थिस्सलुनीकियों के नाम पहली चिट्ठी 3:1-13
3 इसलिए जब हमसे और न रहा गया, तो हमने सोचा कि बेहतर यही होगा कि हम एथेन्स+ में अकेले रह जाएँ
2 और हमारे भाई तीमुथियुस+ को तुम्हारे पास भेजें, जो मसीह की खुशखबरी सुनानेवाला परमेश्वर का सेवक* है ताकि वह तुम्हें मज़बूत करे और तुम्हारे विश्वास के मामले में तुम्हें दिलासा दे
3 और तुममें से कोई भी इन दुख-तकलीफों की वजह से न डगमगाए।* तुम खुद जानते हो कि हम इन दुख-तकलीफों से नहीं बच सकते।*+
4 जब हम तुम्हारे साथ थे, तो हम तुमसे कहा करते थे कि हमें दुख-तकलीफें झेलनी पड़ेंगी। और ऐसा ही हुआ है जैसा कि तुम जानते हो।+
5 इसीलिए जब मुझसे और रहा न गया, तो मैंने तीमुथियुस को तुम्हारे पास भेजा ताकि जानूँ कि तुम विश्वासयोग्य बने हुए हो,+ क्योंकि मुझे डर था कि कहीं फुसलानेवाले+ ने तुम्हें फुसला तो नहीं लिया और हमारी कड़ी मेहनत बेकार तो नहीं गयी।
6 मगर तुम्हारे यहाँ से अभी-अभी तीमुथियुस हमारे पास आया है+ और उसने हमें तुम्हारे प्यार और वफादारी के बारे में अच्छी खबर दी है। उसने यह भी बताया कि तुम हमें बहुत याद करते हो और हमें देखने के लिए तरस रहे हो, ठीक जैसे हम भी तुम्हें देखने के लिए तरस रहे हैं।
7 इसलिए भाइयो, भले ही हम बहुत तकलीफें* और मुसीबतें झेल रहे हैं, फिर भी तुम्हारे बारे में और तुम्हारी वफादारी के बारे में सुनकर हमें बहुत दिलासा मिला।+
8 यह जानकर कि तुम प्रभु में मज़बूती से खड़े हो, हमारे अंदर नयी जान आ जाती है।*
9 तुम्हारी वजह से परमेश्वर के सामने हम जो खुशी महसूस कर रहे हैं, उसके लिए हम परमेश्वर का एहसान कैसे चुकाएँ?
10 हम रात-दिन गिड़गिड़ाते हुए परमेश्वर से मिन्नतें करते हैं कि किसी तरह तुम्हें आमने-सामने* देख पाएँ और तुम्हारे विश्वास में जो कमी है उसे पूरा कर पाएँ।+
11 हमारी दुआ है कि खुद हमारा परमेश्वर और पिता, साथ ही हमारा प्रभु यीशु हमारे लिए कोई रास्ता निकाले कि हम तुम्हारे पास आ सकें।
12 हम यह भी दुआ करते हैं कि प्रभु तुम्हें बढ़ाए, हाँ, एक-दूसरे के लिए और सबके लिए तुम्हारा प्यार भी बढ़ता रहे+ ठीक जैसे हम तुमसे बेहद प्यार करते हैं
13 ताकि जब हमारा प्रभु यीशु अपने सब पवित्र जनों के साथ मौजूद हो,+ तो हमारे परमेश्वर और पिता के सामने वह तुम्हारे दिलों को मज़बूत करे और तुम्हें पवित्र और निर्दोष ठहराए।+
कई फुटनोट
^ या शायद, “परमेश्वर का सहकर्मी।”
^ शा., “बहक न जाए।”
^ या “हमारे लिए दुख-तकलीफें तय हैं।”
^ शा., “तंगी।”
^ शा., “हम ज़िंदा हैं।”
^ शा., “तुम्हारा मुँह।”