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बाइबल में ज़िक्र किया गया फिरदौस कहाँ है?

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बाइबल में ज़िक्र किया गया फिरदौस कहाँ है?

▪ अपने जीवन की आखिरी साँसें गिनते वक्‍त एक इंसान ने यीशु पर विश्‍वास ज़ाहिर किया, तब यीशु ने उससे वादा किया: “मैं आज तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (लूका 23:43) वह आदमी कहाँ होता? फिरदौस स्वर्ग में होगा या धरती पर? या फिर उन दोनों के बीच किसी और जगह, जहाँ इंसान अपना न्याय किए जाने का इंतज़ार करता?

एक ज़माने में हमारे पूर्वज फिरदौस में रहते थे। बाइबल हमें बताती है: “यहोवा परमेश्‍वर ने पूर्व की ओर अदन देश में एक बाटिका लगाई; और वहां आदम को जिसे उस ने रचा था, रख दिया। . . . यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को लेकर अदन की बाटिका में रख दिया, कि वह उस में काम करे और उसकी रक्षा करे।” (उत्प. 2:8, 15) जब इन आयतों का यूनानी भाषा में अनुवाद हुआ, तो शब्द “बाटिका” को परादीसोस कहा गया। इससे अँग्रेज़ी शब्द “पैराडाइस” निकला और अरबी भाषा में इसे “फिरदौस” कहा जाता है।

जिस तरह परिवार बढ़ने पर एक जोड़ा अपना घर और बड़ा बनाता है, उसी तरह हमारे पहले माता-पिता से उम्मीद की गयी थी कि जैसे-जैसे उनका परिवार बढ़े, वे अदन बाग की सीमाओं को भी बढ़ाते जाएँ। परमेश्‍वर ने उनसे कहा: “पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो।”—उत्प. 1:28.

इससे हमारे सिरजनहार का मकसद साफ पता चलता है। वह चाहता था कि इंसान इसी धरती पर फिरदौस में यानी एक खूबसूरत बाग में हमेशा-हमेशा के लिए जीएँ, जहाँ कब्रिस्तान की कोई ज़रूरत नहीं होती। यही धरती हमेशा के लिए उनका घर बनती। इसमें ताज्जुब नहीं कि इसकी हरियाली और खूबसूरती देखकर हमारा दिल बाग-बाग हो उठता है क्योंकि परमेश्‍वर ने इसे हमारी ही खातिर बनाया था।

क्या परमेश्‍वर का मकसद बदल गया है? जी नहीं! क्योंकि वह हमें यकीन दिलाता है: “उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा।” (यशा. 55:11) इंसान की सृष्टि के 3,000 साल बाद, बाइबल में ‘पृथ्वी के रचयिता और बनानेवाले’ के बारे में इस तरह कहा गया था: “उस ने [पृथ्वी को] सुनसान रहने के लिये नहीं परन्तु बसने के लिये उसे रचा है।” (यशा. 45:18) आज भी परमेश्‍वर की मरज़ी बदली नहीं है। यह धरती फिरदौस ज़रूर बनेगी।

यह गौरतलब है कि बाइबल जब फिरदौस की बात करती है, तो वह ज़्यादातर धरती पर जीवन के बारे में बताती है। मिसाल के लिए, यशायाह की भविष्यवाणी कहती है: “वे घर बनाकर उन में बसेंगे; वे दाख की बारियां लगाकर उनका फल खाएंगे।” (यशा. 65:21) घर कहाँ बनते हैं और दाख की बारियाँ कहाँ लगायी जाती हैं? फल कहाँ खाए जाते हैं? बेशक धरती पर। भजन 37:29 साफ-साफ कहता है: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।”

यीशु ने भी जब फिरदौस कहा, तो वह इसी धरती की बात कर रहा था। यह सच है कि उसने स्वर्गीय फिरदौस का भी वादा किया, मगर वहाँ सिर्फ कुछ ही लोग जाएँगे। (लूका 12:32) उनकी मौत के बाद, स्वर्गीय फिरदौस में उन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाएगा, जहाँ से वे मसीह के साथ फिरदौस बनी धरती पर राज करेंगे। (प्रका. 5:10; 14:1-3) वे इस बात का ध्यान रखेंगे कि इस धरती पर हमेशा परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक सही तरह से राज-काज होता रहे।

यीशु जानता था कि धरती के लिए परमेश्‍वर की यही मरज़ी है क्योंकि जब अदन का बाग बनाया जा रहा था, तब वह अपने पिता के साथ स्वर्ग में था। जी हाँ, यीशु पर विश्‍वास दिखानेवालों के सामने फिरदौस बनी इसी धरती पर हमेशा तक जीने का रास्ता खुला है। (यूह. 3:16) ऐसे लोगों से यीशु वादा करता है: “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।”—लूका 23:43. (w10-E 12/01)

[पेज 7 पर चित्र का श्रेय]

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