न्यायियों 14:1-20
14 फिर शिमशोन तिमना गया। वहाँ उसने एक पलिश्ती लड़की को देखा।
2 उसने जाकर अपने माँ-बाप से कहा, “तिमना में मैंने एक पलिश्ती लड़की देखी है। मैं चाहता हूँ कि तुम उससे मेरी शादी करवा दो।”
3 मगर उसके माँ-बाप ने उससे कहा, “क्या तुझे हमारे रिश्तेदारों और हमारे लोगों में कोई लड़की नहीं मिली,+ जो तू खतनारहित पलिश्तियों की लड़की से शादी करना चाहता है?” मगर शिमशोन ने अपने पिता से कहा, “मेरी शादी उसी से करवा दो, वही मेरे लिए सही रहेगी।”
4 उसके माँ-बाप यह नहीं समझ पाए कि यहोवा ही उसे ऐसा करने के लिए उभार रहा है क्योंकि वह पलिश्तियों के खिलाफ कदम उठाने का रास्ता तैयार कर रहा था। उस समय पलिश्ती इसराएलियों पर राज कर रहे थे।+
5 तब शिमशोन अपने माँ-बाप के साथ तिमना गया। जब वह तिमना में अंगूरों के बाग के पास पहुँचा, तो अचानक एक शेर उसके सामने आया और गरजने लगा।
6 उसी वक्त यहोवा की पवित्र शक्ति शिमशोन पर काम करने लगी+ और उसने अपने दोनों हाथों से शेर को ऐसे चीर डाला जैसे कोई बकरी के बच्चे को चीर देता है। मगर इस बारे में उसने अपने माता-पिता को कुछ नहीं बताया।
7 फिर शिमशोन उस लड़की के पास गया और उससे बातें कीं। उसे यकीन हो गया कि यह लड़की उसके लिए बिलकुल सही रहेगी।+
8 कुछ समय बाद शिमशोन उस लड़की को अपने घर लाने के लिए निकला।+ रास्ते में वह मरे हुए शेर को देखने गया। उसमें मधुमक्खियों ने छत्ता बना लिया था और छत्ते में बहुत-सा शहद था।
9 शिमशोन ने शहद अपने हाथ पर निकाला और उसे खाते-खाते अपने माँ-बाप के पीछे गया। उसने उन्हें भी थोड़ा शहद खाने को दिया, मगर यह नहीं बताया कि उसने मरे हुए शेर में से उसे निकाला है।
10 फिर शिमशोन अपने पिता के साथ लड़की के यहाँ गया और वहाँ उसने एक दावत रखी। उन दिनों यह दस्तूर था कि दूल्हे इस तरह की दावत रखते थे।
11 जब शिमशोन दावत में आया तो 30 आदमियों से कहा गया कि वे दूल्हे के साथ-साथ रहें।
12 शिमशोन ने उन आदमियों से कहा, “मैं तुमसे एक पहेली पूछता हूँ। अगर तुम इन सात दिनों में दावत के खत्म होने से पहले वह पहेली बूझ लोगे, तो मैं तुम्हें 30 मलमल के कुरते और 30 जोड़े कपड़े दूँगा।
13 लेकिन अगर तुम वह पहेली नहीं बूझ पाए, तो तुम्हें मुझे 30 कुरते और 30 जोड़े कपड़े देने पड़ेंगे।” तब उन्होंने कहा, “ज़रा हम भी तो सुनें क्या पहेली पूछना चाहता है तू।”
14 शिमशोन ने कहा,
“खाता है जो सबको, मिला उससे कुछ खाने को,ताकत उसमें है अपार, बहती उससे मीठी धार।”+
तीन दिन तक वे सोचते रहे मगर उस पहेली को न बूझ सके।
15 चौथे दिन उन्होंने शिमशोन की पत्नी* से कहा, “अपने पति* को फुसलाकर+ उससे पहेली का जवाब पूछ और आकर हमें बता। वरना हम तुझे और तेरे पिता के पूरे घराने को जला देंगे। क्या तूने हमें दावत पर इसीलिए बुलाया था कि हम लुट जाएँ?”
16 तब शिमशोन की पत्नी यह कहकर उसके सामने रोने-धोने लगी, “तू मुझसे प्यार नहीं नफरत करता है,+ तभी तूने मुझे उस पहेली का जवाब नहीं बताया जो तूने मेरे लोगों से पूछी है।” शिमशोन ने कहा, “मैंने अपने माँ-बाप को नहीं बताया तो तुझे कैसे बता दूँ!”
17 लेकिन जितने दिन दावत चली उतने दिन वह शिमशोन के आगे रोती रही। सातवें दिन शिमशोन ने तंग आकर उसे पहेली का जवाब बता दिया और उसने जाकर अपने लोगों को बता दिया।+
18 सातवें दिन सूरज ढलने से पहले* शहर के आदमियों ने आकर शिमशोन से कहा,
“शहद की धार से मीठा और क्या हो सकता हैऔर शेर से ताकतवर कौन हो सकता है?”+
शिमशोन ने उनसे कहा,
“अगर तुमने मेरी गाय को हल में न जोता होता,*+तो तुम यह पहेली कभी न बूझ पाते।”
19 तब यहोवा की पवित्र शक्ति शिमशोन पर काम करने लगी+ और उसने अश्कलोन+ जाकर वहाँ 30 आदमियों को मार डाला। उसने उनके कपड़े उतार लिए और जाकर उन लोगों को दे दिए जिन्होंने उसकी पहेली का जवाब बताया था।+ इसके बाद वह गुस्से में अपने पिता के घर लौट आया।
20 फिर शिमशोन की पत्नी+ की शादी, दावत में शिमशोन के साथ रहनेवाले एक आदमी से करा दी गयी।+
कई फुटनोट
^ इब्री दस्तूर के मुताबिक मंगेतर को पत्नी कहा जाता था।
^ इब्री दस्तूर के मुताबिक मंगेतर को पति कहा जाता था।
^ या शायद, “इससे पहले कि वह अंदरवाले कमरे में जाता।”
^ यानी उन्होंने उसकी पत्नी से अपना काम निकलवाया।