मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 6:1-34
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
दान: शा., “दया के दान।” यूनानी शब्द एलीमॉसाइने “दया” और “दया दिखाने” के लिए इस्तेमाल होनेवाले यूनानी शब्दों से जुड़ा है। एलीमॉसाइने का मतलब है, गरीबों को उदारता से दिया गया पैसा या खाने की चीज़ें।
तुरही . . . बजवा: इससे लोगों का ध्यान खींचा जाता था। ज़ाहिर है कि यहाँ सचमुच की तुरही बजवाने की बात नहीं की गयी है बल्कि बताया गया है कि एक इंसान को अपने उदारता के काम जग-ज़ाहिर नहीं करने चाहिए।
कपटी: यूनानी शब्द हिपोक्रिटस पहले यूनान के (और बाद में रोम के) रंगमंच के अभिनेताओं के लिए इस्तेमाल होता था। ये अभिनेता ऐसे बड़े-बड़े मुखौटे पहनते थे जिनसे उनकी आवाज़ दूर तक सुनायी दे। आगे चलकर यह शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होने लगा जो अपने असली इरादे या अपनी शख्सियत छिपाने के इरादे से ढोंग या दिखावा करते हैं। यहाँ यीशु ने यहूदी धर्म गुरुओं को “कपटी” या ‘पाखंडी’ कहा।—मत 6:5, 16.
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
वे अपना पूरा फल पा चुके हैं: यूनानी शब्द अपेखो का मतलब है, “पूरा-पूरा पाना।” यह शब्द अकसर लेन-देन की रसीद पर लिखा होता था जिसका मतलब था, “पूरा भुगतान हो चुका।” कपटी लोग दान इसलिए करते थे ताकि लोग उन्हें देखें और उनकी वाह-वाही करें। और लोग ऐसा ही करते थे। कपटी लोगों का यही पूरा फल या इनाम होता था। उन्हें परमेश्वर से कुछ पाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए थी।
तेरे बाएँ हाथ को भी मालूम न पड़े कि तेरा दायाँ हाथ क्या दे रहा है: यह एक अलंकार है जिसका मतलब है, कोई काम चुपचाप या गुप्त में करना। यीशु के चेले जब भी भलाई के काम करते हैं तो उन्हें इसका ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए। यहाँ तक कि उन्हें उन लोगों को भी नहीं बताना चाहिए जो उनके इतने करीब हैं जितना बायाँ हाथ दाएँ हाथ के, जैसे जिगरी दोस्तों को।
एक ही बात बार-बार मत दोहराओ: या “बकबक मत करो; बेमतलब की बातें मत दोहराओ।” यीशु अपने चेलों को खबरदार कर रहा था कि वे बिना सोचे-समझे प्रार्थना न करें। वह यह नहीं कह रहा था कि बार-बार कोई गुज़ारिश करना गलत है (मत 26:36-45) बल्कि दुनिया के लोगों (यानी गैर-यहूदियों) की तरह प्रार्थनाएँ करना गलत है जो बिना सोचे-समझे, रटी-रटायी बातें “बार-बार” कहते थे।
तुम्हारा पिता: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “तुम्हारा पिता परमेश्वर” लिखा है, जबकि ज़्यादातर हस्तलिपियों में सिर्फ “तुम्हारा पिता” लिखा है।
तुम: यह शब्द कहकर यीशु दिखा रहा था कि उसके सुननेवाले उन कपटी लोगों से अलग हैं, जिनके बारे में उसने पहले बताया।—मत 6:5.
इस तरह: यानी चेलों को उन लोगों से बिलकुल अलग तरीके से प्रार्थना करनी थी जिन्हें ‘एक ही बात बार-बार दोहराने’ की आदत थी।—मत 6:7.
हमारे पिता: जब कोई प्रार्थना में ‘मेरे पिता’ के बजाय “हमारे पिता” कहता है, तो वह मान रहा होता है कि दूसरों का भी परमेश्वर के साथ करीबी रिश्ता है और वे उसके उपासकों से बने परिवार का हिस्सा हैं।—मत 5:16 का अध्ययन नोट देखें।
नाम: यानी परमेश्वर का अपना नाम, जो चार इब्रानी अक्षरों से लिखा जाता है יהוה (हिंदी में य-ह-व-ह)। हिंदी में इस नाम का अनुवाद आम तौर पर “यहोवा” किया गया है। नयी दुनिया अनुवाद के इब्रानी शास्त्र में यह नाम 6,979 बार और मसीही यूनानी शास्त्र में 237 बार आता है। (मसीही यूनानी शास्त्र में परमेश्वर का नाम कहाँ-कहाँ आया है, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए अति. क5 और अति. ग देखें।) बाइबल की कुछ आयतों में शब्द “नाम” का मतलब यह भी हो सकता है: एक व्यक्ति, उसके बारे में लोगों की राय और वे सब बातें जो उसने अपने बारे में बतायी हैं।—प्रक 3:4, फु.
पवित्र किया जाए: या “पवित्र माना जाए; पवित्र समझा जाए।” यह एक बिनती है कि इंसान और स्वर्गदूत, सभी परमेश्वर के नाम को पवित्र मानें। इस बिनती में यह भी शामिल है कि परमेश्वर अपने नाम को पवित्र करने के लिए कदम उठाए, यानी अदन के बाग में पहले इंसानी जोड़े की बगावत के समय से उसके नाम पर जो कलंक लगे हैं उन्हें मिटाए।
आज के दिन की रोटी: “रोटी” के लिए जो इब्रानी और यूनानी शब्द हैं, कई आयतों में उनका मतलब है “खाना।” (उत 3:19, फु.) इस तरह यीशु ने ज़ाहिर किया कि जो परमेश्वर की सेवा करते हैं, वे पूरे यकीन के साथ उससे बिनती कर सकते हैं कि वह उन्हें ज़्यादा नहीं बल्कि उतना खाना दे जो हर दिन के लिए काफी हो। इस बिनती से हमें याद आता है कि जब परमेश्वर ने चमत्कार करके मन्ना दिया था, तो उसने इसराएलियों को आज्ञा दी थी कि हरेक जन “दिन-भर की ज़रूरत के हिसाब से” मन्ना इकट्ठा करे।—निर्ग 16:4.
पाप: शा., “कर्ज़।” जब कोई किसी व्यक्ति के खिलाफ पाप करता है तो यह ऐसा है मानो उसने उस व्यक्ति से कर्ज़ लिया हो, जो उसे हर हाल में चुकाना है यानी उसे माफी माँगनी है। एक इंसान को परमेश्वर की तरफ से तभी माफी मिलेगी, जब वह अपने कर्ज़दारों यानी अपने खिलाफ पाप करनेवालों को माफ करेगा।—मत 6:14, 15; 18:35; लूक 11:4.
माफ किया: यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “जाने देना।” इसका यह भी मतलब हो सकता है “कर्ज़ माफ करना,” जैसे मत 18:27, 32 में लिखा है।
जब हम पर परीक्षा आए तो हमें गिरने न दे: शा., “हमें परीक्षा में न ला।” बाइबल की कुछ आयतों में जब लिखा होता है कि परमेश्वर कुछ हालात लाता है, तो उसका असली मतलब है कि वह ऐसे हालात की इजाज़त देता है। (रूत 1:20, 21) उसी तरह यीशु यहाँ यह नहीं कह रहा था कि परमेश्वर लोगों को पाप करने के लिए लुभाता है। (याकू 1:13) इसके बजाय वह अपने चेलों को बढ़ावा दे रहा था कि वे लुभानेवाले हालात से बचने या उसका सामना करने के लिए परमेश्वर से मदद माँगें।—1कुर 10:13.
अपराध: इसके यूनानी शब्द का अनुवाद “गलत कदम” (गल 6:1) या गलती भी किया जा सकता है, यानी परमेश्वर के नेक स्तरों के मुताबिक सीधी चाल न चलना।
उपवास: ठहराए गए वक्त तक बिना कुछ खाए-पीए रहना। (शब्दावली देखें।) यीशु ने कभी अपने चेलों को उपवास करने की आज्ञा नहीं दी और ऐसा करने से साफ मना भी नहीं किया। जब मूसा का कानून लागू था तब कुछ यहूदी सही इरादे से यहोवा से मदद माँगते थे और उपवास रखकर अपने पापों का पश्चाताप करते थे।—1शम 7:6; 2इत 20:3.
वे अपना चेहरा गंदा कर लेते हैं: या “वे अपना चेहरा बदसूरत बना लेते हैं (या ऐसा बना लेते हैं जिसे पहचाना न जा सके)।” लोग अपना चेहरा नहीं धोते थे या बाल नहीं सँवारते थे और अपने सिर पर राख छिड़कते या डाल लेते थे।
अपने सिर पर तेल लगा और मुँह धो: आम तौर पर लोग उपवास के दौरान मुँह नहीं धोते थे और सिर पर तेल नहीं लगाते थे। मगर यीशु ने चेलों से कहा कि वे उपवास का दिखावा न करें।
आँख, शरीर का दीपक है: अगर एक व्यक्ति की आँखें ठीक हैं तो ये उसके शरीर के लिए ऐसी हैं जैसे अँधेरी जगह में दीया जल रहा हो। आँखों से वह अपने आस-पास की चीज़ें साफ-साफ देख और समझ पाता है। मगर यहाँ लाक्षणिक “आँख” की बात की गयी है।—इफ 1:18.
एक ही चीज़ पर टिकी है: या “साफ-साफ देखती है; स्वस्थ है।” यूनानी शब्द हैप्लस का बुनियादी मतलब है, “एक; सादी।” इसका यह भी मतलब हो सकता है, एकमत होना या एक ही मकसद पूरा करने में लगे रहना। सचमुच की आँखें अगर एक चीज़ पर टिकी रहें, तो इसका मतलब वे ठीक से काम कर रही हैं। उसी तरह एक इंसान की लाक्षणिक आँख अगर सही चीज़ पर “टिकी है” (मत 6:33), तो उसकी पूरी शख्सियत पर अच्छा असर होगा।
ईर्ष्या: शा., “बुरी; दुष्ट।” सचमुच की आँखों में अगर कोई खराबी हो या वे स्वस्थ न हों तो साफ दिखायी नहीं देगा। उसी तरह अगर एक इंसान की आँखों में ईर्ष्या भरी हो तो वह ज़रूरी बातों पर ध्यान नहीं दे पाएगा। (मत 6:33) ऐसी आँखें संतुष्ट नहीं होतीं बल्कि उनमें लालच भरा होता है। वे भटक जाती हैं और बेईमान होती हैं। उनकी वजह से एक इंसान मामले की जाँच ठीक से नहीं कर पाता और हर बात में अपना स्वार्थ ढूँढ़ने लगता है।—मत 6:22 का अध्ययन नोट देखें।
दास . . . सेवा: दास का आम तौर पर एक ही मालिक होता है। यीशु यहाँ कह रहा था कि ऐसा नहीं हो सकता कि एक मसीही, परमेश्वर की भक्ति करे और सुख-सुविधा की चीज़ें बटोरने में भी लगा रहे, क्योंकि सिर्फ परमेश्वर को हमारी भक्ति पाने का हक है।
धन-दौलत: यूनानी शब्द मैमोनास का अनुवाद “पैसा” भी किया जा सकता है। “धन-दौलत” को यहाँ एक मालिक या एक तरह का झूठा देवता बताया गया है, हालाँकि इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि मैमोनास कभी किसी देवता का नाम था।
जीवन: यूनानी शब्द साइखी। यहाँ जब यीशु ने जीवन और शरीर का ज़िक्र किया तो उसका मतलब था, जीता-जागता इंसान।
चिंता करना छोड़ दो: यहाँ यूनानी क्रिया जिस काल में लिखी है उससे पता चलता है कि एक व्यक्ति जो कर रहा है उसे रोकने की आज्ञा दी गयी है। “चिंता” के लिए जो यूनानी शब्द है उसका मतलब ऐसी चिंता हो सकता है जिसकी वजह से एक इंसान एक बात पर ध्यान नहीं दे पाता बल्कि कई बातों के बारे में सोचता रहता है और उसकी खुशी छिन जाती है। यही शब्द मत 6:27, 28, 31, 34 में इस्तेमाल हुआ है।
एक पल के लिए भी: शा., “एक हाथ भी।” यीशु ने यहाँ जो शब्द इस्तेमाल किया वह कम दूरी का माप बताने के लिए इस्तेमाल होता था, यानी करीब 44.5 सें.मी. (17.5 इंच)।—शब्दावली में “हाथ” और अति. ख14 देखें।
एक पल के लिए भी अपनी ज़िंदगी बढ़ा सके: शा., “एक हाथ भी अपनी उम्र बढ़ा सके।” इन शब्दों से पता चलता है कि यीशु शायद यह कह रहा था कि ज़िंदगी एक सफर की तरह है। इसलिए चिंता करके एक इंसान अपने इस सफर की दूरी एक हाथ (अति. ख14 देखें) भी बढ़ा नहीं सकता।
मैदान में उगनेवाले सोसन के फूलों: या “लिली।” कुछ लोगों का मानना है कि ये ऐनीमोन फूल हैं, मगर इनमें ट्यूलिप, हायसिंथ, आइरिस, ग्लैडियोलस जैसे तरह-तरह के लिली भी हो सकते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यीशु उस इलाके में उगनेवाले अलग-अलग जंगली फूलों की बात कर रहा था। इसलिए कई अनुवादों में ‘जंगल के फूल’ कहा गया है। यह बात सच हो सकती है क्योंकि दूसरी आयतों में इसके लिए ‘मैदान में उगनेवाले पौधे’ लिखा गया है।—मत 6:30; लूक 12:27, 28.
सबक सीखो: यहाँ इस्तेमाल हुई यूनानी क्रिया का अनुवाद “अच्छी तरह या पूरी तरह सीखो” भी किया जा सकता है।
पौधों . . . आग: इसराएल में गरमी के महीनों में घास-फूस और पौधे दो दिन में ही सूख जाते थे। इसलिए मैदान से घास और सूखे फूलों को इकट्ठा करके तंदूर में जलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
अरे कम विश्वास रखनेवालो!: यीशु ने यह बात अपने चेलों से कही, जो दिखाती है कि उनका विश्वास या भरोसा मज़बूत नहीं था। (मत 8:26; 14:31; 16:8; लूक 12:28) इसका मतलब यह नहीं कि उनमें बिलकुल विश्वास नहीं था बल्कि उनका विश्वास कम था।
उसके राज: “उसके” का मतलब है परमेश्वर जिसे मत 6:32 में ‘स्वर्ग में रहनेवाला पिता’ कहा गया है। कुछ प्राचीन यूनानी हस्तलिपियों में लिखा है, “परमेश्वर के राज।”
नेक स्तरों: जो लोग परमेश्वर के नेक स्तरों की खोज करते हैं वे खुशी-खुशी उसकी मरज़ी पूरी करते हैं और सही-गलत के बारे में उसके स्तरों पर चलते हैं, जबकि फरीसी एकदम अलग थे। नेक काम कौन-से हैं और कौन-से नहीं, इसके लिए वे अपने ही स्तर ठहराते थे।—मत 5:20.
खोज में लगे रहो: यहाँ इस्तेमाल हुई यूनानी क्रिया से लगातार किए जानेवाले काम का पता चलता है। ऐसा नहीं है कि यीशु के सच्चे चेलों को सिर्फ कुछ वक्त के लिए राज की खोज करनी है और फिर वे दूसरे कामों में लग सकते हैं। इसके बजाय उन्हें हमेशा इसे ज़िंदगी में पहली जगह देनी है।
अगले दिन की चिंता कभी न करना: बाइबल अच्छी योजना बनाने का बढ़ावा देती है। (नीत 21:5) लेकिन अगर हम ऐसी बातों के बारे में हद-से-ज़्यादा चिंता करें जिनकी होने की बस संभावना हो तो हम परमेश्वर से दूर जा सकते हैं। नतीजा, हम परमेश्वर की बुद्धि पर भरोसा करने के बजाय अपनी समझ का सहारा लेने लग सकते हैं।—नीत 3:5, 6.
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
गलील झील से करीब 10 कि.मी. (6 मील) दूर उत्तर-पूरब में गामला नाम की जगह पर पहली सदी के सभा-घर के खंडहर पाए गए। उसी के आधार पर यह चित्र तैयार किया गया है जिससे पता चलता है कि प्राचीन समय के सभा-घर कैसे दिखते होंगे।
यीशु ने अपने चेलों को बढ़ावा दिया कि वे ‘ध्यान दें कि सोसन के फूल कैसे उगते हैं’ और उनसे ‘सबक सीखें।’ बाइबल के अनुवादों में जिस मूल शब्द को अकसर “सोसन के फूल” (लिली) कहा गया है, उसका मतलब कई तरह के फूल हो सकता है। जैसे ट्यूलिप, ऐनीमोन, हायसिंथ, आइरिस और ग्लैडियोलस। कुछ विद्वानों का मानना है कि यीशु ऐनीमोन फूलों की बात कर रहा था। लेकिन हो सकता है कि यीशु सोसन (लिली) के जैसे दिखनेवाले फूलों की बात कर रहा हो। यहाँ तसवीर में लाल ऐनीमोन फूल (ऐनीमोन कौरोनारिया ) दिखाए गए हैं। ये फूल इसराएल में बहुत आम हैं और नीले, गुलाबी, बैंजनी और सफेद रंगों में भी पाए जाते हैं।