सुखी परिवार का राज़
दोबारा भरोसा कायम करना
स्टीव *: “मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि जेसिका मुझसे बेवफाई करेगी। मेरा भरोसा पूरी तरह टूट गया। मैं बता नहीं सकता कि मेरे लिए उसे माफ करना कितना मुश्किल था।”
जेसिका: “स्टीव का मुझ पर से भरोसा उठ जाना वाजिब था। मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा था, लेकिन स्टीव को इसका यकीन दिलाने में मुझे सालों लग गए।”
पति-पत्नी में से अगर कोई व्यभिचार करता है, तो बाइबल के मुताबिक निर्दोष साथी चाहे तो तलाक ले सकता है। * (मत्ती 19:9) स्टीव ने फैसला किया कि वह तलाक नहीं लेगा। उन दोनों ने पक्का इरादा कर लिया कि वे अपने रिश्ते को टूटने नहीं देंगे। लेकिन उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि अपने रिश्ते को बचाने का मतलब सिर्फ एक छत के नीचे रहना नहीं है। क्यों? क्योंकि शादीशुदा ज़िंदगी में खुशी बनाए रखने के लिए पति-पत्नी का एक-दूसरे पर भरोसा करना बेहद ज़रूरी है। जेसिका के व्यभिचार की वजह से उनके बीच का भरोसा पूरी तरह खत्म हो गया था। अब उन्हें अपने रिश्ते को बहाल करने के लिए काफी मेहनत करनी थी।
यह सच है कि व्यभिचार पति-पत्नी के रिश्ते में गहरी दरार डाल देता है। लेकिन अगर आप इसके बावजूद अपने रिश्ते को बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह याद रखना अच्छा होगा कि इसमें कई मुश्किलें आएँगी, खासकर शुरूआत के महीनों में। लेकिन हिम्मत मत हारिए, आपकी मेहनत ज़रूर रंग लाएगी! आप एक-दूसरे का भरोसा दोबारा कैसे जीत सकते हैं? बाइबल में दी बुद्धि-भरी सलाह से आपको मदद मिल सकती है। आगे दिए चार सुझावों पर ध्यान दीजिए।
1 एक-दूसरे के साथ ईमानदारी से पेश आइए।
यीशु मसीह के एक शिष्य, पौलुस ने लिखा: “इसलिए, जब तुमने झूठ को अपने से दूर किया है, तो तुममें से हरेक . . . सच बोले।” (इफिसियों 4:25) झूठ बोलने, बातें छिपाने या चुप रहने से भी भरोसा खत्म हो जाता है। इसलिए ज़रूरी है कि आप दोनों एक-दूसरे से खुलकर बात करें और सच बोलें।
शुरू-शुरू में हो सकता है कि आप दोनों इस विषय पर बात
करना बिलकुल पसंद न करें। लेकिन एक-न-एक दिन आपको खुलकर बात करनी ही होगी कि आखिर यह सब हुआ कैसे। आप शायद हर छोटी-छोटी बात पर चर्चा न करना चाहें, लेकिन चुप्पी साध लेना भी बुद्धिमानी नहीं होगी। जेसिका कहती है, “शुरू-शुरू में मेरे लिए इस बारे में बात करना बहुत मुश्किल होता था और मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता था। मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा था और मैं उस बात को भूल जाना चाहती थी।” लेकिन इस तरह बात को टालने से समस्याएँ उठने लगीं। क्यों? स्टीव कहता है, “जेसिका अपनी गलती के बारे में बात नहीं करना चाहती थी, इसलिए मुझे हमेशा उस पर शक होता था।” बाद में जेसिका को भी एहसास हुआ कि वह जो कर रही है, सही नहीं है। वह कहती है, “मैं स्टीव से अपनी गलती के बारे में बात नहीं कर रही थी, इसलिए हमारा रिश्ता सुधर नहीं पा रहा था।”यह सच है कि ऐसे नाज़ुक विषय पर बात करने से काफी तकलीफ होती है। दिया के पति प्रेम का अपनी सेक्रेटरी के साथ नाजायज़ संबंध थे। दिया कहती है, “मेरे मन में लाखों सवाल उठते थे। यह कैसे हुआ? क्यों हुआ? उन दोनों के बीच क्या बातचीत होती थी? मैं यह सब सोच-सोचकर परेशान होती थी और अपने पति से सवाल करती थी। वक्त के गुज़रते मैं और भी सवाल करने लगी।” प्रेम कहता है, “इस बारे में बात करते वक्त कभी-कभी दिया और मेरे बीच गहमा-गहमी हो जाती थी। लेकिन बाद में हम एक-दूसरे से माफी माँग लेते थे। खुलकर बात करने से हम एक-दूसरे के करीब आ पाए।”
