इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

गहरी निराशा इसके शिकार लोगों पर क्या बीतती है?

गहरी निराशा इसके शिकार लोगों पर क्या बीतती है?

गहरी निराशा इसके शिकार लोगों पर क्या बीतती है?

जेम्स, * जो गहरी निराशा (मेजर डिप्रेशन) का शिकार था, अपने बीते कल को याद करते हुए कहता है: “जब मैं 12 साल का था, तब एक सुबह उठकर अपने बिस्तर के किनारे बैठ गया। मैं सोचने लगा, ‘क्या आज का दिन मेरी ज़िंदगी का आखिरी दिन है?’” इस घटना के 30 साल बाद, वह कहता है: “एक दिन भी ऐसा नहीं गुज़रा जब मैं अपनी इस मानसिक बीमारी से नहीं लड़ा।” जेम्स जब जवान था, तब उसे अपना जीवन इतना बेकार लगा कि उसने अपने बचपन की तसवीरें फाड़ डालीं। वह कहता है: “मुझे लगा, मैं इस लायक भी नहीं कि दूसरे मुझे याद रखें।”

हर किसी की ज़िंदगी में ऐसे पल आते हैं, जब उसका मन बहुत उदास होता है। इसलिए हमें शायद लगे कि हम गहरी निराशा के बारे में सबकुछ जानते हैं। मगर यह निराशा सिर्फ कुछ वक्‍त के लिए नहीं बल्कि लंबे समय तक बनी रहती है। इसके शिकार लोगों पर क्या गुज़रती है?

एक बेरहम घुसपैठिया

आज गहरी निराशा ने एक गंभीर बीमारी का रूप ले लिया है। (अँग्रेज़ी में इसे क्लिनिकल डिप्रेशन कहा जाता है।) इसके शिकार लोग अकसर रोज़मर्रा के काम तक नहीं कर पाते हैं।

मिसाल के लिए, आलवरू 40 से भी ज़्यादा सालों से “डर, उलझन, बेचैनी और गहरे दुख” के भँवर में फँसा था। वह कहता है: “मुझे गहरी निराशा थी, इसलिए लोग मुझे जो भी कहते वह सीधे मेरे दिल को चुभता था। जब भी कुछ गड़बड़ी होती, मुझे लगता कि उसके लिए मैं ही ज़िम्मेदार हूँ।” वह बताता है कि गहरी निराशा का मतलब है, “भयानक दर्द महसूस करना, पर यह मालूम नहीं कहाँ; दिल में दहशत होना, मगर पता नहीं क्यों; और सबसे बुरी बात तो यह है कि इस बारे में किसी से बात करने का बिलकुल भी मन न करना।” मगर अब आलवरू को इस बीमारी से थोड़ा आराम मिला है। उसने पता लगा लिया है कि किन वजहों से उसे गहरी निराशा होती है। वह आगे कहता है: “जब मैंने जाना कि इस नाव पर और भी लोग सवार हैं, तो मैं बेहतर महसूस करने लगा।”

ब्राज़ील में 49 साल की एक स्त्री मारीया भी गहरी निराशा की मरीज़ थी। इस वजह से उसे नींद नहीं आती थी, वह दर्द में तड़पती थी और बात-बात पर चिढ़ जाती थी। उसे ऐसा महसूस होता था, मानो उसके “दुखों का कोई अंत नहीं।” जब मारीया को पहली बार अपनी बीमारी का पता चला, तब उसने चैन की साँस ली। मगर फिर वह चिंता में घुलने लगी। वह कहती है: “बहुत ही कम लोग जानते हैं कि गहरी निराशा क्या होती है। ज़्यादातर तो इस बीमारी की चपेट में आए लोगों को नीची नज़रों से देखते हैं।”

निराशा में भी निराश मत होइए

कभी-कभी गहरी निराशा के लक्षण साफ नज़र आते हैं। मगर अकसर यह बिना दस्तक दिए एक व्यक्‍ति की ज़िंदगी में आ धमकती है। दक्षिण अफ्रीका का रहनेवाला रिचर्ड बताता है: “आपकी ज़िंदगी में अचानक, बिना वजह निराशा के काले बादल छा जाते हैं। न तो आपके किसी अपने की मौत हुई होती है, ना ही आप पर कोई मुसीबत आन पड़ती है। फिर भी मायूसी और नाउम्मीदी की भावनाएँ आपके दिल में घर कर जाती हैं। आप चाहे लाख कोशिश कर लें, पर निराशा के ये बादल छँटने का नाम नहीं लेते। आपकी हिम्मत जवाब दे जाती है और आप इस बात से बेखबर रहते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।”

गहरी निराशा के मरीज़ों को शर्म महसूस करने की ज़रूरत नहीं। मगर ब्राज़ील की रहनेवाली आना को जब पता चला कि वह गहरी निराशा की शिकार है, तो उसे बड़ी शर्म महसूस हुई। वह कहती है: “इस बीमारी का पता लगे 8 साल हो चुके हैं, मगर आज भी मुझे खुद पर शर्म आती है।” दुख और हताशा की ज़िंदगी उसके लिए एक बोझ बनकर रह गयी है। वह बताती है: “कभी-कभी निराशा की भावना मुझे इस कदर जकड़ लेती है कि मेरा पूरा शरीर दर्द से कराह उठता है।” ऐसे में उसके लिए बिस्तर से उठ पाना नामुमकिन हो जाता है। कई बार तो वह बस सिसकियाँ भरने लगती है। आना कहती है: “मैं इस कदर फूट-फूटकर रोती और इतनी निढाल हो जाती थी कि ऐसा लगता मानो मेरे शरीर में खून दौड़ना बंद हो गया हो।”

बाइबल भी इस बात को कबूल करती है कि लोग मायूसी के सागर में डूब सकते हैं। मिसाल के लिए, यीशु मसीह के चेले, पौलुस ने एक आदमी के लिए इस तरह चिंता ज़ाहिर की: “कहीं ऐसा न हो कि वह आदमी हद-से-ज़्यादा उदासी में डूब जाए।” (2 कुरिंथियों 2:7) कुछ लोग तो इतने हताश हो जाते हैं कि वे बस मर जाना चाहते हैं। वे शायद पुराने ज़माने के एक भविष्यवक्‍ता योना की तरह महसूस करें: “मेरे लिये जीवित रहने से मरना ही भला है।”—योना 4:3.

गहरी निराशा के शिकार लोगों के लिए क्या इलाज मौजूद है? वे इस बीमारी से कैसे जूझ सकते हैं? (g 7/09)

[फुटनोट]

^ इस श्रृंखला लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 3 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“आपकी ज़िंदगी में अचानक, बिना वजह निराशा के काले बादल छा जाते हैं”