एक बच्चे के दिल तक पहुँचना
एक बच्चे के दिल तक पहुँचना
क्या कभी किसी बच्चे को बंदूक, पिस्तौल जैसे खिलौनों के साथ खेलता देखकर आपको दुःख हुआ है? आजकल तो हर कहीं यह देखने को मिलता है, यहाँ तक कि नन्हे-मुन्ने बच्चे भी ऐसे खिलौनों से खेलते नज़र आते हैं। इसकी वजह यह है कि टी.वी. पर और फिल्मों में मार-धाड़ और खून-खराबा बढ़-चढ़कर दिखाया जाता है। आप ऐसे बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं ताकि वह लड़ाई-लड़ाई के खेल छोड़कर कुछ अच्छे खेल खेले? अफ्रीका में यहोवा की एक साक्षी और लंबे समय से मिशनरी सेवा करनेवाली, वॉलट्राउट ने कुछ ऐसा ही किया। आइए देखें कि उसने 5 साल के एक छोटे लड़के, वेरनर की मदद कैसे की।
अफ्रीका के जिस देश में वॉलट्राउट सेवा कर रही थी, वहाँ युद्ध छिड़ जाने की वजह से उसे किसी और देश में जाकर रहना पड़ा। वहाँ उसने वेरनर की माँ के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया। जब भी वह अध्ययन के लिए उनके घर जाती थी, तो देखती कि वेरनर एक प्लास्टिक की बंदूक से खेल रहा है। उसके पास बस यही एक खिलौना था। वॉलट्राउट ने वेरनर को अपनी बंदूक किसी पर तानते हुए तो कभी नहीं देखा, पर हाँ वह हमेशा उसे खोलता-बंद करता था, मानो उसमें गोलियाँ भर रहा हो।
एक दिन वॉलट्राउट ने उससे कहा: “क्या तुम्हें पता है वेरनर, मैं तुम्हारे देश में क्यों रहती हूँ, अपने देश में क्यों नहीं? क्योंकि मेरे देश में लड़ाई चल रही है। और जो बंदूक तुम्हारे हाथ में है ना, वैसी ही बंदूकें लिए कुछ खतरनाक आदमी, वहाँ के लोगों पर गोलियाँ चला रहे हैं। इसलिए अपनी जान बचाने के लिए मुझे वहाँ से भागना पड़ा। क्या तुम्हें लगता है कि लोगों पर गोलियाँ चलाना ठीक है?”
वेरनर ने उदास होकर जवाब दिया: “नहीं, यह ठीक नहीं है।”
फिर वॉलट्राउट ने कहा: “सही जवाब दिया तुमने।” उसने आगे पूछा: “क्या तुम्हें मालूम है कि मैं हर हफ्ते तुमसे और तुम्हारी मम्मी से मिलने क्यों आती हूँ? क्योंकि हम यहोवा के साक्षी, लोगों की मदद करना चाहते हैं ताकि वे परमेश्वर के दोस्त बन सकें और सबके साथ शांति से रह सकें।” वॉलट्राउट ने वेरनर की माँ से इजाज़त लेकर वेरनर से कहा: “अगर तुम मुझे अपनी बंदूक फेंक देने के लिए दोगे तो मैं वादा करती हूँ कि तुम्हें एक नया खिलौना लाकर दूँगी, और वो भी चार पहियोंवाली लॉरी।”
वेरनर ने उसे अपनी बंदूक दे दी। उसे नए खिलौने के लिए चार हफ्ते इंतज़ार करना पड़ा। और जब उसे लकड़ी की बनी एक छोटी-सी लॉरी दी गयी, तो उसके चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान खिल उठी!
क्या आप माता-पिता, वक्त निकालकर अपने बच्चों के साथ बात करते हैं और उनके दिल में यह बात बिठाने की कोशिश करते हैं कि बंदूक जैसे खिलौनों से खेलना गलत है? और क्या आपके बच्चे आपकी बात समझकर उन खिलौनों को फेंकने के लिए तैयार हो जाते हैं? अगर ऐसा है, तो आपके इस सबक से उन्हें ज़िंदगी-भर फायदा होगा।