अध्ययन लेख 49
छा यहोवा मुंहिंजी प्रार्थनाउनि जो जवाब ॾींदो?
“तुम मुझे पुकारोगे, मेरे पास आकर मुझसे प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा।”—यिर्म. 29:12.
गीत 41 मेरी दुआ सुन!
एक झलक a
1-2. असां खे शायद इअं छो लॻे त यहोवा असांजी प्रार्थनाउनि जो जवाब नथो ॾेए?
“यहोवा में अपार खुशी पा और वह तेरे दिल की मुरादें पूरी करेगा।” (भज. 37:4) यहोवा ने हमसे कितना बढ़िया वादा किया है! लेकिन क्या इसका यह मतलब है कि हम यहोवा से जो भी माँगेंगे, वह तुरंत हमें दे देगा? देखा जाए तो ऐसा हमेशा नहीं होता। ज़रा इन उदाहरणों पर ध्यान दीजिए। एक बहन जिसकी शादी नहीं हुई है, राज प्रचारकों के लिए स्कूल में जाना चाहती है। वह इस बारे में प्रार्थना करती है, लेकिन कई साल बीत जाते हैं और उसे नहीं बुलाया जाता। एक भाई मंडली में और भी सेवा करना चाहता है, लेकिन उसे एक बड़ी बीमारी है। इसलिए वह यहोवा से प्रार्थना करता है कि वह ठीक हो जाए, पर उसकी तबियत ठीक नहीं होती। एक माता-पिता प्रार्थना करते हैं कि उनका बच्चा यहोवा की सेवा करता रहे, लेकिन वह यहोवा से दूर चला जाता है।
2 क्या आपने भी यहोवा से किसी बात के लिए प्रार्थना की है, लेकिन अभी तक वैसा नहीं हुआ है? अगर ऐसा है, तो शायद आप सोचने लगें कि यहोवा दूसरों की प्रार्थनाओं का जवाब तो देता है, पर आपकी नहीं। या शायद आप सोचने लगें कि आपसे ही कोई गलती हो गयी होगी जिस वजह से यहोवा आपकी नहीं सुन रहा। बहन जैनिस b को भी ऐसा ही लगने लगा था। वह और उनके पति बेथेल में सेवा करना चाहते थे और उन्होंने इस बारे में यहोवा से प्रार्थना की थी। बहन बताती हैं, “मुझे यकीन था कि कुछ ही दिनों में हम बेथेल में होंगे।” पर महीने बीत गए, साल गुज़र गए और उन्हें नहीं बुलाया गया। बहन बताती हैं, “मैं बहुत दुखी हो गयी थी। मैंने यहोवा से बेथेल जाने के बारे में खूब प्रार्थना की थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यहोवा क्यों मेरी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं दे रहा। मैं सोचने लगी कि यहोवा मुझसे क्यों नाराज़ है, मुझसे ऐसा क्या हो गया है?”
3. हिन लेख में असां छा ॼाणींदासी?
3 कई बार शायद हम सोचें कि पता नहीं यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुन भी रहा है या नहीं। बीते ज़माने में परमेश्वर के कुछ सेवकों को भी ऐसा ही लगा था। (अय्यू. 30:20; भज. 22:2; हब. 1:2) तो क्या बात आपको यकीन दिला सकती है कि यहोवा आपकी प्रार्थनाएँ सुनेगा और उनका जवाब ज़रूर देगा? (भज. 65:2) यह जानने के लिए आइए पहले इन बातों पर ध्यान दें: (1) हम यहोवा से क्या उम्मीद कर सकते हैं? (2) यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है? और (3) कभी-कभी शायद हमें क्यों किसी और बात के लिए प्रार्थना करनी पड़े?
असां यहोवा खां छा उमेद करे सघूं था?
4. यिर्मयाह 29:12 में यहोवा असां सां कहिड़ो वादो कयो आहे?