बेवफाई के बारे में बात करते वक्त आप तनाव को कुछ हद तक कैसे कम कर सकते हैं? याद रखिए कि बात करने का मकसद अपने साथी को सज़ा देना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि आप इस हादसे से क्या सबक सीख सकते हैं और अपने रिश्ते को मज़बूत कैसे बना सकते हैं। चल-सू और उसकी पत्नी मी-यंग ने ऐसा ही किया। चल-सू ने व्यभिचार किया था। वह कहता है, “मैंने पाया कि मैं अपनी नौकरी में बहुत व्यस्त रहता था। मैं दूसरों को खुश करने और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कुछ ज़्यादा ही कोशिश करता था। मैं दूसरों के साथ ज़्यादा समय बिताता था, इसलिए अपनी पत्नी के साथ बिताने के लिए मेरे पास बहुत कम वक्त बचता था।” यह समझ जाने के बाद कि चल-सू के बहक जाने की वजह क्या थी, उन दोनों ने अपनी ज़िंदगी में ज़रूरी बदलाव किए और इस तरह उनका रिश्ता दोबारा मज़बूत हो गया।
इसे आज़माइए: अगर बेवफाई आपने की है, तो सफाई मत दीजिए, ना ही अपने साथी पर इलज़ाम लगाइए। अपनी गलती कबूल कीजिए और यह भी मानिए कि आपकी हरकतों से आपके साथी को दुख पहुँचा है। अगर बेवफाई आपके साथी ने की है, तो उससे बातचीत करते वक्त चीखने-चिल्लाने या गंदी भाषा का इस्तेमाल करने से दूर रहिए। तब आपका साथी आपसे खुलकर बात करने की हिम्मत जुटा पाएगा।—इफिसियों 4:32.
2 मिलकर कोशिश कीजिए।
बाइबल कहती है: “एक से दो अच्छे हैं।” क्यों? “क्योंकि उनके परिश्रम का अच्छा फल मिलता है। क्योंकि यदि उन में से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा।” (सभोपदेशक 4:9, 10) यह सिद्धांत खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो अपने रिश्ते में दोबारा भरोसा कायम करने की कोशिश कर रहे हैं।
अगर आप मिलकर काम करें, तो आप एक-दूसरे का भरोसा जीतने में कामयाब हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए दोनों को मेहनत करनी होगी। अगर एक इंसान अकेला ही कोशिश करे, तो वह अपने लिए और परेशानी खड़ी कर रहा होगा। आपको यह याद रखना चाहिए कि आप दोनों एक ही गाड़ी के पहिए हैं।
स्टीव और जेसिका को साथ काम करने से कामयाबी मिली। जेसिका कहती है, “हमें वक्त तो लगा, लेकिन हमने अपने रिश्ते को सुधारने के लिए मिलकर काम करना नहीं छोड़ा। मैंने ठान लिया था कि मैं उन्हें दोबारा कभी ऐसा दुख नहीं पहुँचाऊँगी। कभी-कभी स्टीव कुछ ऐसा कह देते थे जो मुझे बुरा लगता था, लेकिन उन्होंने भी फैसला कर लिया था कि वे हमारे रिश्ते को टूटने नहीं देंगे। मैं हर रोज़ अलग-अलग तरीकों से यह ज़ाहिर करने की कोशिश करती कि मैं कभी उन्हें धोखा नहीं दूँगी और स्टीव अकसर मुझे यकीन दिलाते कि वे मुझसे प्यार करते हैं। इसके लिए मैं हमेशा उनका एहसान मानूँगी।”
इसे आज़माइए: ठान लीजिए कि आप दोनों साथ मिलकर अपने रिश्ते में भरोसा दोबारा कायम करेंगे।
3 पुरानी आदतें छोड़ दीजिए और नयी आदतें डालिए।
एक बार यीशु ने अपने सुननेवालों को शादी के बाहर यौन-संबंध रखने के बारे में खबरदार करने के बाद कहा: “अगर तेरी दायीं आँख तुझसे पाप करवा रही है, तो उसे नोंचकर निकाल दे और दूर फेंक दे।” (मत्ती 5:27-29) अगर आपने अपने साथी को धोखा दिया है, तो क्यों न आप अपनी ऐसी हरकतों या रवैयों को पहचानें जो आपके शादी के बंधन को नुकसान पहुँचा सकते हैं और उन्हें नोंचकर दूर फेंक दें।
* (नीतिवचन 6:32; 1 कुरिंथियों 15:33) प्रेम ने यही किया। उस दूसरी औरत से दूर रहने के लिए उसने अपनी शिफ्ट बदलवा ली और अपना मोबाइल नंबर भी बदल दिया। जब इन कोशिशों के बावजूद वह कामयाब नहीं हो पाया, तो उसने वह नौकरी ही छोड़ दी। उसने मोबाइल फोन रखना भी छोड़ दिया। ज़रूरत पड़ने पर वह सिर्फ अपनी पत्नी का मोबाइल इस्तेमाल करता था। उसने अपनी पत्नी का भरोसा दोबारा जीतने का पक्का इरादा कर लिया था। क्या इतनी ज़हमत उठाने का कोई फायदा हुआ? उसकी पत्नी दिया कहती है, “इस बात को अब छ: साल हो चुके हैं। मुझे कभी-कभार अब भी इस बात का डर लगता है कि वह औरत इनसे संपर्क करने की कोशिश करेगी। लेकिन अब मुझे पूरा भरोसा है कि प्रेम उसके झाँसे में नहीं आएँगे।”
