लूका के मुताबिक खुशखबरी 21:1-38

21  फिर उसने नज़र उठाकर देखा कि अमीर लोग दान-पात्रों में अपना-अपना दान डाल रहे हैं।+  तब उसने एक ज़रूरतमंद विधवा को दो पैसे डालते देखा जिनकी कीमत न के बराबर थी+  और कहा, “मैं तुमसे सच कहता हूँ, इस गरीब विधवा ने उन सबसे ज़्यादा डाला है।+  इसलिए कि उन सबने अपनी बहुतायत में से डाला,* मगर इस औरत ने अपनी तंगी में से,* जो कुछ उसके जीने का सहारा था वह सबकुछ डाल दिया।”+  बाद में जब उनमें से कुछ मंदिर के बारे में बात कर रहे थे कि वह कैसे शानदार पत्थरों और समर्पित की हुई चीज़ों से सजाया गया है,+  तो उसने कहा, “ऐसे दिन आएँगे जब यह सब जो तुम देख रहे हो, इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर नहीं बचेगा जो ढाया न जाए।”+  तब चेलों ने उससे पूछा, “गुरु, ये सब बातें असल में कब होंगी और उस वक्‍त की क्या निशानी होगी जब इनके होने का समय पास आ रहा होगा?”+  उसने कहा, “खबरदार रहो कि तुम गुमराह न हो जाओ।+ इसलिए कि बहुत-से लोग आएँगे और मेरा नाम लेकर दावा करेंगे, ‘मैं वही हूँ’ और ‘तय किया हुआ वक्‍त पास आ गया है।’ तुम उनके पीछे मत जाना।+  इसके अलावा, जब तुम युद्धों और हंगामों* की खबरें सुनो, तो घबरा न जाना। इसलिए कि पहले इन सबका होना ज़रूरी है मगर अंत फौरन नहीं आएगा।”+ 10  फिर उसने उनसे कहा, “एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर और एक राज्य दूसरे राज्य पर हमला करेगा।+ 11  बड़े-बड़े भूकंप आएँगे और एक-के-बाद-एक कई जगह अकाल पड़ेंगे और महामारियाँ फैलेंगी।+ खौफनाक नज़ारे दिखायी देंगे और आकाश में बड़ी-बड़ी निशानियाँ दिखायी देंगी। 12  मगर इन सब बातों के होने से पहले लोग तुम्हें पकड़वाएँगे, तुम पर ज़ुल्म ढाएँगे,+ तुम्हें सभा-घरों के हवाले कर देंगे और जेलों में डलवा देंगे। मेरे नाम की खातिर तुम्हें राजाओं और राज्यपालों के सामने पेश किया जाएगा।+ 13  इससे तुम्हें गवाही देने का मौका मिलेगा। 14  इसलिए अपने दिल में ठान लो कि तुम पहले से तैयारी नहीं करोगे कि अपनी सफाई में क्या-क्या कहोगे।+ 15  इसलिए कि मैं तुम्हें ऐसे शब्द और ऐसी बुद्धि दूँगा कि सब विरोधी साथ मिलकर भी तुम्हारा मुकाबला नहीं कर पाएँगे, न ही जवाब में कुछ कह पाएँगे।+ 16  यहाँ तक कि तुम्हारे माता-पिता, भाई, रिश्‍तेदार और दोस्त तक तुम्हें पकड़वा देंगे* और तुममें से कुछ को मार डाला जाएगा।+ 17  मेरे नाम की वजह से सब लोग तुमसे नफरत करेंगे।+ 18  मगर तुम्हारा बाल भी बाँका नहीं होगा।+ 19  तुम धीरज धरने की वजह से अपनी जान बचा पाओगे।+ 20  जब तुम यरूशलेम को फौजों से घिरा हुआ देखो,+ तो जान लेना कि उसके उजड़ने का समय पास आ गया है।