4 यहोवा ने वादा किया है कि वह हमारी प्रार्थनाएँ सुनेगा। (यिर्मयाह 29:12 पढ़िए।) हम यहोवा की वफादारी से सेवा करते हैं, इसलिए वह हमसे बहुत प्यार करता है और हमेशा हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है। (भज. 10:17; 37:28) लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम यहोवा से जो भी माँगेंगे, वह हमें देगा। हम जिन चीज़ों के लिए प्रार्थना करते हैं, उनमें से कुछ शायद नयी दुनिया में जाकर ही हमें मिलें।
5. असांजी प्रार्थनाऊं ॿुधण वक्त यहोवा असांजी कहिड़ी ॻाल्हि ते बि ध्यान ॾींदो आहे? समझायो.
5 जब हम यहोवा से किसी बात के लिए प्रार्थना करते हैं, तो वह ध्यान देता है कि वह बात उसके मकसद से कैसे जुड़ी है। (यशा. 55:8, 9) यहोवा की मरज़ी है कि धरती पर सभी इंसान उसे अपना राजा मानें और खुशी से उसकी सेवा करें। लेकिन शैतान ने दावा किया है कि अगर इंसान खुद पर राज करें, तो ज़्यादा खुश रहेंगे। (उत्प. 3:1-5) उसके इस दावे को झूठा साबित करने के लिए यहोवा ने इंसानों को खुद पर राज करने दिया है। और इंसानों की हुकूमत की वजह से आज हमें बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। (सभो. 8:9) पर हम जानते हैं कि यहोवा अभी सारी समस्याएँ दूर नहीं करेगा। अगर वह ऐसा करे, तो लोग सोच सकते हैं कि इंसान अच्छी तरह राज कर रहे हैं, तभी मुश्किलें नहीं हैं।
6. असां छो यकीन रखी सघूं था त यहोवा जेको भी कंदो आ उहो प्यार ऐ न्याय जे मुताबिक कंदो आहे?
6 शायद यहोवा एक जैसी प्रार्थनाओं का अलग-अलग तरीके से जवाब दे। ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। एक बार राजा हिजकियाह बहुत बीमार पड़ गया। तब उसने यहोवा से बिनती की कि वह उसे ठीक कर दे और यहोवा ने उसे ठीक कर दिया। (2 राजा 20:1-6) इसके सालों बाद प्रेषित पौलुस ने भी यहोवा से कुछ ऐसी ही प्रार्थना की। उसे शायद कोई बीमारी थी, जिसे उसने अपने ‘शरीर का काँटा’ कहा। उसने यहोवा से बिनती की कि वह उस काँटे को निकाल दे, लेकिन यहोवा ने ऐसा नहीं किया। (2 कुरिं. 12:7-9) अब ज़रा ध्यान दीजिए कि प्रेषित याकूब और पतरस के साथ क्या हुआ था। राजा हेरोदेस उन दोनों की जान लेना चाहता था। तब मंडली के भाई-बहनों ने पतरस के लिए प्रार्थना की और उन्होंने ज़रूर याकूब के लिए भी प्रार्थना की होगी। फिर भी याकूब को मार डाला गया, लेकिन पतरस को एक चमत्कार के ज़रिए बचा लिया गया। (प्रेषि. 12:1-11) शायद हम सोचें, ‘यहोवा ने ऐसा क्यों किया कि पतरस को बचा लिया, लेकिन याकूब को नहीं?’ बाइबल में इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। c लेकिन हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा “कभी अन्याय नहीं करता।” (व्यव. 32:4) और हम जानते हैं कि यहोवा याकूब और पतरस दोनों से खुश था। (प्रका. 21:14) हो सकता है, कभी हमारी प्रार्थनाओं का जवाब भी उस तरह ना मिले जैसा हमने सोचा था। ऐसे में हम याद रख सकते हैं कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और कभी अन्याय नहीं करता। इसलिए हम यकीन रखेंगे कि वह हमारी प्रार्थनाओं का जो भी जवाब देगा, वह हमारे भले के लिए होगा और हम उस बारे में कोई शिकायत नहीं करेंगे।—अय्यू. 33:13.
7. असां खे छा न करण घुरिजे ऐं छो?
7 हमें दूसरों से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए। लेकिन कभी-कभी शायद हम ऐसा करने लगें। जैसे हो सकता है, हमने यहोवा से किसी बात के लिए प्रार्थना की हो, लेकिन वैसा ना हुआ हो। और बाद में हमें पता चले कि किसी और ने भी कुछ वैसी ही बात के लिए प्रार्थना की थी और उसकी सुन ली गयी। बहन ऐना के साथ कुछ ऐसा ही हुआ था। उनके पति मैथ्यू को कैंसर हो गया था और उन्होंने यहोवा से प्रार्थना की थी कि वे ठीक हो जाएँ। लगभग उसी समय दो बुज़ुर्ग बहनों को भी कैंसर हो गया था। बहन ऐना ने अपने पति और उन बहनों के लिए गिड़गिड़ाकर यहोवा से बिनती की। वे दोनों बहनें तो ठीक हो गयीं, लेकिन उनके पति गुज़र गए। शुरू-शुरू में बहन ऐना को लगा कि वे बहनें इसलिए ठीक हो गयीं क्योंकि यहोवा ने उन्हें बचा लिया। इसलिए वे सोचने लगीं, ‘अगर यहोवा ने उन बहनों को बचाया, तो मेरे पति को क्यों नहीं बचाया?’ हम यह तो नहीं जानते कि ऐसा क्यों हुआ। लेकिन हम इतना ज़रूर जानते हैं कि आगे चलकर यहोवा हमारी सारी दुख-तकलीफें हमेशा के लिए खत्म कर देगा। और वह अपने उन सभी सेवकों को ज़िंदा करने के लिए तरस रहा है जिनकी मौत हो गयी है।—अय्यू. 14:15.
8. (क) यशायाह 43:2 जे मुताबिक यहोवा कीअं असांजी मदद कंदो आहे (ख) मुश्किलुनि में प्रार्थना करण सां असां खे कीअं मदद मिली सघे थी? (प्रार्थना करने से हिम्मत मिलती है नाले जो वीडियो बि ॾिसो.)
8 यहोवा हमेशा हमारा साथ देगा। यहोवा हमारा पिता है और हमसे बहुत प्यार करता है। वह नहीं चाहता कि हमें कोई तकलीफ हो। (यशा. 63:9) लेकिन वह ऐसा कोई चमत्कार नहीं करता कि हम पर कोई मुश्किल ना आए। कई बार हमें नदी या आग जैसी परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। (यशायाह 43:2 पढ़िए।) लेकिन यहोवा ने वादा किया है कि वह इनसे ‘होकर जाने’ में या इन्हें पार करने में हमारी मदद करेगा। ये मुश्किलें हमें डुबा नहीं पाएँगी, ना ही जला पाएँगी। यहोवा हमें अपनी पवित्र शक्ति भी देगा ताकि हम इन मुश्किलों को सह सकें। (लूका 11:13; फिलि. 4:13) तो हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि मुश्किलों से लड़ने के लिए और यहोवा के वफादार रहने के लिए हमें जो चाहिए, यहोवा हमेशा हमें देगा। d
यहोवा असां खां छा उमेद कंदो आहे?
9. याकूब 1:6, 7 जे मुताबिक असां खे छो विश्वास रखण घुरिजे त यहोवा असांजी मदद कंदो?
9 यहोवा चाहता है कि हम उस पर भरोसा रखें। (इब्रा. 11:6) कई बार हमें लग सकता है कि हम अपनी मुश्किलें पार नहीं कर पाएँगे। शायद हम यह भी सोचने लगें कि पता नहीं यहोवा हमारी मदद करेगा या नहीं। लेकिन बाइबल में हमें यकीन दिलाया गया है कि परमेश्वर की ताकत से हम ‘दीवार भी लाँघ सकते हैं।’ (भज. 18:29) इसलिए हमें घबराना नहीं चाहिए, ना ही यहोवा पर शक करना चाहिए। इसके बजाय जब भी हम प्रार्थना करते हैं, तो हमें यह विश्वास रखना चाहिए कि यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुनेगा और उनका जवाब देगा।—याकूब 1:6, 7 पढ़िए।
10. असां कीअं पंहिंजी प्रार्थनाउनि जे मुताबिक कम करे सघूं था? उदाहरण ॾेई समझायो.
10 यहोवा चाहता है कि हम अपनी प्रार्थनाओं के मुताबिक काम करें। जैसे हो सकता है, एक भाई यहोवा से प्रार्थना करे कि अधिवेशन में जाने के लिए उसे काम से छुट्टी मिल जाए। यहोवा शायद किस तरह उसकी प्रार्थना का जवाब दे? हो सकता है, वह भाई को अपने मालिक से जाकर बात करने की हिम्मत दे। लेकिन मालिक से जाकर बात तो भाई को ही करनी होगी। शायद उसे छुट्टी के लिए बार-बार मालिक से बात करनी पड़े। या वह मालिक से कह सकता है कि वह छुट्टीवाले दिन के बजाय किसी और दिन काम कर लेगा। या वह मालिक से यह तक कह सकता है कि वह छुट्टी के बदले उसके पैसे काट सकता है।
11. असां खे पंहिंजी चिंताउनि जे बारे में छो लगातार प्रार्थना करण घुरिजे?
11 यहोवा चाहता है कि हम अपनी चिंताओं के बारे में बार-बार उससे प्रार्थना करें। (1 थिस्स. 5:17) यीशु ने अपने चेलों से जो कहा था, उससे पता चलता है कि कई बार हमारी प्रार्थनाओं का हमें तुरंत जवाब नहीं मिलता। (लूका 11:9) इसलिए हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें बार-बार पूरे दिल से प्रार्थना करते रहनी चाहिए। (लूका 18:1-7) जब हम बार-बार किसी बात के लिए प्रार्थना करते हैं, तो इससे पता चलता है कि हम यूँ ही प्रार्थना नहीं कर रहे, बल्कि वह बात हमारे लिए बहुत ज़रूरी है। इस तरह हम यह भी दिखाते हैं कि हमें पूरा विश्वास है कि यहोवा हमारी मदद कर सकता है।
शायद छो असां खे पंहिंजी प्रार्थना में फेरबदल करणो पवे?
12. (क) असां खे प्रार्थनाउनि जे बारे में पाण खां कहिड़ो सवाल करण घुरिजे ऐं छो? (ख) असां कीअं पंहिंजे प्रार्थनाउनि में यहोवा जे लाइ आदर ॾेखारे सघूं था? (“ क्या मेरी प्रार्थनाओं से पता चलता है कि मैं यहोवा का आदर करता हूँ?” नाले जो बक्स ॾिसो.)
12 हो सकता है, हमने किसी बात के लिए यहोवा से प्रार्थना की हो, लेकिन अब तक वैसा ना हुआ हो। ऐसे में हम खुद से तीन सवाल कर सकते हैं। पहला, ‘क्या मैं सही बात के लिए प्रार्थना कर रहा हूँ?’ कई बार हमें लगता है कि हम जानते हैं कि हमारे लिए सबसे अच्छा क्या है। लेकिन हो सकता है, आगे चलकर उससे फायदा ना हो। शायद हम यहोवा से प्रार्थना करें कि वह हमारी कोई समस्या फलाँ तरीके से हल कर दे। लेकिन हो सकता है, यहोवा ने उससे भी अच्छा कुछ सोचा हो। यह भी हो सकता है कि हम जिस बात के लिए यहोवा से प्रार्थना कर रहे हैं, वह उसकी मरज़ी के मुताबिक ना हो। (1 यूह. 5:14) आइए एक बार फिर उन माता-पिता के बारे में बात करें जिन्होंने प्रार्थना की थी कि उनका बच्चा यहोवा की सेवा करता रहे। वैसे इस तरह की प्रार्थना करना गलत नहीं है, पर देखा जाए तो यहोवा किसी से भी ज़बरदस्ती अपनी सेवा नहीं करवाता। वह चाहता है कि हम और हमारे बच्चे भी अपनी मरज़ी से उसकी सेवा करें। (व्यव. 10:12, 13; 30:19, 20) तो शायद वे माता-पिता यह प्रार्थना कर सकते हैं कि वे अपने बच्चे के दिल में सच्चाई बिठा सकें, ताकि वह खुद ही यहोवा से प्यार करने लगे और उसका दोस्त बन जाए।—नीति. 22:6; इफि. 6:4.
13. इब्रानियों 4:16 जे मुताबिक यहोवा कॾहिं असां जी मदद कंदो? समझायो.
13 दूसरा सवाल जो हम खुद से कर सकते हैं, वह है, ‘यहोवा की नज़र से देखें, तो क्या यह मेरी गुज़ारिश पूरी करने का सही वक्त है?’ शायद हम सोचें कि हमें अभी-के-अभी अपनी प्रार्थनाओं का जवाब मिल जाना चाहिए। लेकिन देखा जाए तो यहोवा जानता है कि हमारी मदद करने का सबसे सही वक्त कौन-सा है। (इब्रानियों 4:16 पढ़िए।) जब हमें तुरंत अपनी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं मिलता, तो शायद हम सोचें कि यहोवा कह रहा है, ‘मैं तुम्हारी प्रार्थना का जवाब नहीं दूँगा।’ लेकिन हो सकता है, यहोवा कह रहा हो, ‘मैं जवाब दूँगा, पर अभी नहीं।’ ज़रा एक बार फिर उस नौजवान भाई के बारे में सोचिए जिसने यहोवा से प्रार्थना की थी कि वह उसकी बीमारी ठीक कर दे। अगर यहोवा कोई चमत्कार करके उसे ठीक कर देता, तो शैतान यहोवा को यह ताना मार सकता था कि उसने उस भाई की बीमारी ठीक कर दी, तभी वह उसकी सेवा कर रहा है। (अय्यू. 1:9-11; 2:4) हमें यह भी याद रखना चाहिए कि यहोवा ने पहले से ही वह वक्त ठहरा दिया है जब वह हर तरह की बीमारी दूर कर देगा। (यशा. 33:24; प्रका. 21:3, 4) लेकिन तब तक हम उससे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि वह चमत्कार करके हमें ठीक कर दे। तो शायद वह भाई यहोवा से यह प्रार्थना कर सकता है कि वह उसे बीमारी से लड़ने के लिए और वफादारी से सेवा करने के लिए ताकत दे और मन की शांति दे।—भज. 29:11.
14. भेण जैनिस जे उदाहरण मां तव्हां छा सिखियो?
14 ज़रा एक बार फिर बहन जैनिस के उदाहरण पर ध्यान दीजिए जिन्होंने बेथेल में सेवा करने के बारे में प्रार्थना की थी। पाँच साल बाद जाकर उन्हें एहसास हुआ कि यहोवा ने उनकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया था, लेकिन जैसे उन्होंने सोचा था वैसे नहीं। बहन बताती हैं, “उस दौरान यहोवा ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और मसीही गुण बढ़ाने में मेरी मदद की। मुझे एहसास हुआ कि मुझे उस पर और भी भरोसा करना है, और भी अच्छी तरह निजी अध्ययन करना है। मैंने यह भी सीखा कि मेरी खुशी इस बात पर निर्भर नहीं करती कि मैं कहाँ सेवा कर रही हूँ।” बाद में बहन जैनिस के पति को सर्किट निगरान के तौर पर सेवा करने के लिए कहा गया और बहन ने उनका पूरा साथ दिया। बीते समय को याद करते हुए बहन जैनिस कहती हैं, “यहोवा ने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया था, हाँ, वैसे नहीं जैसे मैं सोच रही थी। मुझे इस बात को समझने में थोड़ा वक्त लगा कि यहोवा कितने लाजवाब तरीके से हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। पर मैं यहोवा का बहुत एहसान मानती हूँ कि वह मुझसे इतना प्यार करता है और उसने मुझ पर इतनी कृपा की।”
15. इहो छो जरूरी न आहे, त असां हर बार पंहिंजी प्रार्थना में यहोवा खे कंहिं खास ॻाल्हि जो जिक्र कयूं? (तसवीरुं बि ॾिसो.)
15 तीसरा सवाल हम जो खुद से कर सकते हैं, वह है, ‘मैं जिस बात के लिए प्रार्थना कर रहा हूँ, क्या उसमें मुझे थोड़ा-बहुत फेरबदल करना चाहिए?’ यहोवा को साफ-साफ बताना अच्छा है कि हमें ठीक क्या चाहिए, पर कभी-कभी बस मोटे तौर पर बताना बेहतर होगा कि हम क्या चाहते हैं। इस तरह हम जान पाएँगे कि यहोवा की क्या मरज़ी है। अब ज़रा उस बहन के बारे में सोचिए, जो राज प्रचारकों के लिए स्कूल में जाने के लिए प्रार्थना कर रही थी। वह स्कूल में इसलिए जाना चाहती है ताकि ऐसी जगह जाकर सेवा कर सके जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है। तो स्कूल में जाने के लिए प्रार्थना करने के साथ-साथ वह यह भी बिनती कर सकती है कि यहोवा और भी ज़्यादा सेवा करने के मौके ढूँढ़ने में उसकी मदद करे। (प्रेषि. 16:9, 10) फिर वह अपनी प्रार्थना के मुताबिक काम भी कर सकती है। जैसे, वह अपने सर्किट निगरान से पूछ सकती है कि क्या आस-पास की किसी मंडली में पायनियरों की ज़्यादा ज़रूरत है। या फिर वह शाखा-दफ्तर को लिखकर पूछ सकती है कि ऐसी कौन-सी जगह है जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। e
16. असां कहिड़ी ॻाल्हि जो यकीन रखी सघूं था?
16 इस लेख में हमने जाना कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ज़रूर देगा। और वह जिस तरह जवाब देता है, उससे पता चलता है कि वह हमसे कितना प्यार करता है और कभी हमारे साथ अन्याय नहीं करता। (भज. 4:3; यशा. 30:18) हो सकता है, कभी-कभी हमें अपनी प्रार्थनाओं का जवाब वैसे ना मिले जैसे हमने सोचा था। लेकिन हम भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा कभी-भी हमारी प्रार्थनाओं को अनसुना नहीं करेगा। वह हमसे बहुत प्यार करता है और वह कभी हमें हमारे हाल पर नहीं छोड़ेगा। (भज. 9:10) तो आइए हम “हमेशा उस पर भरोसा” रखें और उसके आगे अपना दिल खोलकर रख दें।—भज. 62:8.
गीत 43 धन्यवाद की प्रार्थना
a इस लेख में हम जानेंगे कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमेशा हमारी प्रर्थानाओं का जवाब देता है। और वह जिस तरह जवाब देता है, उससे पता चलता है कि वह हमसे कितना प्यार करता है और कभी हमारे साथ अन्याय नहीं करता।
b इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।
c फरवरी 2022 की प्रहरीदुर्ग में दिए लेख “भरोसा रखिए कि यहोवा जो भी करता है, सही करता है” के पैराग्राफ 3-6 पढ़ें।
d यहोवा कैसे मुश्किलें सहने में हमारी मदद करता है, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए jw.org पर दिया वीडियो प्रार्थना करने से हिम्मत मिलती है देखें।
e अगर आप किसी दूसरी शाखा के इलाके में जाकर सेवा करना चाहते हैं, तो इस बारे में जानने के लिए यहोवा की मरज़ी पूरी करने के लिए संगठित किताब के अध्याय 10 के पैराग्राफ 6-9 पढ़ें।
f तसवीर के बारे में: दो बहनें राज प्रचारकों के लिए स्कूल में जाने की अर्ज़ी भरने से पहले प्रार्थना करती हैं। बाद में उनमें से एक को स्कूल के लिए बुलाया जाता है, जबकि दूसरी को नहीं। जिस बहन को नहीं बुलाया जाता, वह बहुत ज़्यादा दुखी नहीं हो जाती। इसके बजाय वह यहोवा से प्रार्थना करती है कि वह और ज़्यादा सेवा करने के दूसरे तरीके ढूँढ़ने में उसकी मदद करे। उसके बाद वह शाखा दफ्तर को खत लिखकर बताती है कि वह ऐसी जगह जाकर सेवा करने के लिए तैयार है, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है।