यहोवा का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर
यहोवा का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर
“परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।”—सभोपदेशक 12:13.
1, 2. (क) भय कैसे हमें कई खतरों से बचा सकता है? (ख) समझदार माता-पिता अपने बच्चों में सही तरह का भय पैदा करने की कोशिश क्यों करते हैं?
“जैसे बहादुरी जीवन को जोखिम में डालती है, वैसे ही भय उसे बचाता है।” यह बात लीअनार्डो दा विन्ची ने कही थी। बिना सोचे-समझे बहादुरी दिखाने की मूर्खता करनेवाला इंसान खतरे को नहीं समझ पाता, जबकि डर उसे खबरदार करता है कि वह सावधान रहे। उदाहरण के लिए, अगर हम किसी पहाड़ी की चोटी के बिलकुल किनारे खड़े हों, तो यह देखकर कि हम फिसल गए तो कितनी गहराई में जाकर गिरेंगे, हममें से ज़्यादातर लोग अपने-आप ही डर से पीछे हट जाते हैं। ठीक उसी तरह अगर हमारे दिल में परमेश्वर का सही भय होगा, तो हम न सिर्फ उसके साथ एक अच्छा रिश्ता कायम कर पाएँगे, बल्कि जैसा हमने पहले लेख में सीखा, मुसीबतों से भी बच पाएँगे।
2 लेकिन आज के ज़माने में ऐसी कई खतरनाक चीज़ों से बचने के लिए उनके बारे में डर सीखने की ज़रूरत है। मिसाल के तौर पर, छोटे बच्चों को बिजली के तारों और ट्रैफिक के खतरों का एहसास नहीं होता इसलिए वे आसानी से उनसे होनेवाली दुर्घटनाओं का शिकार हो सकते हैं। * समझदार माता-पिता अपने बच्चों में सही तरह का भय पैदा करने की कोशिश करते हैं और उन्हें बार-बार आगाह करते हैं कि उन्हें किन-किन चीज़ों से सावधान रहना चाहिए। वे जानते हैं कि ऐसा डर उनके बच्चों की जान बचा सकता है।
3. यहोवा, क्यों और कैसे हमें आध्यात्मिक खतरों की चेतावनी देता है?
3 यहोवा भी हमारी भलाई चाहता है। वह एक प्यार करनेवाला पिता है और अपने वचन और संगठन के ज़रिए हमारे लाभ के लिए शिक्षा देता है। (यशायाह 48:17) उसकी शिक्षाओं में आध्यात्मिक खतरों की “बार बार” दी जानेवाली चेतावनियाँ भी हैं, जो हमें अपने अंदर सही तरह का भय पैदा करके उनसे बचने में मदद करती हैं। (2 इतिहास 36:15; NHT; 2 पतरस 3:1) इतिहास इस बात का गवाह है कि अगर ‘लोगों में ऐसा हृदय होता कि वे परमेश्वर का भय मानते और उसकी सब आज्ञाओं का सदा पालन करते,’ तो वे बहुत सारी आध्यात्मिक विपत्तियों और तकलीफों से बच सकते थे। (व्यवस्थाविवरण 5:29, NHT) आज हम इन ‘कठिन समयों’ में अपने हृदय में परमेश्वर का भय कैसे उत्पन्न कर सकते हैं और आध्यात्मिक खतरों से कैसे बच सकते हैं?—2 तीमुथियुस 3:1.
बुराई से दूर रहो
4. (क) मसीहियों को अपने मन में कैसा बैर पैदा करना चाहिए? (ख) बुरे चालचलन के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है? (फुटनोट देखिए।)
4 बाइबल कहती है कि “यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है।” (नीतिवचन 8:13) एक बाइबल शब्दकोश के मुताबिक “जिन लोगों और चीज़ों का विरोध किया जाता है, जिनसे नफरत की जाती है, जिन्हें तुच्छ समझा जाता है, और जिनसे दूर-दूर तक कोई नाता ना रखने की इच्छा होती है, उनके लिए मन में पैदा होनेवाली भावना” को बैर कहा जाता है। इसके मुताबिक परमेश्वर का भय मानने का मतलब दिल से ऐसी हर बात से घृणा या द्वेष करना है जो यहोवा की नज़रों में बुरी है। * (भजन 97:10) यह भय हमें बुरे कामों से दूर रहने के लिए विवश करता है, वैसे ही जैसे किसी चोटी के बिलकुल किनारे खड़े होने पर हमारे अंदर का डर हमें पीछे हट जाने की चेतावनी देता है। बाइबल कहती है: “यहोवा का भय मानने से मनुष्य बुराई से दूर रहता है।”—नीतिवचन 16:6, NHT.
5. (क) हम अपने अंदर परमेश्वर का भय और बुराई से घृणा करने की भावना को और भी मज़बूत कैसे कर सकते हैं? (ख) इस सिलसिले में इस्राएल जाति के इतिहास से हम क्या सीखते हैं?
5 अपने अंदर सही तरह का भय और बुराई से घृणा करने की इस भावना को और मज़बूत करने के लिए हमें गहराई से सोचना होगा कि पाप करने से हम किन बुरे अंजामों से बच नहीं सकते। बाइबल हमें यह सच्चाई बताती है कि हम जो बोएँगे वही काटेंगे, फिर चाहे हम शरीर के लिए बोएँ या आत्मा के लिए। (गलतियों 6:7,8) इसीलिए, यहोवा ने इस्राएल जाति को खुलकर बताया था कि अगर वे उसकी आज्ञाएँ तोड़ेंगे और सच्ची उपासना से मुकर जाएँगे, तो उन पर क्या नौबत आएगी। इस्राएल पर से परमेश्वर का साया हट जाने से यह छोटी-सी बेबस जाति, पड़ोस की क्रूर और शक्तिशाली जातियों के रहमोकरम पर होती। (व्यवस्थाविवरण 28:15,45-48) जब इस्राएल जाति परमेश्वर की आज्ञाओं के खिलाफ गयी तो उसका यही हश्र हुआ। उन पर बीती घटनाओं का पूरा ब्यौरा बाइबल में हमारी “चितावनी” के लिए दिया गया है ताकि हम उनसे सबक सीखें और परमेश्वर का भय उत्पन्न करें।—1 कुरिन्थियों 10:11.
6. बाइबल में दिए गए कुछ उदाहरण क्या हैं जिन पर मनन करने से हम परमेश्वर का भय मानना सीख सकते हैं? (फुटनोट देखिए।)
6 इस्राएल जाति के साथ जो हुआ, यह बताने के अलावा बाइबल कुछ ऐसे लोगों की आपबीती भी बताती है जिन्होंने जलन, अनैतिकता, लालच और घमंड के काबू में आकर पाप किया था। * इनमें से कुछ लोग तो बरसों से यहोवा की सेवा करते आए थे, मगर ज़िंदगी के एक नाज़ुक पल में जब परमेश्वर के लिए उनका भय कम हो गया, तब उन्हें उसका बुरा अंजाम भुगतना पड़ा। उनके उदाहरणों पर मनन करने से हम अपना यह इरादा मज़बूत कर सकते हैं कि हम उनकी गलतियाँ नहीं दोहराएँगे। यह कितने दुःख की बात होगी अगर हम पाप करने और उसके अंजाम भुगतने के बाद कहीं जाकर परमेश्वर की सलाह मानें! इसके बजाय, अच्छा होगा कि हम पहले ही उसकी सलाह अपने दिल में बिठा लें! तो यह आम कहावत सच नहीं है कि इंसान का सबसे अच्छा गुरू उसका तजुर्बा होता है, खासकर ऐसा तजुर्बा तो अच्छा गुरू हो ही नहीं सकता जो हमें अपनी मन-मरज़ी से ज़िंदगी बिताना सिखाए।—भजन 19:7.
7. परमेश्वर किसे अपने आध्यात्मिक तंबू में बुलाता है?
7 परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते की रक्षा करना भी उसका भय पैदा करने का एक ज़बरदस्त कारण है। हम परमेश्वर को नाराज़ करने से इसलिए डरते हैं क्योंकि हमें उसकी दोस्ती जान से भी ज़्यादा प्यारी है। परमेश्वर किसे अपना दोस्त समझता है? और किसे अपने आध्यात्मिक तंबू में बुलाता है? सिर्फ ऐसे इंसान को “जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है।” (भजन 15:1,2) अगर हम सिरजनहार के साथ अपने अनमोल रिश्ते की कदर करेंगे, तो हम इस बात का पूरा ध्यान रखेंगे कि उसकी नज़रों में हमारा चालचलन एकदम खरा हो।
8. मलाकी के दिनों में कुछ इस्राएलियों ने परमेश्वर की दोस्ती को कैसे तुच्छ समझा?
8 अफसोस की बात है कि मलाकी के दिनों में कुछ इस्राएलियों ने परमेश्वर की दोस्ती को तुच्छ समझा। उन्हें यहोवा का भय मानना था और उसका आदर करना था मगर वे उसकी वेदी पर बीमार और लंगड़े जानवरों की बलि चढ़ाते थे। इसके अलावा, शादी-शुदा ज़िंदगी के बारे में उनके नज़रिए से भी साबित हुआ कि वे परमेश्वर का भय नहीं मानते थे। दूसरी जवान औरतों से शादी करने के लिए, उन्होंने अपनी जवानी की स्त्रियों को छोटी-मोटी वजहों से तलाक दे दिया था। मलाकी ने उनको साफ बताया कि परमेश्वर को “तलाक” (NHT) से नफरत है और यह भी बताया कि उनका विश्वासघाती मन उन्हें परमेश्वर से दूर ले गया है। आखिर, यहोवा उनके बलिदानों को कैसे स्वीकार कर सकता था जब उसकी वेदी मानो आँसुओं से, जी हाँ, उन त्यागी हुई पत्नियों के खून के आँसुओं से भीगी हुई थी? लोगों को इस तरह अपने नियमों का घोर अपमान करते देख यहोवा पूछता है: ‘मेरा भय मानना कहां है?’—मलाकी 1:6-8; 2:13-16.
9, 10. हम यह कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा की दोस्ती की कदर करते हैं?
9 आज भी ऐसे कई पति और पिता हैं जो अपने स्वार्थ में इस कदर अँधे हो गए कि उन्होंने अनैतिक काम करके अपनी पत्नियों और बच्चों को बीच मझधार में बेसहारा छोड़ दिया। कुछ मामलों में तो पत्नियों और माँओं ने भी ऐसा विश्वासघात किया है। उनके निर्दोष साथियों और बच्चों के दिल की तड़प को यहोवा महसूस करता है और उन्हें ऐसी हालत में देखकर उसका मन भी रो पड़ता है। इसलिए जो इंसान परमेश्वर का मित्र है, वह शादी के मामले में परमेश्वर का नज़रिया रखेगा। वह अपनी शादी के बंधन को मज़बूत करने की जी-जान से कोशिश करेगा और दुनिया के सोच-विचार को ठुकरा देगा, जो शादी को सिर्फ एक खेल समझती है। वह ‘व्यभिचार से बचा रहेगा।’—1 कुरिन्थियों 6:18.
10 शादी के अलावा ज़िंदगी के दूसरे क्षेत्रों में भी हमें ऐसी हर बात से घृणा करनी चाहिए जो यहोवा की नज़रों में बुरी है। साथ ही, यहोवा की दोस्ती की दिल से कदर करनी चाहिए। ऐसा करने से यहोवा हम पर अनुग्रह करेगा और हमें स्वीकार करेगा। प्रेरित पतरस ने पूरे यकीन के साथ कहा: “अब मुझे निश्चय हुआ, कि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।” (प्रेरितों 10:35) बाइबल में ऐसे कई लोगों के उदाहरण दिए गए हैं जिन्हें परमेश्वर के भय ने कई तरह की परीक्षाओं के दौरान सही काम करने के लिए उकसाया।
परमेश्वर का भय माननेवाले तीन जन
11. ‘परमेश्वर का भय माननेवाला’ कहलाने से पहले इब्राहीम को किस परीक्षा से गुज़रना पड़ा?
11 बाइबल में एक ऐसे पुरुष का ज़िक्र है जिसे यहोवा ने खुद अपना मित्र कहा। वह था कुलपिता, इब्राहीम। (यशायाह 41:8, NHT) इब्राहीम, परमेश्वर का कितना भय मानता था, इसकी असल परीक्षा तब हुई जब परमेश्वर ने उसे अपने एकलौते बेटे, इसहाक की बलि चढ़ाने के लिए कहा। यह वही बेटा था जिसके ज़रिए परमेश्वर के वादे के मुताबिक इब्राहीम का वंश एक बड़ी जाति बनता। (उत्पत्ति 12:2,3; 17:19) क्या “परमेश्वर का मित्र” इस दर्दनाक परीक्षा में सफल होता? (याकूब 2:23) जैसे ही इब्राहीम ने अपने बेटे, इसहाक को मारने के लिए छुरी उठायी, यहोवा के स्वर्गदूत ने उससे कहा: “उस लड़के पर हाथ मत बढ़ा, और न उस से कुछ कर: क्योंकि तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्वर का भय मानता है।”—उत्पत्ति 22:10-12.
12. किस बात ने इब्राहीम को परमेश्वर का भय मानने के लिए उकसाया और हम भी कैसे यह भय दिखा सकते हैं?
12 हालाँकि इब्राहीम पहले ही साबित कर चुका था कि वह यहोवा का भय मानता है, मगर उस मौके पर उसने परमेश्वर का भय मानने की सबसे बेहतरीन मिसाल कायम की। वह अपने बेटे की कुरबानी देने के लिए सिर्फ इसलिए तैयार नहीं हो गया क्योंकि वह परमेश्वर को आदर दिखाने के लिए उसकी आज्ञा पूरी करना चाहता था। बल्कि उसे अपने स्वर्गीय पिता पर अटल विश्वास था कि वह वंश के बारे में अपना वादा निभाने के लिए ज़रूरत पड़ने पर इसहाक को दोबारा ज़िंदा कर सकता है। इसी बात ने उसे अपने बेटे की बलि चढ़ाने के लिए उकसाया। जैसे पौलुस ने लिखा, इब्राहीम को “पूरा भरोसा था कि परमेश्वर ने उसे जो वचन दिया है, उसे पूरा करने में वह पूरी तरह समर्थ है।” (ईज़ी-टू-रीड वर्शन) (रोमियों 4:16-21) क्या हम भी परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, ऐसे वक्त पर भी जब हमें इसके लिए बड़े-से-बड़ा त्याग करना पड़े? क्या यह जानकर कि यहोवा “अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है,” हम इस बात का पूरा भरोसा रखते हैं कि अगर हम आज्ञा मानने के लिए ऐसे त्याग करेंगे, तो भविष्य में हमें हमेशा-हमेशा तक लाभ होगा? (इब्रानियों 11:6) इसी को परमेश्वर का भय मानना कहते हैं।—भजन 115:11.
13. अपने बारे में यूसुफ क्यों कह सका कि वह “परमेश्वर का भय मानता” है?
13 आइए अब हम एक और इंसान की मिसाल पर गौर करते हैं जिसने अपने कामों से दिखाया कि वह परमेश्वर का भय मानता है। वह था, यूसुफ। यूसुफ, पोतिपर का दास था। उसके घर में उसे हर रोज़ व्यभिचार करने के दबाव का सामना करना पड़ता था। पोतिपर की पत्नी, यूसुफ के पीछे हाथ धोकर पड़ गयी थी कि वह उसके साथ नाजायज़ संबंध रखे और उसके सामने आने से बचना यूसुफ के लिए नामुमकिन था। आखिरकार, जब एक दिन पोतीपर की पत्नी ने यूसुफ को ‘पकड़ लिया’ तब वह वहाँ से “भागा, और बाहर निकल गया।” वह क्या बात थी जिसने यूसुफ को बुराई से तुरंत दूर भागने के लिए उकसाया? बेशक, इसकी सबसे बड़ी वजह थी, परमेश्वर का भय। वह “ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्वर का अपराधी” नहीं बनना चाहता था। (उत्पत्ति 39:7-12) इसलिए यूसुफ अपने बारे में यह कह सका कि वह “परमेश्वर का भय मानता” है।—उत्पत्ति 42:18.
14. यूसुफ की दया में परमेश्वर का भय कैसे नज़र आता है?
14 इस घटना के सालों बाद, यूसुफ का आमना-सामना अपने उन भाइयों से हुआ, जिन्होंने उसे बेरहमी से बेच दिया था। यूसुफ के भाइयों को उस वक्त खाने के लाले पड़े हुए थे, इसलिए अगर वह चाहता तो उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर, बड़ी आसानी से उनसे बदला ले सकता था। लेकिन परमेश्वर का भय माननेवाले दूसरों के साथ कभी कठोरता से पेश नहीं आते। (लैव्यव्यवस्था 25:43) इसलिए, जब यूसुफ को काफी सबूत मिल गए कि उसके भाइयों का दिल बदल चुका है, तो उसने दया दिखाते हुए उन्हें माफ कर दिया। यहोवा का भय होने पर हम भी यूसुफ की तरह बुराई को भलाई से जीतने की कोशिश करेंगे और प्रलोभन में पड़ने से बचे रहेंगे।—उत्पत्ति 45:1-11; भजन 130:3,4; रोमियों 12:17-21.
15. अय्यूब के चालचलन ने यहोवा का दिल क्यों खुश किया?
15 परमेश्वर का भय मानने में एक और उम्दा मिसाल, अय्यूब की है। यहोवा ने इब्लीस से कहा: “क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।” (अय्यूब 1:8) बरसों तक अय्यूब ने चालचलन में बेदाग रहकर, अपने स्वर्गीय पिता का दिल खुश किया था। अय्यूब, इसलिए परमेश्वर का भय मानता था क्योंकि वह जानता था कि यही जीने का सही और सबसे बेहतरीन तरीका है। उसने कहा: “देख, प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है: और बुराई से दूर रहना यही समझ है।” (अय्यूब 28:28) अय्यूब शादी-शुदा था और वह दूसरी जवान औरतों पर बुरी नज़र नहीं डालता था, ना ही उसने कभी उनके साथ व्यभिचार करने के लिए उन्हें फँसाने का विचार मन में आने दिया। हालाँकि वह दौलतमंद था मगर उसका भरोसा दौलत पर नहीं था और वह हर तरह की मूर्तिपूजा से दूर रहा।—अय्यूब 31:1,9-11,24-28.
16. (क) अय्यूब ने किस तरह दूसरों पर कृपा की? (ख) अय्यूब ने यह कैसे दिखाया कि वह माफ करने के लिए तैयार था?
16 परमेश्वर का भय मानने का मतलब सिर्फ बुराई से दूर रहना नहीं बल्कि भले काम करना भी है। इसलिए अय्यूब अंधों, लंगड़ों और गरीबों का हमदर्द था और उसने दिल खोलकर उनकी मदद की। (लैव्यव्यवस्था 19:14; अय्यूब 29:15,16) वह अच्छी तरह जानता था कि “जो पड़ोसी पर कृपा नहीं करता वह सर्वशक्तिमान का भय मानना छोड़ देता है।” (अय्यूब 6:14) किसी को माफ न करना या उसके लिए मन में नफरत पालने का मतलब उसे कृपा न दिखाना होगा। परमेश्वर के कहने पर अय्यूब ने अपने उन तीन साथियों की खातिर प्रार्थना की जिन्होंने उसे बहुत दुःख दिया था। इस तरह उसने दिखाया कि उसने अपने साथियों को माफ कर दिया है। (अय्यूब 42:7-10) अगर कोई भाई या बहन हमें किसी तरह ठेस पहुँचाता है तब क्या हम भी अय्यूब की तरह उसे माफ कर सकते हैं? जिसने हमारा दिल दुखाया है, उसकी खातिर अगर हम सच्चे दिल से प्रार्थना करेंगे, तो हमें अपनी नाराज़गी दूर करने में काफी मदद मिल सकती है। परमेश्वर का भय मानने पर अय्यूब को जो आशीषें मिलीं, उनसे हमें पता चलता है कि जो ‘यहोवा से डरते हैं उनके लिए उसने कितनी अपार भलाई रख छोड़ी है।’—भजन 31:19, नयी हिन्दी बाइबिल; याकूब 5:11.
परमेश्वर का भय या इंसान का भय
17. इंसान का भय खाने से हम पर क्या असर हो सकता है, और ऐसा भय खाना समझदारी क्यों नहीं होगी?
17 परमेश्वर का भय हमें सही काम करने के लिए उकसा सकता है जबकि इंसान का भय हमारे विश्वास को कमज़ोर कर सकता है। इसीलिए, यीशु ने प्रेरितों को सुसमाचार का प्रचार करने का जोश दिलाते वक्त उन्हें बताया: “जो शरीर को घात करते हैं, पर आत्मा को घात नहीं कर सकते, उन से मत डरना; पर उसी से डरो, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक [गेहन्ना] में नाश कर सकता है।” (मत्ती 10:28) जैसा यीशु ने समझाया था, इंसान का भय खानेवाला सिर्फ मौजूदा हालात से राहत पाने की सोचता है मगर वह यह नहीं समझ पाता कि इंसान, भविष्य में मिलनेवाली ज़िंदगी की आशा हमसे नहीं छीन सकते। परमेश्वर का भय मानने का एक और कारण यह कि उसके पास असीम सामर्थ है और उसकी तुलना में दुनिया के राष्ट्रों की सारी ताकत कुछ भी नहीं है। (यशायाह 40:15) इब्राहीम की तरह हम इस बात का पूरा भरोसा रखते हैं कि यहोवा के पास अपने वफादार सेवकों का पुनरुत्थान करने की ताकत है। (प्रकाशितवाक्य 2:10) इसलिए हम पूरे विश्वास के साथ कहते हैं: “यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?”—रोमियों 8:31.
18. जो यहोवा का भय मानते हैं, उन्हें यहोवा कैसा प्रतिफल देता है?
18 चाहे परिवार का कोई सदस्य हमारा विरोध करे या फिर स्कूल में गुंडागर्दी करनेवाला कोई साथी, मगर हम यही पाएँगे कि ‘यहोवा का भय मानने से दृढ़ भरोसा होता है।’ (नीतिवचन 14:26) हम सामर्थ पाने के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं और भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारी प्रार्थना ज़रूर सुनेगा। (भजन 145:19) जो यहोवा का भय मानते हैं, उन्हें वह कभी नहीं भूलता। अपने भविष्यवक्ता मलाकी के ज़रिए वह हमारा हौसला बढ़ाता है: “तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।”—मलाकी 3:16.
19. किस तरह के भय मिट जाएँगे मगर कौन-सा भय सदा तक कायम रहेगा?
