व्यवस्थाविवरण 3:1-29
3 फिर हम मुड़कर “बाशान सड़क” से गए। तब बाशान का राजा ओग अपने सब आदमियों को लेकर एदरेई में हमसे युद्ध करने आया।+
2 उस वक्त यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तू उससे मत डर क्योंकि मैं उसे और उसके सब लोगों को और उसके देश को तेरे हाथ में कर दूँगा। तू उसका वही हश्र करेगा जो तूने हेशबोन में रहनेवाले एमोरियों के राजा सीहोन का किया था।’
3 हमारे परमेश्वर यहोवा ने बाशान के राजा ओग और उसके सब लोगों को भी हमारे हाथ में कर दिया। हम उन्हें तब तक मारते गए जब तक कि एक भी ज़िंदा न बचा।
4 फिर हमने ओग के राज्य बाशान में अरगोब का पूरा इलाका जीत लिया और उसके सभी शहरों पर कब्ज़ा कर लिया। हमने कुल मिलाकर 60 शहरों को अपने अधिकार में कर लिया। वहाँ एक भी शहर ऐसा नहीं था जिस पर हमने कब्ज़ा न किया हो।+
5 ये सब-के-सब किलेबंद शहर थे जिनकी ऊँची-ऊँची शहरपनाह, फाटक और बेड़े थे। इनके अलावा, वहाँ बिन शहरपनाहवाले बहुत-से नगर भी थे।
6 मगर हमने इन सभी शहरों और नगरों को नाश कर दिया।+ हमने हरेक शहर को खाक में मिला दिया और वहाँ के सभी आदमियों, औरतों और बच्चों को मार डाला,+ ठीक जैसे हमने हेशबोन के राजा सीहोन के साथ किया था।
7 और उन शहरों में जितने भी जानवर और जितना भी माल था वह सब हमने लूट लिया।
8 इस तरह हमने यरदन प्रांत में दोनों एमोरी राजाओं के देश पर कब्ज़ा कर लिया,+ जिनकी सरहद अरनोन घाटी से लेकर दूर हेरमोन पहाड़ तक फैली थी।+
9 (इस पहाड़ को सीदोनी लोग सिरयोन और एमोरी लोग सनीर कहते थे।)
10 हमने उनके पठारी इलाके के सभी शहर, पूरा गिलाद और दूर सलका और एदरेई तक बाशान का पूरा इलाका ले लिया। सलका और एदरेई,+ राजा ओग के राज्य बाशान के शहर थे।
11 बाशान का राजा ओग रपाई लोगों में से आखिरी आदमी था जो मारा गया। उसकी अर्थी* लोहे* की बनी थी और मानक नाप के मुताबिक अर्थी की लंबाई नौ हाथ* और चौड़ाई चार हाथ थी। वह अर्थी आज भी अम्मोनियों के शहर रब्बाह में पायी जाती है।
12 उस समय हमने इस इलाके पर कब्ज़ा कर लिया। इसकी सरहद अरनोन घाटी के पास अरोएर+ से शुरू होती है और उसमें गिलाद के पहाड़ी प्रदेश का आधा भाग भी आता है। मैंने वहाँ के शहर रूबेनियों और गादियों को दिए।+
13 और गिलाद का बाकी हिस्सा और बाशान का वह इलाका जो राजा ओग के राज्य में आता है, मैंने मनश्शे के आधे गोत्र को दिया।+ अरगोब का पूरा इलाका जो बाशान में था, रपाई लोगों का देश कहलाता था।
14 मनश्शे के बेटे याईर+ ने अरगोब का पूरा इलाका+ लिया जो दूर गशूरियों और माकातियों+ के इलाके की सरहद तक फैला था। याईर ने बाशान के कसबों का नाम बदलकर अपने नाम पर हव्वोत-याईर*+ रखा। आज तक उन गाँवों का यही नाम है।
15 मैंने गिलाद का इलाका माकीर+ को दिया।
