बढ़ाएँ प्रचार में हुनर | प्रचार काम से और ज़्यादा खुशी पाइए
जोश से सिखाइए
अगर हम जोश से सिखाएँगे, तो सुननेवालों में भी जोश भर आएगा। वे और भी दिलचस्पी से हमारी बात सुनेंगे। वे समझ पाएँगे कि हमारा संदेश कितना ज़रूरी है। हम चाहे किसी भी भाषा या संस्कृति के हों और स्वभाव से शायद जोशीले न हों, फिर भी हम जोश से बोलना सीख सकते हैं। (रोम 12:11) इसके लिए हमें क्या करना होगा?
सबसे पहले हमें इस बात को समझना है कि हम जो सिखा रहे हैं, वह कितना अहमियत रखता है। हमारे पास “अच्छी बातों की खुशखबरी” है। (रोम 10:15) दूसरी बात, हमें सोचना है कि हम जो सिखाते हैं उससे लोगों को कितना फायदा होगा। ये बातें जानना लोगों के लिए बहुत ज़रूरी है। (रोम 10:13, 14) आखिरी बात, जोश से बोलिए। अपने हाथों और चेहरे से स्वाभाविक तरीके से हाव-भाव कीजिए।
शिष्य बनाने के काम से खुशी पाइए—अपना हुनर बढ़ाइए—जोश से सिखाइए वीडियो देखिए। फिर सवालों के जवाब दीजिए।
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नीता का जोश ठंडा क्यों पड़ गया?
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नीता में दोबारा जोश कैसे भर आया?
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हमें क्यों विद्यार्थी की अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिए?
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अगर हम जोश से सिखाएँगे, तो हमारे विद्यार्थियों और दूसरों पर क्या असर होगा?