भजन 53:1-6
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: महलत की शैली* में। मश्कील।*
53 मूर्ख* मन में कहता है, “कोई यहोवा नहीं।”+
ऐसे लोगों के काम बुरे होते हैं, भ्रष्ट और घिनौने होते हैं,कोई भी भला काम नहीं करता।+
2 मगर परमेश्वर स्वर्ग से इंसानों को देखता है+कि क्या कोई अंदरूनी समझ रखनेवाला है,क्या कोई यहोवा की खोज करनेवाला है।+
3 वे सब भटक गए हैं,सब-के-सब भ्रष्ट हो गए हैं।
कोई भी भला काम नहीं करता, एक भी नहीं।+
4 क्या गुनहगारों में से कोई भी समझ नहीं रखता?
वे मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं मानो रोटी हो।
वे यहोवा को नहीं पुकारते।+
5 मगर उन सब पर खौफ छा जाएगा,ऐसा आतंक जो उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं किया,*क्योंकि परमेश्वर तेरे हमलावरों* की हड्डियाँ बिखरा देगा।
तू उन्हें शर्मिंदा करेगा क्योंकि यहोवा ने उन्हें ठुकरा दिया है।
6 इसराएल का उद्धार सिय्योन की तरफ से हो!+
जब यहोवा अपने लोगों को बँधुआई से लौटा ले आएगा,तब याकूब खुशियाँ मनाए, इसराएल जश्न मनाए।
कई फुटनोट
^ या “नासमझ।”
^ या शायद, “वहाँ जहाँ डरने की कोई वजह नहीं थी।”
^ शा., “तेरे खिलाफ छावनी डालनेवालों।”