यहेजकेल 29:1-21
29 दसवें साल के दसवें महीने के 12वें दिन यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा:
2 “इंसान के बेटे, मिस्र के राजा फिरौन की तरफ मुँह कर और उसके और पूरे मिस्र के खिलाफ यह भविष्यवाणी कर:+
3 ‘सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“हे मिस्र के राजा फिरौन, मैं तेरे खिलाफ हूँ।+
तू वह बड़ा और भयानक जीव है जो नील* की धाराओं में लेटा रहता है।+
तू कहता है, ‘यह नील नदी मेरी है।
मैंने इसे अपने लिए बनाया है।’+
4 मगर मैं तेरे जबड़ों में काँटे डालूँगा और तेरी नील की मछलियों को तेरे छिलके पर चिपटाऊँगा।
मैं तुझे और तुझसे चिपटी सारी मछलियों को नील से खींचकर बाहर निकालूँगा।
5 मैं तुझे और तेरी नील की सारी मछलियों को ले जाकर रेगिस्तान में छोड़ दूँगा।
तू खुले मैदान में गिर पड़ेगा और कोई तेरी लाश के बिखरे हुए टुकड़े इकट्ठे नहीं करेगा।+
मैं तुझे धरती के जंगली जानवरों और आकाश के पक्षियों का निवाला बना दूँगा।+
6 तब मिस्र के सभी निवासियों को जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ,क्योंकि इसराएल के घराने ने जब उन पर टेक लगायी तो वे बस एक सूखा तिनका* साबित हुए।+
7 जब उन्होंने तेरा हाथ पकड़ा तो तू कुचला गया,तेरी वजह से उनके कंधे ज़ख्मी हो गए।
जब उन्होंने तुझ पर टेक लगायी तो तू टूट गया,तेरी वजह से उनके पाँव* लड़खड़ाने लगे।”+
8 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “अब मैं तुझ पर तलवार चलाऊँगा+ और तेरे बीच से इंसानों और जानवरों, दोनों को काट डालूँगा।
9 मिस्र उजाड़ दिया जाएगा और तबाह हो जाएगा+ और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ, क्योंकि तूने* कहा था, ‘नील नदी मेरी है और मैंने ही इसे बनाया है।’+
10 देख, मैं तेरे और तेरी नील नदी के खिलाफ हूँ। मैं मिस्र देश को तबाह कर दूँगा, उसे सूखा देश बनाकर छोड़ूँगा। मिगदोल+ से लेकर इथियोपिया की सरहद पर बसे सवेने+ तक मैं पूरे मिस्र को उजाड़कर एक वीराना बना दूँगा।+
11 न तो इंसान और न ही मवेशी वहाँ से गुज़रेंगे।+ वह 40 साल यूँ ही सुनसान पड़ा रहेगा।
12 मैं मिस्र को उजड़े हुए देशों से भी ज़्यादा उजाड़ दूँगा। और 40 साल उसके शहर उजड़े हुए शहरों से भी ज़्यादा उजाड़ पड़े रहेंगे।+ मैं मिस्रियों को दूसरे राष्ट्रों में तितर-बितर कर दूँगा और दूसरे देशों में बिखरा दूँगा।”+
13 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, “मैं 40 साल के बाद मिस्रियों को उन देशों से इकट्ठा करूँगा जहाँ वे तितर-बितर हो चुके होंगे।+
14 मैं मिस्री बंदियों को दोबारा उनके देश और उनकी जन्म-भूमि पत्रोस+ ले आऊँगा। इसके बाद उनके देश का दुनिया में कोई नाम नहीं होगा।
15 मिस्र दुनिया के बाकी राज्यों से कमतर हो जाएगा और फिर कभी दूसरे राष्ट्रों पर अधिकार नहीं चला पाएगा।+ मैं मिस्रियों को इतना घटा दूँगा कि वे फिर कभी दूसरे देशों पर कब्ज़ा नहीं कर पाएँगे।+
16 इसराएल का घराना फिर कभी सहारे के लिए मिस्र की तरफ नहीं ताकेगा।+ उन्हें मिस्र को देखकर बस यही याद आएगा कि उन्होंने मिस्रियों से मदद लेकर कितनी बड़ी भूल की थी। और उन्हें जानना होगा कि मैं सारे जहान का मालिक यहोवा हूँ।”’”
17 फिर 27वें साल के पहले महीने के पहले दिन, यहोवा का यह संदेश मेरे पास पहुँचा:
18 “इंसान के बेटे, बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर*+ ने सोर पर हमला करने के लिए अपने सैनिकों से खूब मशक्कत करवायी थी।+ सभी सैनिकों के सिर गंजे हो गए और कंधे छिल गए थे। मगर इस मेहनत के बदले न तो नबूकदनेस्सर को और न ही उसकी सेना को कोई मज़दूरी मिली थी।
19 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है, ‘देख, मैं मिस्र को बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर* के हाथ करनेवाला हूँ।+ वह मिस्र के सारे खज़ाने खाली कर देगा और उसे लूट लेगा। यही उसकी सेना की मज़दूरी होगी।’
20 सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘नबूकदनेस्सर ने उस* पर हमला करने में जो कड़ी मेहनत की थी, उसके बदले मैं उसे मिस्र दूँगा क्योंकि उसने यह काम मेरे लिए किया था।’+
21 उस दिन मैं इसराएल के घराने के लिए एक सींग उगाऊँगा*+ और तुझे उनके बीच बोलने का मौका दूँगा और उन्हें जानना होगा कि मैं यहोवा हूँ।”
कई फुटनोट
^ यहाँ और आगे की आयतों में “नील” का मतलब है नील नदी और उसकी नहरें।
^ शा., “एक नरकट।”
^ शा., “कमर।”
^ शा., “उसने।”
^ शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।
^ शा., “नबूकदरेस्सर।” यह एक अलग वर्तनी है।
^ यानी सोर।
^ या “इसराएल के घराने को ताकत दूँगा।”