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‘अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रहिए’

‘अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रहिए’

‘अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रहिए’

“अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, . . . हे मेरे पुत्र, तू अपरिचित स्त्री पर क्यों मोहित हो?”—नीतिवचन 5:18, 20.

1, 2. पति-पत्नी के बीच के रोमानी प्यार को धन्य क्यों कहा गया है?

 जब लैंगिक संबंध की बात आती है, तो बाइबल इस बारे में खुलकर बताती है। नीतिवचन 5:18,19 में हम पढ़ते हैं: “तेरा सोता धन्य रहे; और अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित रह, प्रिय हरिणी वा सुन्दर सांभरनी के समान उसके स्तन सर्वदा तुझे संतुष्ट रखे, और उसी का प्रेम नित्य तुझे आकर्षित करता रहे।”

2 यहाँ इस्तेमाल किया गया शब्द “सोता,” जीवन-साथी को दर्शाता है जो लैंगिक प्यास बुझाता है। इसे धन्य इसलिए कहा गया है क्योंकि लैंगिक संबंध के दौरान पति-पत्नी को जो रोमानी प्यार और सुख मिलता है, वह परमेश्‍वर की तरफ से एक वरदान है। लेकिन लैंगिक संबंध का आनंद एक पति सिर्फ अपनी पत्नी के साथ ले सकता है। इसीलिए प्राचीन इस्राएल का राजा सुलैमान, जो नीतिवचन किताब के लेखकों में से एक है, यह सवाल पूछता है: “हे मेरे पुत्र, तू अपरिचित स्त्री पर क्यों मोहित हो, और पराई को क्यों छाती से लगाए?”—नीतिवचन 5:20.

3. (क) क्या बात आज एक कड़वी सच्चाई है? (ख) परमेश्‍वर, व्यभिचार को किस नज़र से देखता है?

3 जब एक स्त्री-पुरुष शादी के बंधन में बँधते हैं, तो वे एक-दूसरे से प्यार करने और वफादारी निभाने की कसमें खाते हैं। मगर आज यह एक कड़वी सच्चाई है कि व्यभिचार से कई शादियाँ तबाह हो रही हैं। एक खोजकर्ता, 25 सर्वे का अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहुँची कि “25 प्रतिशत पत्नियों और 44 प्रतिशत पतियों के नाजायज़ संबंध रहे हैं।” प्रेरित पौलुस ने कहा था: “धोखा न खाओ, न वेश्‍यागामी, न मूर्त्तिपूजक, न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी . . . परमेश्‍वर के राज्य के वारिस होंगे।” (1 कुरिन्थियों 6:9, 10) इसमें कोई दो राय नहीं कि परस्त्रीगामी या व्यभिचार, परमेश्‍वर की नज़र में एक गंभीर पाप है। इसलिए परमेश्‍वर के सच्चे उपासकों को अपने जीवन-साथी के साथ बेवफाई करने से खबरदार रहना चाहिए। मगर ‘विवाह को आदर की बात समझने और बिछौना निष्कलंक रखने’ में क्या बात हमारी मदद करेगी?—इब्रानियों 13:4.

धोखा देनेवाले मन से खबरदार रहिए

4. किन तरीकों से एक शादीशुदा मसीही अनजाने में किसी पराए व्यक्‍ति के साथ उलझ सकता है?

4 इस बदचलन दुनिया में, बहुत-से लोगों की “आंखें व्यभिचार से भरी हैं” (NHT), और “वे पाप किए बिना रुक नहीं सकते।” (2 पतरस 2:14) वे जानबूझकर परायों के साथ रिश्‍ता जोड़ते हैं। आजकल कुछ देशों में भारी तादाद में स्त्रियाँ नौकरी-पेशा करने लगी हैं। इसका मतलब यह हुआ का आज, स्त्री-पुरुष दफ्तरों में मिल-जुलकर काम कर रहे हैं। इसलिए आजकल दफ्तरों में रोमांस का सिलसिला बड़ी आसानी से शुरू हो सकता है, जो सरासर गलत है। इतना ही नहीं, इंटरनेट चैट रूम की वजह से अब शर्मीले किस्म के लोगों के लिए भी इंटरनेट पर किसी के साथ गहरी दोस्ती करना आसान हो गया है। कई शादीशुदा लोग भी अनजाने में ऐसे रिश्‍तों में उलझ जाते हैं।

5, 6. एक मसीही स्त्री कैसे एक खतरनाक हालात में जा फँसी, और हम इससे क्या सबक सीखते हैं?

