यहोवा का तेज अपने लोगों पर चमकता है
यहोवा का तेज अपने लोगों पर चमकता है
“यहोवा तेरी सदैव की ज्योति होगा।”—यशायाह 60:20.
1. यहोवा अपने वफादार लोगों को कैसी आशीष देता है?
“यहोवा अपनी प्रजा से प्रसन्न रहता है; वह नम्र लोगों का उद्धार करके उन्हें शोभायमान करेगा।” (भजन 149:4) इतिहास गवाह है कि भजनहार के ये शब्द कितने सच हैं। जब यहोवा के लोग उसके वफादार रहते हैं, तो वह उनका खयाल रखता है, उन्हें बढ़ाता है और उनकी हिफाज़त करता है। प्राचीनकाल में उसने अपने लोगों को दुश्मनों पर जीत दिलायी। आज, वह उन्हें आध्यात्मिक तरीके से मज़बूत बनाए रखता है और उन्हें भरोसा दिलाता है कि यीशु के बलिदान के आधार पर वे उद्धार पाएँगे। (रोमियों 5:9) परमेश्वर अपने लोगों के लिए यह सब इसलिए करता है क्योंकि वे उसकी नज़रों में शोभायमान हैं।
2. विरोध आने के बावजूद, परमेश्वर के लोगों को किस बात का यकीन है?
2 मगर, यह दुनिया अंधकार में डूबी हुई है, इसलिए जो “भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं” उनका विरोध किया जाएगा। (2 तीमुथियुस 3:12) फिर भी, यहोवा की नज़र इन विरोधियों पर है और वह उन्हें खबरदार करता है: “जो जाति और राज्य के लोग तेरी सेवा न करें वे नष्ट हो जाएंगे; हां ऐसी जातियां पूरी रीति से सत्यानाश हो जाएंगी।” (यशायाह 60:12) आज अलग-अलग तरीकों से हमारा विरोध किया जाता है। कुछ देशों में, जहाँ सच्चे मसीही यहोवा की उपासना करते हैं, वहाँ विरोधी उन पर पाबंदियाँ लगाने या उनकी उपासना को मिटाने की कोशिश करते हैं। कुछ और देशों में कट्टरपंथी, यहोवा के उपासकों पर हमला करते हैं और उनकी ज़मीन-जायदाद को आग में फूँक देते हैं। मगर, याद रहे कि परमेश्वर की मरज़ी के खिलाफ काम करनेवाले हर किसी का अंजाम यहोवा ने पहले से ही तय कर दिया है। हमारे दुश्मनों को मुँह की खानी पड़ेगी। जो सिय्योन के खिलाफ, यानी पृथ्वी पर उसके बच्चों के खिलाफ लड़ते हैं, वे हरगिज़ कामयाब नहीं हो सकते। जब हमारे महान परमेश्वर, यहोवा ने खुद यह बात कही है, तो क्या हमारा हौसला मज़बूत नहीं होता?
उम्मीद से ज़्यादा आशीषें पायीं
3. यहोवा के उपासकों की शोभा और उनके फलने-फूलने की मिसाल किससे दी गयी है?
3 सच तो यह है कि आज इन अंतिम दिनों में यहोवा ने अपने लोगों को इतनी आशीषें दी हैं, जिनकी उन्होंने उम्मीद भी नहीं की थी। खासकर उसने अपने उपासना के स्थान की और उसमें मौजूद उसका नाम धारण करनेवालों की शोभा निरंतर बढ़ायी है। यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक, वह सिय्योन से कहता है: “लबानोन का विभव अर्थात् सनौबर और देवदार और सीधे सनौबर के पेड़ एक साथ तेरे पास आएंगे कि मेरे पवित्रस्थान को सुशोभित करें; और मैं अपने चरणों के स्थान को महिमा दूंगा।” (यशायाह 60:13) ऊँचे पहाड़ों पर हरे-भरे, फलते-फूलते पेड़ हों तो यह कैसा बढ़िया नज़ारा होता है। इसलिए ये हरे-भरे पेड़, यहोवा के उपासकों की शोभा और उनके फलने-फूलने की बिलकुल सही निशानियाँ हैं।—यशायाह 41:19; 55:13.
4. “पवित्रस्थान” और यहोवा के ‘चरणों का स्थान’ क्या है, और इनकी शोभा कैसे बढ़ी है?
4 यशायाह 60:13 में बताया गया “पवित्रस्थान” और यहोवा के ‘चरणों का स्थान’ क्या है? ये शब्द, यहोवा के महान आत्मिक मंदिर के आँगनों को सूचित करते हैं। यह आत्मिक मंदिर, यीशु मसीह के ज़रिए यहोवा के पास आने और उसकी उपासना करने का इंतज़ाम है। (इब्रानियों 8:1-5; 9:2-10, 23) यहोवा ने अपना यह उद्देश्य ज़ाहिर किया है कि वह इस आत्मिक मंदिर की शोभा बढ़ाने की खातिर सब जातियों के लोगों को उपासना करने के लिए यहाँ इकट्ठा करेगा। (हाग्गै 2:7) यशायाह ने पहले खुद दर्शन में देखा था कि सब जातियों से लोगों की भीड़ निकलकर यहोवा की उपासना के लिए उसके ऊँचे किए गए पर्वत की ओर बढ़ती चली आ रही है। (यशायाह 2:1-4) सैकड़ों साल बाद, प्रेरित यूहन्ना ने एक दर्शन में “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़,” को देखा “जिसे कोई गिन नहीं सकता था।” ये “परमेश्वर के सिंहासन के साम्हने [खड़े] हैं, और उसके मन्दिर में दिन रात उस की सेवा करते हैं।” (प्रकाशितवाक्य 7:9, 15) आज हमारे दिनों में, ये भविष्यवाणियाँ पूरी हो रही हैं, इसलिए हम खुद यहोवा के भवन को शोभायमान होता हुआ देख सकते हैं।
5. सिय्योन के बच्चों ने किस भारी बदलाव से फायदा पाया?
5 ये सब सिय्योन के लिए कितने भारी मगर कितने अच्छे बदलाव हैं! यहोवा कहता है: “तू जो त्यागी गई और घृणित ठहरी, यहां तक कि कोई तुझ में से होकर नहीं जाता था, इसकी सन्ती मैं तुझे सदा के घमण्ड का और पीढ़ी पीढ़ी के हर्ष का कारण ठहराऊंगा।” (यशायाह 60:15) पहले विश्वयुद्ध के खत्म होते-होते, ‘परमेश्वर का इस्राएल’ कुछ समय के लिए सचमुच उजड़ गया। (गलतियों 6:16) सिय्योन ने खुद को पूरी तरह “त्यागी” हुई महसूस किया, क्योंकि पृथ्वी पर उसके बच्चे यह नहीं समझ पाए कि परमेश्वर की मरज़ी उनके लिए क्या थी। लेकिन सन् 1919 में, यहोवा ने अपने अभिषिक्त सेवकों में दोबारा जान डाली और तब से उसने उन्हें आध्यात्मिक खुशहाली की शानदार आशीष दी है। और इस आयत में यहोवा का वादा क्या हमें खुशी से नहीं भर देता? यहोवा, सिय्योन को ‘घमण्ड का कारण’ मानेगा। जी हाँ, सिय्योन की संतान और खुद यहोवा भी सिय्योन पर गर्व करेंगे। वह उनके “हर्ष” का या असीम आनंद का कारण होगी। और यह सिर्फ कुछ वक्त के लिए नहीं होगा। सिय्योन पर और पृथ्वी पर रहनेवाले उसके बच्चों पर “पीढ़ी पीढ़ी” तक अनुग्रह होता रहेगा। यह अनुग्रह उससे कभी नहीं हटेगा।
6. सच्चे मसीही, राष्ट्रों के साधन कैसे इस्तेमाल करते हैं?
6 अब, परमेश्वर के एक और वादे पर कान लगाइए। यहोवा, सिय्योन से कहता है: “तू अन्यजातियों का दूध पी लेगी, तू राजाओं की छातियां चूसेगी; और तू जान लेगी कि मैं यहोवा तेरा उद्धारकर्त्ता और तेरा छुड़ानेवाला, याकूब का सर्वशक्तिमान हूं।” (यशायाह 60:16) लेकिन इसका मतलब क्या है कि सिय्योन “अन्यजातियों का दूध” पीएगी और “राजाओं की छातियां” चूसेगी? इसका मतलब यह है कि अभिषिक्त मसीही और उनके साथी ‘अन्य भेड़,’ शुद्ध उपासना को बढ़ाने के लिए राष्ट्रों के कीमती साधन इस्तेमाल करते हैं। (यूहन्ना 10:16, NW) खुशी से दिए गए दान के पैसे से, पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर प्रचार करने और सिखाने का काम करने में मदद मिली है। आधुनिक टेकनॉलजी का अक्लमंदी से इस्तेमाल करने से, आज सैकड़ों भाषाओं में बाइबलें और बाइबल साहित्य प्रकाशित करना आसान हो गया है। आज बाइबल की सच्चाई इतने सारे लोगों तक पहुँचाई जा रही है जितनी इतिहास में पहले कभी नहीं पहुँचाई गयी थी। आज बहुत-से देशों के लोग यह सीख रहे हैं कि यहोवा ने अभिषिक्त मसीहियों को आध्यात्मिक बंधुआई से छुड़ाकर यह साबित किया है कि सही मायनों में वही हमारा उद्धारकर्त्ता है।
संगठन में उन्नति
7. सिय्योन के बच्चों ने किस बढ़िया उन्नति को देखा है?
7 यहोवा ने एक और तरीके से अपने लोगों की शोभा बढ़ायी है। उसने उन्हें संगठन के काम करने के तरीके में उन्नति करने की आशीष दी है। यशायाह 60:17 में हम पढ़ते हैं: “मैं पीतल की सन्ती सोना, लोहे की सन्ती चान्दी, लकड़ी की सन्ती पीतल और पत्थर की सन्ती लोहा लाऊंगा। मैं तेरे हाकिमों को मेल-मिलाप और तेरे चौधरियों को धार्मिकता ठहराऊंगा।” पीतल की जगह सोना लाना उन्नति की निशानी है और यही बात यहाँ बतायी गयी बाकी धातुओं के बारे में भी सच है। इस भविष्यवाणी के मुताबिक, अंतिम दिनों के दौरान परमेश्वर के इस्राएल ने संगठन के काम करने के तरीकों में लगातार सुधार होते देखा है। इसके चंद उदाहरणों पर गौर कीजिए।
8-10. सन् 1919 से संगठन के कुछ इंतज़ामों में आयी उन्नति के बारे में बताइए।
8 सन् 1919 से पहले, परमेश्वर के लोगों की कलीसियाओं की देख-रेख प्राचीन और डीकन करते थे, जिन्हें कलीसिया वोट डालकर चुनती थी। लेकिन उस साल से, “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने हर कलीसिया में एक सर्विस डाइरेक्टर नियुक्त करना शुरू किया, जिसे कलीसिया में प्रचार के काम की देख-रेख करनी थी। (मत्ती 24:45-47) लेकिन, बहुत-सी कलीसियाओं में इस इंतज़ाम का कोई खास फायदा नहीं हुआ, क्योंकि वोट से चुने गए कुछ प्राचीनों ने प्रचार के काम में पूरा सहयोग नहीं दिया। इसलिए, सन् 1932 में कलीसियाओं को यह निर्देशन दिया गया कि वे अब से प्राचीनों और डीकनों का चुनाव करना बंद करें। इसके बजाय, उन्हें ऐसे भाइयों का चुनाव करना था जो सर्विस कमिटी के सदस्य होते और सर्विस डाइरेक्टर के साथ मिलकर काम करते। यह बदलाव “लकड़ी” की जगह “पीतल” लाने जैसा था, और यह वाकई एक बहुत बड़ी उन्नति थी!