+ 21  तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें+ और जो यरूशलेम के अंदर हों, वे बाहर निकल जाएँ और जो देहातों में हों वे यरूशलेम में न जाएँ। 22  क्योंकि वे दिन, बदला चुकाने के दिन होंगे ताकि जितनी बातें लिखी हैं वे सब पूरी हों। 23  जो गर्भवती होंगी और जो बच्चे को दूध पिलाती होंगी, उनके लिए वे दिन क्या ही भयानक होंगे!+ इसलिए कि देश* पर बड़ी मुसीबत आ पड़ेगी और इन लोगों पर क्रोध भड़क उठेगा। 24  वे तलवार से मार डाले जाएँगे और उन्हें बंदी बनाकर सब राष्ट्रों में ले जाया जाएगा।+ और जब तक राष्ट्रों के लिए तय किया गया वक्‍त पूरा न हो जाए, तब तक यरूशलेम राष्ट्रों के पैरों तले रौंदा जाएगा।+ 25  यही नहीं, सूरज, चाँद और तारों में निशानियाँ दिखायी देंगी+ और धरती के राष्ट्र बड़ी मुसीबत में होंगे क्योंकि समुंदर के गरजने और उसकी बड़ी हलचल की वजह से उन्हें बचने का कोई रास्ता नहीं सूझेगा। 26  धरती पर और क्या-क्या होगा, इस चिंता और डर के मारे लोगों के जी में जी न रहेगा, इसलिए कि आकाश की शक्‍तियाँ हिलायी जाएँगी।+ 27  इसके बाद वे इंसान के बेटे+ को एक बादल में शक्‍ति और बड़ी महिमा के साथ आता देखेंगे।+ 28  लेकिन जब ये बातें होने लगें, तो तुम सिर उठाकर सीधे खड़े हो जाना, क्योंकि तुम्हारे छुटकारे का वक्‍त पास आ रहा होगा।” 29  यीशु ने उन्हें एक मिसाल दी: “अंजीर के पेड़ और दूसरे सभी पेड़ों पर गौर करो।+ 30  जब उनमें नयी पत्तियाँ निकल आती हैं, तो यह देखकर तुम जान लेते हो कि गरमियों का मौसम पास है। 31  उसी तरह, जब तुम ये बातें होती देखो, तो जान लेना कि परमेश्‍वर का राज पास है। 32  मैं तुमसे सच कहता हूँ, जब तक सारी बातें पूरी न हो जाएँ, तब तक यह पीढ़ी हरगिज़ नहीं मिटेगी।+ 33  आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे, मगर मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे।+ 34  मगर तुम खुद पर ध्यान दो कि हद-से-ज़्यादा खाने और पीने+ से और ज़िंदगी* की चिंताओं+ के भारी बोझ से कहीं तुम्हारे दिल दब न जाएँ और वह दिन तुम पर पलक झपकते ही अचानक 35  फंदे की तरह न आ जाए।+ इसलिए कि वह दिन धरती पर रहनेवाले सभी लोगों पर आ जाएगा। 36  इसलिए आँखों में नींद न आने दो+ और हर घड़ी प्रार्थना और मिन्‍नत करते रहो+ ताकि जिन बातों का होना तय है, उन सबसे तुम बच सको और इंसान के बेटे के सामने खड़े रह सको।”+ 37  इस तरह, यीशु दिन के वक्‍त मंदिर में सिखाता था, मगर रात के वक्‍त शहर से बाहर चला जाता और जैतून नाम पहाड़ पर ठहरा करता था। 38  सब लोग मंदिर में उसकी सुनने के लिए सुबह जल्दी उसके पास आ जाते थे।

