कैसा समाँ होगा
1 ज़िंदगी ये नहीं है आसाँ
गुज़ारा करना है मुश्किल।
दिखे मुझको बंद आँखों से
हर अरमाँ दिल के हुए पूरे।
(कोरस)
कैसा समाँ होगा जब गम न हो,
सुकूँ होगा और हम जँवा होंगे।
कैसा वो दिन हो जब हम जागें और कहें,
शुक्रिया इस बेमिसाल ज़िंदगी के लिए।
2 आहट भी न सुनी बचपन से
रहा ना ज़ोर अब आँखों में।
सुनूँगा मैं भी मधुर संगीत
दिखेगा साफ इन आँखों से।
(कोरस)
कैसा समाँ होगा जब गम न हो,
सुकूँ होगा और हम जँवा होंगे।
कैसा वो दिन हो जब हम जागें और कहें,
शुक्रिया इस बेमिसाल ज़िंदगी के लिए।
(खास पंक्तियाँ)
ऐसे होंगे दिन ना सोचा था,
पर एक दिन रोके ना रुकूँगा मैं।
(कोरस)
कैसा समाँ होगा जब गम ना हो,
सुकूँ होगा और हम जँवा होंगे।
कैसा समाँ हो जब हम नाचें झूमके,
हर दिन हर पल बेहतर हो-ता रहे।
(कोरस)
कैसा समाँ होगा जब गम ना हो,
सुकूँ होगा और हम जँवा होंगे।
कैसा वो दिन हो जब हम जागें और कहें,
शुक्रिया इस नए दिन के लिए।