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पाठकों के प्रश्‍न

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हारून के बेटों नादाब और अबीहू की मौत के बाद मूसा उनके भाई एलीआज़र और ईतामार से क्यों नाराज़ हो गया, मगर फिर उसका गुस्सा कैसे शांत हुआ?—लैव्य. 10:16-20.

इसराएल में याजकवर्ग की शुरुआत करने के कुछ ही समय बाद, यहोवा ने हारून के दो बेटों नादाब और अबीहू को भस्म कर दिया। क्यों? क्योंकि उन्होंने यहोवा के नियम के खिलाफ आरती की थी। (लैव्य. 10:1, 2) तब मूसा ने हारून के दूसरे बेटों को आदेश दिया कि वे अपने भाइयों के लिए मातम न मनाएँ। लेकिन इसके कुछ ही समय बाद मूसा का गुस्सा भड़क उठा जब उसे पता चला कि एलीआज़र और ईतामार ने पापबलि के लिए चढ़ाया गया बकरा नहीं खाया। (लैव्य. 9:3) तो मूसा क्यों नाराज़ हुआ?

यहोवा ने मूसा को जो कानून दिया था उसमें साफ-साफ बताया गया था कि जो याजक पापबलि चढ़ाता है, उसे निवासस्थान के आँगन में उसका कुछ हिस्सा खाना है। ऐसा करना दिखाता कि बलि चढ़ानेवालों के पाप का बोझ याजक अपने ऊपर ले रहा है। लेकिन अगर बलि का कुछ लहू परमेश्‍वर के तंबू के पहले हिस्से में यानी पवित्र स्थान में ले जाया जाता, तो याजक को उसे खाना नहीं था, बल्कि जला देना था।—लैव्य. 6:24-26, 30.

ऐसा लगता है कि उस दिन हुई बुरी घटनाओं की वजह से मूसा ने यह ज़रूरी समझा कि यहोवा के सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। लेकिन जब उसने देखा कि पापबलि के बकरे को जला दिया गया था, तो उसने गुस्से से एलीआज़र और ईतामार से पूछा कि बकरे का लहू तो पवित्र स्थान में नहीं चढ़ाया गया, तो फिर तुम लोगों ने कानून के मुताबिक उसे खाया क्यों नहीं?—लैव्य. 10:17, 18.

तब हारून ने इसका जवाब दिया, जिससे पता चलता है कि एलीआज़र और ईतामार ने वही किया जो हारून ने कहा था। यहोवा ने हारून के दो बेटों को भस्म कर दिया था, इस वजह से शायद हारून ने सोचा हो कि क्या उस दिन कोई भी याजक साफ विवेक के साथ पापबलि में से खा सकता है। बेशक नादाब और अबीहू ने जो किया, उसके लिए बाकी याजक ज़िम्मेदार नहीं थे, लेकिन फिर भी हारून को लगा कि अगर वे उस दिन पापबलि में से खाएँगे तो यहोवा खुश नहीं होगा।—लैव्य. 10:19.

हारून के मन में खासकर यह बात भी रही होगी कि उस दिन उसका परिवार पहली बार याजक की ज़िम्मेदारी निभा रहा था, इसलिए उन्हें परमेश्‍वर को खुश करने के लिए हर छोटी-सी-छोटी बात का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन नादाब और अबीहू ने यहोवा के नाम को अपवित्र करके परमेश्‍वर का कोप भड़का दिया। इसलिए हारून को लगा कि जिस याजक परिवार में ऐसा पाप हुआ है, खासकर उस परिवार के सदस्यों को पवित्र बलिदान में से नहीं खाना चाहिए।

मूसा शायद अपने भाई के इस जवाब से कायल हो गया, क्योंकि वाकया इस तरह खत्म होता है: “जब मूसा ने यह सुना तब उसे संतोष हुआ।” (लैव्य. 10:20) और लगता है कि यहोवा भी हारून के जवाब से संतुष्ट था।