16 और रूबेनियों और गादियों+ को मैंने जो इलाका दिया, वह गिलाद से लेकर अरनोन घाटी तक (घाटी का बीच का हिस्सा इसकी सरहद है) और दूर यब्बोक घाटी तक (यह घाटी अम्मोनियों के देश की सरहद है)
17 और अराबा और यरदन और उसके किनारे तक, यानी किन्नेरेत से अराबा के सागर तक फैला है। अराबा का सागर या लवण सागर* पूरब की तरफ पिसगा की ढलानों के नीचे है।+
18 इसके बाद मैंने तुम लोगों को यह आज्ञा दी, ‘तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने यह देश तुम्हें दे दिया है ताकि तुम इसे अपने अधिकार में कर लो। तुम्हारे बीच जितने भी योद्धा हैं, सब हथियार बाँधकर अपने बाकी इसराएली भाइयों के आगे-आगे नदी के उस पार जाएँ।+
19 सिर्फ तुम्हारे बीवी-बच्चे और तुम्हारे जानवर (मैं जानता हूँ कि तुम्हारे पास जानवरों के बहुत बड़े-बड़े झुंड हैं) उन शहरों में रह जाएँ जो मैंने तुम्हें दिए हैं,
20 जब तक कि यहोवा तुम्हारे भाइयों को चैन नहीं देता जैसे तुम्हें दिया है और वे भी यरदन के पार वह इलाका अपने अधिकार में न कर लें जो तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उन्हें देनेवाला है। फिर तुममें से हरेक अपनी-अपनी ज़मीन में लौट सकता है जो मैंने तुम्हें दी है।’+
21 उसी दौरान मैंने यहोशू को यह आज्ञा दी:+ ‘तूने खुद अपनी आँखों से देखा है कि तेरे परमेश्वर यहोवा ने इन दोनों राजाओं का क्या हश्र किया। यहोवा नदी के पार उन सभी राज्यों के साथ भी ऐसा ही करेगा जहाँ तू जानेवाला है।+
22 तुम लोग उनसे बिलकुल मत डरना क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हारी तरफ से लड़ता है।’+
23 तब मैंने यहोवा से बिनती की,
24 ‘हे सारे जहान के मालिक यहोवा, तू अपने सेवक को अपनी महानता और अपना शक्तिशाली हाथ दिखाने लगा है।+ आसमान में या धरती पर क्या तुझ जैसा कोई ईश्वर है जो ऐसे शक्तिशाली काम कर सके?+
25 अब दया करके मुझे यरदन पार जाने दे और उस बढ़िया देश को देखने दे। उस खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश और लबानोन को एक नज़र देखने का मौका दे।’+
26 मगर तुम लोगों की वजह से यहोवा तब भी मुझसे भड़का हुआ था।+ इसलिए उसने मेरी बिनती नहीं सुनी। इसके बजाय यहोवा ने मुझसे कहा, ‘बस, बहुत हो गया! आइंदा कभी मुझसे इस बारे में बात मत करना।
27 तू पिसगा की चोटी पर जा+ और वहाँ से उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम, चारों तरफ नज़र दौड़ाकर उस पूरे देश को देख क्योंकि तू इस यरदन को पार नहीं करेगा।+
28 और तू यहोशू को अगुवा ठहरा+ और उसकी हिम्मत बँधा और उसे मज़बूत कर क्योंकि वही इन लोगों के आगे-आगे चलकर यरदन पार करेगा+ और उस देश को उनके अधिकार में कर देगा जो तू देखनेवाला है।’
29 यह सब उन दिनों की घटनाएँ हैं जब हम बेतपोर के सामनेवाली घाटी में डेरा डाले हुए थे।+
कई फुटनोट
^ या “शव-पेटी; ताबूत।”
^ या शायद, “असिताश्म पत्थर।”
^ मतलब “याईर के कसबे।”
^ यानी मृत सागर।