क्या आप यहोवा की प्यार-भरी परवाह के लिए शुक्रगुज़ार हैं?
“यहोवा की आंखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं।”—नीति. 15:3.
1, 2. जिस तरह यहोवा की निगाहें हम पर रहती हैं, उसमें और जिस तरह ट्रैफिक कैमरे हम पर नज़र रखते हैं उसमें क्या फर्क है?
बहुत-से देशों में अधिकारी जगह-जगह पर कैमरे लगाते हैं, ताकि वे ट्रैफिक पर नज़र रख सकें और दुर्घटनाओं का पता लगा सकें। साथ ही, कैमरों की बदौलत वे गाड़ी चलानेवाले उन लोगों को भी ढूँढ़कर गिरफ्तार कर पाते हैं, जो राहगीरों को ज़ख्मी कर, उनकी मदद करने के बजाय भाग खड़े होते हैं। इन कैमरों की वजह से, अपराधियों के लिए लोगों को चकमा देकर निकल जाना और भी मुश्किल हो गया है।
2 बाइबल कहती है कि यहोवा की आँखें “सब स्थानों में लगी रहती हैं।” (नीति. 15:3) लेकिन क्या इसका मतलब है कि वह सिर्फ यह देखने के लिए हम पर नज़र रखता है कि कहीं हम उसका कोई कानून तो नहीं तोड़ रहे? क्या वह उस वक्त का इंतज़ार करता है कि कब हम गलती करें और कब वह हमें सज़ा सुनाए? बिलकुल नहीं। (यिर्म. 16:17; इब्रा. 4:13) यहोवा की आँखें हम पर इसलिए लगी रहती हैं, क्योंकि वह हमसे प्यार करता है और चाहता है कि हम सुरक्षित और खुश रहें।—1 पत. 3:12.
3. किन पाँच तरीकों से यहोवा की प्यार-भरी निगाहें हम पर लगी रहती हैं?
3 क्या बात हमें यह समझने में मदद देगी कि परमेश्वर की निगाहें हम पर इसलिए रहती हैं, क्योंकि वह हमसे प्यार करता है? आइए हम ऐसे पाँच तरीकों पर चर्चा करें, जिनसे यहोवा की प्यार-भरी निगाहें हम पर लगी रहती हैं। (1) हमारे गलत कदम उठाने से पहले वह हमें चेतावनी देता है। (2) जब हम कोई गलत कदम उठा लेते हैं, तो वह हमें सुधारता है। (3) बाइबल के सिद्धांतों से वह हमारा मार्गदर्शन करता है। (4) जब हम परीक्षाओं का सामना करते हैं, तो वह हमारी मदद करता है। (5) सही काम करने पर वह हमें आशीष देता है।
यहोवा हमें चेतावनी देता है
4. कैन के पाप करने से पहले परमेश्वर ने उसे चेतावनी क्यों दी?
4 सबसे पहले, आइए हम चर्चा करें कि हमारे गलत कदम उठाने से पहले, यहोवा किन तरीकों से हमें चेतावनी देता है। (1 इति. 28:9) कैन की मिसाल पर गौर कीजिए। जब यहोवा कैन से खुश नहीं हुआ, तो कैन “अति क्रोधित हुआ।” (उत्पत्ति 4:3-7 पढ़िए।) इस पर यहोवा ने कैन को चेतावनी दी कि अगर वह ‘भला न करे,’ तो वह पाप कर बैठेगा। यह ऐसा था मानो पाप उसे पकड़ने की फिराक में “द्वार पर छिपा” था। यहोवा ने उससे कहा: “तू उसको अपने वश में कर।” (हिंदी—कॉमन लैंग्वेज) यहोवा ने कैन को इसलिए चेतावनी दी, क्योंकि वह उसे “ग्रहण” या मंज़ूर करना चाहता था। अगर कैन ने यहोवा की चेतावनी पर ध्यान दिया होता, तो परमेश्वर के साथ उसका करीबी रिश्ता बना रहता।
5. यहोवा किन तरीकों से हमें चेतावनी देता है?
