संसार-भर में एकता सिर्फ एक सपना नहीं
संसार-भर में एकता सिर्फ एक सपना नहीं
भारत के केरल राज्य के एक आदमी ने इस पत्रिका के प्रकाशक को लिखा: “आपकी सजग होइए! पत्रिका बेशक सभी पत्रिकाओं से बेजोड़ है। इसमें लगभग हर विषय पर चर्चा की गयी है। मुझे खासकर प्रकृति पर आधारित लेखों को पढ़कर बड़ा अच्छा लगा।”
आखिर उन्हें सजग होइए! पत्रिका इतनी पसंद क्यों आयी? इसकी एक खास वजह बताते हुए वे कहते हैं: “सजग होइए! हमें यह समझने में मदद देती है कि चाहे हम किसी भी देश या जाति के हों मगर हम सब भाई-भाई हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐसी मदद देने में कोई और पत्रिका इसकी बराबरी कर सकती है। केवल यही पत्रिका संसार-भर के लोगों में एकता की भावना पैदा करती है। मैं जितनी भी किताबें पढ़ता हूँ उनकी तुलना में सजग होइए! वाकई एक अनमोल पत्रिका है।”
इन्होंने सजग होइए! के बारे में जो बात कही, वही बात इस पत्रिका के हर अंक के पेज 4 पर भी लिखी है, जहाँ इसका मकसद बताया गया है: “इस पत्रिका का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है और न ही यह राजनीतिक मामलों में किसी का पक्ष लेती है। यह किसी भी देश और जाति के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बोलती और सिर्फ हकीकत बयान करती है।” इससे बढ़कर सजग होइए! पाठकों को बढ़ावा देती है कि वे ज़िंदगी के अहम सवालों के जवाब के लिए हमारे सिरजनहार की मदद लें।
बत्तीस पेजवाला ब्रोशर, परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? भी यही बढ़ावा देता है। इसमें 16 पाठ दिए गए हैं जिनमें से कुछ के विषय हैं: “परमेश्वर कौन है?,” “पृथ्वी के लिए परमेश्वर का उद्देश्य क्या है?” और “परमेश्वर का राज्य क्या है?” इस ब्रोशर के बारे में और जानकारी के लिए आप इस कूपन को भरकर नीचे दिए गए पते या अपनी सहूलियत के मुताबिक पेज 5 पर दिए गए किसी भी पते पर भेज दीजिए।(g01 7/22)
□ परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है? इस ब्रोशर के बारे में मुझे और भी जानकारी भेजिए।
□मुझे घर पर मुफ्त बाइबल अध्ययन कराने के लिए मुझसे मिलिए।