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 परिवार के लिए मदद | शादी का बंधन

जब पति-पत्नी के बीच आ जाए दूरियाँ

जब पति-पत्नी के बीच आ जाए दूरियाँ

चुनौती

शादी से पहले लगता था कि हमारी पसंद एक-दूसरे से बहुत मिलती-जुलती है। अब लगता है यह सिर्फ मेरा भ्रम था। आज हम एक ही घर में रिश्तों की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं।

उम्मीद मत छोड़िए, रिश्तों को सुधारना अब भी मुमकिन है। सबसे पहले गौर कीजिए कि ऐसा क्यों होता है।

ऐसा क्यों होता है

हालात। रोज़मर्रा के काम, बच्चों की परवरिश और ससुरालवालों के साथ रिश्ता निभाते-निभाते, मानो शादी की खुशियाँ फीकी पड़ जाती हैं। इसके अलावा, अचानक उठनेवाली परेशानियाँ जैसे आर्थिक तंगी या परिवार में किसी बीमार की देखभाल करना भी शादी के रिश्ते में तनाव पैदा कर सकता है।

मान बैठना कि कमियाँ सुधारना नामुमकिन है। शादी से पहले की मुलाकातों में अकसर लड़का और लड़की एक-दूसरे की कमियों को नज़रअंदाज़ करते हैं। शादी के बाद, उन्हें एहसास होता है कि वे कई मामलों में एक-दूसरे से बिलकुल अलग हैं। जैसे बातचीत, पैसे खर्च करने और समस्या का हल ढूँढ़ने में। एक वक्‍त पर जो बातें आपको सिर्फ चिढ़ दिलाती थीं, वही आज बरदाश्त के बाहर हो गयी हैं।

अपने साथी के लिए परवाह खत्म होना। जब पति-पत्नी एक-दूसरे पर शब्दों और कामों से वार करने लगते हैं और बीते झगड़ों को नहीं सुलझाते, तो वक्‍त के गुज़रते वे एक-दूसरे को अपने दिल की बातें बताना बिलकुल बंद कर देते हैं। हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि वे शादी के बाहर किसी दूसरे व्यक्‍ति के साथ करीबी रिश्ता जोड़ लेते हैं।

अपने साथी से हद-से-ज़्यादा की उम्मीद करना। कुछ लोग यह सोचकर शादी करते हैं कि उन्हें एक ऐसा व्यक्‍ति मिल गया है जो बस उनके लिए बना है। ऐसी सोच बहुत रोमानी लग सकती है लेकिन यही बात मुसीबत को न्यौता भी दे सकती है। “सही जीवन-साथी” की यह कल्पना तब टूट जाती है, जब ज़िंदगी में मुश्किलें आने लगती हैं और दोनों को लगने लगता है कि उन्होंने शादी करके गलती कर दी।

 आप क्या कर सकते हैं

अपने साथी की खूबियों पर ध्यान दीजिए। इसे आज़माइए: अपने साथी की कोई तीन खूबियाँ लिखिए। फिर उसे अपनी शादी की तसवीर के साथ रख लीजिए या फिर मोबाइल में डाल लीजिए। समय-समय पर उसे पढ़िए और अपनी शादी का दिन याद कीजिए। अपने साथी की खूबियों पर ध्यान देने से आप शांति बनाए रख सकते हैं और एक-दूसरे की कमियों को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं।—बाइबल सिद्धांत: रोमियों 14:19.

समय निकालकर साथ वक्‍त बिताइए। हो सकता है, शादी से पहले आप दोनों ने डेटिंग की होगी। हालाँकि आपके लिए यह नयी और रोमांचक बात थी, फिर भी इसके लिए आपने समय निकाला। क्यों न आज भी आप समय निकालकर जीवन-साथी के साथ वक्‍त बिताएँ, ठीक जैसे शादी से पहले की मुलाकातों के दौरान करते थे। इस तरह आप फिर से एक-दूसरे के करीब आ सकेंगे और ज़िंदगी में अचानक आनेवाली चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर पाएँगे।—बाइबल सिद्धांत: नीतिवचन 5:18.

अपनी भावनाएँ खुलकर बताइए। अगर साथी के शब्दों और कामों से आपको चोट पहुँची है, तो क्या आप उसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं? अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो चुप्पी का सहारा मत लीजिए। इसके बजाय, आराम से बैठकर अपने साथी के साथ खुलकर बात कीजिए।—बाइबल सिद्धांत: इफिसियों 4:26.

अपनी भावनाएँ और साथी के इरादों में फर्क जानिए। यह सच है कि आप दोनों एक-दूसरे की भावनाओं को चोट नहीं पहुँचाना चाहते। इसलिए जब आप अपने साथी को दुख पहुँचाते हैं, तो दिल से माफी माँगिए। यह दिखाएगा कि वाकई आपको अपने किए पर पछतावा है। एक साथ बैठकर बात कीजिए कि कैसे आप एक-दूसरे को चोट पहुँचाने से दूर रह सकते हैं। ऐसा करने में बाइबल की यह सलाह आपकी मदद करेगी: “एक-दूसरे के साथ कृपा से पेश आओ और कोमल-करुणा दिखाते हुए एक-दूसरे को दिल से माफ करो।”—इफिसियों 4:32.

हद-से-ज़्यादा की उम्मीद मत रखिए। बाइबल इस बात को मानती है कि “जो शादी करते हैं उन्हें शारीरिक दुःख-तकलीफें झेलनी पड़ेंगी।” (1 कुरिंथियों 7:28) जब आप ऐसी परेशानियों का सामना करते हैं, तो तुरंत इस नतीजे पर मत पहुँचिए कि आपकी शादी एक बहुत बड़ी भूल है। इसके बजाय, अपने साथी के साथ मिलकर समस्याएँ सुलझाने की कोशिश कीजिए और ‘एक-दूसरे की सहते रहिए और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ कीजिए।’—कुलुस्सियों 3:13. ▪ (g14-E 03)

अगर साथी के शब्दों और कामों से आपको चोट पहुँची है, तो क्या आप उसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं?