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तारे और मानव क्या कोई संबंध है?

तारे और मानव क्या कोई संबंध है?

तारे और मानव क्या कोई संबंध है?

तारों पर नज़र रखना कोई नयी बात नहीं है। द वर्ल्ड बुक एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, हज़ारों वर्ष पूर्व किसान “तारों पर नज़र रखते थे यह जानने के लिए कि कब अपनी फ़सल लगाएँ। यात्रियों ने दिशाओं को जानने के लिए तारों का प्रयोग करना सीखा।” आज भी अंतरिक्ष यात्रा में, तारों को मार्गदर्शकों के रूप में प्रयोग किया जाता है। प्राचीन लोगों ने ऐसे व्यक्‍तियों और जानवरों की दंतकथाएँ भी गढ़ीं जो उन्हें लगा कि तारों के समूहों या नक्षत्रों में चित्रित होते थे। कुछ समय बाद लोग यह महसूस करने लगे कि तारे उनके जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।

तारों की विशाल संख्या

तारों की मात्र संख्या और आकार ही विस्मय उत्पन्‍न करते हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि विश्‍वमंडल में लगभग एक खरब आकाशगंगाएँ या तारों के विशाल समूह हैं! द इन्टरनैशनल एनसाइक्लोपीडिया ऑफ एस्ट्रॉनोमी (अंग्रेज़ी) कहती है: “वह संख्या उतनी है जितना कि एक औसत बड़ी गिरजा इमारत में चावल के दाने ठसाठस भरे जा सकते हैं।” दुग्ध मेखला (Milky Way) आकाशगंगा में, जिसका एक भाग हमारा सौर मंडल है, कम-से-कम उतनी संख्या में तारे हैं। अल्फा सेन्तौरी समूह का एक तारा, जो (सूर्य को छोड़) हमारी पृथ्वी के सबसे निकट है, लगभग ४.३ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है। एक प्रकाश-वर्ष उतना फ़ासला है जितना प्रकाश एक वर्ष में तय करता है। इसका अर्थ है कि जब हम उस तारे को देखते हैं, हमारी आँख में प्रवेश करनेवाला प्रकाश ४.३ प्रकाश-वर्ष पहले तारे से निकला था और उस सारे समय के दौरान अंतरिक्ष में २,९९,७९२ किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा कर रहा था। इसमें अंतर्ग्रस्त फ़ासले की कल्पना करना हमारी मानसिक योग्यता से परे है। फिर भी, वह मात्र निकटतम तारा है। कुछ तारे हमारी आकाशगंगा से अरबों प्रकाश-वर्ष दूर हैं। इसमें आश्‍चर्य नहीं कि परमेश्‍वर के भविष्यवक्‍ता ने घोषणा की: “देखो, जातियां तो डोल की एक बून्द वा पलड़ों पर की धूलि के तुल्य ठहरीं; देखो, वह द्वीपों को धूलि के किनकों सरीखे उठाता है।” (यशायाह ४०:१५) एक धूल के तिनके की परवाह कौन करता है?

पृथ्वी से सबसे निकटतम आकाशीय ग्रह चंद्रमा है, जो हमारी पृथ्वी पर एक सुनिश्‍चित प्रभाव डालता है। इसका गुरुत्वाकर्षण कुछ जगहों पर उच्च ज्वारभाटा और निम्न ज्वारभाटा में १५ मीटर से अधिक का अंतर भी लाता है। तीन फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के अनुसार, अब यह माना जाता है कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी को उसकी कक्षा में २३ डिग्री झुकी हुई रखता है और इस तरह मौसम का नियमित परिवर्तन सुनिश्‍चित करता है। [प्रकृति, (अंग्रेज़ी) फरवरी १८, १९९३] हमारे ग्रह पर चंद्रमा इतना भौतिक प्रभाव डालता है, इसलिए यह पूछना तर्कसंगत होगा कि अरबों तारों के बारे में क्या? लेकिन पहले, बाइबल जैसे प्राचीन स्रोत तारों के बारे में हमें क्या बताते हैं?