कई फुटनोट

या “गरीब होने के बावजूद।”
या “दान किया।”
या “खलबली; बगावत।”
या “विश्‍वासघात करेंगे।”
शा., “धरती।”
या “रोज़ी-रोटी; रोज़मर्रा।”

अध्ययन नोट

दान-पात्रों: मर 12:41 का अध्ययन नोट देखें।

ज़रूरतमंद: या “गरीब।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द पैनिख्रॉस से शायद उस व्यक्‍ति का इशारा मिलता है, जिसकी बुनियादी ज़रूरतें पूरी नहीं हो पातीं या जिसे जीने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। यह शब्द मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहाँ आया है।

दो पैसे . . . जिनकी कीमत न के बराबर थी: शा., “दो लेप्टा।” शब्द लेप्टा यूनानी शब्द लेप्टौन का बहुवचन है, जिसका मतलब है एक छोटी और पतली चीज़। लेप्टौन एक ऐसा सिक्का था जो एक दीनार का 1/128वाँ हिस्सा होता था। ज़ाहिर है कि इसराएल में यह ताँबे या काँसे का सबसे छोटा सिक्का होता था।​—शब्दावली में “लेप्टौन” और अति. ख14 देखें।

जो कुछ उसके जीने का सहारा था: जैसे लूक 21:2 के अध्ययन नोट में बताया गया है, विधवा ने दान-पात्र में जो सिक्के डाले वे “दो लेप्टा” थे और ये एक दिन की मज़दूरी का 1/64वाँ हिस्सा थे। उस ज़माने में लेप्टौन इसराएल में सबसे छोटा सिक्का होता था। मत 10:29 के मुताबिक, एक असारियन (जो आठ लेप्टा के बराबर था) में दो गौरैया खरीदी जा सकती थीं, जो भोजन के लिए सबसे सस्ती चिड़िया होती थी। देखा जाए तो एक गौरैया से किसी का पेट नहीं भरता, मगर उसे तक खरीदने की कीमत इस विधवा के पास नहीं थी।

मैं वही हूँ: मर 13:6 का अध्ययन नोट देखें।

अंत: या “पूरी तरह अंत।”​—मत 24:6 का अध्ययन नोट देखें।

राष्ट्र: मत 24:7 का अध्ययन नोट देखें।

हमला करेगा: मत 24:7 का अध्ययन नोट देखें।

महामारियाँ: या “बड़े पैमाने पर बीमारियाँ।” यीशु ने आखिरी दिनों के बारे में जो “निशानी” दी उसके बारे में खुशखबरी की किताबों के तीन लेखकों ने बताया। लेकिन निशानी के इस पहलू यानी ‘महामारियों’ के बारे में सिर्फ लूका ने लिखा। (लूक 21:7; मत 24:3, 7; मर 13:4, 8) हर किताब में इस निशानी के बारे में कुछ ऐसी जानकारी दी गयी है, जो बाकी दो किताबों में नहीं है। “महामारी” का यूनानी शब्द बाइबल में एक और जगह प्रेष 24:5 में आया है। वहाँ यह शब्द लाक्षणिक तौर पर ऐसे व्यक्‍ति के लिए इस्तेमाल हुआ है, जिसे “फसाद की जड़” माना जाता था, यानी जो दूसरों के लिए समस्या खड़ी करता था।

खौफनाक नज़ारे: इनका यूनानी शब्द (यह यूनानी क्रिया फोबीयो से निकला है जिसका मतलब है, “खौफ खाना”) मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहाँ आया है। ज़ाहिर है कि इसका मतलब है, दिल दहला देनेवाली घटनाएँ।

शब्द: या “दमदार बातें।” शा., “मुँह।” इसका यूनानी शब्द स्टोमा, बात या दमदार बात के पर्यायवाची के तौर पर इस्तेमाल हुआ है।

धीरज: इसकी यूनानी संज्ञा हाइपोमोनी का बाइबल में मतलब है, ऐसा “धीरज” जिसमें हिम्मत, अटल इरादे और सब्र का भाव भी होता है और जिस वजह से एक इंसान मुश्‍किलों, आज़माइशों और परीक्षाओं में भी उम्मीद नहीं छोड़ता। इसकी संबंधित क्रिया हाइपोमेनो (जिसका अनुवाद “धीरज धरना” है) का शाब्दिक मतलब है, “में बने (या टिके) रहना।” इसका अकसर मतलब होता है, “भागने के बजाय बने रहना; डटे रहना; लगे रहना; अटल रहना।”​—मत 10:22; रोम 12:12; इब्र 10:32; याकू 5:11.

अपनी जान बचा पाओगे: या “अपने प्राणों की रक्षा कर पाओगे।” यूनानी शब्द साइखी का मतलब संदर्भ के मुताबिक अलग-अलग होता है। (शब्दावली में “जीवन” देखें।) अकसर इसका मतलब होता है, एक इंसान का जीवन, फिर चाहे वह आज का हो या भविष्य में मिलनेवाला जीवन हो। इसलिए यहाँ इस आयत का अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “अपनी भविष्य की ज़िंदगी” या “अपनी असली ज़िंदगी।”

उसके: यानी यरूशलेम शहर। इस संदर्भ में यूनानी में यरूशलेम के लिए स्त्रीलिंग इस्तेमाल हुआ है, जबकि कुछ संदर्भों में नपुंसक लिंग इस्तेमाल हुआ है।

