यहोवा पर भरोसा रखें और हमेशा जीएँ!
“तू अपनी समझ का सहारा न लेना, बल्कि पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखना।”—नीति. 3:5.
1. हम सबको दिलासा क्यों चाहिए?
हम सबको दिलासे की ज़रूरत पड़ती है। हम सबकी ज़िंदगी में कुछ-न-कुछ दुख, निराशा या चिंता होती है। शायद हम किसी बीमारी से जूझ रहे हों, हमारी उम्र ढल रही हो या हमारे किसी अपने की मौत हो गयी हो। हो सकता है कि हममें से कुछ लोगों के साथ बुरा सलूक किया जा रहा हो। इसके अलावा चारों तरफ हिंसा बढ़ती जा रही है। यह वाकई ‘संकटों से भरा वक्त’ है, जिससे साबित होता है कि हम “आखिरी दिनों” में जी रहे हैं और बहुत जल्द नयी दुनिया आनेवाली है। (2 तीमु. 3:1) लेकिन शायद हम यहोवा के वादों के पूरे होने का लंबे अरसे से इंतज़ार कर रहे हों और हमारी परेशानियाँ बढ़ती जा रही हों। ऐसे में हमें दिलासा कहाँ से मिल सकता है?
2, 3. (क) हबक्कूक के बारे में हम क्या जानते हैं? (ख) हमें हबक्कूक की किताब का अध्ययन क्यों करना चाहिए?
2 आइए बाइबल में हबक्कूक नाम की किताब पर ध्यान दें। इससे हमें काफी हौसला मिल सकता है। शायद हबक्कूक नाम का मतलब है, “प्यार से गले लगाना।” यह बात यहोवा पर भी लागू हो सकती है और उसके उपासकों पर भी। जब यहोवा हमें दिलासा देता है, तो वह मानो हमें गले लगा लेता है या फिर जब हम उस पर भरोसा करते हैं, तो मानो हम उसे कसकर पकड़ लेते हब. 2:2.
हैं। हालाँकि बाइबल हबक्कूक के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं बताती, लेकिन उसकी किताब में यहोवा और उसके बीच हुई बातचीत दर्ज़ है, जिसमें वह यहोवा से कुछ सवाल करता है। यहोवा ने यह बातचीत इसलिए दर्ज़ करवायी, ताकि आगे चलकर हमें इससे फायदा हो।—3 इस बातचीत से हम इस भविष्यवक्ता के बारे में भी कुछ जान पाते हैं, जो उस वक्त दुखी था। उसकी किताब परमेश्वर के वचन का भाग है, जिसकी ‘बातें पहले से इसलिए लिखी गयीं कि शास्त्र से हमें धीरज धरने में मदद मिले और हम दिलासा पाएँ ताकि हमारे पास आशा हो।’ (रोमि. 15:4) हबक्कूक की किताब से हमें निजी तौर पर मदद कैसे मिल सकती है? इससे हम जान पाएँगे कि यहोवा पर भरोसा करने का मतलब क्या है। हबक्कूक की भविष्यवाणी से हमारा यह यकीन बढ़ता है कि चाहे हम पर कितनी भी समस्याएँ या आज़माइशें आएँ, फिर भी हम मन की शांति पा सकते हैं।
यहोवा से प्रार्थना कीजिए
4. हबक्कूक दुखी क्यों था?
4 हबक्कूक 1:2, 3 पढ़िए। हबक्कूक बहुत मुश्किल वक्त में जीया था। उसके अपने लोग हिंसा और बुरे-बुरे काम कर रहे थे। जहाँ देखो, वहाँ इसराएली अन्याय कर रहे थे और लोगों पर ज़ुल्म ढा रहे थे। यह सब देखकर वह बहुत दुखी हो जाता था। वह सोचता होगा, ‘यह दुष्टता कब खत्म होगी? यहोवा कुछ करता क्यों नहीं? वह इतनी देर क्यों कर रहा है?’ वह बहुत बेबस महसूस कर रहा था, इसलिए उसने यहोवा से बिनती की कि वह कुछ करे। शायद हबक्कूक को लगने लगा था कि यहोवा को अब अपने लोगों की कोई परवाह नहीं है या अभी उसके कार्रवाई करने में बहुत देर है। क्या कभी आपके मन में भी ऐसे खयाल आए?