शास्त्रवचनों में तारे

बाइबल में आक्षरिक और प्रतीकात्मक दोनों अर्थ में, तारों के अनेक संदर्भ दिए गए हैं। उदाहरण के लिए एक भजनहार के अनुसार, सृष्टिकर्ता ने “रात पर प्रभुता करने के लिये चन्द्रमा और तारों” को बनाया, ताकि तारे पृथ्वी के लिए प्रकाश उपलब्ध करने में सहायता करें। (भजन १३६:९, तना) बाद में, विश्‍वासी इब्राहीम के साथ वाचा बान्धते समय परमेश्‍वर ने कहा: “आकाश की ओर दृष्टि करके तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है? फिर उस ने उस से कहा, तेरा वंश ऐसा ही होगा।” (उत्पत्ति १५:५) प्रेरित पौलुस बताता है कि तारों में भिन्‍नताएँ होती हैं, उसने कहा: “सूर्य का तेज और है, चान्द का तेज और है, और तारागणों का तेज और है, (क्योंकि एक तारे से दूसरे तारे के तेज में अन्तर है)।” * (१ कुरिन्थियों १५:४१) उसी समय, तारों की यह विशाल संख्या और उनका तेज उनके सृष्टिकर्ता के क्षेत्र या नियंत्रण से बाहर नहीं है: “वह तारों को गिनता, और उन में से एक एक का नाम रखता है।”—भजन १४७:४.

दूसरी ओर, शास्त्रवचनों में हम पाते हैं कि तारों को अकसर व्यक्‍ति, शासक और स्वर्गदूतों का उल्लेख करने के लिए प्रयोग किया गया है। याकूब के पुत्र यूसुफ ने एक स्वप्न देखा जिसमें उसके माता-पिता “सूर्य और चन्द्रमा” के तौर पर और उसके भाई ‘तारों’ के तौर पर चित्रित किए गए थे। स्वर्गदूतों का उल्लेख ‘भोर के तारों’ के तौर पर किया गया है। बाबुल के राजा के बारे में कहा गया है कि उसे ‘ईश्‍वर के तारागणों,’ अर्थात्‌ इस्राएल राष्ट्र में दाऊद के वंश के शासकों से ऊँचा होने की आकांक्षा थी। मसीही कलीसिया में अस्थिर पुरुषों की समानता ‘डांवाडोल तारों’ से की गयी है, जबकि कलीसिया प्राचीनों के विश्‍वासी निकायों का यीशु मसीह के दाहिने हाथ में ‘तारों’ के तौर पर उल्लेख किया है।—उत्पत्ति ३७:९, १०; अय्यूब ३८:७; यशायाह १४:१३; यहूदा १३; प्रकाशितवाक्य १:१६.

बाइबल में एक वृत्तान्त कहता है कि ‘तारों ने अपने अपने मण्डल से सीसरा से लड़ाई की,’ जो कनान के राजा याबीन का सेनापति था। सीसरा ने २० वर्ष इस्राएल जाति को सताया था। यहोवा ने इस्राएल को ग्प्तालामी से बचाने के लिए इस्राएल के न्यायी बाराक को नियुक्‍त किया और सीसरा के पास लोहे के नौ सौ रथ होने के बावजूद भी, बाराक को उस पर ज़बरदस्त जीत दिलाई। विजय के गीत में, इस्राएलियों ने गाया: “आकाश की ओर से भी लड़ाई हुई; वरन ताराओं ने अपने अपने मण्डल से सीसरा से लड़ाई की।” इसकी कोई व्याख्या नहीं दी गयी कि किस तरह तारों ने लड़ाई की। यह मान लेने के बजाय कि तारों ने युद्ध में सीधा प्रभाव डाला, यह विश्‍वास करना ज़्यादा तर्कसंगत है कि यह अभिव्यक्‍ति इस्राएल के लिए किसी प्रकार के ईश्‍वरीय हस्तक्षेप को सूचित करती है।—न्यायियों ५:२०.

