भजन 16:1-11
दाविद का मिकताम।*
16 हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर क्योंकि मैंने तेरी पनाह ली है।+
2 मैंने यहोवा से कहा, “हे यहोवा, मेरा भला करनेवाला तू ही है।
3 धरती के पवित्र और गौरवशाली लोगमुझे बड़ी खुशी देते हैं।”+
4 जो दूसरे देवताओं के पीछे भागते हैं, वे अपने दुख बढ़ाते जाते हैं।+
मैं कभी उनके साथ मिलकर खून का अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा,न ही अपने होंठों से उन देवताओं का नाम लूँगा।+
5 यहोवा मेरा भाग है, मुझे दिया गया हिस्सा है,+वही मेरा प्याला भरता है।+
तू मेरी विरासत की हिफाज़त करता है।
6 मेरे हिस्से में कई मनभावनी जगह आयी हैं।
मैं अपनी विरासत से वाकई खुश हूँ।+
7 मैं यहोवा की तारीफ करूँगा जिसने मुझे सलाह दी है।+
रात के वक्त भी मेरे मन की गहराई में छिपे विचार* मुझे सुधारते हैं।+
8 मैं हर पल यहोवा को अपनी नज़रों के सामने रखता हूँ।+
वह मेरे दायीं तरफ रहता है, इसलिए मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता।*+
9 मेरा दिल खुशियों से सराबोर है,मेरे रोम-रोम* में खुशी की लहर दौड़ रही है।
और मैं* महफूज़ बसा रहता हूँ।
10 क्योंकि तू मुझे कब्र* में नहीं छोड़ देगा।+
तू अपने वफादार जन को गड्ढे में पड़े रहने नहीं देगा।*+
11 तू मुझे ज़िंदगी की राह दिखाता है।+
तेरे सामने रहकर मुझे अपार सुख मिलता है,+तेरे दायीं तरफ रहना मुझे सदा खुशी* देता है।
कई फुटनोट
^ या “मेरी गहरी भावनाएँ।” शा., “मेरे गुरदे।”
^ या “मैं डगमगा (या लड़खड़ा) नहीं सकता।”
^ शा., “मेरी महिमा।”
^ या “मेरा शरीर।”
^ शा., “गड्ढा नहीं देखने देगा।” या शायद, “सड़ने नहीं देगा।”
^ या “सुख।”