5. हबक्कूक की किताब से हम क्या सीखते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
5 क्या ये सवाल करने का मतलब था कि हबक्कूक का यहोवा और उसके वादों पर से भरोसा उठ गया था? बिलकुल नहीं। दरअसल जिस बात से वह परेशान था, उसके लिए वह यहोवा से मदद माँग रहा था। यह दिखाता है कि उसने उम्मीद नहीं छोड़ी थी, उसे अब भी यहोवा पर भरोसा था। लेकिन उसे कुछ चिंताएँ सता रही थीं और वह बड़ी उलझन में था। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यहोवा ने अभी तक कुछ किया क्यों नहीं, क्यों वह उसे इतनी तकलीफों से गुज़रने दे रहा है। उसकी ये सारी परेशानियाँ यहोवा ने अपने वचन में दर्ज़ करवायीं। इससे हम एक अहम बात सीखते हैं। हमारे मन में जो चिंताएँ या शंकाएँ हैं, वे यहोवा को बताने से हमें कभी नहीं झिझकना चाहिए। दरअसल वह कहता है कि हम उससे प्रार्थना करें और उसे अपने दिल का पूरा हाल कह सुनाएँ। (भज. 50:15; 62:8) नीतिवचन 3:5 में हमें बढ़ावा दिया गया है, “तू अपनी समझ का सहारा न लेना, बल्कि पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखना।” हबक्कूक ने यह सलाह अपनी ज़िंदगी में लागू की।
6. प्रार्थना करना क्यों ज़रूरी है?
6 हबक्कूक ने अपने दोस्त और पिता यहोवा पर भरोसा रखा और उसके करीब आने की कोशिश की। उसने अपने हालात के बारे में सिर्फ चिंता नहीं की और न ही अपने बलबूते उन्हें ठीक करने की कोशिश की, बल्कि यहोवा से प्रार्थना की और अपने मन की सारी बात उसे बतायी। हबक्कूक हम सबके लिए कितनी अच्छी मिसाल है! यहोवा प्रार्थना का सुननेवाला है और वह चाहता है कि हम प्रार्थना करके और अपने दिल की सारी बात बताकर उस पर अपना भरोसा ज़ाहिर करें। (भज. 65:2) ऐसा करने से हम महसूस कर पाएँगे कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है, हमें दिलासा देकर और हमारा मार्गदर्शन करके मानो हमें प्यार से गले लगाता है। (भज. 73:23, 24) वह यह समझने में हमारी मदद करेगा कि हम जिन हालात से गुज़रते हैं, उन्हें वह किस नज़र से देखता है। यहोवा से प्रार्थना करना उस पर भरोसा ज़ाहिर करने का एक बढ़िया तरीका है।
यहोवा की सुनिए
7. जब हबक्कूक ने अपनी परेशानी यहोवा को बतायी, तब यहोवा ने क्या किया?
7 हबक्कूक 1:5-7 पढ़िए। अपनी चिंताएँ यहोवा को बताने के बाद हबक्कूक ने सोचा होगा कि पता नहीं, यहोवा क्या करेगा। लेकिन एक प्यार करनेवाले पिता की तरह यहोवा ने समझा कि हबक्कूक के मन में क्या चल रहा है। उसे पता था कि हबक्कूक बहुत दुखी है और उससे मदद माँग रहा है। इस वजह से यहोवा ने हबक्कूक को डाँटा नहीं, बल्कि उसे बताया कि बहुत जल्द वह विश्वासघाती यहूदियों के साथ क्या करनेवाला है। दरअसल शायद हबक्कूक ही वह पहला व्यक्ति था, जिसे यहोवा ने बताया कि यहूदियों को जल्द ही सज़ा मिलनेवाली है।
8. यहोवा की बात सुनकर हबक्कूक उलझन में क्यों पड़ गया?
8 यहोवा ने हबक्कूक को बताया कि वह बस कदम उठाने ही वाला है। वह कसदियों यानी बैबिलोन के लोगों के ज़रिए यहूदा के दुष्ट और हिंसक लोगों को सज़ा देगा। यह “तुम्हारे दिनों में” होगा, यह कहकर यहोवा ने बताया कि हबक्कूक के जीते-जी या उस समय के इसराएलियों के दिनों में ही सज़ा दी जाएगी। यहोवा की बात सुनकर हबक्कूक उलझन में पड़ गया। बैबिलोन के लोग बहुत क्रूर थे, वे तो इसराएलियों से भी ज़्यादा हिंसक थे। इसराएली कम-से-कम यहोवा के स्तर जानते थे, मगर बैबिलोन के लोगों को तो इनकी कोई परवाह नहीं थी। फिर यहोवा ऐसे विधर्मी राष्ट्र के ज़रिए अपने लोगों को सज़ा देने की क्यों सोच रहा है? इससे तो यहूदा में मुसीबतें बढ़ जाएँगी। * अगर आप हबक्कूक की जगह होते, तो आपको कैसा लगता?
9. हबक्कूक ने और कौन-से सवाल किए?
9 हबक्कूक 1:12-14, 17 पढ़िए। हबक्कूक यह तो समझ गया था कि यहोवा बैबिलोन के ज़रिए दुष्ट लोगों को सज़ा देगा, मगर वह अब भी उलझन में था। ऐसे में भी वह नम्र रहा और उसने ठान लिया कि वह यहोवा पर भरोसा करना नहीं छोड़ेगा। उसने कहा कि यहोवा अब भी उसकी “चट्टान” है। (व्यव. 32:4; यशा. 26:4) उसे यकीन था कि यहोवा प्यार करनेवाला और दयालु परमेश्वर है, इसलिए उसने यहोवा से कुछ और सवाल किए। जैसे, परमेश्वर यहूदा के हालात बदतर क्यों होने देगा? वह अपने लोगों की मुसीबतें और क्यों बढ़ाएगा? वह अभी कुछ क्यों नहीं करता? यहोवा तो सर्वशक्तिमान और “पवित्र परमेश्वर” है और ‘उसकी आँखें इतनी शुद्ध हैं कि वह बुराई देख नहीं सकता,’ फिर वह “खामोश” क्यों है? वह दुष्टता बरदाश्त क्यों कर रहा है?
10. कभी-कभी हमें हबक्कूक की तरह क्या लग सकता है?
10 आज हम भी यहोवा की सुनते हैं, उस पर भरोसा करते हैं, उसका वचन पढ़ते और उसका अध्ययन करते हैं, जिससे हमारी आशा पक्की होती है। हम उसके संगठन से उसके वादों के बारे में भी सीखते रहते हैं। इसके बावजूद कभी-कभी हमें हबक्कूक की तरह लग सकता है कि हमारी तकलीफें कब खत्म होंगी। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं? हबक्कूक ने यहोवा से सवाल करने के बाद जो किया, उससे हम काफी कुछ सीख सकते हैं।
यहोवा के कदम उठाने का इंतज़ार कीजिए
11. हबक्कूक ने क्या ठान लिया था?
11 हबक्कूक 2:1 पढ़िए। यहोवा से बात करके हबक्कूक को मन की शांति मिली। उसने ठान लिया कि वह उस वक्त का इंतज़ार करेगा, जब यहोवा कदम उठाएगा। उसका यह इरादा बहुत पक्का था। यह हमें उस बात से पता चलता है, जो उसने बाद में कही थी, “मैं शांत होकर संकट के दिन का इंतज़ार करूँगा।” (हब. 3:16) यहोवा के दूसरे वफादार सेवकों ने भी उसके वक्त का इंतज़ार किया। उन सबसे हमें बढ़ावा मिलता है कि हम भी यहोवा के वक्त का इंतज़ार करें।—मीका 7:7; याकू. 5:7, 8.
12. हबक्कूक से हम क्या सीख सकते हैं?