5 गौर कीजिए कि कैसे एक मसीही स्त्री, जिसे हम मॆरी कहेंगे, ऐसे हालात में पड़ गयी जिसकी वजह से वह अनैतिक काम करते-करते बची। उसका पति जो यहोवा का साक्षी नहीं था, अपने परिवार के लिए बहुत कम प्यार जताता था। मॆरी याद करती है कि कुछ साल पहले, उसकी मुलाकात उसके पति के एक सहकर्मी से हुई थी। वह शख्स काफी अदब से पेश आता था। यहाँ तक कि कुछ समय बाद वह मॆरी के धर्म में दिलचस्पी लेने लगा। मॆरी कहती है: “वह कितना अच्छा इंसान था और मेरे पति से बिलकुल अलग था।” देखते-ही-देखते, मॆरी और वह शख्स एक-दूसरे को चाहने लगे। मॆरी ने अपने मन को समझाया: “मैंने व्यभिचार तो नहीं किया है। और-तो-और उस शख्स को बाइबल में दिलचस्पी है। शायद इस मामले में मैं उसकी मदद कर सकती हूँ।”

6 इससे पहले कि मॆरी व्यभिचार के फँदे में जा फँसती, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। (गलतियों 5:19-21; इफिसियों 4:19) उसका ज़मीर जाग उठा और उसने मामले को निपटाने के लिए ठोस कदम उठाए। मॆरी के अनुभव से हम सीखते हैं कि “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है।” (यिर्मयाह 17:9) इसलिए बाइबल हमें सलाह देती है: “सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर।” (नीतिवचन 4:23) यह हम कैसे कर सकते हैं?

‘चतुर मनुष्य छिप जाता है’

7. शादीशुदा ज़िंदगी में तनाव से गुज़रनेवाले व्यक्‍ति की मदद करते वक्‍त, बाइबल की किन सलाहों को मानने से आपकी हिफाज़त हो सकती है?

7 प्रेरित पौलुस ने लिखा: “जो समझता है, कि मैं स्थिर हूं, वह चौकस रहे; कि कहीं गिर न पड़े।” (1 कुरिन्थियों 10:12) और नीतिवचन 22:3 कहता है: “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है।” इसलिए खुद पर हद-से-ज़्यादा भरोसा मत कीजिए और यह मत सोचिए कि ‘मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा।’ इसके बजाय, बुद्धिमानी इसी में है कि आप पहले से यह जानने की कोशिश करें कि कौन-से हालात, मुसीबतों को बुलावा दे सकते हैं। जैसे, जब कोई विपरीत लिंग का व्यक्‍ति, जो अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में भारी तनाव से गुज़र रहा है, वह सिर्फ आपको अपने दिल का हाल बताता है। ऐसे हालात में पड़ने से बचिए। (नीतिवचन 11:14) उस व्यक्‍ति से कहिए कि अच्छा होगा अगर वह अपने जीवन-साथी से, या प्राचीनों से, या फिर समान लिंग के किसी ऐसे प्रौढ़ मसीही से इन समस्याओं के बारे में बात करे, जो चाहता है कि उनकी शादीशुदा ज़िंदगी सुखी रहे। (तीतुस 2:3, 4) इस मामले में यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में प्राचीन एक अच्छी मिसाल रखते हैं। जब वे किसी मसीही बहन के साथ अकेले में बात करना चाहता हैं, तो वे राज्य घर जैसी सार्वजनिक जगह पर ऐसा करते हैं।

8. नौकरी की जगह पर कैसी सावधानी बरतना ज़रूरी है?

