कोई भी बात आपको इनाम से दूर न कर दे
“कोई भी इंसान . . . तुम्हें उस इनाम से दूर न कर दे।”—कुलु. 2:18.
गीत: 32, 55
1, 2. (क) परमेश्वर के सेवक कौन-सा इनाम पाने का इंतज़ार कर रहे हैं? (ख) क्या बात इनाम पर ध्यान लगाए रखने में हमारी मदद कर सकती है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
अभिषिक्त मसीहियों के पास एक अनमोल आशा है। उन्हें ‘परमेश्वर ने ऊपर का बुलावा दिया है’ यानी उन्हें स्वर्ग में जीवन मिलेगा। प्रेषित पौलुस ने इस आशा को “इनाम” कहा। (फिलि. 3:14) स्वर्ग में अभिषिक्त जन यीशु मसीह के साथ उसके राज में हुकूमत करेंगे और इंसानों को परिपूर्ण बनने में मदद देंगे। (प्रका. 20:6) यह क्या ही बेहतरीन आशा है! दूसरी भेड़ों के लिए एक अलग इनाम रखा गया है। भविष्य में उन्हें खूबसूरत धरती पर हमेशा जीने की आशा है और इस आशा से उन्हें बेइंतिहा खुशी मिलती है।—2 पत. 3:13.
2 पौलुस चाहता था कि उसके साथी मसीही परमेश्वर के वफादार रहें और स्वर्ग में अपना इनाम पाएँ। इसलिए उसने उनसे कहा, “अपना ध्यान स्वर्ग की बातों पर लगाए रखो।” (कुलु. 3:2) उन्हें स्वर्ग में जीने की अपनी शानदार आशा के बारे में सोचते रहना था। (कुलु. 1:4, 5) जी हाँ, चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, यहोवा से मिलनेवाली आशीषों के बारे में सोचते रहने से हम अपना ध्यान इनाम पर लगाए रख पाएँगे।—1 कुरिं. 9:24.
3. पौलुस ने मसीहियों को किस बारे में खबरदार किया?
3 इनाम का ज़िक्र करने के बाद पौलुस ने मसीहियों को कुछ खतरों के बारे में बताया जो उनका इनाम उनसे छीन सकते हैं। मिसाल के लिए, उसने कुलुस्से की मंडली को उन झूठे भाइयों से सावधान रहने के लिए कहा, जो मसीह पर विश्वास करने के बजाय मूसा का कानून मानकर परमेश्वर को खुश करने की कोशिश कर रहे थे। (कुलु. 2:16-18) पौलुस ने उन खतरों के बारे में भी चर्चा की, जो आज हमारे दिनों में मौजूद हैं और हमें इनाम पाने से रोक सकते हैं जैसे नाजायज़ यौन-इच्छाएँ, परिवार में उठनेवाली समस्याएँ और मसीही भाई-बहनों के साथ मन-मुटाव। उसने समझाया कि हम कैसे इन खतरों का डटकर सामना कर सकते हैं। पौलुस की दी अनमोल सलाह हमारे लिए बहुत फायदेमंद है। आइए कुलुस्सियों की किताब में दी उन चेतावनियों पर ध्यान दें।
नाजायज़ यौन-इच्छाओं को मार डालो
4. नाजायज़ यौन-इच्छाएँ किस तरह हमें इनाम पाने से रोक सकती हैं?
4 मसीहियों को उनकी शानदार आशा याद दिलाने के बाद पौलुस ने लिखा, “अपने शरीर के उन अंगों को मार डालो जिनमें ऐसी लालसाएँ पैदा होती हैं जैसे, नाजायज़ यौन-संबंध, अशुद्धता, बेकाबू होकर वासनाएँ पूरी करना, बुरी इच्छाएँ और लालच।” (कुलु. 3:5) नाजायज़ यौन-इच्छाएँ बहुत ज़बरदस्त होती हैं और यहोवा के साथ हमारा रिश्ता तोड़ सकती हैं। साथ ही, भविष्य की हमारी आशा हमसे छीन सकती हैं। एक भाई अपनी यौन-इच्छाओं का गुलाम बन गया था मगर बाद में वह मंडली में लौट आया। उसने बताया कि ये इच्छाएँ किस कदर हम पर हावी हो सकती हैं। उसने कहा, “मैं खुद को रोक नहीं पाया। इससे पहले कि मुझे एहसास होता मैं इस जाल में फँस चुका था।”
5. हमें किन हालात में सावधान रहना चाहिए और कैसे खुद की हिफाज़त करनी चाहिए?
5 हमें खासकर उन हालात में सावधान रहना चाहिए जब हम यहोवा के नैतिक स्तरों के खिलाफ जाने के लिए लुभाए जा सकते हैं। मिसाल के लिए, जब एक लड़का-लड़की शादी के इरादे से मुलाकात करते हैं, तो उन्हें शुरू से ही एक-दूसरे को छूने, चूमने या अकेले रहने के मामले में हदें ठहरानी चाहिए। (नीति. 22:3) एक और खतरा तब आ सकता है जब एक मसीही बिज़नेस के सिलसिले में कहीं बाहर जाता है या ऑफिस में विपरीत लिंग के व्यक्ति के साथ काम करता है। (नीति. 2:10-12, 16) ऐसे में उसे क्या करना चाहिए? उसे साफ-साफ बताना चाहिए कि वह यहोवा का एक साक्षी है। उसे सलीके से पेश आना चाहिए और हमेशा याद रखना चाहिए कि विपरीत लिंग के व्यक्ति में दिलचस्पी लेने के बुरे अंजाम होते हैं। एक मसीही को तब भी सतर्क रहना चाहिए जब वह खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहा हो या निराश हो। ऐसे में अगर कोई भी आकर उससे हमदर्दी जताता है तो वह बड़ी आसानी से उसकी तरफ आकर्षित हो सकता है। यह बहुत बड़ा खतरा है! अगर आपके हालात भी उस मसीही जैसे हैं, तो ऐसा कुछ मत कीजिए जिससे आप इनाम से हाथ धो बैठें। बिना देर किए यहोवा से और भाई-बहनों से मदद लीजिए।—भजन 34:18; नीतिवचन 13:20 पढ़िए।
6. मनोरंजन चुनते वक्त हमें क्या याद रखना चाहिए?
6 नाजायज़ यौन-इच्छाओं को मार डालने के लिए यह ज़रूरी है कि हम अश्लील किस्म का मनोरंजन ठुकराएँ। आज ज़्यादातर मनोरंजन हमें सदोम और अमोरा के घिनौने कामों की याद दिलाते हैं। (यहू. 7) मनोरंजन की दुनिया में नाजायज़ यौन-संबंध को ऐसे पेश किया जाता है मानो यह सही हो और इससे कोई नुकसान नहीं होता। इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए कि मनोरंजन के नाम पर दुनिया हमारे सामने जो भी पेश करती है, हम उसे आँख मूँदकर स्वीकार न कर लें। हमें सोच-समझकर मनोरंजन चुनना चाहिए ताकि हमारा ध्यान इनाम से न हट जाए।—नीति. 4:23.
प्यार और कृपा का “पहनावा पहन लो”
7. मसीही मंडली में क्या समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं?
7 हमें इस बात की खुशी है कि हम मसीही मंडली 1 पतरस 3:8, 9 पढ़िए।
का हिस्सा हैं। हम सभाओं में परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं, एक-दूसरे से प्यार करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। इससे हम अपनी आँखें इनाम पर टिकाए रख पाते हैं। लेकिन कभी-कभी हम मसीही भाई-बहनों के बीच गलतफहमियाँ हो सकती हैं जिनसे समस्याएँ खड़ी हो जाएँ। अगर इन्हें सुलझाया न जाए तो हम अंदर-ही-अंदर गुस्से और कड़वाहट से भर सकते हैं।—8, 9. (क) इनाम पाने के लिए हममें कौन-से गुण होने चाहिए? (ख) अगर कोई भाई या बहन हमें ठेस पहुँचाता है, तो हम कैसे शांति बनाए रख सकते हैं?