12 हबक्कूक के पक्के इरादे से हम क्या सीख सकते हैं? पहली बात, हमें यहोवा से प्रार्थना करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए फिर चाहे हम पर कैसी भी समस्याएँ क्यों न आएँ। दूसरी, यहोवा अपने वचन और संगठन के ज़रिए जो कुछ हमें बताता है, वह हमें सुनना चाहिए। तीसरी, हमें यहोवा के कदम उठाने का इंतज़ार करना चाहिए और भरोसा रखना चाहिए कि वह सही वक्त पर हमारी दुख-तकलीफें खत्म करेगा। हबक्कूक की मिसाल पर चलने से हमें मन की शांति मिलेगी और हम धीरज रख पाएँगे। चाहे हम पर कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएँ, अपनी आशा की वजह से हम सब्र रख पाएँगे और खुश रहेंगे। हमें पूरा भरोसा है कि हमारा पिता यहोवा ज़रूर कदम उठाएगा।—रोमि. 12:12.
13. यहोवा ने हबक्कूक को दिलासा कैसे दिया?
13 हबक्कूक 2:3 पढ़िए। बेशक यहोवा खुश था कि हबक्कूक ने उसके वक्त का इंतज़ार किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अच्छी तरह समझता था कि हबक्कूक पर क्या बीत रही है, इसलिए उसने उसे दिलासा दिया। उसने प्यार से उसे यकीन दिलाया कि वह जल्द ही उसकी परेशानी दूर करेगा। एक तरह से यहोवा उससे कह रहा था, “सब्र रख, मुझ पर भरोसा रख। भले ही ऐसा लगे कि देर हो रही है, मगर मैं तेरी प्रार्थना ज़रूर सुनूँगा।” यहोवा ने हबक्कूक को याद दिलाया कि वह अपने वादे पूरे करने का समय तय कर चुका है। उसने हबक्कूक से कहा कि वह इंतज़ार करे। उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।
14. मुश्किलें आने पर हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?
14 हमें भी यहोवा के कदम उठाने का इंतज़ार करना चाहिए और उसकी बातें ध्यान से सुननी चाहिए। इससे हम उस पर भरोसा कर पाएँगे और हमें मन की शांति मिलेगी, फिर चाहे हम पर कितनी भी मुश्किलें आएँ। यीशु ने भी कहा था कि हम उस “समय या दौर” के बारे में चिंता न करें, जिसके बारे में यहोवा ने हमें नहीं बताया है। (प्रेषि. 1:7) हमें भरोसा रखना चाहिए कि यहोवा कार्रवाई करने का सही वक्त जानता है। इस वजह से हमें हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि नम्र रहना चाहिए, सब्र रखना चाहिए और परमेश्वर पर विश्वास करना चाहिए। इस दौरान हमें अपना समय बुद्धिमानी से इस्तेमाल करना चाहिए और हमसे जितना हो सके, यहोवा की सेवा करते रहना चाहिए।—मर. 13:35-37; गला. 6:9.
यहोवा पर भरोसा रखनेवालों को जीवन मिलेगा
15, 16. (क) हबक्कूक की किताब में कौन-से वादे दर्ज़ हैं? (ख) इन वादों से हमें क्या पता चलता है?
15 यहोवा वादा करता है, “जो नेक है, वह अपने विश्वास से ज़िंदा रहेगा” और ‘पृथ्वी यहोवा की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी।’ (हब. 2:4, 14) जो लोग सब्र रखते हैं और यहोवा पर भरोसा करते हैं, उन्हें वह हमेशा की ज़िंदगी देने का वादा करता है।
16 हबक्कूक 2:4 में दिया वादा इतना अहम है कि प्रेषित पौलुस ने अपनी चिट्ठियों में इसका तीन बार ज़िक्र किया! (रोमि. 1:17; गला. 3:11; इब्रा. 10:38) चाहे हम कितनी भी मुश्किलों से गुज़रें, यहोवा पर भरोसा रखने से यकीनन हम उसके वादे पूरे होते देखेंगे। यहोवा चाहता है कि हम भविष्य की अपनी आशा पर ध्यान लगाएँ।
17. यहोवा पर भरोसा रखनेवालों से क्या वादा किया गया है?
