दूसरा इतिहास 12:1-16
12 जैसे ही रहूबियाम का राज मज़बूती से कायम हो गया+ और वह ताकतवर बन गया, उसने और पूरे इसराएल ने यहोवा का कानून मानना छोड़ दिया।+
2 रहूबियाम के राज के पाँचवें साल में मिस्र के राजा शीशक+ ने यरूशलेम पर हमला किया, क्योंकि इसराएलियों ने यहोवा के साथ विश्वासघात किया था।
3 राजा शीशक मिस्र से अपने साथ 1,200 रथ, 60,000 घुड़सवार और सैनिकों की अनगिनत टुकड़ियाँ लेकर आया। उसकी सेना में लिबिया और इथियोपिया के लोगों की सेना और सुक्कियों की सेना थीं।+
4 उसने यहूदा के किलेबंद शहरों पर कब्ज़ा कर लिया और यरूशलेम तक आ गया।
5 भविष्यवक्ता शमायाह+ रहूबियाम और यहूदा के हाकिमों के पास आया, जो शीशक की वजह से यरूशलेम में इकट्ठा हुए थे। शमायाह ने उनसे कहा, “यहोवा ने कहा है, ‘तुमने मुझे छोड़ दिया है इसलिए मैंने तुम्हें छोड़ दिया+ और शीशक के हवाले कर दिया है।’”
6 इस पर राजा और इसराएल के हाकिमों ने खुद को नम्र किया+ और कहा, “यहोवा नेक है।”
7 जब यहोवा ने देखा कि उन्होंने खुद को नम्र किया है, तो यहोवा का यह संदेश शमायाह के पास पहुँचा, “उन्होंने खुद को नम्र किया है। इसलिए मैं उन्हें नाश नहीं करूँगा+ और बहुत जल्द उन्हें छुड़ाऊँगा। मैं शीशक के ज़रिए यरूशलेम पर अपने क्रोध का प्याला नहीं उँडेलूँगा।
8 फिर भी, वे उसके सेवक बन जाएँगे और तब वे जान लेंगे कि मेरी सेवा करने और दूसरे देशों के राजाओं* की सेवा करने में क्या फर्क है।”
9 इसलिए मिस्र के राजा शीशक ने यरूशलेम पर हमला कर दिया। वह यहोवा के भवन का खज़ाना और राजा के महल का खज़ाना लूट ले गया।+ वह सबकुछ ले गया, यहाँ तक कि सोने की वे ढालें भी जो सुलैमान ने बनवायी थीं।+
10 इसलिए राजा रहूबियाम ने उन ढालों के बदले ताँबे की ढालें बनवायीं और उनकी देखभाल की ज़िम्मेदारी उन पहरेदारों के सरदारों को दी जो राजमहल के प्रवेश पर पहरा देते थे।
11 जब भी राजा यहोवा के भवन में आता तो पहरेदार अंदर आते और ये ढालें लेकर चलते और फिर उन्हें वापस पहरेदारों के खाने में रख देते थे।
12 राजा ने खुद को नम्र किया था, इसलिए यहोवा ने अपना क्रोध उस पर नहीं भड़काया+ और उन्हें पूरी तरह नाश नहीं किया।+ इसके अलावा, यहूदा के लोगों में कुछ अच्छाइयाँ पायी गयी थीं।+
13 राजा रहूबियाम यरूशलेम में ताकतवर होता गया और वह राज करता रहा। जब वह राजा बना तब वह 41 साल का था और उसने 17 साल यरूशलेम में रहकर राज किया, जिसे यहोवा ने इसराएल के सभी गोत्रों में से इसलिए चुना था कि उस शहर से उसका नाम जुड़ा रहे। राजा की माँ नामा एक अम्मोनी औरत थी।+
14 मगर रहूबियाम ने बुरे काम किए क्योंकि उसने अपने दिल में यहोवा की खोज करने की नहीं ठानी थी।+
15 रहूबियाम का शुरू से लेकर आखिर तक का पूरा इतिहास भविष्यवक्ता शमायाह और दर्शी इद्दो के लेखनों में लिखा गया+ जो वंशावली के रूप में है। और रहूबियाम और यारोबाम के बीच लगातार युद्ध चलता रहा।+
16 फिर रहूबियाम की मौत हो गयी* और उसे दाविदपुर में दफनाया गया।+ रहूबियाम की जगह उसका बेटा अबीयाह+ राजा बना।