ज़ाहिर है कि जिसके साथ आपने व्यभिचार किया है, उससे आपको पूरी तरह नाता तोड़ना होगा।इसके अलावा, शायद आपको अपनी शख्सियत में भी कुछ बदलाव करने पड़ें। हो सकता है कि आप दूसरों के साथ आशिकाना अंदाज़ में पेश आते हों या रोमानी रिश्ते रखने के ख्वाब देखते हों। अगर ऐसा है, तो अपनी ‘पुरानी शख्सियत को उसकी आदतों समेत उतार फेंकिए।’ पुरानी आदतें छोड़ दीजिए और ऐसी आदतें डालिए जिनसे आप अपने साथी का भरोसा दोबारा जीत सकें। (कुलुस्सियों 3:9, 10) क्या आप अपने साथी को खुलकर प्यार जताते हैं? हो सकता है कि आपको ऐसा करने में झिझक महसूस हो, लेकिन अपने साथी को यकीन दिलाइए कि आप उससे प्यार करते हैं। स्टीव कहता है, “जेसिका अकसर मुझे प्यार से छूती और कई बार मुझसे कहती कि वह मुझसे प्यार करती है।”
यह भी अच्छा होगा कि कुछ समय के लिए आप अपने साथी को अपनी दिनचर्या के बारे में हर बात बताएँ। मी-यंग कहती है, “चल-सू मुझे यकीन दिलाना चाहते थे कि वे मुझसे कुछ नहीं छिपा रहे। इसलिए वे याद से मुझे हर दिन बताते थे कि उन्होंने क्या-क्या किया, यहाँ तक कि छोटी-से-छोटी बात भी।”
इसे आज़माइए: एक-दूसरे से पूछिए कि क्या करने से आपके रिश्ते में भरोसा दोबारा कायम हो सकता है। उन बातों को लिख लीजिए और उन पर अमल कीजिए। इसके अलावा, कुछ ऐसे काम साथ मिलकर कीजिए जिनमें आप दोनों को मज़ा आता हो। ऐसा नियमित तौर पर करते रहिए।
4 पिछली बातें भूलकर अपने रिश्ते को नए सिरे से शुरू कीजिए।
बहुत जल्द इस नतीजे पर मत पहुँचिए कि सबकुछ पहले जैसा हो गया है। नीतिवचन 21:5 में यह चेतावनी दी गयी है: “उतावली करनेवाले को केवल घटती होती है।” आपको अपने साथी का भरोसा एक बार फिर जीतने में समय लगेगा। शायद इसमें सालों लग जाएँ।
अगर आपके साथी ने बेवफाई की है, तो यह मानकर चलिए कि उसे माफ करने में आपको वक्त लगेगा। मी-यंग कहती है: “पहले मैं सोचती थी कि अगर पति ने व्यभिचार किया है तो पत्नी को उसे माफ कर देना चाहिए। मैं समझ नहीं पाती थी कि एक पत्नी अपने पति से इतने दिनों तक कैसे नाराज़ रह सकती है। लेकिन जब मेरे साथ ऐसा हुआ, तब मुझे एहसास हुआ कि ऐसे हालात में अपने पति को माफ करना कितना मुश्किल होता है।” अपने साथी को माफ करना और उस पर दोबारा भरोसा करना, धीरे-धीरे ही मुमकिन है।
लेकिन याद रखिए कि सभोपदेशक 3:1-3 के मुताबिक “चंगा [होने] का भी समय” है। हो सकता है, शुरू-शुरू में आप सोचें कि अपनी भावनाओं को खुलकर ज़ाहिर न करना ही अच्छा है। लेकिन अगर आप दिल बात कभी नहीं बताएँगे, तो आप दोनों के बीच दोबारा भरोसा कायम नहीं हो पाएगा। अपने रिश्ते में आयी दरार को भरने के लिए अपने साथी को माफ कीजिए और अपने विचार और भावनाएँ उसे बताकर ज़ाहिर कीजिए कि आपने उसे माफ कर दिया है। अपने साथी को भी बढ़ावा दीजिए कि वह आपको अपनी खुशियों और चिंताओं के बारे में बताए।
बीती बातों के बारे में सोच-सोचकर अपने साथी के लिए मन में कड़वाहट मत पालिए। ऐसी भावनाएँ दिल से निकालने की कोशिश कीजिए। (इफिसियों 4:32) इसके लिए आपको परमेश्वर की मिसाल से मदद मिल सकती है। जब पुराने ज़माने के इसराएल देश के लोगों ने उसकी उपासना करनी छोड़ दी, तो परमेश्वर को बहुत दुख पहुँचा। यहोवा परमेश्वर ने खुद की तुलना एक ऐसे पति से की जिसकी पत्नी ने उसे धोखा दिया हो। (यिर्मयाह 3:8, 9; 9:2) इसके बावजूद उसने कहा, “मैं सर्वदा क्रोध न रखे रहूंगा।” (यिर्मयाह 3:12) जब इसराएल के लोगों ने सच्चा पश्चाताप दिखाया और उसके पास लौट आए, तो उसने उन्हें माफ कर दिया।
अगर आप इन सुझावों को लागू करने के लिए कड़ी मेहनत गलातियों 6:9.