यहूदिया: एक रोमी प्रांत।

पहाड़ों की तरफ: चौथी सदी के इतिहासकार युसेबियस के मुताबिक यहूदिया और यरूशलेम में रहनेवाले मसीही भागकर यरदन नदी के पार पेल्ला शहर चले गए थे। यह शहर दिकापुलिस के पहाड़ी इलाके में था।​—अति. ख10 देखें।

बदला चुकाने के दिन: या “न्याय करने के दिन; दंड देने के दिन।” यहाँ परमेश्‍वर के न्याय करने और बदला चुकाने की बात की गयी है। एक बार पहले नासरत के सभा-घर में यीशु ने यशायाह की भविष्यवाणी का एक हिस्सा (यश 61:1, 2) पढ़ा था और खुद पर लागू किया था। मगर उसने वह हिस्सा नहीं पढ़ा जहाँ “हमारे परमेश्‍वर के बदला लेने के दिन” के बारे में लिखा है। (लूक 4:16-21) लेकिन इस मौके पर यीशु ने “बदला चुकाने के दिन” का ऐलान किया और भविष्यवाणी की कि यरूशलेम को दुश्‍मन घेर लेंगे। इब्रानी शास्त्र में जितनी बातें लिखी थीं, उनमें परमेश्‍वर के बदला चुकाने की बात भी शामिल थी। जिस यूनानी शब्द का अनुवाद यहाँ “बदला चुकाने” या “न्याय करने” किया गया है, वह सेप्टुआजेंट में व्य 32:35; यिर्म 46:10 [26:10, LXX]; हो 9:7 में भी आया है। इन आयतों में इस्तेमाल हुए इब्रानी शब्दों का अनुवाद ‘बदला लेना’ या ‘हिसाब लेना’ किया गया है।

राष्ट्रों के लिए तय किया गया वक्‍त: या “गैर-यहूदियों का समय।” यूनानी शब्द काइरोस यहाँ बहुवचन में है और इसका अनुवाद है, “तय किया गया वक्‍त।” काइरोस का मतलब हो सकता है, किसी दौर का एक खास समय, या निश्‍चित दौर, या फिर कोई “समय” या “मौसम” जो कुछ खास बातों के लिए जाना जाता है। (मत 13:30; 21:34; मर 11:13) यह शब्द ‘तय किए गए उस वक्‍त’ के लिए इस्तेमाल हुआ है जब यीशु अपनी प्रचार सेवा शुरू करता (मर 1:15) और ‘तय किए गए उस वक्‍त’ के लिए भी जब उसकी मौत होती (मत 26:18)। परमेश्‍वर ने भविष्य में होनेवाली घटनाओं के लिए, खासकर मसीह की मौजूदगी और उसके राज के लिए जो अलग-अलग समय या दौर ठहराए हैं, उनके लिए भी शब्द काइरोस इस्तेमाल हुआ है। (प्रेष 1:7; 1थि 5:1) बाइबल में जिस तरह शब्द काइरोस इस्तेमाल हुआ है उससे पता चलता है कि “राष्ट्रों के लिए तय किया गया वक्‍त” का शायद मतलब है, एक निश्‍चित दौर यानी ऐसा दौर जिसकी एक शुरूआत और अंत है। शब्द “राष्ट्रों” या “गैर-यहूदियों” यूनानी शब्द ईथनोस के बहुवचन का अनुवाद हैं, जो बाइबल के लेखक अकसर गैर-यहूदी राष्ट्रों के लिए इस्तेमाल करते थे।

धरती: इसके यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का मतलब है, पृथ्वी।​—लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14.

इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।

एक बादल में: मत 24:30 का अध्ययन नोट देखें।

देखेंगे: मत 24:30 का अध्ययन नोट देखें।

आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे: मत 24:35 का अध्ययन नोट देखें।

मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे: मत 24:35 का अध्ययन नोट देखें।

खड़े रह सको: बाइबल में इन शब्दों का कभी-कभी मतलब होता है, एक व्यक्‍ति या समूह पर किसी अधिकारी की मंज़ूरी होना। (भज 1:5; 5:5; नीत 22:29; लूक 1:19) उदाहरण के लिए, प्रक 7:9, 15 में बताया गया है कि एक बड़ी भीड़ ‘राजगद्दी के सामने और मेम्ने के सामने खड़ी है’ जिसका मतलब है कि उन पर परमेश्‍वर और यीशु की मंज़ूरी है।

पहाड़ पर ठहरा करता था: धरती पर अपनी ज़िंदगी के आखिरी चार दिनों में यीशु दिन के वक्‍त यरूशलेम में जोश के साथ प्रचार करता था। मगर रात को वह और उसके चेले शहर छोड़कर बैतनियाह गाँव चले जाते थे, जो जैतून पहाड़ की पूर्वी ढलान पर बसा था। वे बेशक यहाँ मारथा, मरियम और लाज़र के घर ठहरते थे।​—मत 21:17; मर 11:11.