8 हम कभी नहीं चाहेंगे कि गुस्से और कड़वाहट की वजह से हम अपना इनाम खो दें। इस बारे में पौलुस ने मसीहियों को समझाया, “इसलिए परमेश्वर के चुने हुओं के नाते तुम जो पवित्र और प्यारे हो, करुणा से भरपूर गहरे लगाव, कृपा, नम्रता, कोमलता और सब्र का पहनावा पहन लो। अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो भी एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करते रहो। जैसे यहोवा ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, तुम भी वैसा ही करो। मगर इन सब बातों के अलावा, प्यार का पहनावा पहन लो क्योंकि यह पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ है।”—कुलु. 3:12-14.
9 प्यार और कृपा का गुण होने से हम दूसरों को माफ कर पाते हैं। अगर कोई हमें अपनी बातों या कामों से ठेस पहुँचाता है, तो हम उन मौकों के बारे में सोच सकते हैं जब हमने अपनी बातों या कामों से दूसरों को ठेस पहुँचायी थी और उन्होंने हमें माफ किया था। हम उनके प्यार और कृपा के लिए कितने एहसानमंद थे! (सभोपदेशक 7:21, 22 पढ़िए।) हम मसीह के शुक्रगुज़ार हैं कि उसने सच्चे मसीहियों को एकता के बंधन में बाँधा है। (कुलु. 3:15) हम सब एक ही परमेश्वर से प्यार करते हैं, एक ही संदेश का प्रचार करते हैं और एक ही तरह की समस्याओं का सामना करते हैं। अगर हम एक-दूसरे के साथ प्यार और कृपा से पेश आएँ और भाई-बहनों को माफ करें तो मंडली में एकता होगी और हम सब इनाम पर ध्यान लगा पाएँगे।
10, 11. (क) जलन की भावना क्यों खतरनाक है? (ख) हम कैसे पक्का कर सकते हैं कि यह भावना हमें इनाम से दूर न ले जाएँ?
10 जलन की भावना भी एक इंसान को इनाम से दूर ले जा सकती है। बाइबल में ऐसी कई मिसालें दी गयी हैं जो बताती हैं कि जलन रखना कितना खतरनाक हो सकता है। कैन अपने भाई हाबिल से जलने लगा और उसने उसका खून कर दिया। कोरह, दातान और अबीराम भी मूसा से जलते थे और इसी वजह से उन्होंने बगावत की। राजा शाऊल दाविद से जलने लगा था और उसने उसे जान से मारने की कोशिश की। बाइबल एकदम सही बताती है, “जहाँ जलन और झगड़े होते हैं, वहाँ गड़बड़ी और हर तरह की बुराई भी होगी।”—याकू. 3:16.
11 अगर हमारे अंदर प्यार और कृपा का गुण होगा, तो हम दूसरों से जलेंगे नहीं। बाइबल बताती है, “प्यार सब्र रखता है और कृपा करता है। प्यार जलन नहीं रखता।” (1 कुरिं. 13:4) जलन की भावना कहीं हमारी शख्सियत का हिस्सा न बन जाए, इसके लिए ज़रूरी है कि हम यहोवा का नज़रिया अपनाएँ। उसकी नज़र में हम सब एक ही शरीर के अलग-अलग अंग हैं यानी मंडली का हिस्सा हैं। बाइबल बताती है, “अगर एक अंग इज़्ज़त पाता है, तो बाकी सभी अंग उसके साथ खुश होते हैं।” (1 कुरिं. 12:16-18, 26) इसलिए जब किसी भाई के साथ कुछ अच्छा होता है, तो हम उससे जलेंगे नहीं बल्कि खुश होंगे। राजा शाऊल के बेटे योनातान की बढ़िया मिसाल के बारे में सोचिए। जब उसकी जगह दाविद को राजा चुना गया तो वह जलन से नहीं भर गया। इसके बजाय, उसने दाविद की हिम्मत बँधायी और उसका पूरा-पूरा साथ दिया। (1 शमू. 23:16-18) क्या हम भी योनातान की तरह प्यार और कृपा करनेवाले इंसान हैं?