9 इसके बाद, सन् 1938 में पूरी दुनिया की कलीसियाओं ने एक बेहतर इंतज़ाम लागू करने की ठान ली और यह इंतज़ाम बाइबल में बतायी मिसाल के मुताबिक ज़्यादा सही था। कलीसिया की देख-रेख का काम एक कंपनी सर्वेंट और दूसरे सेवक मिलकर करने लगे। इन सभी को विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास की निगरानी में नियुक्त किया गया था। वोट डालकर चुनाव करना बंद हो चुका था! इस तरह कलीसिया के सभी ज़िम्मेदार भाइयों को परमेश्वर के ठहराए हुए तरीके से नियुक्त किया जाने लगा। यह उन्नति “पत्थर” की जगह “लोहा” लाने या “पीतल” की जगह “सोना” लाने जैसी थी।
10 तब से लेकर आज तक संगठन में लगातार सुधार हुआ है। मिसाल के लिए, 1972 में यह समझा गया कि कलीसिया की देख-रेख के लिए, प्राचीनों का एक समूह हो जिसमें परमेश्वर के इंतज़ाम के मुताबिक प्राचीन ठहराए जाएँ और वे कलीसिया की देख-रेख करने में एक-दूसरे को सहयोग दें। यह इंतज़ाम, पहली सदी की मसीही कलीसियाओं के इंतज़ाम के हिसाब से ज़्यादा सही था, क्योंकि इसमें कोई एक प्राचीन दूसरे प्राचीनों पर अधिकार नहीं चलाता था। इसके अलावा, अब से लगभग दो साल पहले, उन्नति के लिए एक और बड़ा कदम उठाया गया। कुछेक कानूनी निगमों में निर्देशकों के पद के मामले में एक तबदीली लायी गयी। इस बदलाव से अब शासी निकाय, परमेश्वर के लोगों की आध्यात्मिक देखभाल करने पर ज़्यादा ध्यान दे पाता है और रोज़मर्रा के कानूनी मामलों में उनका वक्त ज़ाया नहीं होता।
11. यहोवा के संगठन में हुई उन्नति के पीछे किसका हाथ है, और इससे क्या लाभ हुए हैं?
11 इन सारे बदलावों और सुधार के पीछे किसका हाथ है? खुद यहोवा परमेश्वर का। उसी ने कहा था: ‘मैं सोना लाऊंगा।’ और वही आगे कहता है: “मैं तेरे हाकिमों को मेल-मिलाप और तेरे चौधरियों को धार्मिकता ठहराऊंगा।” (तिरछे टाइप हमारे।) जी हाँ, यहोवा खुद अपने लोगों की देख-रेख करने की ज़िम्मेदारी उठाता है। भविष्यवाणी के मुताबिक, संगठन में लगातार हो रही उन्नति एक और तरीका है जिससे यहोवा अपने लोगों की शोभा बढ़ा रहा है। और इसलिए यहोवा के साक्षियों को अनेक तरीकों से आशीषें मिली हैं। यशायाह 60:18 में हम पढ़ते हैं: “तेरे देश में फिर कभी उपद्रव और तेरे सिवानों के भीतर उत्पात वा अन्धेर की चर्चा न सुनाई पड़ेगी; परन्तु तू अपनी शहरपनाह का नाम उद्धार और अपने फाटकों का नाम यश रखेगी।” यह कितनी मनोहर बात है! मगर यह पूरी कैसे हुई?
