पहला शमूएल 28:1-25
28 उन्हीं दिनों पलिश्तियों ने इसराएल से युद्ध करने के लिए अपनी सेनाओं को इकट्ठा किया।+ तब आकीश ने दाविद से कहा, “तुझे तो मालूम ही होगा कि तू और तेरे आदमी भी मेरे साथ युद्ध में जाएँगे।”+
2 दाविद ने आकीश से कहा, “तू अच्छी तरह जानता है कि तेरा सेवक क्या करेगा।” आकीश ने कहा, “इसीलिए मैं तुझे हमेशा के लिए अपना अंगरक्षक* ठहराता हूँ।”+
3 अब तक शमूएल की मौत हो चुकी थी और पूरे इसराएल ने उसके लिए मातम मनाया था और उसके अपने शहर रामाह में उसे दफनाया था।+ शाऊल ने देश से उन सब लोगों को निकाल दिया था जो मरे हुओं से संपर्क करने का दावा करते थे और भविष्य बताया करते थे।+
4 पलिश्ती अपनी सेनाओं को इकट्ठा करने के बाद शूनेम+ गए और उन्होंने वहाँ अपनी छावनी डाली। इसलिए शाऊल ने पूरी इसराएली सेना को इकट्ठा किया और उन्होंने गिलबो+ में छावनी डाली।
5 जब शाऊल ने पलिश्तियों की छावनी देखी तो वह बहुत डर गया। उसका दिल काँपने लगा।+
6 शाऊल ने यहोवा से सलाह की,+ मगर यहोवा ने उसे कोई जवाब नहीं दिया, न तो सपनों के ज़रिए और न ही ऊरीम+ या भविष्यवक्ताओं के ज़रिए।
7 आखिर में शाऊल ने अपने सेवकों से कहा, “मेरे लिए एक ऐसी औरत का पता लगाओ जो मरे हुओं से संपर्क करती हो।+ मैं जाकर उससे सलाह करूँगा।” उसके सेवकों ने कहा, “एन्दोर+ में एक औरत रहती है जो मरे हुओं से संपर्क करती है।”
8 तब शाऊल ने अपना भेस बदला। उसने दूसरे कपड़े पहने और दो आदमियों को लेकर रात में उस औरत के पास गया। शाऊल ने उस औरत से कहा, “मरे हुओं से संपर्क करने की शक्ति इस्तेमाल करके मेरा भविष्य बता।+ मैं जिसका नाम बताऊँ, उसे बुला और उससे मेरी बात करा।”
9 मगर उस औरत ने कहा, “तुझे तो मालूम होना चाहिए कि शाऊल ने क्या किया है। उसने देश से उन सभी लोगों को निकाल दिया है जो भविष्य बताया करते थे और जो मरे हुओं से संपर्क कराते थे।+ फिर तू क्यों मुझे फँसाना चाहता है? क्यों मुझे मरवाना चाहता है?”+
10 तब शाऊल ने यहोवा की शपथ खाकर कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, इसके लिए तुझे बिलकुल दोषी नहीं ठहराया जाएगा!”
11 तब उस औरत ने कहा, “अच्छा बता, मैं तेरे लिए किसे बुलाऊँ?” शाऊल ने कहा, “तू मेरे लिए शमूएल को बुला।”
12 जब उस औरत ने “शमूएल”+ को देखा* तो वह ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। उसने शाऊल से कहा, “तू तो शाऊल है! तूने मुझे क्यों धोखा दिया?”
13 राजा ने कहा, “डर मत, बस इतना बता कि तुझे क्या दिखायी दे रहा है?” औरत ने कहा, “मुझे देवता जैसा कोई ज़मीन से ऊपर उठता दिखायी दे रहा है।”
14 शाऊल ने फौरन पूछा, “वह दिखने में कैसा है?” औरत ने कहा, “वह कोई बूढ़ा आदमी है, बिन आस्तीन का बागा पहने हुए है।”+ शाऊल समझ गया कि वह “शमूएल” है और उसने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर प्रणाम किया।
15 तब “शमूएल” ने शाऊल से कहा, “तू क्यों मुझे परेशान कर रहा है? तूने मुझे क्यों ऊपर बुलाया?” शाऊल ने कहा, “मैं बड़ी मुसीबत में हूँ। पलिश्ती मुझसे लड़ने आए हैं और परमेश्वर ने मुझे छोड़ दिया है। वह मुझे कोई जवाब नहीं दे रहा, न तो भविष्यवक्ताओं के ज़रिए न ही सपनों के ज़रिए।+ इसीलिए मैंने तुझे बुलाया ताकि तू मुझे बताए कि मुझे क्या करना चाहिए।”+
16 “शमूएल” ने कहा, “जब यहोवा ने तुझे छोड़ दिया है+ और तेरा दुश्मन बन गया है, तो फिर तू मुझसे पूछने क्यों चला आया?
17 यहोवा ने मुझसे जो भविष्यवाणी करवायी थी, उसे वह हर हाल में पूरी करेगा। यहोवा तुझसे तेरा राज छीनकर तेरे संगी दाविद को दे देगा।+
18 तूने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी और अमालेकियों का नाश नहीं किया+ जिन्होंने उसका क्रोध भड़काया था। इसलिए आज यहोवा तेरे साथ ऐसा कर रहा है।
19 यहोवा तुझे और पूरे इसराएल को पलिश्तियों के हवाले कर देगा।+ कल तू+ और तेरे बेटे+ मेरे साथ होंगे। यहोवा इसराएल की पूरी सेना को भी पलिश्तियों के हाथ में कर देगा।”+
20 यह सुनते ही शाऊल ज़मीन पर चित गिर पड़ा। “शमूएल” ने जो कहा उससे वह बहुत डर गया था। उसके शरीर में वैसे भी कोई ताकत नहीं बची थी क्योंकि उसने सारा दिन और सारी रात कुछ नहीं खाया था।
21 जब वह औरत शाऊल के पास आयी और उसने देखा कि वह बहुत परेशान है तो उसने शाऊल से कहा, “देख, तेरी दासी ने तेरी आज्ञा मानी और अपनी जान हथेली पर रखकर+ तेरा काम किया।
22 अब तू भी मेहरबानी करके अपनी दासी की बात मान। मैं थोड़ी रोटी लाती हूँ, उसे खा ताकि तुझे वापस लौटने के लिए ताकत मिले।”
23 मगर शाऊल ने यह कहकर मना कर दिया, “नहीं, मैं नहीं खाऊँगा।” मगर उसके सेवक और वह औरत उसे खाने के लिए बार-बार कहते रहे। उनके बहुत मनाने पर वह ज़मीन से उठा और पलंग पर बैठा।
24 उस औरत के घर में एक मोटा-ताज़ा बछड़ा था। उसने फौरन उसे हलाल* किया और आटा गूँधकर बिन-खमीर की रोटियाँ बनायीं।
25 फिर उसने शाऊल और उसके सेवकों को खाना परोसा और उन्होंने खाया। इसके बाद वे उठे और उसी रात वहाँ से लौट गए।+
कई फुटनोट
^ शा., “सदा के लिए अपने सिर का रक्षक।”
^ या “वह देखा जो शमूएल जैसा दिखता था।”
^ या “उसका बलिदान।”