एक परिवार के नाते इनाम पाइए
12. बाइबल की कौन-सी सलाह पर चलकर आप एक परिवार के नाते अपना इनाम पा सकते हैं?
12 जब परिवार का हर सदस्य बाइबल के सिद्धांतों पर चलता है तो परिवार में सुख और शांति होती कुलु. 3:18-21) वाकई, यह सलाह परिवार में हर किसी के लिए बहुत फायदेमंद है।
है। साथ ही, इससे एक परिवार के नाते आप अपना इनाम जीत पाएँगे। पौलुस ने परिवार के लिए यह बुद्धि-भरी सलाह दी, “हे पत्नियो, अपने-अपने पति के अधीन रहो, जैसा प्रभु के चेलों को शोभा देता है। हे पतियो, अपनी-अपनी पत्नी से प्यार करते रहो और उन पर गुस्से से आग-बबूला मत हो। हे बच्चो, हर बात में अपने माता-पिता का कहना माननेवाले बनो क्योंकि प्रभु इससे खुश होता है। हे पिताओ, अपने बच्चों को खीज न दिलाओ, कहीं ऐसा न हो कि वे हिम्मत हार बैठें।” (13. एक मसीही बहन क्या कर सकती है जिससे उसका पति यहोवा के बारे में सीखना चाहे?
13 आप शायद एक ऐसी बहन हों जिसका पति यहोवा की सेवा नहीं करता। आपको लगे कि आपका पति आपके साथ अच्छे से पेश नहीं आता। ऐसे में आप क्या करेंगे? हो सकता है, आपको गुस्सा आए और आप उससे बहस करने लगे। लेकिन क्या इससे हालात सुधरेंगे? अगर आप बहस जीत भी जाएँ तो भी क्या आप उसका दिल जीत पाएँगे और उसे सच्चाई सीखने के लिए कायल कर पाएँगे? शायद नहीं। लेकिन अगर आप इस बात को समझें कि वह परिवार का मुखिया है और उसका आदर करें, तो इससे आपके परिवार में शांति का माहौल रहेगा और यहोवा की महिमा होगी। यह भी हो सकता है कि आपकी अच्छी मिसाल देखकर आपका पति यहोवा के बारे में सीखना चाहे और आप दोनों को जीवन का इनाम मिले।—1 पतरस 3:1, 2 पढ़िए।
14. अगर आपकी अविश्वासी पत्नी आपका आदर नहीं करती, तो आपको क्या करना चाहिए?
इफि. 5:23) यीशु मंडली का मुखिया है और वह हमेशा मंडली के साथ प्यार और सब्र से पेश आता है। (लूका 9:46-48) अगर आप यीशु की मिसाल पर चलें, तो शायद एक दिन आपकी पत्नी भी आपके साथ यहोवा की सेवा करने लगे।
14 हो सकता है, आप एक ऐसे भाई हों जिसकी पत्नी यहोवा की सेवा नहीं करती। आपको शायद लगे कि वह आपका आदर नहीं करती। ऐसे में आप क्या करेंगे? अगर आप उस पर चीखें-चिल्लाएँ और यह जताने की कोशिश करें कि आप घर के मुखिया हैं तो क्या वह आपका आदर करेगी? बिलकुल नहीं! परमेश्वर चाहता है कि आप यीशु की मिसाल पर चलें और अपनी पत्नी के साथ प्यार से पेश आएँ। (15. एक मसीही पति कैसे दिखा सकता है कि वह अपनी पत्नी से प्यार करता है?
15 यहोवा पतियों से कहता है, “हे पतियो, अपनी-अपनी पत्नी से प्यार करते रहो और उन पर गुस्से से आग-बबूला मत हो।” (कुलु. 3:19) एक प्यार करनेवाला पति अपनी पत्नी का आदर करेगा। कैसे? वह उसकी राय सुनेगा और उसे यकीन दिलाएगा कि उसकी राय उसके लिए बहुत अहमियत रखती है। (1 पत. 3:7) हो सकता है, हर मामले में आप वह न करें जो वह चाहती है, फिर भी अपनी पत्नी की सुनिए। इससे आप बढ़िया फैसले कर पाएँगे। (नीति. 15:22) प्यार करनेवाला पति कभी अपनी पत्नी से ज़बरदस्ती आदर पाने की कोशिश नहीं करेगा। इसके बजाय, वह उसका आदर पाने के लिए मेहनत करेगा। जब एक पति अपनी पत्नी और बच्चों से प्यार करता है, तो परिवार खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करेगा और जीवन का इनाम पाएगा।
नौजवानो—कोई भी बात आपको इनाम से दूर न ले जाए!
16, 17. जब नौजवानों को अपने माता-पिता पर गुस्सा आता है, तो वे क्या कर सकते हैं?
16 हो सकता है, आप एक नौजवान हों और आपको लगे कि आपके माता-पिता आपको नहीं समझते या आपके साथ कुछ ज़्यादा ही सख्ती बरतते हैं। यह बात शायद आपको इतना गुस्सा दिलाए कि आप यह सोचने लगें कि यहोवा की सेवा करने का क्या फायदा। लेकिन अगर आप यहोवा को छोड़ दें, तो इस दुनिया में कोई आपको उतना प्यार नहीं करेगा जितना आपके माता-पिता और मंडली के भाई-बहन आपसे करते हैं।
17 इस बारे में सोचिए: अगर आपके माता-पिता आपको समझाएँगे और सुधारेंगे नहीं, तो आप कैसे जान पाएँगे कि उन्हें आपकी फिक्र है? (इब्रा. 12:8) माना कि वे परिपूर्ण नहीं और समझाने-सुधारने का उनका तरीका शायद आपको अच्छा न लगे। लेकिन उनके तरीके पर ध्यान मत दीजिए। इसके बजाय, यह समझने की कोशिश कीजिए कि वे जो कहते और करते हैं, उसके पीछे क्या वजह है। शांत रहिए और गुस्से से मत भड़किए। बाइबल बताती है, “जिसमें सच्चा ज्ञान होता है, वह सँभलकर बोलता है, जिसमें समझ होती है, वह शांत रहता है।” (नीति. 17:27) एक प्रौढ़ इंसान की तरह पेश आइए जो सलाह मिलने पर उसे कबूल करता है और उससे सीखता है, फिर चाहे वह सलाह किसी भी अंदाज़ में दी गयी हो। (नीति. 1:8) हमेशा याद रखिए, परमेश्वर से प्यार करनेवाले माता-पिता सचमुच एक आशीष हैं। वे चाहते हैं कि आप हमेशा-हमेशा तक जीएँ और खुश रहें।
18. आपने क्यों ठान लिया है कि आप अपनी आँखें इनाम पर टिकाए रखेंगे?
18 चाहे हमें स्वर्ग में जीने की आशा हो या धरती पर, हम सभी एक शानदार भविष्य की आस रख सकते हैं। हमारी आशा पक्की है क्योंकि पूरे विश्व के सृष्टिकर्ता ने हमें यह आशा दी है। उसने वादा किया है, “पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से . . . भर जाएगी।” (यशा. 11:9) जी हाँ, बहुत जल्द दुनिया में हर इंसान यहोवा का सिखाया हुआ होगा। वह क्या ही बढ़िया इनाम होगा और उसे पाने के लिए हमें जो भी मेहनत करनी पड़े वह हम करेंगे। तो फिर आइए यहोवा के वादों पर अपना ध्यान लगाए रखें और याद रखें कि इनाम पाने से कोई भी बात हमें न रोके!