि वह अपने परिवार से प्यार करता है। वह चाहता है कि उसके परिवार में शांति रहे और सबकुछ कायदे से हो। इस इंतज़ाम की वजह से परिवार का हर सदस्य जानता है कि कौन अगुवाई लेगा और कौन फैसले लेगा।—प्र21.02, पेज 3.
मैसेजिंग ऐप इस्तेमाल करते वक्त मसीहियों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मैसेजिंग ऐप इस्तेमाल करते वक्त एक व्यक्ति को ध्यान देना चाहिए कि वह किन लोगों से दोस्ती कर रहा है। अगर वह किसी बड़े मैसेजिंग ग्रूप से जुड़ेगा तो उसे इस बात का और भी ध्यान रखना चाहिए। (1 तीमु. 5:13) उसे इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह ऐसी बातें न फैलाए, जिनका सच होने का सबूत नहीं है। उसे मुनाफा कमाने के लिए मैसेजिंग ऐप के ज़रिए दूसरे भाई-बहनों के साथ संगति नहीं करनी चाहिए।—प्र21.03, पेज 31.
यहोवा ने यीशु को इतनी तकलीफ सहकर क्यों मरने दिया?
पहली वजह, यीशु को काठ पर लटकाया जाना था ताकि यहूदी एक शाप से छूट सकें। (गला. 3:10, 13) दूसरी वजह, यहोवा यीशु को सिखा रहा था क्योंकि आगे चलकर वह हमारा महायाजक बनता। तीसरी वजह, मौत तक वफादार रहकर यीशु ने साबित किया कि इंसान मुश्किल-से-मुश्किल हालात में भी यहोवा का वफादार रह सकता है। (अय्यू. 1:9-11)—प्र21.04, पेज 16-17.
जब लोग घर पर नहीं मिलते, तो उन्हें प्रचार करने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
हम किसी और समय पर उनसे मिलने की कोशिश कर सकते हैं, अलग-अलग जगह जाकर प्रचार कर सकते हैं और अलग तरीके आज़मा सकते हैं। जैसे, हम उन्हें खत लिख सकते हैं।—प्र21.05, पेज 15-16.
जब प्रेषित पौलुस ने कहा, ‘कानून के हिसाब से मैं मर गया हूँ,’ तो उसका क्या मतलब था? (गला. 2:19)
मूसा के कानून ने इसराएलियों को एहसास दिलाया कि वे पापी हैं और यह कानून उन्हें मसीह तक ले गया। (गला. 3:19, 24) इसी कानून की वजह से पौलुस ने मसीह पर विश्वास किया। इसके बाद वह ‘कानून के हिसाब से मर गया,’ यानी कानून का उस पर कोई ज़ोर नहीं रहा।—प्र21.06, पेज 31.
यहोवा धीरज रखने की सबसे अच्छी मिसाल क्यों है?
यहोवा कई बातों को बरदाश्त कर रहा है, जैसे उसके नाम पर लगा कलंक, उसकी हुकूमत का विरोध, उसके कुछ बच्चों की बगावत, शैतान के झूठे इलज़ाम, उसके प्यारे सेवकों की तकलीफें, अपने दोस्तों से बिछड़ने का गम, दुष्ट लोगों का अत्याचार और धरती की तबाही।—प्र21.07, पेज 9-12.
यूसुफ सब्र रखने के मामले एक बढ़िया मिसाल क्यों है?
उसके भाइयों ने उसके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। इस वजह से उस पर झूठा इलज़ाम लगाया गया और उसे सालों तक मिस्र में कैद रहना पड़ा।—प्र21.08, पेज 12.
हाग्गै 2:6-9, 20-22 के मुताबिक राष्ट्रों को किन तरीकों से हिलाया जाएगा?
परमेश्वर के राज के संदेश की वजह से कई राष्ट्र गुस्से में हैं, मगर कई लोग सच्चाई में भी आ रहे हैं। बहुत जल्द सब राष्ट्रों को आखिरी बार हिलाया जाएगा यानी उनका नाश कर दिया जाएगा।—प्र21.09, पेज 15-19.
हमें प्रचार सेवा में हार क्यों नहीं माननी चाहिए?
यहोवा हमारी मेहनत पर ध्यान देता है और खुश होता है। अगर हम हार नहीं मानेंगे तो हमें हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।—प्र21.10, पेज 25-26.
हम लैव्यव्यवस्था 19 से ‘अपना पूरा चालचलन पवित्र बनाए रखने’ की बात कैसे मान सकते हैं? (1 पत. 1:15)
यह बात शायद लैव्यव्यवस्था 19:2 से ली गयी है। अध्याय 19 में ऐसी बहुत-सी बातें बतायी गयी हैं, जिन्हें मानने से हम 1 पतरस 1:15 की सलाह हर दिन मान पाएँगे।—प्र21.12, पेज 3-4.