8 नौकरी या किसी दूसरी जगह पर ऐसे हालात से दूर रहिए जो आपको किसी विपरीत लिंग के करीब ला सकता है। जैसे, किसी विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ अकेले में ओवरटाइम करने से बहकने का खतरा हो सकता है। आपकी बातों और आपके चालचलन से साफ ज़ाहिर होना चाहिए कि आपकी ज़िंदगी में अपने साथी के अलावा किसी तीसरे के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही, अगर आप परमेश्‍वर से प्यार और उसकी भक्‍ति करते हैं, तो आप इश्‍कबाज़ी करके या बेहूदा किस्म के कपड़े पहनकर बेवजह दूसरों का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश नहीं करेंगे। (1 तीमुथियुस 4:8; 6:11; 1 पतरस 3:3, 4) काम की जगह पर अपने साथी और बच्चों की तसवीरें लगाना भी एक हिफाज़त साबित होती है। क्योंकि ये तसवीरें आपको और दूसरों को भी याद दिलाएँगी कि आप अपने परिवार से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें किसी तरह से ठेस नहीं पहुँचाना चाहते। अपना इरादा बुलंद कर लीजिए कि अगर कोई आप पर डोरे डालने की कोशिश करे, तो आप उसे बढ़ावा नहीं देंगे ना ही चुपचाप उसे बरदाश्‍त करेंगे।—अय्यूब 31:1.

‘अपने जीवन के सारे दिन अपनी प्यारी पत्नी के संग बिताइए’

9. एक-के-बाद-एक घटनेवाली किन घटनाओं से एक इंसान को किसी पराए के साथ एक नया रिश्‍ता जोड़ना आकर्षक लगता है?

9 मन की रक्षा करने का मतलब सिर्फ खतरनाक हालात से बचना नहीं है। अगर एक पति या पत्नी किसी और में दिलचस्पी लेने लगती है, तो यह इस बात का अंदेशा हो सकता है कि वह और उसका साथी एक-दूसरे की तरफ लापरवाह हो गए हैं। हो सकता है, घर का माहौल ऐसा हो कि पति, पत्नी पर कोई ध्यान नहीं देता या पत्नी, हमेशा पति में मीनमेख निकालती है। ऐसे में, अगर पति या पत्नी को दफ्तर या मसीही कलीसिया में कोई ऐसा इंसान मिलता है, जो उसके साथी से बिलकुल अलग है और उसका बहुत खयाल रखता है या तारीफ करता है, तो देखते-ही-देखते उस शख्स से उसे लगाव हो जाता है। और यह नया रिश्‍ता उसे आकर्षक लगने लगता है। एक-के-बाद-एक घटनेवाली ये घटनाएँ बाइबल की इस बात को सच साबित करती हैं: “प्रत्येक व्यक्‍ति अपनी ही अभिलाषा से खिंचकर, और फंसकर परीक्षा में पड़ता है।”—याकूब 1:14.

10. पति-पत्नी अपने रिश्‍ते को मज़बूत कैसे बना सकते हैं?

10 पति-पत्नी की कई ज़रूरतें होती हैं जैसे, प्यार और दोस्ती पाने की और आज़माइशों से गुज़रते वक्‍त मदद और हमदर्दी पाने की। मगर ये ज़रूरतें पूरी करने के लिए उन्हें किसी गैर का सहारा नहीं लेना चाहिए। इसके बजाय, पति-पत्नियों को अपने आपसी रिश्‍ते को मज़बूत करने की जी-तोड़ कोशिश करनी चाहिए। इसलिए, अपने साथी के साथ वक्‍त बिताइए और एक-दूसरे के करीब आइए। पुरानी यादें ताज़ा कीजिए कि किस वजह से आपको आपने साथी से प्यार हुआ था। उस प्यार को दोबारा महसूस करने की कोशिश कीजिए जो आपने उस इंसान के लिए महसूस किया था जो अब आपका हमसफर है। उन खुशियों के पल को याद कीजिए जो आपने साथ-साथ बिताए थे। अपने रिश्‍ते को मज़बूत करने के लिए परमेश्‍वर से प्रार्थना कीजिए। भजनहार दाऊद ने यहोवा से फरियाद की: “हे परमेश्‍वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्‍न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्‍न कर।” (भजन 51:10) ठान लीजिए कि आप ‘अपने जीवन के सारे दिन, जो परमेश्‍वर ने सूर्य के नीचे आपके लिये ठहराए हैं, अपनी प्यारी पत्नी के संग बिताएँगे।’—सभोपदेशक 9:9.