5 आज हमारे मामले में भी यही बात सच है। यहोवा देख सकता है कि हम असल में अंदर से कैसे हैं। वह हमारी सोच और ख्वाहिशों को बखूबी जानता है और हम उससे कुछ नहीं छिपा सकते। वह हमसे प्यार करता है और चाहता है कि हम वही करें, जो सही है। लेकिन इसके लिए वह कभी हमारे साथ ज़बरदस्ती नहीं करता। इसलिए अगर वह हममें कुछ बुराई देखता है, तो वह हमें चेतावनी देता है। कैसे? जब हम रोज़ाना बाइबल पढ़ते हैं, हमारे साहित्य पढ़ते हैं, और सभाओं में हाज़िर होते हैं, तो हम यहोवा की चेतावनियाँ सुन पाते हैं। क्या आपने कभी कुछ ऐसा पढ़ा या सुना है, जिससे आपको किसी ऐसी मुश्किल से उबरने में मदद मिली है, जिसके बारे में सिर्फ यहोवा को पता था? यहोवा की तरफ से ये चेतावनियाँ हमें ठीक उस वक्त मिलती हैं, जब हमें उनकी ज़रूरत होती है।
6, 7. (क) हमारे पास क्या सबूत है कि यहोवा निजी तौर पर अपने हर सेवक की परवाह करता है? (ख) हम यहोवा की चेतावनियों से कैसे फायदा पा सकते हैं?
6 वाकई, बाइबल में दी सभी चेतावनियाँ दिखाती हैं कि यहोवा हममें से हरेक की परवाह करता है और हमारा ध्यान रखता है। यह सच है कि बाइबल, हमारे साहित्यों और सभाओं से लाखों लोगों को फायदा पहुँचता है। मगर यहोवा निजी तौर पर आपसे कहता है कि आप बाइबल में दी उसकी चेतावनियों पर ध्यान दें, ताकि आप सही काम कर सकें। यह बात दिखाती है कि वह निजी तौर पर आपकी परवाह करता है।
7 हम यहोवा की चेतावनियों से कैसे फायदा पा सकते हैं? पहले हमें यकीन होना चाहिए कि वह वाकई हमारी परवाह करता है और फिर उसके वचन को हमें अपनी ज़िंदगी में लागू करना चाहिए। अगर हमारे मन में कोई ऐसा खयाल आए, जिससे परमेश्वर नाखुश होगा, तो हमें फौरन उसे अपने मन से निकाल देना चाहिए। (यशायाह 55:6, 7 पढ़िए।) अगर हम चेतावनियों को ध्यान से सुनें और उन पर अमल करें, तो हमें आगे चलकर दुख के आँसू नहीं रोने पड़ेंगे। लेकिन मान लीजिए पाप हम पर हावी हो भी जाए, क्या तब भी हमसे प्यार करनेवाला पिता हमारी मदद करता है?
हमारा प्यार करनेवाला पिता हमें सुधारता है
8, 9. जब कोई हमें बाइबल से सलाह या ताड़ना देता है, तो उससे कैसे साबित होता है कि यहोवा हमारी परवाह करता है? एक मिसाल दीजिए।
8 जब यहोवा हमें सुधारता है, तो हमें एहसास होता है कि वह हमारी परवाह करता है। (इब्रानियों 12:5, 6 पढ़िए।) यह सच है कि जब हमें सलाह, अनुशासन या ताड़ना दी जाती है, तो वह हमें पसंद नहीं आती। (इब्रा. 12:11) मगर जब कोई हमें बाइबल से सलाह देता है, तो यह समझना बेहद ज़रूरी है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है। वह हमें सलाह इसलिए नहीं देता क्योंकि वह हमारी भावनाओं को ठेस पहुँचाना चाहता है, बल्कि इसलिए देता है क्योंकि वह देखता है कि यहोवा के साथ हमारा रिश्ता खतरे में है। वह हमारे लिए वक्त निकालने और मेहनत करने के लिए तैयार रहता है, ताकि वह हमें बाइबल से दिखा सके कि कैसे हम दोबारा यहोवा के साथ करीबी रिश्ता कायम कर सकते हैं। हम इस सलाह की कदर करते हैं, क्योंकि यह असल में यहोवा की तरफ से होती है।
9 मिसाल के लिए, सच्चाई में आने से पहले एक भाई को पोर्नोग्राफी देखने की लत लग गयी थी। जब उसने सच्चाई के बारे में सीखा, तो उसने अपनी यह आदत छोड़ दी। बाद में जब उसने एक नया मोबाइल खरीदा, तो वह दोबारा अपनी पुरानी आदत में पड़ गया और मोबाइल पर इंटरनेट के ज़रिए पोर्नोग्राफी देखने लगा। (याकू. 1:14, 15) इससे यह साफ हो गया कि अब भी उसमें पोर्नोग्राफी देखने की ज़बरदस्त इच्छा थी। एक दिन, फोन के ज़रिए गवाही देते वक्त उसने अपना फोन एक प्राचीन को दिया, ताकि वह उस पर कुछ पते ढूँढ़ सके। जब प्राचीन उसका फोन इस्तेमाल करने लगा, तो उस पर अचानक कुछ अश्लील साइट खुल गयी। प्राचीन ने फौरन इस भाई को ताड़ना दी। इस भाई ने ताड़ना कबूल की और आखिरकार अपनी बुरी लत से छुटकारा पा लिया। यह दिखाता है कि यहोवा छिपकर किए गए हमारे पाप देख सकता है और इससे पहले कि उसके साथ हमारा रिश्ता बिगड़ जाए, वह हमें सुधार सकता है। हम इतने शुक्रगुज़ार हैं कि यहोवा हमारी परवाह करता है।
बाइबल सिद्धांत कैसे हमारा मार्गदर्शन करते हैं
10, 11. (क) हम परमेश्वर की सलाह को कैसे ‘स्मरण कर’ सकते हैं? (ख) एक परिवार का अनुभव बताइए जिसे यहोवा के मार्गदर्शन पर चलने से फायदा हुआ।
10 भजनहार ने यहोवा के लिए गाया: ‘तू अपनी सलाह से मेरा मार्गदर्शन करता है।’ (भज. 73:24, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज) हम यहोवा के वचन में खोज करके उसकी सलाह को ‘स्मरण कर’ सकते हैं। इस तरह, हम जान सकते हैं कि वह कैसे सोचता है, उसके मार्गदर्शन पर चल सकते हैं और उसके साथ एक अच्छा रिश्ता बनाए रख सकते हैं। यहोवा की सलाह हमें अपनी और अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने में भी मदद देती है।—नीति. 3:6.
11 एक उदाहरण पर गौर कीजिए। एक किसान, उसकी पत्नी और उनका बड़ा परिवार फिलिपाईन्स में एक खेत में किराए के घर में रहते थे। किसान और उसकी पत्नी दोनों पायनियर थे। अचानक एक दिन खेत के मालिक ने उन्हें खबर भेजी कि अब वे वहाँ नहीं रह सकते। किसान और उसका परिवार सकते में आ गए। उन्हें बाद में पता चला कि किसी ने उन पर बेईमानी का झूठा इलज़ाम लगा दिया था। यह भाई परेशान था कि अब वे कहाँ जाएँगे। लेकिन उसे यहोवा पर पूरा भरोसा था और उसने कहा: “यहोवा हमें सँभालेगा। चाहे कुछ भी हो जाए, वह हमेशा हमारी ज़रूरतें पूरी करता है।” इस परिवार के सदस्य बाइबल सिद्धांतों को मानते रहे और उन पर लगाए गए इलज़ामों के बावजूद, वे खेत के मालिक के साथ इज़्ज़त से पेश आए और उन्होंने शांति बनाए रखी। कुछ दिनों बाद, उस खेत के मालिक ने उनसे कहा कि वे उस घर में रह सकते हैं। उन पर लगाए गए इलज़ामों के बावजूद परिवार के सदस्य जिस तरह उसके साथ पेश आए, उसे देखकर खेत के मालिक पर गहरा असर पड़ा। इसलिए उसने अपना फैसला बदल दिया, यहाँ तक कि उसने उन्हें खेती-बाड़ी करने के लिए और भी ज़मीन दे दी। (1 पतरस 2:12 पढ़िए।) इस अनुभव से साफ पता चलता है कि अगर हम बाइबल के सिद्धांतों पर चलें, तो इस मुश्किल के समय में यहोवा हमारा मार्गदर्शन करेगा।
एक दोस्त जो परीक्षा का सामना करने में हमें मदद देता है
12, 13. किन हालात में हमें लग सकता है कि यहोवा हमें देख नहीं रहा?
12 यहोवा के सेवक होने के नाते, हम बहुत-सी परीक्षाओं का सामना करते हैं। और इनमें से कुछ लंबे समय तक रहती हैं, जैसे बीमारी, ज़ुल्म, या परिवार से आनेवाला विरोध। और हमारे लिए सबसे बड़ी परीक्षा तब होती है, जब अलग-अलग शख्सियत होने की वजह से मंडली में हमारी किसी के साथ अनबन हो जाती है।
13 मिसाल के लिए, हो सकता है किसी भाई की बात से आपको ठेस पहुँची हो। आप शायद सोचें: ‘कम-से-कम यहोवा के संगठन में तो ऐसा नहीं होना चाहिए!’ इतना ही नहीं, जिस भाई ने आपको ठेस पहुँचायी है, उसे मंडली में और भी ज़िम्मेदारियाँ मिलती हैं और दूसरे भाई उसकी बहुत इज़्ज़त करते हैं। आपके मन में शायद आए: ‘ऐसा कैसे हो सकता है? क्या यहोवा देख नहीं रहा? क्या वह कुछ नहीं करेगा?’—भज. 13:1, 2; हब. 1:2, 3.
14. किसी मामले में यहोवा के दखल न देने की एक वजह क्या हो सकती है?
14 किसी मामले में दखल न देने के पीछे यहोवा के पास कई ज़रूरी वजह हो सकती हैं। मिसाल के लिए, हो सकता है आपको कुछ ऐसी सलाह दी जाए, जो आपको सही न लगे। आप शायद सोचें कि गलती आपकी नहीं है और आपको इससे ठेस पहुँचे। जबकि यहोवा की नज़र में गलती शायद आप ही की हो, लेकिन आपको इस बात का ज़रा भी एहसास न हो। हो सकता है आपको जो सलाह दी गयी थी, वह सही थी। अपनी जीवन कहानी में, भाई कार्ल क्लाइन ने, जो शासी निकाय के सदस्य थे, बताया कि एक बार भाई जे. एफ. रदरफर्ड ने उन्हें ज़बरदस्त ताड़ना दी। कुछ समय बाद, जब भाई रदरफर्ड ने खुशी-खुशी उनसे कहा, “हैलो कार्ल,” तो भाई क्लाइन ने आधे-अधूरे मन से उन्हें जवाब दिया। भाई रदरफर्ड ने भाँप लिया कि भाई कार्ल अभी-भी उस सलाह की वजह से उनसे नाराज़ हैं। भाई रदरफर्ड ने भाई क्लाइन से कहा: “खबरदार रहो। शैतान तुम्हारे पीछे लगा है।” इस सलाह ने भाई क्लाइन को बहुत मदद दी। बाद में जब वे शासी निकाय के सदस्य बने, तो उन्होंने कहा: “जब एक भाई हमसे कुछ कह देता है, खासकर कोई ऐसी बात जिसे कहने का उसे पूरा हक है, और हम अपने दिल में उस भाई के लिए नाराज़गी पालने लगते हैं, तो हम खुद को शैतान के झाँसे में आने दे रहे होते हैं।” a
15. परीक्षाओं का सामना करते वक्त हमें किस बात को मन में रखना चाहिए?
15 हम चाहते हैं कि परीक्षाएँ जल्द-से-जल्द खत्म हो जाएँ। मगर यह ज़रूरी है कि उस दौरान हम सब्र रखना सीखें। परीक्षाओं का सामना करना ऐसा है मानो आप गाड़ी चलाते वक्त ट्रैफिक में फँस गए हों। आप चाहें तो सब्र दिखाते हुए वहीं रुककर इंतज़ार कर सकते हैं, जब तक कि गाड़ियाँ चलना शुरू नहीं कर देतीं। लेकिन ऐसा करने के बजाय, आप सब्र खो बैठते हैं, और कोई दूसरा रास्ता ढूँढ़ने निकल पड़ते हैं। नतीजा, आप गलत रास्ता ले लेते हैं और अपनी मंज़िल पर बहुत देर से पहुँचते हैं। अगर आपने सब्र दिखाया होता और जो रास्ता आपने शुरू में लिया था, उसी पर बने रहते, तो शायद आप समय पर पहुँच जाते। जब हम परीक्षाओं का सामना करते हैं, तब भी कुछ ऐसा ही होता है। अगर हम सब्र रखें, और बाइबल सिद्धांतों के मुताबिक चलते रहें, तो यहोवा हमें धीरज धरने में मदद देगा।
16. परीक्षाओं के दौरान यहोवा के दखल न देने की एक और वजह क्या हो सकती है?
16 हो सकता है यहोवा इसलिए भी दखल न दे, क्योंकि वह चाहता है कि हम परीक्षाओं से प्रशिक्षित हों। (1 पतरस 5:6-10 पढ़िए।) हमें ऐसा कभी नहीं सोचना चाहिए कि परमेश्वर हम पर परीक्षाएँ लाता है। (याकू. 1:13) आज ज़्यादातर दुख-तकलीफों के लिए हमारा “दुश्मन शैतान” ज़िम्मेदार है। लेकिन फिर भी, ऐसे मुश्किल हालात में परमेश्वर हमें उसके साथ अपना रिश्ता मज़बूत करने में मदद दे सकता है। वह हमारी दुख-तकलीफों को देखता है और उसे हमारी “परवाह” है। इसलिए वह हम पर आनेवाली परीक्षाओं को बस “थोड़ी देर तक” ही रहने देगा। इस बात का यकीन रखिए कि यहोवा आपकी परवाह करता है और वह आपको अंत तक धीरज धरने की ताकत देगा।—2 कुरिं. 4:7-9.
यहोवा की तरफ से आशीषें
17. (क) यहोवा किनकी खोज में लगा हुआ है? (ख) और क्यों?
17 आखिर में, एक और वजह से यहोवा की प्यार-भरी निगाहें हम पर लगी रहती हैं। भविष्यवक्ता हनानी के ज़रिए यहोवा ने राजा आसा से कहा: “यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।” (2 इति. 16:9) यहोवा ने आसा के मन को निष्कपट नहीं पाया। लेकिन अगर आप वही करते रहें जो उसकी नज़र में सही है, तो वह ज़रूर आपको ‘अपना सामर्थ दिखाएगा,’ यानी आपकी हिफाज़त करेगा और आपको आशीषें देगा।
18. अगर हमें लगे कि कोई हमारे अच्छे कामों को नहीं देखता, तो हम यहोवा के बारे में क्या याद रख सकते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
18 यहोवा हम पर ‘अनुग्रह करना’ चाहता है, यानी हमें आशीष देना चाहता है। अगर हम उससे आशीष पाना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि हम ‘भलाई को ढूंढ़ें,’ ‘भलाई से प्रीति रखें’ और ‘भला करें।’ (आमो. 5:14, 15; 1 पत. 3:11, 12) यहोवा उसकी आज्ञा माननेवालों को आशीष देता है, फिर चाहे और कोई भी उनके भले कामों पर ध्यान न दे। (भज. 34:15) हम इस बात को शिप्रा और पूआ नाम की दो इसराएली धाइयों की मिसाल से देख सकते हैं। फिरौन ने उन्हें हुक्म दिया था कि वे सभी इसराएली लड़कों के पैदा होते ही उन्हें मार दें। इन स्त्रियों ने फिरौन के बजाय, परमेश्वर की आज्ञा मानी और नन्हे-मुन्नों की जान बचायी। यहोवा ने शिप्रा और पूआ के भले कामों को देखा और आगे चलकर “उनके घर बसाए।” (निर्ग. 1:15-17, 20, 21) कभी-कभार हमें लग सकता है कि कोई हमारे अच्छे कामों को नहीं देखता, मगर यहोवा हमारे हरेक अच्छे काम को देखता है और उनके लिए हमें ज़रूर आशीष देगा।—मत्ती 6:4, 6; 1 तीमु. 5:25; इब्रा. 6:10.
19. एक बहन ने कैसे जाना कि यहोवा हमारी मेहनत पर ध्यान देता है?
19 कभी-कभार हमें लग सकता है कि प्रचार काम में हमारी मेहनत पर यहोवा ध्यान नहीं देता। मगर सच तो यह है कि कोई भी बात उसकी नज़रों से छिपी नहीं है। यह बात ऑस्ट्रिया में रहनेवाली एक बहन के अनुभव से साफ पता चलती है। क्योंकि यह बहन हंगेरियन भाषा बोलती थी, इसलिए उसे एक स्त्री का पता दिया गया जो वही भाषा बोलती थी। बहन फौरन उस पते पर गयी, मगर घर पर कोई नहीं था। वह डेढ़ साल तक लगातार उस घर पर जाती रही और घर-मालिक के लिए साहित्य और खत छोड़ती रही। उसने अपना फोन नंबर भी लिखकर छोड़ा। कभी-कभार बहन को लगा जैसे घर पर कोई है, लेकिन कभी किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। एक दिन जब वह उस घर पर गयी, तो एक स्त्री ने दरवाज़ा खोला और मुसकराकर कहा: “आइए, अंदर आइए। आप जो लायी थीं, मैंने सबकुछ पढ़ लिया है और मुझे आपका इंतज़ार था।” इस स्त्री का कीमोथेरेपी इलाज चल रहा था और पहले उसे किसी से बात करने का दिल नहीं करता था। उस स्त्री ने बाइबल अध्ययन कबूल किया। इस बहन को एहसास हुआ कि यहोवा ने उसकी मेहनत पर ध्यान दिया और उसे आशीष दी।
20. यहोवा आपमें जो निजी दिलचस्पी लेता है, उस बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?
20 जैसा कि हमने इस लेख में सीखा, हम जो भी करते हैं, वह सब यहोवा देखता है और वह सबके दिलों को जाँचता है। हमें ऐसा महसूस नहीं होता कि वह हममें कमियाँ निकालने की कोशिश कर रहा है या हमारी हर गलती का हिसाब रख रहा है। इसके बजाय, हम यहोवा के और भी करीब महसूस करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि वह हमारी परवाह करता है और वह सचमुच हमारी मदद करना चाहता है। और हमें इस बात का भी यकीन है कि हम जो भी अच्छे काम करते हैं, उनके लिए वह हमें आशीष देगा।
a भाई क्लाइन की जीवन कहानी 1 अक्टूबर, 1984 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) में प्रकाशित की गयी थी।