12. सच्चे मसीहियों के बीच किस तरह शांति छायी हुई है?
12 सच्चे मसीही, सही किस्म की सलाह और शिक्षा पाने के लिए यहोवा पर भरोसा रखते हैं और इसका नतीजा क्या होगा, इसके बारे में यशायाह ने भविष्यवाणी की: “तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।” (यशायाह 54:13) और यहोवा की आत्मा भी उसके लोगों पर काम करती है जिसका एक फल है, मेल या शांति। (गलतियों 5:22, 23) यहोवा के लोग अपनी इस शांति की वजह से, हिंसा से भरी इस दुनिया के रेगिस्तान में लहलहाते हरे-भरे बगीचे के समान हैं। सच्चे मसीही एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और इसी वजह से उनके बीच शांति का माहौल है और यह नयी दुनिया की ज़िंदगी की एक झलक है। (यूहन्ना 15:17; कुलुस्सियों 3:14) यह हमारे लिए क्या ही खुशी की बात है कि हम खुद इस शांति का आनंद उठा रहे हैं और इसे बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं! क्योंकि इससे हमारे परमेश्वर की महिमा और उसका आदर होता है, और यह हमारे आध्यात्मिक फिरदौस की एक बहुत बड़ी खासियत है।—यशायाह 11:9.
यहोवा का उजियाला चमकता रहेगा
13. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा का उजियाला उसके लोगों पर सदा तक चमकता रहेगा और कभी खत्म न होगा?
13 क्या यहोवा अपने लोगों पर उजियाला चमकाता रहेगा? जी हाँ, ज़रूर। यशायाह 60:19, 20 में लिखा है: “फिर दिन को सूर्य तेरा उजियाला न होगा, न चान्दनी के लिये चन्द्रमा परन्तु यहोवा तेरे लिये सदा का उजियाला और तेरा परमेश्वर तेरी शोभा ठहरेगा। तेरा सूर्य फिर कभी अस्त न होगा और न तेरे चन्द्रमा की ज्योति मलिन होगी; क्योंकि यहोवा तेरी सदैव की ज्योति होगा और तेरे विलाप के दिन समाप्त हो जाएंगे।” सन् 1919 में जब आध्यात्मिक बंधुआई में पड़े हुओं का “विलाप” खत्म हुआ, तो यहोवा का उजियाला उन पर चमकने लगा। आज उस बात को 80 से ज़्यादा साल बीत चुके हैं और आज भी यहोवा का अनुग्रह उन पर है और उसका उजियाला उन पर चमकता रहता है। और यह उजियाला हमेशा चमकता रहेगा। अपने उपासकों के मामले में, यहोवा न तो सूर्य की तरह “अस्त” होगा, ना ही चन्द्रमा की ज्योति की तरह “मलिन” होगा। वह अपने लोगों पर सदा तक उजियाला चमकाता रहेगा। घोर अंधकार से भरी इस दुनिया के अंतिम दिनों में जीनेवाले हम लोगों को यह पढ़कर कितनी तसल्ली मिलती है!
14, 15. (क) परमेश्वर के सब लोग किस तरह “धर्मी” हैं? (ख) अन्य भेड़ें, यशायाह 60:21 में भविष्यवाणी की गयी किस बेमिसाल आशीष को पाने का इंतज़ार करती हैं?
