भजन 68:1-35

दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत। 68  परमेश्‍वर उठे, उसके दुश्‍मन तितर-बितर हो जाएँ,उससे नफरत करनेवाले उसके सामने से भाग जाएँ।+   जैसे धुआँ उड़ाया जाता है, वैसे ही तू उन्हें उड़ा दे,जैसे मोम आग के सामने पिघल जाता है,वैसे ही दुष्ट परमेश्‍वर के सामने मिट जाएँ।+   मगर नेक लोग आनंद मनाएँ,+परमेश्‍वर के सामने फूले न समाएँ,वे खुशी से झूम उठें।   परमेश्‍वर के लिए गीत गाओ, उसके नाम की तारीफ में गीत गाओ।*+ उस परमेश्‍वर के लिए गाओ जिसकी सवारी वीरानों से गुज़रती है।* उसका नाम याह* है!+ उसके आगे आनंद मनाओ!   परमेश्‍वर जो अपने पवित्र निवास में है,+अनाथों* का पिता और विधवाओं का रखवाला* है।+   जो अकेले हैं उन्हें रहने को घर देता है+कैदियों को रिहा करके खुशहाली देता है।+ मगर जो ढीठ* हैं उन्हें सूखे देश में रहना पड़ेगा।+   हे परमेश्‍वर, जब तू अपने लोगों को राह दिखाता हुआ चला,+वीराने से होकर गुज़रा, (सेला )   तो तेरे सामने धरती डोलने लगी,+आसमान पानी बरसाने* लगा,इसराएल के परमेश्‍वर के सामने यह सीनै पहाड़ काँपने लगा।+   हे परमेश्‍वर, तूने पानी की बौछार की,अपने थके-हारे लोगों* में नया जोश भर दिया। 10  उन्होंने तेरी छावनी में बसेरा किया,+हे परमेश्‍वर, तूने गरीबों की ज़रूरतें पूरी करके अपनी भलाई का सबूत दिया। 11  यहोवा हुक्म देता है,खुशखबरी सुनानेवाली औरतों की एक बड़ी सेना है।+ 12  राजा अपनी सेनाओं को लेकर भाग जाते हैं!+ हाँ, वे भाग जाते हैं! घर में रहनेवाली औरतों को भी लूट का हिस्सा मिलता है।+ 13  तुम आदमियों को भले ही अलावों* के पास लेटना पड़ा,मगर वहाँ तुम्हें ऐसी फाख्ता मिलेगीजिसके पर चाँदी के और डैने शुद्ध* सोने के होंगे। 14  जब सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर ने उसके राजाओं को तितर-बितर कर दिया,+तो ज़लमोन पहाड़ में बर्फबारी होने लगी।* 15  बाशान पहाड़+ परमेश्‍वर का पहाड़* है,यह कई चोटियोंवाला पहाड़ है। 16  हे चोटियोंवाले पहाड़, तू क्यों उस पहाड़ को जलन से देखता हैजिसे परमेश्‍वर ने अपना निवास चुना है?*+ बेशक उसी पहाड़ पर यहोवा सदा निवास करेगा।+ 17  परमेश्‍वर के युद्ध-रथों की गिनती हज़ारों-लाखों में है।+ यहोवा सीनै पहाड़ से पवित्र जगह में आया है।+ 18  हे याह, हे परमेश्‍वर, तू ऊँचे पर चढ़ा+और बंदियों को ले गया,आदमियों के रूप में तोहफे ले गया,+हाँ, ढीठ लोगों+ को भी ले गया ताकि तू उनके बीच निवास करे। 19  यहोवा की तारीफ हो जो हर दिन हमारा बोझ ढोता है,+वह सच्चा परमेश्‍वर है, हमारा उद्धारकर्ता। (सेला ) 20  सच्चा परमेश्‍वर हमें बचानेवाला परमेश्‍वर है,+सारे जहान का मालिक यहोवा मौत से बचाता है।