दूसरा इतिहास 19:1-11
19 फिर यहूदा का राजा यहोशापात सही-सलामत*+ यरूशलेम में अपने महल लौट आया।
2 तब हनानी+ दर्शी का बेटा येहू+ राजा यहोशापात से मिलने आया और उससे कहा, “क्या तुझे एक दुष्ट की मदद करनी चाहिए+ और उन लोगों से प्यार करना चाहिए जो यहोवा से नफरत करते हैं?+ इसलिए यहोवा का क्रोध तुझ पर भड़क उठा है।
3 फिर भी तुझमें कुछ अच्छाइयाँ पायी गयी हैं+ क्योंकि तूने देश से पूजा-लाठें* निकाल दीं और सच्चे परमेश्वर की खोज करने के लिए अपने दिल को तैयार किया है।”*+
4 यहोशापात यरूशलेम में ही रहा और वह एक बार फिर बेरशेबा से लेकर एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश+ तक रहनेवालों के पास गया ताकि उन्हें उनके पुरखों के परमेश्वर यहोवा के पास लौटा ले आए।+
5 साथ ही, यहूदा में जितने किलेबंद शहर थे उनमें से हर शहर में उसने न्यायी ठहराए+
6 और उनसे कहा, “तुम जो न्याय करते हो उस पर ध्यान दो क्योंकि तुम इंसान की तरफ से नहीं, यहोवा की तरफ से न्याय करते हो। और जब तुम फैसला सुनाते हो तो वह तुम्हारे साथ रहता है।+
7 यहोवा का डर तुममें बना रहे।+ तुम अपना काम सावधानी से करना क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा कभी अन्याय नहीं करता,+ किसी की तरफदारी नहीं करता+ और न ही रिश्वत लेता है।”+
8 यहोशापात ने यरूशलेम में भी कुछ लेवियों, याजकों और इसराएल के पिताओं के घरानों के मुखियाओं को न्यायी ठहराया ताकि वे यहोवा की तरफ से यरूशलेम के लोगों के मुकदमे सुलझाएँ।+
9 उसने उन्हें आज्ञा दी, “तुम यहोवा का डर मानकर, विश्वासयोग्य बने रहकर और पूरे दिल से ऐसा करना:
10 जब भी दूसरे शहरों में रहनेवाले तुम्हारे भाई ऐसा मामला लाते हैं जिसमें किसी का खून किया गया हो+ या किसी कानून, आज्ञा, नियम या न्याय-सिद्धांत को लेकर सवाल उठा हो तो तुम उन्हें आगाह करना ताकि वे यहोवा के सामने दोषी न ठहरें। अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो परमेश्वर का क्रोध तुम पर और तुम्हारे भाइयों पर भड़क उठेगा। तुम ऐसा ही करना ताकि तुम दोषी न ठहरो।
11 देखो, यहोवा से जुड़े हर मामले की देखरेख करने के लिए प्रधान याजक अमरयाह को तुम्हारा अधिकारी ठहराया गया है।+ और राजा से जुड़े हर मामले की देखरेख करने के लिए जबद्याह को ठहराया गया है, जो इश्माएल का बेटा और यहूदा के घराने का अगुवा है। और लेवी तुम्हारे लिए अधिकारी के नाते सेवा करेंगे। तुम सब हिम्मत से काम लेना। यहोवा उनके साथ रहे जो भला करते हैं।”*+