बैतलहम का ‘वह तारा’

बाइबल में उल्लिखित तारों में शायद सबसे जाना-पहचाना तारा बैतलहम का ‘वह तारा’ है जिसने “पूर्व” से ज्योतिषियों का मार्गदर्शन किया। इस तारे ने उन्हें उस मकान तक पहुँचाया जहाँ अस्तबल में यीशु के जन्म के बाद उसके माता-पिता उसे ले गए थे। वह तारा क्या था? निश्‍चय ही वह साधारण तारा नहीं था, क्योंकि वह इतना नीचे था कि ज्योतिषी लगभग १,६०० किलोमीटर तक उसके पीछे-पीछे जा सके। ‘वह तारा’ उन्हें पहले यरूशलेम ले गया। यह सुनकर, राजा हेरोदेस ने उनसे पूछताछ की और फिर बालक यीशु की हत्या करने का निर्णय लिया। फिर ‘वह तारा’ ज्योतिषियों को एक विशिष्ट मकान तक ले गया जहाँ यीशु रह रहा था। निश्‍चय ही कोई सामान्य तारा ऐसा नहीं कर सकता। क्या यह तारे-समान वस्तु परमेश्‍वर की ओर से थी? ज्योतिषियों की भेंट क्योंकि अप्रत्यक्ष रूप से ‘बैतलहम और उसके आस पास के सब लड़कों की जो दो वर्ष के, वा उस से छोटे’ थे हत्या में परिणित हुई, क्या यह निष्कर्ष निकालना तर्कसंगत नहीं कि ‘वह तारा’ एक ऐसी वस्तु थी जो परमेश्‍वर के शत्रु, शैतान द्वारा परमेश्‍वर के पुत्र को नष्ट करने के प्रयास में इस्तेमाल की गयी?—मत्ती २:१-११, १६.

यह भी याद रखना चाहिए कि ज्योतिषी पूर्व से आए थे, शायद बाबुल से, जो जादू, टोने और ज्योतिष-विद्या का प्राचीन केंद्र था। अनेक आकाशीय ग्रहों के नाम बाबुल के देवताओं पर रखे गए हैं। राजा नबूकदनेस्सर के दिनों में, उसे यह निर्णय करने में सहायता करने के लिए कि अपने युद्ध अभियान में वह कौन-सा मार्ग ले, शकुन-विद्या का प्रयोग किया गया।—यहेजकेल २१:२०-२२.

भविष्यवक्‍ता यशायाह ने बाबुल के सलाहकारों को यह कहकर चुनौती दी: “तू [बाबुल] तो युक्‍ति करते करते थक गई है; अब तेरे ज्योतिषी जो नक्षत्रों को ध्यान से देखते और नये नये चान्द को देखकर होनहार बताते हैं, वे खड़े होकर तुझे उन बातों से बचाए जो तुझ पर घटेंगी। देख, वे भूसे के समान होकर आग से भस्म हो जाएंगे; वे अपने प्राणों को ज्वाला से न बचा सकेंगे। . . . तेरा बचानेवाला कोई न रहेगा।” यशायाह की भविष्यवाणी के अनुसार, सा.यु.पू. ५३९ में शक्‍तिशाली बाबुल महान कुस्रु के कब्ज़े में आ गया। जो मार्गदर्शन उन बाबुली ज्योतिषियों ने तारों से लाने का दावा किया, अंतर्ग्रस्त सभी लोगों के लिए विपत्ति बन गया।—यशायाह ४७:१३-१५.

क्या इसका अर्थ यह है कि हम तारों से कुछ नहीं सीख सकते?

