आमोस 8:1-14
8 सारे जहान के मालिक यहोवा ने मुझे एक दर्शन दिखाया। मैंने देखा कि गरमियों के फलों से भरी एक टोकरी है!
2 उसने पूछा, “आमोस, तू क्या देखता है?” मैंने कहा, “गरमियों के फलों से भरी एक टोकरी।” तब यहोवा ने मुझसे कहा, “मेरी प्रजा इसराएल का अंत आ गया है। अब मैं उन्हें और माफ नहीं करूँगा।+
3 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘मंदिर से गीतों के बजाय रोने-पीटने की आवाज़ें आएँगी।+ हर कहीं लाशें बिछी होंगी+ जिससे सन्नाटा छा जाएगा!’
4 तुम सब यह संदेश सुनो, जो गरीबों को रौंदते हो,देश के दीन जनों का नाश करते हो,+
5 जो कहते हो, ‘नए चाँद का त्योहार कब खत्म होगा+ ताकि हम अनाज बेच सकें?सब्त का दिन+ कब बीतेगा ताकि हम अनाज बेच सकें?
फिर हम एपा* की नाप छोटी कर सकेंगे,शेकेल* का वज़न बढ़ा सकेंगेऔर तराज़ू में दंडी मारेंगे।+
6 फिर हम चाँदी से ज़रूरतमंदों को खरीद सकेंगे,एक जोड़ी जूती के दाम पर गरीब को खरीद सकेंगे+और अनाज की फटकन बेच सकेंगे।’
7 यहोवा याकूब की शान+ की शपथ खाकर कहता है,‘मैं उनका एक भी काम नहीं भूलूँगा।+
8 इसलिए देश काँपेगा,*इसका हर निवासी मातम मनाएगा।+
क्या यह देश नील नदी की तरह उमड़ने नहीं लगेगा?
मिस्र की नील की तरह नहीं घटेगा-बढ़ेगा?’+
9 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है,‘उस दिन मैं भरी दोपहरी में सूरज डुबा दूँगाऔर दिन के उजाले में देश में अँधेरा कर दूँगा।+
10 मैं तुम्हारे त्योहारों को मातम में बदल दूँगा,+तुम्हारे सब गीतों को शोकगीतों में बदल दूँगा।
मैं सबकी कमर पर टाट ओढ़ाऊँगा और सबका सिर मुँड़वाऊँगा,मैं उनसे ऐसे मातम करवाऊँगा जैसे कोई इकलौते बेटे की मौत पर करता हैऔर उस दिन का अंत बहुत कड़वा होगा।’
11 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है,‘देखो! वे दिन आ रहे हैं,जब मैं देश में अकाल भेजूँगा,रोटी और पानी के लिए नहींबल्कि यहोवा के वचन सुनने के लिए लोग भूखे-प्यासे रह जाएँगे।+
12 वे लड़खड़ाते हुए एक सागर से दूसरे सागर जाएँगे,उत्तर से पूरब जाएँगे।
यहोवा के वचनों की खोज में मारे-मारे फिरेंगे, मगर कहीं नहीं पाएँगे।
13 उस दिन सुंदर कुँवारियाँ और जवान आदमीप्यास के मारे बेहोश हो जाएँगे।
14 जो सामरिया के पाप+ की शपथ खाकर कहते हैं,“हे दान, तेरे देवता के जीवन की शपथ!”+
और “बेरशेबा के रास्ते की शपथ!”+
वे गिर जाएँगे और फिर कभी नहीं उठेंगे।’”+