11. ज्ञान, बुद्धि और समझ शादी के बंधन को कैसे मज़बूत कर सकते हैं?

11 शादी के बंधन को मज़बूत करने में एक और बात शामिल है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। और वह है ज्ञान, बुद्धि और समझ की अहमियत। नीतिवचन 24:3,4 कहता है: “घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है। ज्ञान के द्वारा कोठरियां सब प्रकार की बहुमूल्य और मनभाऊ वस्तुओं से भर जाती हैं।” प्रेम, वफादारी, परमेश्‍वर का भय और विश्‍वास जैसे गुण कुछ ऐसी बहुमूल्य वस्तुएँ हैं जो एक घर या परिवार को खुशियों से भर देती हैं। अपने अंदर इन गुणों को बढ़ाने के लिए, परमेश्‍वर का ज्ञान होना ज़रूरी है। इसलिए शादीशुदा जोड़ों को बाइबल का गहरा अध्ययन करना चाहिए। बुद्धि और समझ हासिल करना कितना ज़रूरी है? बुद्धि का मतलब है, बाइबल से मिले ज्ञान को ज़िंदगी में लागू करने की काबिलीयत और इसी काबिलीयत की बदौलत हम हर दिन की समस्याओं से जूझ पाते हैं। और रही बात समझ की, तो इसकी मदद से एक इंसान अपने साथी के विचारों और भावनाओं को बखूबी समझ पाता है। (नीतिवचन 20:5) यहोवा, सुलैमान के ज़रिए कहता है: “हे मेरे पुत्र, मेरी बुद्धि की बातों पर ध्यान दे, मेरी समझ की ओर कान लगा।”—नीतिवचन 5:1.

जब “दुख” का समय आता है

12. यह क्यों ताज्जुब की बात नहीं कि पति-पत्नियों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा?

12 कोई भी शादी फूलों की सेज नहीं होती। बाइबल कहती है कि पति-पत्नियों को “शारीरिक दुख” होगा। (1 कुरिन्थियों 7:28) चिंताओं, बीमारियों, अपने विश्‍वास की खातिर ज़ुल्म सहने और दूसरी कई वजहों से पति-पत्नी के बीच तनाव पैदा हो सकता है। मगर जब समस्याएँ आती हैं, तो आपको साथ मिलकर समस्या का हल ढूँढ़ना चाहिए, ठीक जैसे यहोवा को खुश करनेवाले वफादार पति-पत्नी करते हैं।

13. पति-पत्नी किन पहलुओं में खुद की जाँच कर सकते हैं?

13 अगर पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ ठीक तरह से बर्ताव नहीं करते और इस वजह से उनके रिश्‍ते में दरार पैदा हो गयी है, तब क्या? इस समस्या का हल ढूँढ़ निकालने के लिए मेहनत की ज़रूरत है। हो सकता है, उनकी शादीशुदा ज़िंदगी में एक-दूसरे को शब्दों के नश्‍तर चुभाना उनके लिए रोज़ की बात बन गयी है। (नीतिवचन 12:18) जैसे कि हमने पिछले लेख में देखा, ऐसी बातों का भयानक अंजाम हो सकता है। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “झगड़ालू और चिढ़नेवाली पत्नी के संग रहने से जंगल में रहना उत्तम है।” (नीतिवचन 21:19) अगर आप एक पत्नी हैं और आपके परिवार का माहौल भी कुछ ऐसा ही है, तो खुद से पूछिए: ‘क्या मेरे स्वभाव की वजह से मेरे पति का जीना दूभर हो गया है?’ बाइबल पतियों से कहती है: “अपनी अपनी पत्नी से प्रेम रखो, और उन से कठोरता न करो।” (कुलुस्सियों 3:19) अगर आप एक पति हैं, तो खुद से पूछिए: ‘क्या मैं अपनी पत्नी को प्यार और हमदर्दी जताने से चूक जाता हूँ, जिस वजह से वह कहीं और प्यार का आसरा ढूँढ़ने के लिए मजबूर हो जाती है?’ यह बात सच है कि लैंगिक अनैतिकता को किसी भी हाल में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। मगर यह भी सच है कि पति-पत्नी के रिश्‍ते पर ऐसा कहर टूट सकता है। ऐसी नौबत न आए इसके लिए पति-पत्नी को खुलकर आपसी समस्याओं के बारे में बातचीत करनी चाहिए।

14, 15. किसी गैर के साथ रिश्‍ता जोड़ना, आपकी शादी-शुदा ज़िंदगी की समस्याओं का हल क्यों नहीं है?

14 अगर आप अपनी शादी से खुश नहीं हैं, तो किसी और के साथ रिश्‍ता जोड़ने से आपकी समस्याएँ खत्म नहीं हो जाएँगी। ज़रा सोचिए, इस रिश्‍ते का अंजाम क्या होगा? क्या आप दूसरी शादी करके ज़्यादा खुश रहेंगे? कुछ लोग शायद हाँ कहें। वे यह दलील दें: ‘इस इंसान में वो सारी खूबियाँ हैं जो मैं एक जीवन-साथी में चाहता/ती हूँ।’ मगर ऐसी दलील सरासर गलत है, क्योंकि जो व्यक्‍ति अपने साथी को छोड़ देता है या जो आपको अपने साथी को छोड़ने का बढ़ावा देता है, वह खुद शादी जैसे पवित्र बंधन के लिए कोई आदर नहीं दिखाता। तो क्या यह उम्मीद की जा सकती है कि वह इस दूसरी शादी का आदर करेगा? बिलकुल नहीं।

15 मॆरी, जिसका ज़िक्र पहले किया गया था, उसने इस बात पर बहुत सोचा कि वह जो कर रही थी, उसका अंजाम क्या होता। या तो वह या उसकी वजह से कोई और परमेश्‍वर की मंज़ूरी खो देता। (गलतियों 6:7) वह कहती है: “जब मैंने अपने पति के सहकर्मी के लिए अपनी भावनाओं को परखना शुरू किया, तब मुझे एहसास हुआ कि अगर इस आदमी को सचमुच सच्चाई में कोई दिलचस्पी है और उसके मसीही बनने की गुंजाइश है, तो मैं ही उस गुंजाइश को खत्म कर रही हूँ। उस आदमी से रिश्‍ता जोड़कर मैं जो पाप करने जा रही थी, उससे हम दोनों और हमारे अज़ीज़ों को तो चोट पहुँचती-ही-पहुँचती साथ ही दूसरों को भी ठोकर लगती!”—2 कुरिन्थियों 6:3.

सबसे बड़ी वजह

16. बदचलनी के कुछ अंजाम क्या हैं?

16 बाइबल हमें खबरदार करती है: “पराई स्त्री के ओठों से मधु टपकता है, और उसकी बातें तेल से भी अधिक चिकनी होती हैं; परन्तु इसका परिणाम नागदौना सा कड़ुवा और दोधारी तलवार सा पैना होता है।” (नीतिवचन 5:3, 4) जी हाँ, बदचलनी का अंजाम दर्दनाक और घातक हो सकता है। ऐसे अनैतिक काम करनेवालों का ज़मीर उन्हें कोसता रहता है, उन्हें लैंगिक बीमारियाँ लग जाती हैं और उनके बेकसूर साथी को उनकी बेवफाई से गहरा सदमा पहुँचता है। वाकई, इन वजहों से हमें बढ़ावा मिलना चाहिए कि हम उस डगर से उलटे पाँव लौट आएँ जो बेवफाई की ओर ले जाती है।

17. अपने साथी के वफादार बने रहने की सबसे बड़ी वजह क्या है?