14 अब सुनिए कि यहोवा, पृथ्वी पर रहनेवाले सिय्योन के प्रतिनिधियों यानी परमेश्वर के इस्राएल के बारे में और क्या वादा करता है। यशायाह 60:21 कहता है: “तेरे लोग सब के सब धर्मी होंगे; वे सर्वदा देश के अधिकारी रहेंगे, वे मेरे लगाए हुए पौधे और मेरे हाथों का काम ठहरेंगे, जिस से मेरी महिमा प्रगट हो।” सन् 1919 में जब अभिषिक्त मसीहियों ने दोबारा काम शुरू किया, तब वे लोग सबसे अनोखे थे। पाप में पूरी तरह डूबे संसार में, उन्हें ‘धर्मी ठहराया’ गया था क्योंकि यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान पर उन्हें अटल विश्वास था। (रोमियों 3:24; 5:1) और फिर, बाबुल की बंधुआई से छूटे इस्राएलियों की तरह वे एक आध्यात्मिक “देश” या कार्यक्षेत्र के अधिकारी बने, जिसमें उन्हें आध्यात्मिक फिरदौस की आशीषें मिलनेवाली थीं। (यशायाह 66:8) उस देश की फिरदौस जैसी आध्यात्मिक सुंदरता कभी नहीं मिटेगी, क्योंकि जैसे प्राचीन इस्राएल ने परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया था, एक जाति के तौर पर परमेश्वर का इस्राएल यहोवा के साथ कभी विश्वासघात नहीं करेगा। उनके विश्वास, धीरज और जोश से सदा तक यहोवा के नाम की महिमा होती रहेगी।
15 उस आत्मिक जाति के सभी लोग नयी वाचा में शामिल हैं। उन सभी के दिलों पर यहोवा की व्यवस्था लिखी हुई है और यीशु के छुड़ौती बलिदान के आधार पर यहोवा ने उनके पापों को माफ किया है। (यिर्मयाह 31:31-34) वह उन्हें ‘पुत्रों’ की हैसियत से धर्मी ठहराता है और उनसे इस तरह बर्ताव करता है मानो वे सिद्ध हों। (रोमियों 8:15, 16, 29, 30) उनके साथी, अन्य भेड़ों को भी यीशु के बलिदान की वजह से पापों की माफी मिली है और इब्राहीम जैसा विश्वास दिखाने की वजह से वे भी परमेश्वर के मित्रों की हैसियत से धर्मी ठहराए गए हैं। “इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं।” और ये अन्य भेड़ें एक और बेमिसाल आशीष पाने का इंतज़ार कर रही हैं। “बड़े क्लेश” से बचने या पुनरुत्थान पाने के बाद, वे यशायाह 60:21 के शब्दों को सचमुच पूरा होते देखेंगे जब सारी धरती एक फिरदौस बन जाएगी। (प्रकाशितवाक्य 7:14; रोमियों 4:1-3) उस वक्त, “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएंगे।”—भजन 37:11, 29.
बढ़ोतरी जारी रहती है
16. यहोवा ने कौन-सा बढ़िया वादा किया और यह वादा कैसे पूरा हुआ है?
16 यशायाह 60 अध्याय की आखिरी आयत में, हम इस अध्याय का यहोवा का आखिरी वादा पढ़ते हैं। वह सिय्योन से कहता है: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।” (यशायाह 60:22) हमारे दिनों में यहोवा ने अपना वादा निभाया है। जब अभिषिक्त मसीहियों ने सन् 1919 में अपना काम फिर से शुरू किया, तब उनकी गिनती बहुत कम थी—वे सचमुच ‘छोटे से छोटे’ थे। मगर जब और भी आत्मिक इस्राएली इकट्ठे किए जाने लगे तो उनकी गिनती बढ़ती गयी। और उसके बाद अन्य भेड़ें उनके पास आने लगीं, और उनकी गिनती लगातार बढ़ती गयी। परमेश्वर के लोगों के बीच शांति और उनके “देश” के आध्यात्मिक फिरदौस को देखकर इतने सारे नेकदिल इंसान उनकी तरफ खिंचे चले आए कि “दुर्बल” जाति सचमुच “सामर्थी जाति” बन गयी है। आज, परमेश्वर के इस्राएल और 60 लाख से ज़्यादा समर्पित ‘परदेशियों’ से बनी इस “जाति” की आबादी, दुनिया के बहुत-से स्वतंत्र राष्ट्रों की आबादी से कहीं ज़्यादा है। (यशायाह 60:10) इस जाति के सभी लोग यहोवा का उजियाला चमका रहे हैं और इसी वजह से वे यहोवा की नज़रों में शोभायमान हैं।
17. यशायाह 60 अध्याय की इस चर्चा का आप पर क्या असर हुआ है?
