महान कारीगर होने का सबूत
महान कारीगर होने का सबूत
सृष्टि एक किताब की तरह है जिससे यह साबित हो चुका है कि इस दुनिया को बनाने में एक कुशल कारीगर या सृष्टिकर्ता का हाथ है। और इस बात को कई वैज्ञानिक मानते हैं। बहुत पहले मसीही प्रेरित पौलुस ने लिखा कि परमेश्वर के “अनदेखे गुण, अर्थात् उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं।” (रोमियों 1:20) लेकिन परमेश्वर और उसकी इच्छा के बारे में सृष्टि से सब कुछ मालूम नहीं किया जा सकता। मसलन, इससे हम यह नहीं जान सकते कि हमारे जीने का मकसद क्या है। इसलिए खुशी की बात है कि सृष्टिकर्ता ने अपने बारे में बताने के लिए हमें एक और किताब दी है जिसके लिए हम उसके शुक्रगुज़ार हो सकते हैं। वह किताब है, उसकी प्रेरणा से लिखा गया उसका वचन, बाइबल।—2 तीमुथियुस 3:16.
हालाँकि बाइबल, विज्ञान की किताब नहीं है मगर इसमें उन सभी ज़रूरी सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो हमें सृष्टि से नहीं मिलते। मसलन, यह उस सवाल का जवाब देती है जो किसी महान रचना को देखते ही ज़्यादातर लोगों के मन में उठता है। वह सवाल है—इसकी रचना किसने की? सृष्टि के बारे में उठनेवाले सवाल का जवाब बाइबल में दिया गया है। गौर प्रकाशितवाक्य 4:11 में किस तरह दिया गया है: “हे हमारे प्रभु, और परमेश्वर [यहोवा], तू ही महिमा, और आदर, और सामर्थ के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएं सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं, और सृजी गईं।” जी हाँ, दुनिया की सभी चीज़ों को बनानेवाला वह महान कारीगर, यहोवा परमेश्वर है। उसका नाम बाइबल की शुरू की हस्तलिपियों में करीब 7,000 बार आता है।
कीजिए कि यह जवाब, बाइबल मेंहमारे इस वैज्ञानिक युग से करीब 3,500 साल पहले अय्यूब नाम का एक आदमी था। वह शायद सृष्टि को बहुत ध्यान से देखता और उस पर विचार करता था। उसने कहा कि यहोवा की बदौलत ही सारी सृष्टि बनी है। अय्यूब ने कहा: “पशुओं से तो पूछ और वे तुझे दिखाएंगे; और आकाश के पक्षियों से, और वे तुझे बता देंगे। पृथ्वी पर ध्यान दे, तब उस से तुझे शिक्षा मिलेगी; और समुद्र की मछलियां भी तुझ से वर्णन करेंगी।” ये सभी, सृष्टि के बारे में क्या बताती हैं? इसका जवाब अय्यूब एक सवाल के रूप में देता है: “कौन इन बातों को नहीं जानता, कि यहोवा ही ने अपने हाथ से इस संसार को बनाया है।”—अय्यूब 12:7-9.
इंसान के लिए यहोवा का मकसद
बाइबल में यह भी बताया गया है कि इंसान के लिए यहोवा का एक मकसद है। वह मकसद क्या है? वह मकसद यह है कि हमारी यह पृथ्वी एक खूबसूरत बगीचे की तरह बन जाए और यहाँ धर्मी इंसान हमेशा-हमेशा तक जीने का वरदान पाएँ। भजन 37:29 बताता है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।” उसी तरह यीशु ने भी कहा: “धन्य हैं वे, जो नम्र हैं, क्योंकि वे पृथ्वी के अधिकारी होंगे।”—मत्ती 5:5.
एक और खुशी की बात यह है कि पृथ्वी एक खूबसूरत बगीचे के रूप में हमेशा-हमेशा बनी रहेगी। ऐसा एक खास तरह के ज्ञान की वज़ह से मुमकिन होगा। उस ज्ञान के बारे में यशायाह 11:9 बताता है: “मेरे सारे पवित्र पर्वत पर न तो कोई दु:ख देगा और न हानि करेगा; क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी जैसा जल समुद्र में भरा रहता है।” दरअसल जो ‘यहोवा का ज्ञान’ पाएगा, वही हमेशा-हमेशा तक शांति और खुशी से जीता रहेगा। इसके बारे में यीशु ने भी कहा: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।”—यूहन्ना 17:3.
जब लोगों को हमेशा की ज़िंदगी मिल जाएगी, तब वे पृथ्वी की सभी चीज़ों का पूरा-पूरा आनंद उठा पाएँगे, ठीक उसी तरह जैसे यहोवा ने शुरू में चाहा था। और तब ज़िंदगी बिलकुल उबाऊ नहीं होगी क्योंकि इंसान हमेशा नई-नई चीज़ों का आविष्कार करेंगे जिससे ज़िंदगी बहुत मज़ेदार होगी।
एक बहुत ही दिलचस्प चुनौती!
सभोपदेशक 3:11 कहता है: परमेश्वर ने “सब कुछ ऐसा बनाया कि अपने अपने समय पर वे सुन्दर होते हैं; फिर उस ने मनुष्यों के मन में अनादि-अनन्त काल का ज्ञान उत्पन्न किया है, तौभी जो काम परमेश्वर ने किया है, वह आदि से अन्त तक मनुष्य बूझ नहीं सकता।” हमारे अंदर “अनादि-अनन्त काल” तक जीने की जो पैदाइशी ख्वाहिश है, वह जल्द ही पूरी होगी। इसलिए ‘जो काम परमेश्वर ने किया है, वह हम आदि से अन्त तक बूझने’ की कोशिश कर पाएँगे। जी हाँ, सारी पृथ्वी मानो हमारा स्कूल होगा, यहोवा हमारा टीचर होगा और ज़िंदगी बहुत ही मज़ेदार होगी। ज़िंदगी एक ऐसा सफर होगी, जिसमें हम नई-नई चीज़ों के बारे में पता करते रहेंगे और यह सफर कभी खत्म नहीं होगा।
मान लीजिए, उस खूबसूरत पृथ्वी में रहने का मौका आपको मिल जाता है। आपका तन और मन पूरी तरह स्वस्थ है और आप में कोई कमी नहीं है। आप ऐसी चुनौतियों को खुशी-खुशी स्वीकार कर लेते हैं, जिन्हें आज स्वीकार करने के बारे में आप सोच भी नहीं सकते। और आप यह भी जानते हैं कि उन चुनौतियों को आप ज़रूर पूरा कर पाएँगे, भले ही उन्हें पूरा करने में सौ साल या एक हज़ार साल लग जाएँ। शायद यहोवा की बनाई कुछ चीज़ों की नकल भी बना पाएँगे क्योंकि आपकी काबिलीयतों में कोई खोट नहीं होगा। और उस समय आप जो भी चीज़ें बनाएँगे वे सभी चीज़ें उनसे लाख गुना बेहतर होंगी जो आज इंसान बनाता है क्योंकि आज इंसान की बनाई ज़्यादातर चीज़ें नुकसान पहुँचाती हैं और प्रदूषण फैलाती हैं। जी हाँ, यहोवा की तरह आपको भी दूसरों से प्यार होगा इसलिए आप जो भी बनाएँगे, वह चीज़ फायदेमंद होगी।—उत्पत्ति 1:27; 1 यूहन्ना 4:8.
हम क्यों कह सकते हैं कि यह सब बस एक सपना नहीं है? क्योंकि इसके सबूत हमें यहोवा की दो महान “किताबों” से मिलते हैं। जी हाँ, बाइबल और सृष्टि के ज़रिए हमें ठोस सबूत मिलते हैं कि हमारे महान कारीगर और सृष्टिकर्ता के लिए कोई भी बात नामुमकिन नहीं है। तो क्यों न अब उसके और उसके बेटे, यीशु मसीह के बारे में और अच्छी तरह जानने की कोशिश करें? उनके बारे में जानने से बढ़कर कोई और काम दिलचस्प और फायदेमंद नहीं हो सकता।
[पेज 10 पर तसवीरें]
बाइबल और सृष्टि से हमें महान कारीगर के होने का सबूत मिलता है