[फुटनोट]

^ आधुनिक खगोल-विज्ञान पौलुस के शब्दों की पुष्टि करता है, क्योंकि रंग, आकार, उत्पन्‍न किए गए प्रकाश की मात्रा, तापमान और आपेक्षिक घनत्व में तारे भिन्‍न हैं।

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कुछ लोगों ने जो कहा है

ज्योतिष-विद्या: “खगोलविज्ञान का साथी और योजक।”—योहानस केपलर (१५७१-१६३०) जर्मन खगोलज्ञ।

“ज्योतिष-विद्या एक रोग है, विज्ञान नहीं। . . . यह एक ऐसा पेड़ है जिसकी छाँव तले सभी प्रकार के अंधविश्‍वास फलते-फूलते हैं।”—मोज़स माइमोनडिज़ (११३५-१२०४), मध्य युग का एक यहूदी विद्वान।

“एक आदि-विज्ञान जो एक व्यक्‍ति के व्यक्‍तित्व और बर्ताव को निर्धारित करने और भविष्य की प्रवृत्तियों और घटनाओं को आकाश की स्थितियों से पूर्वबताने की योग्यता का दावा करता है। . . . लगभग सा.यु.पू. ६वीं शताब्दी के दौरान—माना जाता है कि इराक के दक्षिण में कसदियों ने व्यक्‍तिगत जन्म-कुंडली की शुरूआत की। यह जन्म के समय पर प्रतीयमानतः स्थिर तारों, साथ ही सूर्य, चंद्रमा और पाँच ग्रहों द्वारा डाले गए प्रभावों से संबंधित था। . . . ज्योतिष-विद्या की प्रक्रियाएँ और जन्म-कुंडलियों की व्याख्या ऐसे विचारों पर निर्भर हैं जिन्हें खगोलज्ञ और अधिकांश अन्य वैज्ञानिक आत्मपरक और अस्वीकार्य पाते हैं।”—सी. ए. रोनान, परियोजना समन्वयक, ईस्ट एशियन हिस्ट्री ऑफ साइन्स ट्रस्ट, केम्ब्रिज, इंग्लैंड और द इन्टरनैशनल एनसाइक्लोपीडिया ऑफ एस्ट्रॉनोमी (अंग्रेज़ी) के योगदाता, जिससे यह उद्धरण लिया गया है।

इस आत्मपरकता का उदाहरण देने के लिए, रोनान समझाता है कि जबकि पश्‍चिमी लोगों के लिए लाल ग्रह मंगल, झगड़े और युद्ध से जुड़ा हुआ है, चीनी लोगों के लिए, लाल एक सुंदर रंग है और समझा जाता है कि मंगल हितकर प्रभाव डालता है। इसके विपरीत, पश्‍चिमी पुराण-विद्या शुक्र को सफ़ेदी और सुंदरता से जोड़ती है। चीनी लोग “सफ़ेद को . . . मृत्यु, अवनति और विनाश का रंग समझते हैं; इसलिए शुक्र को ‘युद्ध का निराशाजनक ग्रह’ बताया जाता था।”

रोनान आगे कहता है: “उसके आदि-वैज्ञानिक प्रकार के बावजूद भी, आरंभिक समयों में ज्योतिष-विद्या ने खगोलीय प्रेक्षण को बढ़ावा देने में और उसे पूरा करने के लिए निधि प्रदान करने में एक उपयोगी भाग अदा किया है।”

अन्य वैज्ञानिकों के साथ, १९ नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने १९७५ में एक घोषणा-पत्र प्रकाशित किया जिसका शीर्षक था “ज्योतिष-विद्या के प्रति आपत्तियाँ—१९२ अग्रवर्ती वैज्ञानिकों का कथन।” जिसमें घोषित किया गया कि:

“प्राचीन समयों में लोगों को . . . पृथ्वी से ग्रहों और तारों के बीच के फ़ासले की कोई भी कल्पना नहीं थी। अब जबकि ये फ़ासले नापे जा सकते हैं और नापे गए हैं, हम यह समझ सकते हैं कि दूरस्थ ग्रहों और उनसे भी कहीं दूर तारों द्वारा उत्पन्‍न गुरुत्वाकर्षण प्रभाव और अन्य प्रभाव कितने अधिक सूक्ष्म हैं। यह कल्पना करना कि जन्म के समय तारों और ग्रहों द्वारा डाले गए प्रभाव किसी प्रकार से हमारे भविष्य को आकार देते हैं, एक ग़लती है।” *

[फुटनोट]

^ ज्योतिष-विद्या पर अधिक जानकारी के लिए मई ८, १९८६ की अवेक!, पृष्ठ ३-९ देखिए।