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सजग होइए! से मिली एक अजन्मे को नयी ज़िंदगी

सजग होइए! से मिली एक अजन्मे को नयी ज़िंदगी

सजग होइए! से मिली एक अजन्मे को नयी ज़िंदगी

● मेक्सिको की रहनेवाली अनीता के तीन बच्चे थे, और वह एक बार फिर गर्भवती हुई। * उसने अपने पति से कहा कि उसे यह बच्चा नहीं चाहिए और इसके लिए वह कुछ भी कर सकती है। यहाँ तक की उसने खुदकुशी करने की भी धमकी दी। उस दौरान अनीता यहोवा की एक साक्षी के साथ बाइबल अध्ययन कर रही थी, लेकिन अब तक उसने कुछ खास तरक्की नहीं की थी। अनीता कहती है: “मैं बहुत ही अक्खड़ और ढीठ थी।”

जो साक्षी बहन अनीता के साथ अध्ययन कर रही थी, उसने अनीता को बाइबल से कुछ सिद्धांत बताए। उदाहरण के लिए, उसने उसे समझाया कि परमेश्‍वर की नज़र में अजन्मे बच्चे की जान बहुत अनमोल है। उसने बताया कि प्राचीन इसराएल में परमेश्‍वर ने एक कानून ठहराया था कि अगर कोई, गर्भवती महिला को किसी तरह की चोट पहुँचाता और वह महिला या उसका अजन्मा बच्चा मर जाता, तो उस शख्स को कातिल करार दिया जाता था। (निर्गमन 21:22, 23) * यह सब सुनने के बाद भी अनीता टस से मस नहीं हुई। उसने तो ठान लिया था कि उसे यह बच्चा नहीं चाहिए।

अनीता कहती है: “किसी ने मुझे बताया कि अगर मैं फलाँ इंजेक्शन लूँ, तो मेरा तुरंत गर्भपात हो जाएगा। इसलिए मैं वह इंजेक्शन ले आयी और अपने एक दोस्त से लगाने के लिए कहा। उसने मुझे वह इंजेक्शन लगाया, लेकिन मुझ पर उसका कोई असर नहीं हुआ। बाद में मुझे पता चला कि उसने चुपके-से इंजेक्शन में दवाई के बजाय पानी भर दिया था। क्योंकि वह इस पाप में मेरा भागीदार नहीं बनना चाहता था।”

इसके बावजूद भी, वह लगातार कोशिश करती रही। जब उसका चौथा महीना चल रहा था, तो उसने एक डॉक्टर को ढूँढ़ निकाला, जो गर्भपात करने के लिए राज़ी हो गया। डॉक्टर ने उसे एक तारीख भी दी। गर्भपात कराने से छ: दिन पहले, साक्षी बहन ने अनीता को 22 मई 1980 की सजग होइए! (अँग्रेज़ी) में छपे लेख की एक कॉपी दी। उस लेख का शीर्षक था, “अजन्मे बच्चे की डायरी।” लेख के आखिर में यह शब्द लिखे थे: “आज मेरी माँ ने मुझे मार डाला।” ये शब्द पढ़ते ही अनीता को ज़ोरदार झटका लगा। और वह घंटों तक रोती रही। उसने कहा: “इस लेख ने मुझे एहसास दिलाया कि मैं कितना बड़ा पाप करने जा रही थी।”

आखिरकार अनीता ने एक स्वस्थ प्यारी-सी बच्ची को जन्म दिया। अनीता कहती है, “मुझे यहोवा के बारे में जानने का मौका मिला, जिसे मैं दिलो-जान से चाहती हूँ।” यही नहीं वह अपनी बेटी को भी परमेश्‍वर का वचन सिखा रही है ताकि वह भी यहोवा के लिए अपने प्यार में बढ़ती जाए। उसकी बेटी मानती है कि उसकी ज़िंदगी यहोवा की देन है। क्यों? क्योंकि पहली बात यहोवा ही जीवनदाता है और दूसरी कि सजग होइए! में दी उसके वचन पर आधारित शिक्षा की बदौलत ही उसकी जान बची है। (g10-E 02)

[फुटनोट]

^ पैरा. 2 नाम बदल दिया गया है।

^ पैरा. 3 बाइबल की मूल भाषा के मुताबिक इन आयतों में माँ या उसके बच्चे की मौत, दोनों ही शामिल है।