17 लेकिन जीवन-साथी के साथ बेवफाई करना क्यों गलत है, इसकी एक बहुत बड़ी वजह है। वह यह कि यहोवा, जिसने शादी का इंतज़ाम शुरू किया और इंसानों में लैंगिक इच्छा पैदा की, वह ऐसी बेवफाई की घोर निंदा करता है। अपने नबी मलाकी के ज़रिए वह कहता है: ‘मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊंगा; और व्यभिचारियों के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूंगा।’ (मलाकी 3:5) क्या यहोवा से कोई बात छिपी रह सकती है? इस बारे में नीतिवचन 5:21 कहता है: “मनुष्य के मार्ग यहोवा की दृष्टि से छिपे नहीं हैं, और वह उसके सब मार्गों पर ध्यान करता है।” जी हाँ, “जिसको हमें लेखा देना है, उसकी आंखों के सामने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।” (इब्रानियों 4:13, आर.ओ.वी.) इसलिए अपने साथी के साथ वफादारी निभाने की सबसे बड़ी वजह है इस बात का एहसास होना कि किसी भी तरह का अनैतिक काम यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते को बिगाड़ देता है। फिर चाहे हम अपने साथी से यह बात छिपाए रखने में कामयाब क्यों न हुए हों या इस काम का हमारी सेहत पर कोई बुरा असर न पड़ा हो या फिर इससे समाज में हमारी इज़्ज़त पर कोई आँच न आयी हो।

18, 19. यूसुफ जिस तरह पोतीपर की पत्नी के साथ पेश आया, उससे हम क्या सीखते हैं?

18 कुलपिता याकूब के बेटे, यूसुफ की मिसाल दिखाती है कि परमेश्‍वर के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना, एक इंसान को अनैतिकता से दूर रहने की ज़बरदस्त प्रेरणा देता है। फिरौन के मंत्री, पोतीपर ने यूसुफ के काम से बहुत खुश होकर उसे अपने घर का सारा ज़िम्मा सौंप दिया था। यूसुफ देखने में “सुन्दर और रुपवान्‌” भी था और इसी वजह से वह पोतीपर की पत्नी को भा गया। उसने यूसुफ को अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए हर दिन फुसलाने की कोशिश की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। क्यों? आखिर किस बात ने यूसुफ को इनकार करने की ताकत दी? बाइबल कहती है: ‘उसने इनकार करते हुए अपने स्वामी की पत्नी से कहा, “देख, मेरे स्वामी ने तुझे छोड़ जो उस की पत्नी है, कोई अन्य वस्तु मुझ से नहीं रख छोड़ी है। तब मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्‍वर के विरोध में कैसे पाप कर सकता हूं।”’—उत्पत्ति 39:1-12, NHT.

19 अविवाहित यूसुफ ने किसी और की पत्नी के साथ नाजायज़ संबंध रखने से इनकार करके, अपने चरित्र को बेदाग रखा। नीतिवचन 5:15 विवाहित पुरुषों से कहता है: “तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कूएं के सोते का जल पिया करना।” अनजाने में भी अपने साथी के अलावा किसी और के साथ रोमानी रिश्‍ता बनाने से खबरदार रहिए। अपने पति या पत्नी के साथ प्यार का रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए कड़ी मेहनत कीजिए। और शादीशुदा ज़िंदगी में आनेवाली मुश्‍किलों को निपटाने की कोशिश कीजिए। जी हाँ, “अपनी जवानी की पत्नी के साथ आनन्दित” रहिए।—नीतिवचन 5:18. (w06 9/15)

आपने क्या सीखा?

• एक शादीशुदा मसीही कैसे अनजाने में किसी पराए व्यक्‍ति के साथ रोमानी रिश्‍ते में उलझ सकता है?

• क्या एहतियात बरतने से एक शादीशुदा इंसान किसी गैर मर्द या औरत के साथ लगाव पैदा नहीं करेगा?

• समस्याओं से गुज़रते वक्‍त एक शादीशुदा जोड़े को क्या करना चाहिए?

• अपने साथी के वफादार बने रहने की सबसे बड़ी वजह क्या है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर तसवीर]

अफसोस कि दफ्तरों में रोमांस का सिलसिला बड़ी आसानी से शुरू हो सकता है, जो सरासर गलत है

[पेज 15 पर तसवीर]

‘ज्ञान के द्वारा कोठरियां मनभाऊ वस्तुओं से भर जाती हैं’