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विश्‍व-दर्शन

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मानव अधिकार स्थिति: “दुःखद”

मानव अधिकारों पर संयुक्‍त राष्ट्र विश्‍व सम्मेलन में मानव अधिकारों के लिए सहायक महासचिव इब्राहीम फोल ने कहा, “मानव अधिकारों के लिए आदर मानवजाति के भावी कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण है।” “लेकिन बहुत से देशों में,” उसने कहा, “मानव अधिकारों के चल रहे अतिक्रमण का स्तर दुःखद है।” मानव अधिकारों पर विश्‍व सम्मेलन (अंग्रेज़ी), संयुक्‍त राष्ट्र का एक समाचार-पत्र पुष्टि करता है कि आज संसार की कम-से-कम आधी जनसंख्या मानव अधिकारों के अतिक्रमण से पीड़ित है। श्री. फोल आगे कहता है: “मृत्यु, विनाश, भेदभाव, ग़रीबी, सताहट, बलात्कार, दासत्व, भुखमरी और अविकसित या मुरझाए हुए जीवन लाखों लोगों के लिए अब भी प्रतिदिन का श्राप है।” इससे भी बदतर, वह श्राप फैल रहा है क्योंकि “अधिकारों की समस्याएँ आकाश को छू रही हैं” संयुक्‍त राष्ट्र चेतावनी देता है।

फल-तोड़नेवाला रोबोट

इटली की कृषि टैक्नोलॉजी में नवीनतम आविष्कार एक कम्प्यूटर-चलित रोबोट है जो “पेड़ों से सीधे २,५०० संतरे प्रति घंटे तोड़ने” के योग्य है। ला स्टाम्पा के अनुसार, यह मशीन आठ “अत्यधिक संवेदी” मशीनी बाँहों से सुसज्जित है और प्रत्येक बाँह इलेक्ट्रॉनिक आँख से सज्जित है तथा “रंगों की गहनता को महसूस करने” और “पके हुए फल” को चुनने और “धीरे से उन्हें छूने के बाद, बिना भूल-चूक किए कच्चे फल को छोड़ देने के लिए” योजित है। यह मार्ग-सज्जित रोबोट, जो “डीज़ल इंजन द्वारा चलित है, ख़राब मौसम में भी रात और दिन काम कर सकता है और साढ़े तीन मीटर [११ फुट] ऊँचे पेड़ों से संतरे तोड़ सकता है . . . तोड़ते वक्‍त, यह आठ किलोमीटर [५ मील] प्रति घंटे की अधिकतम रफ़्तार से चलता है। एक ट्रेलर को, जो ५०० किलो [१,१०० पौंड] तक का वज़न उठा सकता है, खींचते हुए यह रोबोट १४ किलोमीटर [९ मील] प्रति घंटा की गति रखता है।”

अनिद्रा से पीड़ितों के लिए सहायता

जिन लोगों को सोने में गंभीर कठिनाई होती है उनके लिए हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसंधायकों ने सुझावों की एक सूची का संकलन किया है। हार्वर्ड मानसिक स्वास्थ्य पत्र (अंग्रेज़ी) के अनुसार, जिन मरीज़ों के समूह को बिस्तर पर लेटने के बाद सोने के लिए ८० मिनट लगते थे, उन्होंने उल्लेखनीय प्रगति का अनुभव किया। अनेक सप्ताहों तक उपचार का प्रयोग करने के बाद, “उन्हें सोने के लिए औसतन १९ मिनट (७५% कटौती) लगे,” पत्र कहता है। प्रस्तावित तरीक़ों में ये सुझाव सम्मिलित हैं: सात घंटों से अधिक घंटे बिस्तर में रहने से दूर रहिए; अपने औसत सोने के समय के बाद बिस्तर में एक घंटे से अधिक न रहिए; हर दिन उसी समय पर उठिए, सप्ताहांतों में भी; नींद आने पर ही बिस्तर पर लेटिए; और यदि बिस्तर पर लेटने के बाद २० मिनट में आप सो न सकें, तो उठिए और कुछ आरामदेह काम कीजिए जब तक कि आपको फिर से नींद न आने लगे।

