यीशु मसीह असल में कौन है?
यीशु मसीह असल में कौन है?
“जब वह यरूशलेम में दाखिल हुआ, तो पूरे शहर में तहलका मच गया और सब कहने लगे: ‘यह कौन है?’ और भीड़ के लोग उन्हें बताते रहे: ‘यह वही भविष्यवक्ता है, गलील के नासरत का यीशु!’”—मत्ती 21:10, 11.
ईसवी सन् 33 के वसंत में जब यीशु मसीह * यरूशलेम पहुँचा, तो उसके आने से वहाँ तहलका क्यों मच गया? शहर के बहुत-से लोग, यीशु और उसके हैरतअंगेज़ कामों के बारे में पहले ही सुन चुके थे और वे दूसरों को भी उसके बारे में बताते जा रहे थे। (यूहन्ना 12:17-19) लेकिन शायद ही उन्होंने सोचा होगा कि उनके बीच जो इंसान मौजूद है वह ऐसी छाप छोड़ जाएगा कि सदियों बाद भी दुनिया उसे याद करेगी और उसकी बातों और कामों का असर लोगों की ज़िंदगी में दिखायी देता रहेगा।
कुछ उदाहरणों पर गौर कीजिए जो साबित करते हैं कि यीशु ने इतिहास पर कितना ज़बरदस्त असर डाला।
▪ दुनिया के ज़्यादातर हिस्सों में आमतौर पर जो कैलेंडर इस्तेमाल किया जाता है, वह उस साल पर आधारित है जिसे लोग यीशु के जन्म का साल मानते हैं।
▪ करीब 20 करोड़ लोग यानी दुनिया की एक-तिहाई आबादी खुद को ईसाई कहती है।
▪ इसलाम धर्म जिसे पूरी दुनिया में दस करोड़ से भी ज़्यादा लोग मानते हैं, सिखाता है कि यीशु एक महान नबी है।
▪ यीशु की कई बुद्धि-भरी बातें, कहावत बनकर हमारी बोलचाल में शामिल हो चुकी हैं। जैसे:
‘अगर कोई तेरे एक गाल पर थप्पड़ मारे, तो उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर दे।’—मत्ती 5:39.
‘पहले अपनी आँख का लट्ठा देखो, फिर दूसरे की आँख का तिनका निकालना।’—मत्ती 7:3.
‘कोई भी दो मालिकों की सेवा नहीं कर सकता।’—मत्ती 6:24.
‘अपने मोती सुअरों के आगे मत फेंको।’—मत्ती 7:6.
‘जो कुछ तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो।’—मत्ती 7:12.
‘ऊँट का सुई के छेद से निकलना।’—मत्ती 19:24.
इसमें कोई शक नहीं कि यीशु ने इतिहास पर गहरा असर डाला। फिर भी लोग उसके बारे में अलग-अलग राय और धारणाएँ रखते हैं। इसलिए शायद आप सोचें, ‘आखिर यीशु असल में है कौन?’ सिर्फ बाइबल ही बताती है कि यीशु कहाँ से आया, उसने कैसी ज़िंदगी जी और अपनी जान क्यों दी। ये सच्चाइयाँ न सिर्फ आपकी अभी की ज़िंदगी पर, बल्कि आपके आनेवाले भविष्य पर भी गहरा असर डाल सकती हैं। (w11-E 04/01)
[फुटनोट]
^ “यीशु” नासरत शहर से था और उसके नाम का मतलब है “यहोवा उद्धार करता है।” शब्द “मसीह” एक उपाधि है, जिसका मतलब है “अभिषिक्त जन,” इससे पता चलता है कि यीशु का अभिषेक यानी एक खास ज़िम्मेदारी के लिए उसका चुनाव, परमेश्वर ने किया था।