करें, तो एक दिन ऐसा आएगा जब आप दोनों को यकीन हो जाएगा कि आपका रिश्ता बरकरार रहेगा। इसके बाद आप अपना ध्यान अपनी शादी को बचाने पर नहीं, बल्कि साथ मिलकर दूसरे काम करने पर लगा पाएँगे। लेकिन फिर भी थोड़ी सावधानी बरतिए और बीच-बीच में अपने रिश्ते को जाँचते रहिए। छोटी-मोटी अड़चनें आ सकती हैं, लेकिन इन्हें मिलकर पार कीजिए और एक-दूसरे को अपनी वफादारी का यकीन दिलाते रहिए।—इसे आज़माइए: यह उम्मीद मत कीजिए कि आपका रिश्ता बिलकुल पहले जैसा हो जाएगा, बल्कि यह सोचिए कि आप एक नए रिश्ते की शुरूआत कर रहे हैं और इस रिश्ते को मज़बूत बनाइए।
आप कामयाब हो सकते हैं
अगर कभी आपको लगता है कि आपकी कोशिशें कामयाब नहीं हो रही हैं, तो यह याद रखिए कि शादी के रिश्ते की शुरूआत परमेश्वर ने की है और इसलिए आपकी शादी को कामयाब बनाने में वह मदद कर सकता है। (मत्ती 19:4-6) इस लेख में जिन पति-पत्नियों का ज़िक्र किया गया है, उन सभी ने बाइबल की बुद्धि-भरी सलाह को लागू किया और वे अपनी शादी को बरकरार रख पाए।
स्टीव और जेसिका की ज़िंदगी में इस तूफान को आए 20 साल से भी ज़्यादा समय हो चुका है। वे अपने रिश्ते को बरकरार रखने में कामयाब हुए। स्टीव कहता है, “जब हमने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया, तब हमारी शादीशुदा ज़िंदगी में ज़्यादा सुधार हुआ। हमें जो मदद दी गयी वह वाकई अनमोल थी। इस वजह से हम उस मुश्किल दौर को पार कर पाए।” जेसिका कहती है: “परमेश्वर का लाख-लाख शुक्र है कि हम उस बुरे वक्त से उबर पाए। हमने साथ मिलकर बाइबल का अध्ययन किया और अपने रिश्ते को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसकी वजह से आज हमारी शादीशुदा ज़िंदगी बहुत खुशहाल है।” (w12-E 05/01)
^ नाम बदल दिए गए हैं।
^ ऐसे हालात में तलाक का फैसला किस बिनाह पर करें, इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए सजग होइए! पत्रिका के मई 8, 1997, पेज 26 और अगस्त 8, 1995, पेज 10 और 11 (अँग्रेज़ी) देखिए।
^ अगर कुछ समय के लिए आपको उससे मिलना-जुलना पड़ता है, जैसे काम के सिलसिले में, तो तभी ऐसा कीजिए जब यह बेहद ज़रूरी हो। उससे अकेले में मत मिलिए और अपने साथी को आपकी मुलाकात की पूरी खबर दीजिए।
खुद से पूछिए . . .
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मेरे साथी के व्यभिचार करने के बावजूद मैंने क्यों हमारे रिश्ते को बरकरार रखने का फैसला किया था?
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मेरे साथी में कौन-से अच्छे गुण हैं?
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शादी से पहले जब हम दोनों मिलते थे, तो मैं किन छोटे-छोटे तरीकों से प्यार ज़ाहिर करता था? मैं उसी तरह प्यार कैसे दिखा सकता हूँ?