खिड़की से नज़ारे का महत्त्व

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशीगन, अमरीका के अनुसंधायकों के एक अध्ययन के अनुसार, जो कर्मचारी ऐसी जगह काम करते हैं जहाँ उन्हें खिड़की से नज़ारा दिखता है ज़्यादा बेहतर कार्य करते हैं। लोकप्रिय धारणा के विपरीत, ज़रूरी नहीं कि नज़ारा होना ख़्यालों में खो जाने को प्रोत्साहन दे। पत्रिका बिज़नेस वीक (अंग्रेज़ी) रिपोर्ट करती है कि १,२०० व्यक्‍तियों के एक सर्वेक्षण ने दिखाया कि “बाहरी दुनिया के नज़ारे को देखने वाले कार्यकर्त्ता अपने काम के लिए ज़्यादा उत्साह दिखाते हैं, उन्हें कम कुंठा होती है, ज़्यादा धैर्य और बेहतर एकाग्रता दिखाते हैं और उन्हें शारीरिक रोग कम होते हैं।” इसके विपरीत, बिना खिड़की के कक्षों में कार्यकर्त्ता के “कम कल्पनाशील और ज़्यादा चिढ़चिढ़े” होने की संभावना है और उन्हें एकाग्रता रखने में ज़्यादा समस्याएँ होती हैं।

स्त्रियों के विरुद्ध हिंसा

द ग्लोब एन्ड मेल (अंग्रेज़ी) के अनुसार, हाल ही का एक सर्वेक्षण ज़ाहिर करता है कि कनाडा की ५१ प्रतिशत स्त्रियाँ, १६-वर्षीया या उनसे बड़ीं, अपने वयस्क जीवन में कम-से-कम एक बार पुरुषों की हिंसा की शिकार हुई हैं। इसका अर्थ है कि पचास लाख स्त्रियाँ शिकार हुई हैं। कनाडा के इस समाचार-पत्र ने रिपोर्ट किया कि जिन स्त्रियों का इंटरव्यू लिया गया इनमें से क़रीब-क़रीब आधी स्त्रियों ने कहा कि आक्रमण “बॉयफ्रेन्ड, पति, दोस्तों, परिवार के सदस्यों या उनसे परिचित अन्य पुरुषों” से हुआ। जिन स्त्रियों का सर्वेक्षण लिया गया उनमें से दस प्रतिशत स्त्रियाँ पिछले वर्ष ही शिकार हुई थीं, और पाँच हमलों में से एक इतना गंभीर था कि वह शारीरिक चोट का कारण बना। अनेक स्त्रियों ने अपने पतियों या साथ रहनेवाले पुरुष साथियों द्वारा धक्का दिए जाने, छीना-झपटी किए जाने, थप्पड़ मारे जाने, लात मारे जाने, काटे जाने, या पीटे जाने की रिपोर्ट की।

अकाल मानवजाति के बड़े भागों को पीड़ित करता है

मानवजाति का पोषण करने के लिए इससे पहले पृथ्वी ने कभी इतना सारा भोजन उत्पन्‍न नहीं किया; फिर भी, कभी मानवजाति का इतना बड़ा भाग अकाल से पीड़ित नहीं हुआ। समाचार एजेंसी फ्रॉन्स प्रेस ने रिपोर्ट किया कि विश्‍व बैंक से नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, १९९० में अकाल ने कुछ १.१३ अरब व्यक्‍तियों के जीवन को जकड़ रखा था। यह संख्या पहले से कहीं अधिक है। इसने विकासशील देशों में जी रहे क़रीब-क़रीब ३० प्रतिशत लोगों को प्रभावित किया। दक्षिणी एशिया, जहाँ ५६.२ करोड़ लोग अकाल से पीड़ित हैं (जनसंख्या का ४९ प्रतिशत); अफ्रीका में २१.६ करोड़ (जनसंख्या का ४७.८ प्रतिशत); मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में ७.३ करोड़ (जनसंख्या का ३३.१ प्रतिशत); और लैटिन अमरीका और कैरेबियन में १०.८ करोड़ (जनसंख्या का २५.२ प्रतिशत); संसार के सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र थे। इन आँकड़ों में क़रीब-क़रीब एक अरब अन्य व्यक्‍ति सम्मिलित नहीं हैं जो कुपोषण से पीड़ित हैं।

सनसनीखेज़ तरीक़े से आमदनी बढ़ाना

वर्ष १९९३ के आरंभ में, जर्मनी में ‘पराविज्ञान में वैज्ञानिक संशोधन के लिए संघ’ ने ज्योतिषियों द्वारा किए गए ७० पूर्वकथनों को इकट्ठा किया और फिर वर्ष के अंत में परिणामों को आँका। पिछले वर्षों की पूर्वकथन विफलताओं को ध्यान में रखते हुए (जून ८, १९९२, पृष्ठ २९, और जुलाई ८, १९९३, पृष्ठ २९, अवेक! देखिए), क्या ज्योतिषियों ने १९९३ में ज़्यादा सफलता प्राप्त की? नासाउइश नोइए प्रेसे ने रिपोर्ट किया कि उन्होंने “अनेक झूठ कहे।” “अधिकांश ज्योतिषी स्वयं अपने वार्षिक पूर्वानुमानों पर विश्‍वास भी नहीं करते,” संघ के लिए एक प्रवक्‍ता ने कहा। लेकिन जर्मनी में ज्योतिष-विद्या फलता-फूलता व्यापार है, जिसकी वार्षिक आय $५.७ करोड़ (१० करोड़ डॉइश मार्क) है। समाचार-पत्र रिपोर्ट करता है कि अनेक ज्योतिषी सनसनीखेज़ पूर्वकथनों को “सुर्खियों में आने का एक प्रभावकारी तरीक़ा मानते हैं” ताकि आमदनी बढ़ा सकें।