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

दान-पात्र और विधवा
दान-पात्र और विधवा

रब्बियों के लेखों के मुताबिक, हेरोदेस ने जो मंदिर बनवाया था उसमें 13 दान-पात्र थे। इन्हें शोफार पेटियाँ कहा जाता था। इब्रानी शब्द शोहफार का मतलब है, “मेढ़े का सींग।” इससे पता चलता है कि दान-पात्र का कुछ भाग नरसिंगे या तुरही के आकार का था। एक बार यीशु ने उन लोगों को फटकारा जो दान देते वक्‍त लाक्षणिक तौर पर तुरही बजवाते थे। यीशु की यह बात सुनकर दूसरे लोगों को तुरही के आकार के दान-पात्रों में डाले जानेवाले सिक्कों की खनखनाहट याद आ गयी होगी। (मत 6:2) जब विधवा ने दो छोटे-छोटे सिक्के डाले तो शायद ही वे खनके होंगे। फिर भी यीशु ने समझाया कि यहोवा के लिए वह विधवा और उसका दान अनमोल है।

जिस पहाड़ पर मंदिर था वहाँ के पत्थर
जिस पहाड़ पर मंदिर था वहाँ के पत्थर

ये पत्थर यरूशलेम की पश्‍चिमी दीवार के दक्षिणी हिस्से के पास पड़े हुए हैं। माना जाता है कि ये पत्थर पहली सदी के मंदिर के हैं। इन्हें यूँ ही छोड़ दिया गया है ताकि ये लोगों को याद दिलाते रहें कि रोमी लोगों ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश किया था।

यहूदिया का कैपटा सिक्का
यहूदिया का कैपटा सिक्का

यरूशलेम और उसके मंदिर के बारे में भविष्यवाणी करते वक्‍त यीशु ने बताया कि यहूदिया के लोगों को “बंदी बनाकर सब राष्ट्रों में ले जाया जाएगा।” (लूक 21:21, 24) यहाँ दिखाया गया सिक्का इस बात का ज़बरदस्त सबूत है कि यीशु की यह बात पूरी हुई। इस घटना की याद में ये सिक्के ईसवी सन्‌ 71 में ढलवाए गए थे। सिक्के के एक तरफ, सम्राट वेस्पेसियन के बेटे टाइटस की सूरत है। टाइटस ने यहूदिया पर कब्ज़ा करने का वह अभियान पूरा किया जिसकी शुरूआत वेस्पेसियन ने की थी। सिक्के के दूसरी तरफ, एक खजूर का पेड़ है जिसके बायीं तरफ एक यहूदी आदमी खड़ा है और उसके हाथ पीछे बँधे हैं और दायीं तरफ शोक मनाती एक यहूदी औरत बैठी है। इस सिक्के पर लिखा है “यूडीआ कैपटा” जिसका मतलब है “बंदी यहूदिया।”

रोमी तलवार
रोमी तलवार

यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि यरूशलेम और यहूदिया के लोग “तलवार से मार डाले जाएँगे।” (लूक 21:24) तसवीर में दिखायी गयी 2,000 साल पुरानी तलवार शायद एक रोमी सैनिक की है जो पैदल सैनिकों के दल से था। ईसवी सन्‌ 66 में जब रोम के खिलाफ विद्रोह छिड़ा तब इस दल को यरूशलेम में तैनात किया गया था। यह तलवार 24 इंच (60 सें.मी.) लंबी है। इस तलवार के अवशेष पुरातत्ववेत्ताओं को हाल ही में (कहा जाता है 2011 में) एक नहर की खुदाई करते वक्‍त मिले और चमड़े से बनी इसकी म्यान भी जर्जर हालत में थी। यह नहर दाविदपुर और यरूशलेम की पश्‍चिमी दीवार के पास पुरातात्विक उद्यान के बीच पड़ती थी। ईसवी सन्‌ 70 में यरूशलेम के नाश से पहले इसके लोग इसी नहर में छिपे थे।