17 वाकई, जब हम यशायाह के अध्याय 60 की खास बातों पर विचार करते हैं, तो हमारा विश्वास मज़बूत होता है। यह जानकर हमें कितना हौसला मिलता है कि यहोवा को यह सब पहले से पता था कि उसके लोग आध्यात्मिक बंधुआई में कैद होंगे और फिर छुड़ाए जाएँगे। यह देखकर हमें हैरानी होती है कि इतने समय पहले ही यहोवा ने जान लिया कि हमारे दिनों में सच्चे उपासकों की गिनती में भारी बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, यह याद दिलाए जाने से हमें कितनी शांति मिलती है कि यहोवा हमें अकेला नहीं छोड़ेगा! उसने कितना प्यार भरा वादा किया है कि इस “नगर” के फाटक हमेशा खुले रहेंगे और उन सभी को अंदर आने का मौका मिलेगा जो ‘अनंत जीवन के लिए सही मन रखते हैं’! (प्रेरितों 13:48, NW) यहोवा का उजियाला अपने लोगों पर चमकता रहेगा। सिय्योन, घमंड का कारण बनी रहेगी, क्योंकि उसके बच्चे अपना उजियाला और तेज़ चमकाते रहेंगे। (मत्ती 5:16) हमारा यह इरादा पहले से ज़्यादा पक्का हो गया है कि हम परमेश्वर के इस्राएल के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर चलते रहेंगे और यहोवा के उजियाले को चमकाने का यह सम्मान अपने सीने से लगाए रखेंगे!
क्या आप समझा सकते हैं?
• विरोध के मामले में, हमें किस बात का यकीन है?
• सिय्योन के बच्चों ने कैसे ‘अन्यजातियों का दूध पीया’ है?
• यहोवा किन तरीकों से “लकड़ी की सन्ती पीतल” लाया है?
• यशायाह 60:17, 21 में किन दो गुणों पर ज़ोर दिया गया है?
• एक “दुर्बल” जाति, “सामर्थी” जाति कैसे बनी है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 18 पर बक्स/तसवीरें]
यशायाह की भविष्यवाणी—जगत के लिए उजियाला
इन लेखों में दी गयी जानकारी, 2001-02 के ज़िला अधिवेशन, “परमेश्वर के वचन के सिखानेवाले” में एक भाषण में पेश की गयी थी। ज़्यादातर जगहों पर इस भाषण के आखिर में, भाषण देनेवाले भाई ने एक नयी किताब, यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला, भाग 2 रिलीज़ की। इसके एक साल पहले, यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला, भाग 1 रिलीज़ की गयी थी। इस नयी किताब के निकलने से अब यशायाह की किताब की लगभग हर आयत के बारे में नयी-से-नयी जानकारी हमारे पास मौजूद है। ये किताबें, विश्वास बढ़ानेवाली यशायाह की भविष्यवाणी की किताब को और अच्छी तरह समझने और इसके लिए कदरदानी बढ़ाने में हमारी बहुत मदद कर रही हैं।
[पेज 15 पर तसवीरें]
कड़े विरोध के बावजूद, ‘यहोवा अपने लोगों का उद्धार करके उन्हें शोभायमान करता है’
[पेज 16 पर तसवीरें]
परमेश्वर के लोग, जातियों के कीमती साधन इस्तेमाल करके शुद्ध उपासना को बढ़ावा देते हैं
[पेज 17 पर तसवीरें]
यहोवा ने संगठन में उन्नति और शांति लाकर अपने लोगों को आशीष दी है