17 हबक्कूक की किताब से इन आखिरी दिनों में हम सबको कितनी बढ़िया सीख मिलती है। यहोवा उन सभी नेक लोगों को हमेशा की ज़िंदगी देने का वादा करता है, जो उस पर भरोसा करते हैं। इस वजह से आइए हम उस पर अपना भरोसा बढ़ाते रहें, फिर चाहे हमें कितनी ही चिंताएँ और परेशानियाँ हों। यहोवा ने हबक्कूक से जो बात कही, उससे हमारा यकीन बढ़ता है कि वह हमारी मदद मत्ती 5:5; इब्रा. 10:36-39.
करेगा और हमें बचाएगा। वह प्यार से हमसे कहता है कि हम उस पर भरोसा रखें और उस वक्त का इंतज़ार करें, जब उसका राज इस धरती पर शासन करेगा। वह वक्त उसने पहले से तय कर दिया है। उस दौरान धरती पर सिर्फ कोमल स्वभाव के लोग होंगे, जो खुश रहेंगे और यहोवा की उपासना करेंगे।—यहोवा पर भरोसा रखिए और खुश रहिए
18. यहोवा की बातों का हबक्कूक पर कैसा असर हुआ?
18 हबक्कूक 3:16-19 पढ़िए। यहोवा की बातों का हबक्कूक पर गहरा असर हुआ। यहोवा ने बीते समय में अपने लोगों की खातिर जो बड़े-बड़े काम किए थे, उन पर हबक्कूक ने गहराई से सोचा। इससे यहोवा पर उसका भरोसा बढ़ा। उसे यकीन हो गया कि यहोवा जल्द ही कार्रवाई करेगा! इस बात से उसे बहुत दिलासा मिला, जबकि वह जानता था कि उसे कुछ समय तक तकलीफें सहनी पड़ेंगी। अब हबक्कूक के मन में कोई शंका नहीं रह गयी थी। इसके बजाय उसे पूरा भरोसा था कि यहोवा उसे बचाएगा। दरअसल आयत 18 में उसने जो पक्का भरोसा ज़ाहिर किया, वैसा भरोसा पूरी बाइबल में शायद ही किसी ने ज़ाहिर किया हो। कुछ विद्वानों का मानना है कि हबक्कूक के कहने का मतलब कुछ यह था, “मैं प्रभु की वजह से खुशी से झूम उठूँगा। मैं परमेश्वर की वजह से मगन होकर नाचूँगा।” हम सबके लिए कितनी अच्छी सीख! यहोवा ने भविष्य के बारे में न सिर्फ बढ़िया वादे किए हैं, बल्कि उसने हमें यकीन भी दिलाया है कि बहुत जल्द वह उन वादों को पूरा करेगा।
19. जो दिलासा हबक्कूक को यहोवा से मिला, वह हमें कैसे मिल सकता है?
19 हबक्कूक की किताब से हमें यह अहम सीख मिलती है कि हम यहोवा पर भरोसा रखें। (हब. 2:4) यह भरोसा कभी कम न हो, इसके लिए हमें उसके साथ अपना रिश्ता मज़बूत करते रहना होगा। इसलिए (1) हमें यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए, अपनी सारी चिंताएँ और परेशानियाँ उसे बतानी चाहिए। (2) यहोवा अपने वचन के ज़रिए हमसे जो कहता है, उसे हमें ध्यान से सुनना चाहिए और उसके संगठन से मिलनेवाली सारी हिदायतें माननी चाहिए। (3) जब तक यहोवा अपने वादे पूरे नहीं करता, तब तक हमें सब्र रखना चाहिए और उसके वफादार रहना चाहिए। यह सब हबक्कूक ने किया था। जब उसने यहोवा से बातचीत शुरू की थी, तब वह बहुत दुखी था, लेकिन बातचीत खत्म होते-होते उसका हौसला बढ़ गया और उसे बहुत खुशी मिली। अगर हम हबक्कूक की मिसाल पर चलें, तो हमें अपने पिता यहोवा से दिलासा मिलेगा या यूँ कहें कि वह हमें प्यार से गले लगाएगा। इस दुष्ट दुनिया में इससे बढ़कर दिलासा और किस बात से मिल सकता है!
^ पैरा. 8 हबक्कूक 1:5 में “तुम” शब्द बहुवचन में है, जिससे पता चलता है कि इस विपत्ति का असर यहूदा के सब लोगों पर होता।