प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जुलाई, 2003 क्या हमें वाकई दूसरों की ज़रूरत है? हम क्यों अकेले नहीं जी सकते गुज़रा कल और आज—उसने बदलने की ताकत पा ली क्या आप “इंतज़ार करने का रवैया” रखते हैं? यहोवा के दिन को नज़दीक आते देख, लोगों के बारे में हमारा नज़रिया कैसा होना चाहिए? अपनी सोच सही रखिए और बुद्धिमानी से काम लीजिए ऊगरीट—बाल उपासना से घिरा एक प्राचीन शहर युसेबियस—“चर्च इतिहास का फादर”? दोहाई देनेवालों को तसल्ली क्या आप चाहते हैं कि कोई आकर आपसे मिले? प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जुलाई, 2003 प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जुलाई, 2003 हिंदी प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण 15 जुलाई, 2003 https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/ct/1add6d1d93/images/cvr_placeholder.jpg