तब क्या अगर मुझे स्कूल जाना बिलकुल पसंद नहीं है?
आप कुछ ऐसा कर सकते हैं
पढ़ाई के बारे में सही नज़रिया। यह समझने की कोशिश कीजिए कि पढ़ाई से आपको क्या फायदे होंगे। हो सकता है आपको अपनी पढ़ाई में कुछ चीज़ें ज़रूरी न लगें, कम-से-कम अभी तो नहीं। फिर भी, अलग-अलग विषयों की पढ़ाई करने से आप अपने आस-पास की दुनिया को और अच्छी तरह समझ पाएँगे। इससे अलग-अलग संस्कृति के लोगों से बात करने की आपकी काबिलीयत बढ़ेगी, जिससे आपको “सब किस्म के लोगों के लिए सबकुछ” बनने में मदद मिलेगी। (1 कुरिंथियों 9:22) कुछ और नहीं तो कम-से-कम आप अपनी सोचने-समझने की काबिलीयत को और बढ़ा पाएँगे। यह ऐसी काबिलीयत है जिससे आगे चलकर आपको ज़रूर मदद मिलेगी।
अपने टीचर के बारे में सही नज़रिया। अगर आपको लगता है कि आपका टीचर पकाऊ है, तो उस पर ध्यान देने के बजाय उस विषय पर ध्यान दीजिए, जो वह पढ़ा रहा है। याद रखिए कि आपके टीचर ने वही विषय शायद कई बार दूसरी क्लासों में भी पढ़ाया होगा। इसलिए उस विषय को पहले जैसे जोश के साथ पढ़ाना शायद उसके लिए चुनौती भरा हो।
इसे आज़माइए: नोट्स लीजिए, इज़्ज़त से बात करके ज़्यादा जानकारी माँगिए और पढ़ाए जा रहे विषय के लिए जोश बनाए रखिए। आपका जोश देखकर दूसरों का जोश भी बढ़ेगा।
अपनी काबिलीयतों के बारे में सही नज़रिया: स्कूल में आप अपने छिपे हुए हुनर से रू-ब-रू हो पाते हैं। पौलुस ने तीमुथियुस से कहा, “परमेश्वर का जो वरदान तुझे . . . मिला था, उसे तू एक ज्वाला की तरह जलाए रख।” (2 तीमुथियुस 1:6) तीमुथियुस को जो वरदान मिले थे वे पवित्र शक्ति से मिले थे, फिर भी उसे इन ‘वरदानों’ को निखारने में मेहनत करनी थी ताकि वे बेकार न जाएँ। बेशक स्कूल में अच्छे नंबर लाने की काबिलीयत सीधे-सीधे आपको परमेश्वर ने नहीं दी है। फिर भी आपमें कुछ ऐसे हुनर हैं, जो अनोखे हैं। पढ़ाई से आप अपने अंदर छिपी ऐसी काबिलीयतों को पहचान सकते हैं और उन्हें बढ़ा सकते हैं, जिनका आपको शायद कभी पता भी नहीं था।