बच्चों का नौकरी करना

ब्राज़ील में अनुमानित ८० लाख बच्चे नौकरी करते हैं, ऑ एस्टाडो ड साँउ पाउलू रिपोर्ट करता है। ये नाबालिग़ शायद वही काम करते हैं जो वयस्क करें। लेकिन अकसर उन्हें कम पैसे दिए जाते हैं और वे पारिवारिक आमदनी में बहुत कम योग देते हैं। संभवतः, पर्याप्त शिक्षण के बिना ये युवा श्रमिक अर्धशिक्षित रहते हैं, और अपने माता-पिता की तरह ग़रीब रह जाते हैं। इसके अतिरिक्‍त, श्रम मंत्रालय से लूइज़ क्लॉउडयू ड वास्कोनसेलोस कहता है, “एक काम करनेवाला नाबालिग़ अन्य परिवार के सिरों की नौकरियों को मिटा देता है, क्योंकि वह वयस्क की आमदनी का एक तिहाई पाने के लिए राज़ी है।”

हज़ारों पौधे उपेक्षित

संयुक्‍त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन कहता है कि “इतिहास में मानव भोजन के लिए हज़ारों क़िस्म के पौधे प्रयोग किए गए हैं, लेकिन अब सिर्फ़ लगभग १५० क़िस्मों की खेती की जाती है और उनमें से मात्र तीन क़िस्म के पौधे, पौधों से प्राप्त प्रोटीन और कैलोरियों का लगभग ६० प्रतिशत देते हैं।” अंतरराष्ट्रीय कृषि अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं। मानव अपने जाने-पहचाने मुख्य भोजन का निरंतर प्रयोग करते हैं—चावल, मकई, और गेहूँ—और प्रकृति में पाए जानेवाले हज़ारों अन्य पौष्टिक पौधों की उपेक्षा करते हैं।

एडस्‌-संदूषित लहू से हुई दुर्घटनाएँ

हाल ही में जापान के स्वास्थ्य और कल्याण मंत्रालय ने अस्पतालों को उन एच.आइ.वी.-संक्रामित लहू की दुर्घटनाओं की बारंबारता पर रिपोर्ट देने के लिए कहा जिनमें चिकित्सीय कर्मचारी अंतर्ग्रस्त हैं। दिलचस्पी विशेषकर पिछले दस वर्षों में हुई दुर्घटनाओं में थी। द डेली योमीयुरि (अंग्रेज़ी) के अनुसार, प्रतिक्रिया दिखानेवाले २७६ अस्पतालों ने रिपोर्ट किया कि “आकस्मिक रूप से लहू के साथ संपर्क के २,९९७ किस्सों के साथ सुई दुर्घटनाओं की कुल संख्या १२,९१४ थी।” इनमें, एक सौ से भी अधिक किस्सों में एच.आइ.वी.-संदूषित लहू सम्मिलित था। इन दुर्घटनाओं के सभी शिकारों की जाँच करने पर अब तक उनमें एच.आइ.वी. का पता नहीं लगा है, वह वाइरस जो एड्‌स का कारण है।

प्रज्ञात्मक खिलौने

कनाडा का एक समाचार-पत्र द ग्लोब एन्ड मेल नोट करता है, “शैक्षिक खिलौनों की बिक्री आकाश को छू रही है, क्योंकि मात्र जो मनोरंजक था उसकी अदला-बदली माता-पिता भविष्य के स्पर्धात्मक फ़ायदे के लिए कर रहे हैं।” रिपोर्ट आगे कहती है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को उन खिलौनों से खेलने से रोकते हैं “जिनके साथ खेलने से सिर्फ़ मज़ा आता है। इसके बजाय वे चाहते हैं कि खेल की हर घड़ी कौशल सिखाने की समर्थता से भरी हुई हो।” जबकि अनेक लोग मानते हैं कि यह प्रवृत्ति अधिक बुद्धि और बेहतर कौशल के बच्चों को उत्पन्‍न कर सकती है, कुछ विशेषज्ञ असहमत हैं। वे महसूस करते हैं कि बच्चों से बहुमूल्य अनौपचारिक खेल के समय को छीनना उनकी सृजनात्मकता को दबा सकता है “और आख़िरकार वे कम सीखेंगे,” समाचार-पत्र ने कहा।