19 वह दिन दूर नहीं जब धरती पर रहनेवाला हर इंसान यहोवा की उपासना करेगा और इंसानों के भय का नामो-निशान मिट जाएगा। (यशायाह 11:9) भुखमरी, बीमारी, अपराध और युद्ध का भय भी खत्म हो जाएगा। लेकिन परमेश्वर का भय सदा तक कायम रहेगा क्योंकि स्वर्ग और पृथ्वी पर रहनेवाले उसके वफादार सेवक हमेशा उसका आदर करते रहेंगे, उसकी आज्ञाएँ मानेंगे और उसका सम्मान करेंगे। (प्रकाशितवाक्य 15:4) तब तक आइए हम ईश्वर-प्रेरणा से दी गयी सुलैमान की इस सलाह को दिल में संजोकर रखें: “तू पापियों के विषय मन में डाह न करना, दिन भर यहोवा का भय मानते रहना। क्योंकि अन्त में फल होगा, और तेरी आशा न टूटेगी।”—नीतिवचन 23:17,18.
[फुटनोट]
^ कुछ लोगों को रोज़ाना खतरनाक हालातों में काम करना पड़ता है इसलिए धीरे-धीरे उनका डर खतम हो जाता है। जब एक अनुभवी बढ़ई से पूछा गया कि ज़्यादातर बढ़ई क्यों अपनी एक उँगली गँवा बैठते हैं, तो उसने बिलकुल सीधा-सा जवाब दिया: “बिजली से चलनेवाले तेज़ आरों का डर उनके अंदर से मिट जाता है।”
^ यहोवा भी घृणा की ऐसी भावना रखता है। उदाहरण के लिए, इफिसियों 4:29 में हमें यह सलाह दी गयी है कि हम मुँह से कोई “गन्दी बात” न बोलें। “गन्दी” के लिए इस्तेमाल किए गए यूनानी शब्द का मतलब सड़ा-गला फल, मछली या माँस है। इस तरह के शब्दों से हमें साफ मालूम पड़ता है कि हमें गाली-गलौज या गंदी बातों से कितनी घृणा करनी है और उनसे कितना दूर रहना है। उसी तरह, व्यवस्थाविवरण 29:17 और यहेजकेल 6:9 में ‘मूर्ति’ शब्द के लिए इब्रानी भाषा में दरअसल “गोबरमय मूर्तियाँ” इस्तेमाल किया गया है। जिस तरह गोबर या विष्ठा से हमें घिन आती है और देखते ही हम अपना मुँह फेर लेते हैं, उसी तरह यहोवा भी हर किस्म की मूर्तिपूजा से घृणा करता है।
^ मिसाल के लिए, आप बाइबल से कैन (उत्पत्ति 4:3-12); दाऊद (2 शमूएल 11:2–12:14); गेहजी (2 राजा 5:20-27); और उज्जिय्याह (2 इतिहास 26:16-21) के वृत्तांत पढ़ सकते हैं।
क्या आपको याद है?
• हम बुराई से बैर करना कैसे सीखते हैं?
• मलाकी के दिनों में कुछ इस्राएलियों ने कैसे परमेश्वर की दोस्ती को तुच्छ समझा?
• परमेश्वर का भय मानने के बारे में हम इब्राहीम, यूसुफ और अय्यूब से क्या सीख सकते हैं?
• कौन-सा भय हमेशा कायम रहेगा और क्यों?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 19 पर तसवीर]
समझदार माँ-बाप अपने बच्चों के दिल में ऐसा भय पैदा करते हैं जिससे बच्चों का भला हो
[पेज 20 पर तसवीर]
जैसे भय हमें खतरे से बचाता है, उसी तरह परमेश्वर का भय हमें बुराई से बचाता है
[पेज 23 पर तसवीर]
अय्यूब का सामना जब तीन झूठे दोस्तों से हुआ, तब भी उसने परमेश्वर का भय दिखाया
[चित्र का श्रेय]
From the Bible translation Vulgata Latina, 1795