+ 21  हाँ, परमेश्‍वर अपने दुश्‍मनों का सिर चूर-चूर कर देगा,जो पाप करने से बाज़ नहीं आते।*+ 22  यहोवा ने कहा है, “मैं उन्हें बाशान से वापस लाऊँगा,+समुंदर की गहराइयों से निकाल लाऊँगा 23  ताकि उन दुश्‍मनों के खून से तुम्हारे पैर लथपथ हो जाएँ+और तुम्हारे कुत्ते उनका खून चाटें।” 24  हे परमेश्‍वर, वे तेरी जीत का जुलूस देखते हैं,मेरे परमेश्‍वर का, मेरे राजा का जुलूस देखते हैं जो पवित्र जगह की तरफ बढ़ता है।+ 25  गायक सबसे आगे होते हैं, उनके पीछे तारोंवाले बाजे बजाते संगीतकार होते हैं,+दोनों दलों के बीच डफली बजाती जवान औरतें चलती हैं।+ 26  जहाँ लोगों की भीड़ जमा है, वहाँ* परमेश्‍वर की तारीफ करो,इसराएल के सोते से निकले हुए लोगो, यहोवा की तारीफ करो।+ 27  वहाँ सबसे छोटा गोत्र बिन्यामीन+ उन्हें अपने अधीन कर रहा है,साथ ही यहूदा के हाकिम और उनके लोगों की भीड़,जबूलून के हाकिम और नप्ताली के हाकिम भी उन्हें अपने अधीन कर रहे हैं। 28  तेरे परमेश्‍वर ने तय किया है कि तू ताकतवर होगा। हे परमेश्‍वर, जैसे तूने हमारी खातिर ताकत दिखायी थी, वैसे अब भी दिखा।+ 29  यरूशलेम में तेरे मंदिर के कारण+राजा तुझे तोहफे लाकर देंगे।+ 30  नरकटों में रहनेवाले जंगली जानवरों कोऔर बैलों के झुंड+ और उनके बछड़ों को तब तक डाँट,जब तक कि देश-देश के लोग चाँदी के टुकड़े लाकर तुझे दंडवत नहीं करते।* तू उन लोगों को तितर-बितर कर देता है जिन्हें युद्ध करने में मज़ा आता है। 31  मिस्र से काँसे की चीज़ें लायी जाएँगी,*+कूश बड़ी फुर्ती से परमेश्‍वर के लिए भेंट लाएगा। 32  धरती के राज्यो, परमेश्‍वर के लिए गीत गाओ,+यहोवा की तारीफ में गीत गाओ,* (सेला ) 33  उसके लिए, जो मुद्दतों से कायम ऊँचे आसमानों पर सवार है,+ सुनो! उसकी आवाज़ क्या ही बुलंद है! देखो, कैसे गरज रही है! 34  कबूल करो कि परमेश्‍वर में ताकत है।+ उसका प्रताप इसराएल पर छाया है,उसकी ताकत आसमान में है। 35  अपने शानदार भवन से निकलता परमेश्‍वर क्या ही विस्मयकारी दिखायी पड़ता है।+ वह इसराएल का परमेश्‍वर है,जो अपनी प्रजा को ताकत और शक्‍ति देता है।+ परमेश्‍वर की तारीफ हो।

कई फुटनोट

या “संगीत बजाओ।”
या शायद, “जो बादलों पर सवारी करता है।”
“याह” यहोवा नाम का छोटा रूप है।
या “जिनके पिता की मौत हो गयी है।”
शा., “न्यायी।”
या “बागी।”
शा., “टपकने।”
शा., “अपनी विरासत।”
या शायद, “भेड़शालाओं।”
या “पीले-हरे रंग के।”
या “तो यह ऐसा था मानो ज़लमोन में बर्फ पड़ी।”
या “एक विशाल पहाड़।”
या “अपने निवास के लिए चाहा है?”
या “पाप की राह पर चलते हैं।”
शा., “बड़ी सभाओं में।”
या शायद, “टुकड़े रौंद नहीं देते।”
या शायद, “से राजदूत आएँगे।”
या “संगीत बजाओ।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो